ग़ज़ल:सोहन सलिल

जुलाई-2013 अंक 

ग़ज़ल

हम यूँ तेरे आस्तां से उठे 
जैसे कोई इस जहाँ से उठे 

बिखरे तो हैं नफरतों के शरर 
अब आग जाने कहाँ से उठे 

अश्कों की बारिश बचाये रखो 
शायद धुंआ इस मकां से उठे

हल ज़िन्दगी के सवालात का 
अब तो मेरी दास्ताँ से उठे 

ये सोच कर सचबयानी न की 
बलवा न मेरे बयाँ  से उठे 

रहबर है गद्दार तो फिर सलिल 
ये बात कुल कारवाँ से उठे 

सोहन सलिल

संपर्क :H.I.G.-8 गोविन्द भवन कॉलोनी
साउथ सिविल लाइन्स,जबलपुर,मध्य प्रदेश
मो -  91-9827349242
घर-   91-761-2620858,2620859
ई-मेल-   sohanparoha@gmail.com


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