सिद्धार्थ कुमार की कविता
हम
हिन्दू
मुस्लिम
करते
हैं
इससे
क्या
किसको
मिल
जाएगा
कहाँ से
आये
हैं
ये
दोनों
कोई
मुझको
ये
बतलायेगा
लड़ते हैं आपस में दोनों क्यों
ये
कोई
समझायेगा
लाखों
में
से
10 होंगे
सिर्फ
पर
बदनाम
सभी
हो
जाएगा
होता कितना
नुकसान
देश
का
ये
कौन
इनको
बतलाएगा
जाकर पूछो
उस
माँ
से
जिसने खोई
अपनी
संतान
क्या कोई
हिन्दू
या
फिर
मुस्लिम
उसके
जख्मों
पर
मरहम
लगाएगा
आगे
क्या
होगा
क्या
जानें
लगता
है
मुश्किल
बढ़
जाएगी
खाते
थे
दोनों एक
थाल
में
क्या वो
अब
बँट
जाएगी
जन्म होता है
एक
समान
क्या
हिंदू
और
क्या
मुसलमान
पर
न
जाने किस
बात
की
चिंता
इन
दोनों
को
खाये
जाएगी
लड़ते
हैं
दोनों
आपस
में
अपनी
अपनी
शान
के
लिए
झूठी
है
ये
शान
उनकी
उनको ये
कौन
बताएगा
लड़कर
मरेंगे
आपस
में
दोनों
फिर बाहर से कोई
आएगा
तब न
होंगे गाँधी
-जिन्ना
फिर
आजादी
कौन
दिलाएगा
कहते
थे
सोने
की
चिड़ियाँ
जिसको
मिटटी
का
बस
रह
जाएगा।
सिद्धार्थ कुमार
रूसी–अंग्रेजी–हिंदी भाषा अनुवादक
टेक महिंद्रा, हैदराबाद.
सम्पर्क
8744845454
sidhu8066@gmail.com
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बहुत ही सुन्दर शब्द.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंVery true awesome dear
जवाब देंहटाएंGreat attempt, keep going.
जवाब देंहटाएंSo nice sid
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंSuperb saying !!!
जवाब देंहटाएंHeart touching and very influencing Sidharth :)
जवाब देंहटाएंBahut bahut bahut bahut achchha . 👍👌💐
जवाब देंहटाएंShandar jabardast jindabaad
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें