मुख्यपृष्ठ24 'अपनी माटी' का 24वाँ अंक अनुक्रमणिका Unknown रविवार, मार्च 26, 2017 5 त्रैमासिक ई-पत्रिका अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) वर्ष-3,अंक-24,मार्च,2017 ------------------------- अनुक्रमणिका सम्पादकीय सामाजिक न्याय बनाम साक्षात्कार – जितेन्द्र यादव नाटक तमाशा मिरे आगे (दूसरी कड़ी) जब चच्चा ग़ालिब और मियाँ मंटो कबीर से मिले /धीरज कुमार आलोचकीय हिंदी लघु उपन्यासों में महानगरीय जीवन – अभिषेक रौशन कविता का डिजिटल युग – राकेश बाजिया विज्ञापन और उपभोक्तावाद – मीना बाजार में यायावर – छोटूराम मीणा शैक्षिक सरोकार विद्यालयी जीवन का समाजशास्त्री अध्ययन (दूसरी किश्त) – सुनील बागवान मूल्यांकन की शिक्षा – मुजतबा मन्नान प्रवासी दुनिया अभिमन्यु अनंत की कविताओं में चित्रित प्रवासी जीवन – ऐश्वर्या पात्र प्रवासी विमर्श और सुषम बेदी का उपन्यास – डॉ. विशाला शर्मा प्रवासी साहित्यकार उषा प्रियम्वदा के उपन्यासों में नारी अंतर्द्वंद – डॉ. मधुमती नामदेव आधी दुनिया विवेकानंद का स्त्रीबोध: वर्तमान परिप्रेक्ष्य – अजय कुमार साव आत्मकथा और स्त्री – रामाशंकर कुशवाहा भारतीय संस्कृति में नारी -डॉ.के.आर.महिया और डॉ.विमलेश शर्मा समकालीन हिंदी गजल में स्त्री अस्मिता – पूनम देवी मोहन राकेश के नाटकों में प्रमुख नारी पात्र – पाटील तानाबाई महिला सुरक्षा और मानवाधिकार -सांवर मल सिने-दुनिया भारतीय सिनेमा में बदलते नारी चरित्र – एकता हेला हिंदी सिनेमा में लिंग भेद – डॉ. पुष्पा सिंह उपन्यास अंश बिन ड्योढ़ी का घर – उर्मिला शुक्ल आलेखमाला इक्कीसवीं सदी की कविताओं में रस – आरले श्रीकांत मुक्तिबोध का वैचारिक संघर्ष – सुरेश कुमार ‘निराला’ जियो उस प्यार में जो मैंने तुझे दिया – डॉ. विनायक काले विश्वगुरु महात्मा बसवेश्वर : एक चिंतन – श्री संगमेश नानन्नवर रामचन्द्र शुक्ल का साहित्येतिहास लेखन – बर्नाली नाथ नुक्कड़ नाटक : समय की एक जरूरत – मोनिका नांदल निर्मला पुतुल की कविताओं में आदिवासी स्त्री – डॉ. रमया बलान .के हिंदी कथालोचन और निर्मला जैन – विशाल कुमार सिंह त्रिलोचन: दृष्टि और सृष्टि - आरती कविता - संगम राकेश तेता की कविताएँ विनोद कुमार दवे की कविताएँ हेमलता यादव की कविताएँ बिपिन पाण्डेय की कविताएँ दलित विमर्श सरहपा और दलित चिन्तन – हनुमान सहाय मीणा ‘तलाश’ में अभिव्यक्त दलित जीवन – ओमप्रकाश मीना साक्षात्कार डॉ.बद्री प्रसाद पंचोली से डॉ. विमलेश शर्मा की बातचीत समीक्षा ‘फांस’ किसान जीवन का महागाथा – वन्दना तिवारी ‘हलाला’ धर्म की आड़ में मुस्लिम स्त्री के नारकीय जीवन की कथा – इन्द्रदेव शर्मा अल्पसंख्यकबोध और साम्प्रदायिकता के प्रश्न ‘मैं हिन्दू हूँ’ के सन्दर्भ में – अमरेन्द्र कुमार मोहनदास में अभिव्यक्त जीवन संघर्ष – गोपाल कुमार नन्दकिशोर आचार्य के गद्य साहित्य में वैचारिक ताजगी – मुकेश कुमार शर्मा कहानी भूरी आँखे घुघुराले बाल – अनुपमा तिवाड़ी शोधमाला रीतिकाव्य के सौन्दर्यशास्त्र की निर्मितियां – राजेश मिश्र महादेवी के काव्य का सौंदर्यशास्त्रीय मूल्यांकन – योगेश राव विद्यासागर नौटियाल के उपन्यासों में पहाड़ी जीवन – डॉ.मुकेश कुमार संस्कृति की कविता – डॉ. अमृत प्रजापति वृद्धों का अलगाव और एकाकीपन – रोशन कुमार ‘झा’ हस्तक्षेप भारतीय समाज में महिलाओं का वृतीक विकास: कुछ अनुभव,कुछ अनसुनी बातें – वंदना पाठक विचारों की निरंतरता – गौतम आनंद लोकरंग अरुणाचल का लोक साहित्य – वीरेन्द्र परमार चित्तौड़गढ़ का समकालीन कला परिदृश्य - मुकेश कुमार शर्मा चित्रांकन पूनम राणा,पुणे
आदरणीय संपादक महोद्य,अपनी माटी का नया अंक मिला I सभी स्तंभ और कहानिया बहूत उत्कृष्ट और चिंतनीय लगी I आशा है आनेवाले अंक इसी तॅरह होगे I
जवाब देंहटाएंआपका
प्रवीण महेशकर
पुणे
7023204432
धन्यवाद प्रवीण जी, आप पाठकों और लेखकों के सहयोग से यह संभव हो पाता है।
हटाएंbahut achchha ank pthhniy or sngrhniy
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, उर्मिला जी, आप सभी पाठकों का प्रोत्साहन हमारे लिए संबल है.
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय अंक.... धन्यवाद
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