साहित्य और संस्कृति की मासिक ई-पत्रिका
अपनी माटी
अक्टूबर अंक,2013
दूब सी कविता
छायांकन हेमंत शेष का है |
युवा कवि
रंगकर्मी
और एस्ट्रोलोजर
साकेत,चौथा माता कोलोनी,
बेगूं-312023,
चित्तौड़गढ़(राजस्थान)
मो-9929513862
ई-मेल-astroyoga.akhil@gmail.com
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कलम उकेरती
पन्नों पे
हरीदूब
से अक्षर
कितना भी
कुचलो काटो
फिर उग आते हैं
मेरी कविता
फिर हरी हो जाती है
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जिनका घर ही है अंधेरा
अंधेरा निगलने लगा है
दुनिया के एक
हिस्से को
इसके साथ ही
निकल जाएंगे भेड़िये भी
अपनी अपनी मांद से
हर वक़्त इन्हें तलाश होती है
शिकार की
इनका झुण्ड झपट लेता है
रास्ते में आने वाली हर चीज़
को
ये बस भूख़े होते हैं हर वक़्त
और पूरी दुनिया का ख़ून भी
भूख नहीं मिटा सकता इनकी
इनकी सूर्ख आंखें चमकती हुईं
सबकुछ देख लेती हैं अंधेरे में
दुनिया के एक
हिस्से ने
अंधेरा ही भोगा है हमेशा
ख़ुदा नहीं संभाल सकता
पूरी दुनिया के भेड़िये
एक साथ
तभी तो हमेशा
आधी दुनिया में
पहुंच नहीं पाती रोशनी
और अभिशप्त हैं हम
इसी आधे हिस्से में रहने को
ठीक बीच भेड़ियों के
......................
धूप
आखि़र बुज़ुर्गों को ही
निभाने होते हैं
बच्चों के खेलतमाशे
बूढे़ बरगद ने
हाथ फैलाकर
समेटी धूप
उड़ेला उस पर काला रंग
पटक दिया
ज़मीन पर
वो कलमुंही
कराह रही थी
औंधे मुंह
और उस पर
बच्चे करने लगे
खेलतमाशे
...................
पिता
लिखना मेरे बस का नहीं रहा कभी
मैं तो सिर्फ वो कहता हूं
जो आपने सिखाया हर क़दम
और लिखा नहीं कभी
ये बस जैसे
अंधेरे को रोशनी में मिलाना ही है
हां मुझे लिखना नहीं आता
बस आपको उकेर देता हूं
कागज़ पे
हर दिन के साथ
कमज़ोर होता शरीर
एक आरामकुर्सी
दादाजी की दी हुई रामायण
एक ढाई नम्बर का चष्मा
और एक सत्तर का टेबल लैम्प
जब नींद नहीं आती थी मुझे
आप चिपका लिया करते
अपने सीने से
और थपकियां देते
गुनगुनाते थे हमेशा एक ही
अपनी पसंदीदा धुन
होश संभालने से आज तक
मुझ निपट अंधेरे में
आपने ही जलाया एक लैम्प
चश्मे में पिरोई धुंधलाई आंखें
और आरामकुर्सी पर बैठ
सिखाईं अपनी पसंदीदा चौपाइयां
अब हर दिन के साथ
कमज़ोर हो रहा मेरा शरीर
छाती में रमाए
आपकी सौंपी हुई रामायण
लिख रहा है लगातार आपको
बाबा सोए तो नहीं
मैं वो कर रहा हूं जो
मेरे बस का नहीं रहा कभी
आपने जो जीना सिखाया था
मैं सजा रहा हूं उसे
आपकी पसंदीदा धुन में
इतने शोर में
जीवन के इतने पथराए
पन्नों पे
मैं बस लिख रहा हूं
लिख रहा हूं आपको
बाबा सोए तो नहीं
देखते हो
सब सुन रहे हैं आपको...
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