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सबक
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‘‘मम्मी से पूछ कर लिए थे‘‘
‘‘मम्मी से पूछ कर क्यों लिए थे? फीस मम्मी देती है कि हम? आज के बाद दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए, समझे‘‘ पापा ने उसे थप्पड़ मारते हुए धक्का दे दिया और बाहर चले गए।रवि ने घृणा से अपनी माँ की तरफ घूरा, उनकी नजरें झुक गयी। रवि अपने कमरे में चला गया। मॉरल एजूकेशन की बुक खोला और उसकी पहली लाइन काट दी। वो थी-
‘‘हमें अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए‘‘
आज उसने नया सबक सीखा था-
‘‘हमें अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए‘‘
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लाइलाज
”कब से तुम दोनों टी0वी0 देख रहे हो, पढ़ना लिखना नहीं है। बार-बार इसी के लिए पापा से मार खाते हो। फिर भी तुम दोनों को शर्म नहीं आती है“ माँ ने बच्चों को डाँटते हुए कहा।”अच्छा-अच्छा, तुम भी तो पापा से मार खाती हो तुमको शर्म आती है क्या?“ दोनों बच्चों ने विजयी भाव में उत्तर दिया।उत्तर सुनते ही उसके पूरे शरीर में सनसनी सी दौड़ गयी, गला रूँध गया, आवाज बन्द हो गयी, आँख भर गई। वापस कमरे में जाने लगी। रात में मिले चोटों में अब दर्द बढ़ गया था। दराज खोलकर मरहम निकाला, घावो में लगाया, थोड़ी राहत भी महसूस हुयी। पर न जाने क्या दिल में मस्तर सा चुभ रहा था।क्या इस दर्द के लिए कोई मरहम बना है? सोंचते-सोंचते उसके बाल सफेद हो गए थे, कई दाँत भी टूट गए थे, कमर से थोड़ी झुक भी गयी थी, रात को सोते वक्त कराहा करती थी। पर दिल का दर्द कभी कम नहीं हुआ, बढ़ता गया, अनन्त, अनवरत.................................।
दर्शनशास्त्र विभाग
इलाहबाद विश्वविद्यालय
ई-मेल:annu9980@gmail.com
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