न्यू मीडिया कला में पर्यावरण कला एवं
पर्यावरणवाद / मुकेश कुमार शर्मा
शोध-सार :
पर्यावरण कला में लोगों को कला के माध्यम से प्रकृति
के बारे में ज्ञान प्रदान करना, प्रकृति की
सुरक्षा करना, संरक्षण करना और इससे संबंधित कलात्मक
आयोजन करना आदि पर्यावरणीय कला में सम्मिलित हैं। इस कला में अक्सर पर्यावरण से जुड़े
लोग मिलकर कार्य करते हैं जिसमें कलाकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं इस कार्य में
अनेक प्रकार के माध्यम ओर गतिविधियों का मिश्रण होता हैं जिनमें पेंटिंग,
फोटोग्राफी,
परफॉर्मेंस
आर्ट, राजनैतिक गतिविधात्मक आयोजन,
लाइट
एंड साउंड के साथ प्रयोग, स्कल्पचर,
इको
आर्ट, विशाल प्राकृतिक इंस्टालेशन
(लैंडआर्ट), जो प्राथमिक रूप से प्रकृति और प्राकृतिक
सामग्रियों के साथ कलात्मक सम्बन्ध लिए होती हैं।
बीज-शब्द :-
कला, कलाकार, पर्यावरण, न्यूमीडिया, प्रकृति, समसामयिक, प्राकृतिक, सृजन, शैली, आर्ट, प्रदर्शन।
मूल आलेख
“19वीं सदी के उत्तरार्ध में आधुनिक कलाकार
आत्मकेंद्रित होकर रूपांकन की नई पद्धतियों व निजी आंतरिक दुनिया की परिणामकारी
चित्ररूप अभिव्यक्ति में व्यग्र था। बीसवीं सदी के छठे दशक के बाद कलाकारों के
चिंतन में परिवर्तन आने लगा। आधुनिक कलाकारों ने विभिन्न दिशाओं में प्रयोग कर नई
शैलियों को जन्म दिया जिसमें कलाकार को मिलने वाले आनंद के अतिरिक्त निर्मित
कलाकृतियों की कोई सार्थकता हो। इस समय की कला को कला समीक्षकों ने ‘साठोत्तरी कला’ को उतर आधुनिक
कला कहा हैं।”1 1960 के
पश्चात के समय की कला को नवीन कला शैलियों को न्यू आर्ट ट्रेंड्स नाम से जाना जाता
हैं। इस समयकाल की अधिकांश कला शैलियां निजी स्वामित्व को लिए मौलिक चरम पर रही
एवं कई प्रकार की कला प्रक्रियाएं इस कला के साथ अनवरत चलती रहती हैं,
जिसमें
दर्शक कला और कलाकर के मध्य की कड़ी बन गया। इसी से दर्शक को भी उतना ही रचनावान
बनाया, जितना कि कलाकार खुद उसमें
सम्मिलित हुआ हैं।
कला के नए माध्यमों वैचारिक से आभासी कला
प्रदर्शन से लेकर स्थापना की प्रथाएं सम्मिलित हैं, आज
कला के माध्यमों में तकनीकी का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि नवीन तकनीकों को
कलाकार व्यापक रुप से एकीकृत और आत्मसात कर रहे हैं। मीडिया और कला तकनीक के साथ
सांस्कृतिक, राजनीतिक, और
सौंदर्य की संभावनाएं भी तलाशती हैं। जब कलाकार मीडिया के प्रभाव को कलात्मक
तरीकों के रूप में पुनः परिभाषित करता हैं तो कला कार्यो को नई प्रथाओं और विशिष्ट
स्वरूपों के अनुसार एक सौंदर्य सिद्धांत की अवधारणा मिलती हैं। यद्यपि न्यू मीडिया
आर्ट की एक नई कलात्मक अवधारणा हैं जिसमें “20वीं
शताब्दी के उत्तरार्ध के कला आंदोलन में इसके वैचारिक और सौन्दर्यवादी जड़ें संकल्पनात्मक
कला से प्रभावित रही हैं। क्योंकि अब हमारे पास तकनीक से एक से ज्यादा तरीकों से कलाकृतियों
का सृजन कर सकते हैं अब रचनात्मकता को सीमाओं में बांधा नही जा सकता। उत्तर आधुनिक
काल के सिद्धांत ने मौलिकता और नवीनता के नियमों से उत्पन्न होने की असंभवता का
वर्णन करने के लिए ‘पोस्टमोडर्न’ शब्द बनाया, इसके बजाय,
यह कला की अवधारणा को विस्तृत करने
और इसे एक संवादात्मक कार्य के रूप में स्थापित करने के लिए पुन:व्याख्यान जैसे
तत्वों को इंगित करता है”2 जिसमें सौंदर्य उत्तेजनाए जो
उन्नीसवीं शताब्दी के विनाशवाद, डेन्डिज्म
और विलुप्त होने से हुई थी। अंतराल काल (दादावाद
और अतियथार्थवाद) में एक आम जगह बन गया और इसे बढ़ाया गया बीसवीं शताब्दी के मध्य
के साथ जो कि अस्तित्ववादी सांस्कृतिक वातावरणए बेथनिक और बाद में साइकेडेलिया और
पॉप आर्ट के बेतुका और अन्य सौंदर्य उत्तेजनाओं का रंगमंच के रूप में जाना गया।
कला और शेष उत्पादों के बीच एक कल्पित अलगाव को बनाए रखने की कड़ी में रॉबर्ट
रौशेंबर्ग और एंडी वॉरहोल जैसे कलाकारों के काम में प्रमाणित थी। जिन्होंने स्पष्ट
रूप से इसे बड़े पैमाने पर उपभोग के अन्य उत्पादों के साथ पहचाना।
बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, ‘भाषाई मोड़’ के बौद्धिक संदर्भ में और आधुनिकता और आधुनिकतावाद के बीच बहस, "पोस्टमोडर्न" लेबल वाली कला दुनिया में फैलनी शुरू हुई (पोस्टमोडर्न आर्ट, आधुनिक वास्तुकला, पोस्टमोडर्न पेंटिंग, पोस्टमोडर्न मूर्तिकला) शामिल थी। पारंपरिक शैलियों या कलाओं (चित्रकला, मूर्तिकला) ने कलात्मक अभिव्यक्तियों का मुख्य वाहन भी बंद कर दिया, जिन्होंने "कलात्मक प्रतिष्ठानों", "हस्तक्षेप" के लाभ के लिए अधिक नवीन साधनों की मांग की, मल्टीमीडिया "वीडियो कला, डिजिटल कला, मीडिया कला, आदि कला सम्मिलित थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही, अमेरिका नए कलात्मक आंदोलनों का केंद्र बिंदु बन गया। 1950 और 1960 के दशक में अभिव्यक्तिवाद, रंग क्षेत्र चित्रकला, पॉप आर्ट, ओप आर्ट, हार्ड-एज पेंटिंग, मिनिमल आर्ट, लियिकल एब्स्ट्रक्शन, फ्लक्सस, होप्पनिंग, वीडियो आर्ट, पोस्टमिनेमिज़्म, फोटोरिअलिज्म और कई अन्य आंदोलनों का उदय हुआ। 1960 के दशक के उत्तरार्ध और 1970 के दशक में लैंड आर्ट, परफॉर्मेंस आर्ट, कंसेप्टुअल आर्ट और अन्य नए कला रूपों ने अधिक पारंपरिक मीडिया के खर्च पर क्यूरेटर और आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया था। 1970 के दशक के अंत तक, जब सांस्कृतिक आलोचकों ने "पेंटिंग के अंत" (1981 में डगलस क्रिम्प द्वारा लिखे गए उत्तेजक निबंध का शीर्षक) के बारे में बात करना शुरू किया, तो नए मीडिया कला कलाकारों की बढ़ती संख्या के साथ ही एक श्रेणी बन गई थीं वीडियो कला जैसे तकनीकी साधनों के साथ प्रयोग करना। चित्रकारी ने 1980 और 1990 के दशक में नवप्रवर्तनवाद और नव चित्रकारी के पुनरुत्थान के प्रमाण के रूप में प्रमाणित माना।
20वीं शताब्दी के अंत में कई कलाकारों और
वास्तुकारों ने ‘आधुनिक’
के विचार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया और आमतौर पर पोस्टमॉडर्न काम करना शुरू कर
दिया। आधुनिक कला में 1860 से 1970
के दशक तक फैली अवधि के दौरान उत्पादित कलात्मक कार्य शामिल है और उस युग के दौरान
उत्पादित कला की शैलियों और दर्शन को दर्शाता है। यह शब्द आमतौर पर कला से जुड़ा
होता है जिसमें अतीत की परंपराओं को प्रयोग की भावना में फेंक दिया गया है। आधुनिक
कलाकारों ने कला और कार्यों की प्रकृति के बारे में नए विचारों का प्रयोग किया।
कथाओं से दूर एक प्रवृत्ति, जो
पारंपरिक कलाओं के लिए विशेषता थी, अमूर्तता
की ओर, आधुनिक कला की विशेषता है। हाल ही
में कलात्मक उत्पादन को अक्सर समकालीन कला, न्यू
मीडिया कला या आधुनिक कला कहा जाता है।
“न्यू मीडिया कला
एक ऐसी शैली हैं जो नई मीडिया टेक्नोलॉजी जैसे डिजिटल आर्ट, कम्प्यूटर ग्राफिक, एनिमेशन, वीडियो आर्ट, इंटरेक्टिव
आर्ट के रूप में मुख्य होती हैं। न्यू मिडिया आर्ट हमेशा कलाकार और दर्शक के मध्य
एक तारतम्य स्थापित करती हैं जिसमे कलाकृति देखने वाले दर्शको के मध्य एक सशक्त
सम्प्रेषण होता हैं। न्यू मीडिया कलाकारों के कार्यों में एक मुख्य विषय होता हैं।
जो इंटरेक्टिव, जेनेरेक्टिव, कोलोबेरेटिव
आर्ट वर्क में विकसित होता हैं,
जेफरी शो और मोरिस डेनायू ने डिजिटल
प्रोजेक्ट के कई प्रकारों की खोज की हैं, जिनके
विषय कलाकार के मौलिक अनुभव को दर्शाते हैं।”
यह उस समय की कला का केंद्र बिंदु हैं जब किसी कला तकनीक को देखने के लिए स्पष्ट या लीनियर परम्परा होनी चाहिये। समसामयिक कला में नॉन-लीनियर आर्ट में ऐसे प्रोजेक्ट होते हैं जो पारम्परिक लीनियर और नेरेटिव तरीकों का विरोध करते हैं जैसे नॉवेल, थियेटर और सिनेमा की तकनीक में होता हैं। नॉन लीनियर परम्परा में दर्शकों की भागीदारिता या कम से कम इतना तो विश्वास किया जा सकता हैं कि दर्शक उसके कार्य को देख रहा हैं, न्यू मीडिया के समक्ष आर्ट को समय के साथ सुरक्षित रखने की चुनौती हमेशा मौजूद रहती हैं। वर्तमान परिस्थिति में एक शोध परियोजना के अनुसार न्यू मीडिया आर्ट का संरक्षण चल रहा हैं संरक्षण की प्रक्रिया में किसी अस्थायी न्यू मीडिया आर्ट वर्क को सबंधित नए माध्यम में रूपान्तरित किया जाता हैं। तकनीक हमेशा कलाकारों को और डिजाइनरों को नई दिशाए नया धरातल और नई संभावनाएं प्रदान करता हैं ताकि विद्यार्थी सीखते है कि किस तकनीक का चयन करें और उसे अपने भावों के संदर्भ में वृहद परिपेक्ष्य प्रयोग करें। तकनीकों के बढ़ते आविष्कार ने पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरण की चिंताओं और सुधार के बारें में एक व्यापक दर्शन, विचारधारा को नई दिशा प्रदान की हैं। इसमें पर्यावरणवाद पृथ्वी के तत्त्वों या उनकी रक्षा एवं संरक्षण के सुधार का मत रखता हैं, पर्यावरणवादी अवधारणा मनुष्य और प्रकृति की प्रणालियों के बीच सम्बन्धों को संतुलित करने का एक प्रयास किया जाता हैं।
ग्लोबल मौसम परिवर्तन के प्रति गंभीरता बढ़ने
से पुननिर्मित ऊर्जा मूर्तिशिल्प का विकास होने लगा और कलाकार क्रियात्मक स्तर पर
क्रियात्मक ऊर्जा की बचत को बढ़ावा देने के लिए कलात्मक आयोजन करने लगे। पर्यावरणीय
कलाकारों ने हमारे मानवीय कार्यकलापों को प्राकृतिक दुनिया से जोड़ा और ऐसे कला
सृजन किया जिनमें पर्यावरणीय सूचनाएं मौजूद थी जो पुननिर्माण और परिवर्तनों को
दर्शाती थी। उतर आधुनिक काल कला आंदोलनों के एक समूह हैं जो आधुनिकतावाद के कुछ
पहलुओं का खंडन करता हैं, जो इसके
बाद विकसित हुए। न्यू आर्ट ट्रेंड्स में कला के मामले में मीडिया का प्रभाव अधिक
देखा जाता हैं। इस प्रथा ने कला सृजन की पारंपरिक विधि को सीमित कर दिया हैं। न्यू
मीडिया के उपयोग के साथ कलाकारों को अपनी कलाकृति सृजन पूर्ण करने के लिए पहले के
कलाकारों जितना समय नही लगता हैं।
“पर्यावरण कला में कलाकारों ने लोगों को कला के माध्यम से प्रकृति के बारे में ज्ञान प्रदान करना, प्रकृति की सुरक्षा करना, संरक्षण करना और इससे संबंधित कलात्मक आयोजन करना आदि का उल्लेख किया हैं। इस कला में अक्सर पर्यावरण से जुड़े लोग मिलकर कार्य करते हैं जिसमें कलाकार सबसे ज्यादा केंद बिंदु होता हैं”5 इस कार्य में अनेक प्रकार के माध्यम ओर गतिविधियों का मिश्रण होता हैं जिनमें पेंटिंग, फोटोग्राफी, परफॉर्मेंस आर्ट, राजनैतिक गतिविधात्मक आयोजन, लाइट एंड साउंड के साथ प्रयोग, स्कल्पचर, इको आर्ट, विशाल प्राकृतिक इंस्टालेशन (लैंड आर्ट), जो प्राथमिक रूप से प्रकृति और प्राकृतिक सामग्रियों के साथ कलात्मक सम्बन्ध लिए होती हैं। पर्यावरण कला कला की मुख्य धारा हैं ''ईको आर्ट जो कि ऐसा कलात्मक अभ्यास हैं जो प्रकृति के स्रोतों और जीवन से जुड़े आदर्शों को उपस्थित करते हैं, हम जिस प्राकृतिक आवरण में रहते हैं उसके प्रति एक सद्भावना और सम्मान पैदा करते हैं जिसमें प्रदर्शनात्मक आर्ट वर्क, उपचारात्मक प्रोजेक्ट, समाजसेवा प्रोजेक्ट, सामाजिक स्कल्पचर, काव्यमयी पर्यावरण, सीधी प्रतिक्रिया, प्रबोधक अथवा शैक्षणिक कार्य, जीवन सौंदर्य जो कालातीत, नियमों से परे और सांस्कृतिक विसंगतियों के साथ काम करते कलाकारों के योगदान के लिए प्रासंगिक हैं।”6
“इसी कला में लैंड आर्ट (भूमि कला) का
विशिष्ट स्थान हैं जिसे विभिन्न रूप से पृथ्वी कला, पर्यावरण
कला और मिट्टी के काम के रूप में जाना जाता है, यह एक
कला आंदोलन है जो 1960 और 1970 के दशक में उभरा, बड़े पैमाने
पर ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ जुड़ा हुआ है एक प्रवृत्ति के
रूप में, ''भूमि कला'' ने उपयोग की जाने वाली सामग्रियों और
कार्यों की साइटिंग द्वारा कला की सीमाओं का विस्तार किया। इस कला में उपयोग की
जाने वाली सामग्री अक्सर पृथ्वी की सामग्री थी, जिसमें
मिट्टी, चट्टानें,
वनस्पति और साइट पर पाए जाने वाले
पानी व समुन्द्र के विशाल तट शामिल थे और काम के स्थल अक्सर जनसंख्या केंद्रों से
दूर थे।”7
हालांकि कभी-कभी काफी दुर्गम, फोटो प्रलेखन को आमतौर पर शहरी आर्ट गैलरी में वापस लाया जाता था। पर्यावरण कला में प्रदर्शनी का स्थान महत्त्वपूर्ण हैं आमतौर पर ऐसे स्थानों का चयन होता हैं जहाँ कला हो सकती हैं या जहाँ कला मौजूद हैं। कभी- कभी ऐसे स्थानों का चयन किया जाता हैं जहाँ स्वयं कलाकार कला खरीददारों और सामान्य रूप से कला-बाजार से अलग होते हैं। विश्व भर में पर्यावरणविद एवं पर्यावरणीय कलाकारों की सूची में हरमन डी व्रीस जैसे कलाकार जिनका जन्म जर्मनी में हुआ, यह डच मूर्तिकार (1931) समकालीन पर्यावरण कला के अग्रदूतों में से एक रहा हैं। उनके कार्यों में उनकी जैव विविधता को उजागर करने के लिए दुनिया भर से प्राकृतिक वस्तुओं को शामिल किया गया है।
जोसेफ बेयूस: इस बहु-विषयक जर्मन कलाकार (1921-1986) ने 7000 ओक्स बनाया, जो 20वीं सदी की पर्यावरण कला की सबसे महत्त्वपूर्ण कृतियों में से एक है। बेयूस और उनकी टीम ने कई दूषित क्षेत्रों को फिर से नवीन दिशा देने के लिए 7,000 ओक का सृजन तैयार किया है।”8 “एंडी गोल्ड्सवर्थी: ब्रिटिश मूर्तिकार और फोटोग्राफर (1956) जो दो दशकों से अद्भुत रचनाएँ कर रहे हैं। इनकी कलाकृति में प्रायः प्राकृतिक सामग्रियों से कलाकृतियों का सृजन होता रहा हैं, वह जंगलों और नदी के किनारों में अस्थायी काम करते है।”9
निष्कर्ष के तौर पर अगर देखा जाय तो न्यू आर्ट
ट्रेंड्स में कलाकार प्रयोगात्मक इरादे के साथ तकनीकों का उपयोग करते हैं,
उन्हें
कलात्मक तरीकों के रूप में पुनः परिभाषित करते हैं। कला में नवीन प्रवृत्तियों में
1960 के दशक से विस्तारित अवधि के दौरान किए जाने
वाले कलात्मक कार्यों का संदर्भ देता है और उस युग की शैली और दर्शन को दर्शाता
है। सामान्यतः यह शब्द अतीत की परम्पराओं को पीछे छोड़ते हुए प्रयोग करने की भावना
से संबद्ध है। समसामयिक कलाकारों ने देखने के नए तरीकों और सामग्रियों और कला के
कार्यों की प्रवृति पर नए विचारों के साथ प्रयोग किए। कल्पनात्मकता के साथ बोध
चिन्तन की ओर झुकाव नवीन कला की विशेषता है। सबसे नवीनतम कलात्मक कला को अक्सर
समकालीन कला या पश्च-आधुनिक कला कहा जाता है। न्यू आर्ट ट्रेंड्स कला के कार्यों
की नई प्रथा और विशिष्ट स्वरूपों के अनुसार एक सौंदर्य सिद्धान्त की जड़ें हैं
वर्तमान में इस कला के संरक्षण में अनुसंधान जारी हैं।
संदर्भ
1. र.वि.साखलकर : आधुनिक चित्रकला का इतिहास, राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 2007 पृ. 300
2. पर्यावरण संस्कृति : https://www.hisour.com/hi/modern-art-35037
3. कृष्णा महावर
: राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर 2015 पृ. 106
4. वही, पृ. 52
5. वही, पृ. 128
6. पर्यावरण कला
- https://en.wikipedia.org/wiki/Environmental_art
7. लैंडआर्ट
: https://www.tate.org.uk/art/art-terms/l/land-art
8. पर्यावरणीय कलाकार : https://www.widewalls.ch/magazine/environmental-artists/robert-morris
9. ब्रिटिश मूर्तिकार एंडी गोल्ड्स वर्दी : https://www.theartstory.org/artist/goldsworthy-andy/
10. कृष्णा महावर
: राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर 2015, पृ. 109
शोधार्थी
दृश्यकला विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय, उदयपुर (राज.)
msmukeshart81@gmail.com, 946060947
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)अंक-35-36, जनवरी-जून 2021
चित्रांकन : सुरेन्द्र सिंह चुण्डावत
UGC Care Listed Issue
Very nice and enriching article.
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