भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की
भूमिका: एक आलोचनात्मक विश्लेषण / पूजा जैन
बीज-शब्द : MNCs , उत्पादन, निवेश, व्यापार, विदेशी पूंजी।
मूल आलेख
भारत में इस प्रकार की अनेक कंपनियां है
जिनका कारोबार भारत में ही है,
किंतु उनका मुख्यालय भारत के बाहर
अन्य देशों में है। साथ ही साथ इनका व्यवसाय भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों में
भी पाया जाता है। कुछ कंपनियों के नाम तथा इनके व्यवसाय निम्न प्रकार है
जैसे-पौण्डस चेहरे के लिए क्रीम बनाने वाली कंपनी, कोलगेट-पालमोलीव दंत मंजन
व दाढ़ी का साबुन बनाने वाली कंपनी,
हिंदुस्तान लीवर साबुन व डालडा घी
बनाने वाली कंपनी, ग्लैक्सो दवाई बनाने वाली कंपनी, गुडलक
नेरोलेक पेन्ट्स रंग व वार्निश बनाने वाली कंपनी, सीवा दवाई वाली कंपनी आदि।
1991
से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में
बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ज्यादा योगदान नहीं था। सुधार से पहले की अवधि में
सार्वजनिक उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी थे। 1991 से 1996
के बीच पीवी नरसिम्हा राव सरकार द्वारा उदारीकरण और निजीकरण की नीति को अपनाने के
साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास के लिए
महत्वपूर्ण माना गया था। सरकार से अनुमति मिलने के बाद कई विदेशी बहुराष्ट्रीय
कंपनियों ने देश में बिजनेस शुरू कर दिया था। दुनिया भर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां
बहुत शक्तिशाली आर्थिक ताकत के रूप में उभरी है। आमतौर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियां
कई देशों में विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती है, उन्हें बाजारों में बेचती
है, दुनिया के कई लोगों को प्रबंधन में रखती है और इसमें कई शेयर
धारक भी होते है। हालांकि, एमएनसी कंपनियां कई लोगों को नौकरियों पर भी रखती
है, लेकिन इनके कारण कई लोगों की नौकरियां भी गई है। बहुराष्ट्रीय
कंपनियां जो केवल मुनाफे से प्रेरित है,
रोजगार के अवसरों को नष्ट करती
है। यह देखा गया है कि एमएनसी चाहे भारत में हो या कहीं और, नौकरी
के अवसरों को बढ़ावा देने या रोजगार पैदा करने के लिए नहीं, बल्कि
केवल अपने लाभ को अधिकतम करने पर जोर देती है।
भारतीय संदर्भ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निम्नलिखित प्रभाव
है :-
बेरोजगारी का कारण:
बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार जरूर पैदा करती है, लेकिन सीमित आधार पर। वहीं, भारतीय संदर्भ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बेरोजगारी समस्या को बढ़ाया ही है। विभिन्न सैद्धांतिक कारणों के अनुसार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को गैर जिम्मेदार शोषक के रूप में जाना जाता है। खुद के देश से गरीब देशों में नौकरियों को निर्यात करते है, जहां असंगठित श्रम का शोषण कर सके।
लघु उद्योगों पर नकारात्मक असर डालती है बहुराष्ट्रीय कंपनियां:
अपनी विशाल पूंजी, विस्तृत
व्यापार नेटवर्क और आकर्षक विज्ञापन तकनीकों के साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियां लघु
उद्योगों के लिए एक कठिन चुनौती पैदा करती है। नतीजन, लघु
उद्योगों को खुद को बनाए रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो लघु उद्योगों की आर्थिक स्थिति से खेलती है, अंततः
उन्हें नष्ट कर देती है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसी कंपनियां अप्रत्यक्ष रूप से तीन
लाख से अधिक लघु उद्योगों के बंद होने के लिए जिम्मेदार है। 200
साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी थी,
आज 4
हजार से अधिक कंपनियां है जो देश के स्वदेशी उद्योगों को कमजोर करने में लगी है।
उपभोक्तावाद और सांस्कृतिक आक्रमण:
इन कंपनियों ने लोगों को नई चीजों के लिए दीवाना बना दिया है।
ये कंपनियां शीतल पेय, हेयर शैंपु,
हेयर ऑयल, लिपिस्टक
आदि चीजे बनाती है और आकर्षक विज्ञापनों के जरिए लोगों को इन्हें खरीदने के लिए
विवश करती है। इस प्रवृत्ति ने अवांछित उपभोक्तावाद को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा
पश्चिमी शैलियों, मूल्यों आदि को शुरू कर इन कंपनियों ने राष्ट्रीय
संस्कृतियों के खिलाफ एक प्रकार का सांस्कृतिक हमला शुरू किया है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (निगमों) का विस्तार:-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों न केवल विश्व निवेश में
ही प्रभावशाली नहीं होते अपितु अन्तर्राष्ट्रीय उत्पादन, व्यापार, वित्त
तथा तकनीक में भी अपना महत्व रखते है,
किन्तु बहुराष्ट्रीय कंपनियों की
शाखाओं , उत्पादन,
व्यापार, वित्त
तथा तकनीक के क्षेत्र में उचित,
विश्वसनीय तथा नवीनतम आंकड़े
प्रायः प्रकाशित नहीं होते, इसलिए उपलब्ध नहीं होते।
एक अमरीकी पत्रिका फोर्ब्स ने 50
बड़े अमेरिकन निगमों को सूचीबद्ध किया था जो इस बात को प्रकट करता है कि उनके कुल
राजस्व का 40 प्रतिशत चाय के बगीचों, औषध
निर्माण, प्रसाधन सामग्री, खाद्य उत्पादन, औद्योगिक
उत्पादनों का निर्माण तथा विभिन्न उपभोक्ता सामग्रियों, जेल
खोज, पुस्तक प्रकाशन,
ऑटोमोबाइल्स, रसायन
तथा खाद इत्यादि से आता है। भारत में इस प्रकार की अनेक कंपनियां है जिनका कारोबार
भारत में है, लेकिन उनका मुख्यालय भारत के बाहर किसी देश में है
तथा जिनका भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों में भी कारोबार है। जैसे-पौण्डस चेहरे
के लिए क्रीम बनाने वाली कंपनी,
वारेन टी चाय बेचने वाली कंपनी, कोलगेट-पालमोलीव
दंत मंजन व दाढ़ी का साबुन बनाने वाली कंपनी,
हिंदुस्तान यूनीलीवर उपभोक्ता
वस्तुएं बनाने वाली कंपनी, ग्लैक्सो दवाई बनाने वाली कंपनी, गुडलक
नेरोलेक पेन्ट्स रंग व वार्निश बनाने वाली कंपनी, सीवा दवाई वाली कंपनी आदि।
Some
Foreign Transational Corporations In India
Foreign Transational |
Indian Affiliate |
ABB |
ABB
India |
Bata
Corporation |
Bata
India |
Cadbury |
Cadbury
India |
CoCa-Cola
Corporation |
Coca
Cola India |
Colgate
Palmolive |
Colgate
India |
Gillette |
Indian
Saving Product |
Pepsi
Corporation |
Pepsi
India |
Proctor
and Gamble |
Proctor
Gamble India |
Phillips |
Phillips
India |
Sony
Corporation |
Sony
India |
Suzuki |
Maruti
Suzuki |
Timex |
Timex
Watches |
Unilever |
Hindustan
Uni-Lever |
|
|
भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका-
भारत जैसे विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका
निम्नलिखित है :-
1. औद्योगीकरण में सहायक-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा विकासशील देशों
के औद्योगीकरण में सहायता पहुंचायी गयी है। जहां विकासशील देश पूंजी व तकनीक देने
में असमर्थ थे वहां इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारी मात्रा में पूंजी ही नहीं
लगायी है, बल्कि तकनीक भी प्रदान की है जिससे कि उन देशों में
औद्योगिक उत्पादन की नींव ही नहीं रखी है,
बल्कि उसके विकास में भी भारी
योगदान दिया है। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने ऐसे उद्योगों की भी स्थापना इन
विकासशील देशों में की है जिनमें भारी मात्रा में पूंजी व आधुनिक तकनीक की
आवश्यकता होती है जैसेः पेट्रोलियम,
रसायन, खनिज
आदि। भारत में बरमाह शैल व कालटैक्स पेट्रोलियम के क्षेत्र में इन्हीं निगमों की
देन थी।
2.
साधनों का विदोहन- भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने साधनों के बारे
में पता लगाकर उनके विदोहन का कार्य प्रारंभ किया जिसे भारत उन परिस्थितियों में
नहीं कर सकता था।
3. उत्पादन तकनीकों में परिवर्तन-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जब यह पाया कि भारत में
श्रम सस्ता है तो उन्होंने उनका लाभ प्राप्त करने के लिए उत्पादन तकनीक में अनेक
बार महत्वपूर्ण परिवर्तन किये जिससे कि उत्पादन आधुनिक व अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि
से प्रतियोगी बन गया जो देश के हित में ही रहा।
4.
शोध एवं विकास- इन कंपनियों ने शोध एवं विकास पर पर्याप्त मात्रा
में व्यय किया है तथा मुख्य कार्यालय के शोध एवं विकास का लाभ शाखा कार्यालय व
सहायक कंपनियों को भी दिया है जिससे अल्प-विकसित देशों के औद्योगीकरण में सहायता
मिली है।
5.
विपणन- बहुराष्ट्रीय
कंपनियों ने विपणन कार्य भी कुशलता से कर निर्यात को बढ़ावा दिया है। इसके लिए
बाजार शोध, विज्ञापन,
विपणन सूचनाओं का प्रसारण, भण्डार
प्रबंध, पैकेजिंग आदि का भी विकास किया है जिससे कि वस्तु उपभोक्ता तक
उचित प्रकार में पहुंच सके।
6.
वृहत् स्तर पर रोजगार- बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वृहत् स्तर पर रोजगार
अवसर पैदा कर रोजगार दिया है जिससे देश में रोजगार सुविधाएं बढ़ी है।
भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की प्रगति:-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत की और बढ़ते रूझान के
अनेक कारण है। भारत एक विस्तृत उपभोक्ता बाजार है। यह विश्व की सर्वाधिक तीव्र गति
से विकासमान अर्थव्यवस्था है। साथ ही FDI
के प्रति सरकारी नीति की भी इसमें
महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पिछले कुछ दशकों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
संबंधी प्रतिबधिंत नीति रही है। परिणामस्वरूप कम संख्या में एवं विशेष क्षेत्रों
में ही विदेशी निवेश सीमित रहा था। 1991 की नवीन औद्योगिक नीति के अधीन वित्तीय उदारता, भूमंडलीकरण
के कारण परिदृश्य में परिवर्तन हुआ है। आजकल सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को
आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयास के अधीन 'Make
in India' अभियान प्रारंभ किया हुआ है कि
विदेशी कंपनियां भारत में आकर माल का उत्पादन करे।
यहां यह वर्णित करना सम्यक् होगा कि विदेशी
कंपनियां भारत में लाभार्जन के उद्धेश्य से ही स्थापित होती है। कोई कंपनी अपने
घरेलू क्षेत्र से दूर अन्य किसी क्षेत्र में अपने परिचालन को तभी फैलाती है जब
उन्हें पर्याप्त लाभार्जन का अवसर प्रतीत हो रहा हो और ऐसी ही स्थिति भारत में
स्थित विदेशी कंपनियों की है। इसके अतिरिक्त भारत में भिन्न एवं नवीन उत्पादों का
विस्तृत बाजार है। इसके अतिरिक्त प्रतिस्पर्धी श्रम बाजार, विपणन
एवं समष्टिगत आर्थिक स्थायित्व अन्य प्रमुख कारण है जिन्होंने विदेशी कंपनियों को
भारत में आकर्षित किया है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए आचार संहिता:-
भारत जैसे अन्य विकासशील देशों के सामने समस्या यह
है कि MNCs के हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार नियंत्रित और
कम किया जाए तथा उनका अधिकतम लाभ के लिए उपयुक्त बनाया जाए। यह सब इन विश्वव्यापी
महाकार्यो को नियंत्रित करने के संकल्प पर निर्भर करता है। अल्प विकसित देशों को
चाहिए कि वे MNCsको विशिष्ट तथा बेहतर तकनीकों तथा कार्यविधियों के
बारे में Turnkey Agreement में भाग लेकर जानकारी प्राप्त करे। उनके साथ एक
विदेशी कंपनी जो एक प्लांट बनाना चाहती है या उनके प्राकृतिक स़्त्रोतों को
निकालने में सहायता करना चाहती है,
स्थानीय सेविवर्ग को प्रशिक्षित
करना चाहती है, तकनीकी जानकारी देना, उत्पादन प्रारंभ करना तथा
अंत में किसी स्थानीय फर्म को संपूर्ण कार्यविधि का कार्य सौंपकर अपने देश को लौट
जाना चाहते है, समझौता करें। इन सेवाओं के बदले में, MNCs को एक स्थायी शुल्क या लागत जमा शुल्क दिया जाना चाहिए। भारत ने
अपने तट-दूरवर्ती तेल स्त्रोतों का उपयोग करने के लिए इस प्रकार का समझौता किया।
संयुक्त राष्ट्र
संघ द्वारा स्थापित आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् ने इनके मेजबान देशों में परिचालन
सम्बन्धी आचार संहिता अनुमोदित की है-
• मेजबान
देश की राष्ट्रीय अखण्डता का सम्मान करना चाहिए, जिसके लिए वहां के विधान
एवं व्यवस्था का अनुपालन आवश्यक है।
• मेजबान
देशों में विकास के उद्धेश्यों एवं लक्ष्यों की अनुपालन के साथ वहां के
सामाजिक-आर्थिक ढ़ांचे का सम्मान करना चाहिए।
• मानवीय
अधिकारों के संरक्षण के प्रति सजग रहना।
• भ्रष्टाचारी
आचरण में लिप्त नहीं होना।
• आंतरिक
राजनैतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
• करों
एवं अन्य शुल्कों का ईमानदारी से समय पर भुगतान करना चाहिए।
• प्रासंगिक
सूचनाओं को मेजबान देश की सरकार को प्रकटीकरण।
• प्रतियोगिता
को सीमित या प्रतिबंधित नहीं करना।
• मेजबान
देश के विज्ञान एवं तकनीकी उद्धेश्यों की प्राप्ति में सहयोग करना।
• परिचालन
में बृहत परिवर्तन में कर्मचारियों की भागीदारी।
• मेजबान
देश के भुगतान संतुलन की स्थिति पर विचार करना चाहिए।
• वित्तीय
मामलों की सूचनाएं मेजबान देश को नियमित आधार पर देना।
बहुराष्ट्रीय
कंपनियों के परिचालन पर नियंत्रण का कार्य भारतीय रिजर्व बैंक , वित्त
मंत्रालय, निगमीय मामलो के मंत्रालय द्वारा भारत सरकार करती
है। परिणामस्वरूप MNCs के भारत में प्रवेश सम्बंधी नीतियों में परिवर्तन
होता रहता है। वर्तमान केन्द्रीय सरकार द्वारा Make in India परियोजना
के अधीन विदेशी उद्यमियों को भारत में अपने परिचालन करने के लिए प्रोत्साहित किया
जा रहा है, जिसके अधीन रक्षा उत्पादों में विदेशी सहयोग का
मार्ग भी प्रशस्त किया गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए
उदारवादी कदम उठाए गए है।
भारत में सर्वश्रेष्ठ बहुराष्ट्रीय कंपनियां:-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास विभिन्न देशों में
कार्यालय या कारखाने है और एक मुख्य प्रधान कार्यालय है जहां वे वैश्विक प्रबंधन
का समन्वय करते है। भारत इन एमएनसी कंपनियों के साथ लाभ भी चलाता है, जैसे
निवेश का स्तर, तकनीकी मतभेदों मे कमी, प्राकृतिक
संसाधनों का इष्टतम उपयोग, विदेशी मुद्रा अंतर में कमी और बुनियादी आर्थिक
संरचना को बढ़ावा देना।
भारत में सबसे अच्छी बहुराष्ट्रीय कंपनियां निम्न हैः -
1.
माइक्रोसॉफ्ट:- माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन इंडिया माइक्रोसॉफ्ट
कॉर्पोरेशन की सहायक कंपनी है,
जो एक अमेरिकी एमएनसी है, जिसे
वर्ष 1975 में शुरू किया गया था। हैदराबाद में मुख्यालय के
साथ, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन इंडिया ने 1990
में परिचालन शुरू किया और तब से भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया है। यह एक आईटी
फर्म भी है। यह वास्तव में भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सूची में सबसे
लोकप्रिय है।
2.
आईबीएम:- आईबीएम (इंटरनेशनल बिजनेस मशीन्स कॉर्पोरेशन) भारत
में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सूची में दूसरे स्थान की एमएनसी है, जिसका
मुख्यालय बैंगलोर (आईबीएम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ) में है। यह 1992
में भारत में शुरू हुआ और इसे व्यापार परामर्श, भंडारण समाधान इत्यादि
सहित उत्पादों और सेवाओं की एक श्रृंखला के लिए क्रेडिट देना है।
3.नेस्ले:- नेस्ले इंडिया,
नेस्ले एसए का हिस्सा है जो
स्विटजरलैंड की खाद्य और पेय कंपनी है। नेस्ले ने 1912 में बेहतर उत्पादों के
साथ बाजार में प्रवेश किया था और वर्तमान में भारत में अग्रणी एमएनसी में से एक
है। इसे भारत के सबसे बड़े खाद्य उत्पादों में से एक माना जाता है, और
राजस्व के अनुसार 2014 में फॉर्च्यून ग्लोबल 500
में से 72 रैंक पर है।
4.
प्रोक्टर एंड गैंबल:- प्रोक्टर एंड गैंबल (जिसे पी एंड जी के नाम से
जाना जाता है) एक विश्वव्यापी डेवलपर एमएनसी है और 1837 में विलियम प्रोक्टर और
जेम्स गैंबल द्वारा शुरू की गई थी। पी एंड जी इंडियन प्रोक्टर एंड गैंबल का हिस्सा
है। एमएनसी ने 1964 में भारत में अपना रास्ता बना दिया और वर्तमान में
ओले, जिलेट, वीक्स,
टाइड इत्यादि जैसे उत्पाद, स्वास्थ्य
और घरेलू देखभाल के क्षेत्र में उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
5.
कोका कोला:- कोका कोला भारत में एक और व्यापक रूप से प्रशंसित एमएनसी है जो
भारत में शीर्ष सर्वश्रेष्ठ एमएनसी की सूची में आती है। 1886
में ऐसा ग्रिग्स कैडलर द्वारा स्थापित गैर-मादक पेस पदार्थो के कोका-कोला ने 1993
में भारत में ऑपरेशन शुरू किया। कोका कोला का कॉर्पोरेट कार्यालय अटलांटा, जॉर्जिया
में है और राजस्व 45.9 अरब अमेरिकी डॉलर है। कंपनी को कोका-कोला इंडिया
प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी के रूप में भारत में संचालित किया गया।
6.
पेप्सिको:- पेप्सिको स्नेक्स के साथ-साथ पेय पदार्थो की एक
प्रसिद्ध निर्माता के रूप में भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सूची में है। यह
एक अमेरिकी कंपनी है और 1965 में बनी थी। पेप्सिको अपनी सहायक कंपनी पेप्सिको
इंडिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से भारत में काम करती है और लोकप्रिय
ब्रांडों जैसे-लेज, पेप्सी,
स्लाइस इत्यादि का अग्रणी
निर्माता है।
7.
सिटी ग्रुप:- भारत में एमएनसी की अगली एक सूची में सिटी ग्रुप
है, जिसे 1998 में स्थापित किया गया था और यह एक अमेरिकी बैंकिग
सेवाएं है, कॉर्प यह सहायक कंपनी, सिटीबैंक
के माध्यम से भारत में संचालित है,
जो वर्तमान में भारत के 30
से अधिक शहरों में 40 से अधिक शाखाएं है।
8.
सोनी कारपोरेशन:- सोनी अभी तक एक और प्रसिद्ध जापानी बहुराष्ट्रीय
कंपनी है जो वर्ष 1946 में अस्तित्व में आई थी। सोनी कारपोरेशन ने वर्ष 1994
में भारतीय बाजार में अपना परिचालन शुरू किया और विभिन्न श्रेणियों में
इलेक्ट्रानिक, मीडिया और मनोरंजन में अपने उत्पादों के लिए अच्छी
तरह से प्रशंसित है।
9.
हेवलेट पैकार्ड (एच पी):- हेवलेट पैकार्ड (एच पी) ने भारत में एमएनसी की
सूची में अपना रास्ता लैपटॉप, मॉनीटर,
डेस्कटॉप और अन्य इलेक्ट्रानिक
सामानों से लेकर अपने उत्पादों के साथ बनाया है। एच पी को 1939
में शुरू किया गया था और इसका मुख्यालय पालो,
अल्टो, कैलिफोर्निया
में है। सबसे बड़ा राजस्व 111.454 अरब अमेरिकी डॉलर है।
10.
ऐप्पल इंक:- भारत में शीर्ष एमएनसी की हमारी सूची में, अंतिम
ऐप्पल इंक है जो वर्तमान में लेपटॉप,
फोन, साफ्टवेयर
और विभिन्न ऑनलाइन सेवाओं को बेचता है। ऐप्पल इंक की स्थापना 1976
में हुई थी, यह एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी है।
11.
वोडाफोन:- एक अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनी में वोडाफोन
ग्रुप पिक, जिसे यूनाइटेड किंगडम (यूके) में अपना मुख्यालय
लंदन में मिला है। इससे पहले वोडाफोन एस्सार और हचिसन एस्सार के रूप में जाना जाता
है, वोडाफोन इंडिया देश में मोबाइल नेटवर्किंग के सबसे बड़े ऑपरेटरों
में से एक है। मूल कंपनी हचिसन ने अपना व्यवसाय वर्ष 1992
में मैक्स ग्रुप के साथ शुरू किया था,
जो भारत में इसका व्यापार भागीदार
था। बहुत बाद में 2011 में,
वोडाफोन ग्रुप पिक ने अपने साथी
एस्सार गु्रप के मोबाइल ऑपरेटिंग बिजनेस को खरीदने का फैसला किया।
निष्कर्ष:-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विश्व की आर्थिक प्रणालियों पर क्रांतिकारी प्रभाव पड़ता
है। इसका कारण यह है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अंतराष्ट्रीय सौदों का प्रभाव कई
देशों के परंपरागत पूंजी के प्रवाह और अंतराष्ट्रीय व्यापार पर पड़ता है। इनके
द्वारा विकासशील देशों को विकसित देशों से पूंजी की व्यवस्था करने में सहायता
मिलती है, तकनीकी ज्ञान का भी आदान-प्रदान होता है। इनकी
सहायता से मानवीय संसाधनों का विकास होता है,
ये कंपनियां ज्ञान के आदान-प्रदान
होने के कारण लोगों में आपसी सहयोग,
सहानुभूति, प्रेम
तथा सहिष्णुता आदि गुणों का विकास होता है।
अंत
में यह कहना गलत नहीं होगा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां आतिथेय देशों में अपनी शाखाएँ
स्थापित करके बड़ी मात्रा में रोजगार के अवसरों का निर्माण करते है। ये दो प्रकार
से रोजगार का सृजन करते है। प्रथम निवेश की दर में वृध्दि करके तथा दूसरा तकनीकी
ज्ञान का विकास करके। अतएव बहुराष्ट्रीय कंपनियां विकासशील देशों में निवेश की दर
को ऊंचा उठाने में सहायता प्रदान करते है।
संदर्भ-
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2.
जे.सी.पंत एवं जे.पी.मिश्रा :
व्यावहारिक अर्थशास्त्र, साहित्य
भवन पब्लिकेशन्स, आगरा
3.
एस.सी.सक्सैना एवं वी.पी.अग्रवाल
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साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा
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4.
सचिन दास एवं एल.एन.शर्मा : नवीन
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of financial, Radha Publications Institution in India, New Delhi
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Institution Of India, Trichi Publications, New Delhi
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O.P. Financial Institution Light&Life Publishers, Jammu 1989 Economics
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8.A.Ansari
Business Studies Yougbodh, AgrawalPrakashan Raipur¼C.G.½
9.https://www.businessmanagement.com
10.
http://www.oyecomedy.com
सहायक प्राध्यापक
हाजरा मेमोरियल महाविद्यालय
मल्हारगढ़ (खालवा) म.प्र.
pjainkhalwa@gmail.com, 8982967637
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-35-36,
जनवरी-जून 2021, चित्रांकन : सुरेन्द्र सिंह चुण्डावत
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