अनुक्रमणिका
संपादकीय
- भोजपुरी सिर्फ़ मनोरंजन की अश्लील भाषा बनकर रह गई है / जितेंद्र यादव
वैचारिकी
- नारीवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि एवं विकास / शिवानी कन्नौजिया
- सोशल मीडिया का बढ़ता साम्राज्य और हिन्दी पत्रकारिता / डॉ. मनीष गोहिल
- प्रो. तुलसीराम : बुद्ध, मार्क्स एवं अम्बेडकर के बीच की कड़ी / अनिल कुमार
- भारत में दलित शिक्षा का समावेशीकरण: भ्रम और यथार्थ / घनश्याम कुशवाहा
सिनेमा
- 'टायलेट-एक प्रेम कथा' का साहित्यिक स्वरूप और वर्तमान समाज / डॉ. संगीता मौर्या
- ‘लैला’ एक खतरनाक भविष्य को आगाह करती हुई वेब सीरीज / राजू सरकार
- सिनेमा : हिन्दी सिनेमा के विकास में मिथकीय पात्रों एवं कहानियों का योगदान / अनुराधा पाण्डेय
बातचीत
आलेखमाला
- पर्वत, पर्यावरण और एस.आर. हरनोट / चैताली सिन्हा
- नामवर सिंह के संपादन में ‘आलोचना’ पत्रिका / इमरान अंसारी
- राष्ट्रीय चेतना के प्रखर स्वर : रामधारी सिंह दिनकर / डॉ. निरंजन कुमार यादव
- आरम्भिक हिंदी उपन्यासों में चित्रित मुस्लिम समाज / खुशबू
- जयशंकर प्रसाद के नाटक ‘ध्रुवस्वामिनी’ में नारी चेतना / अनुराधा एवं डॉ. दर्शन पाण्डेय
लोकरंग
- लोकवार्ताओं का सामाजिक एवं ऐतिहासिक महत्व / राज बहादुर यादव
- आदिवासी कला एवं संस्कृति की समकालीन चुनौतियाँ / डॉ. संदीप कुमार मेघवाल
कविता
समीक्षा
- गंगा जमुनी तहजीब का सशक्त दस्तावेज : ‘पारिजात’ / ममता नारायण बलाई
- 'पलाश के फूल' और 'माटी र लुह' उपन्यास का तुलनात्मक अध्ययन / ज़िनित सबा
विचार
- शिक्षा में स्वराज के मायने / विजय मीरचंदानी
- सार्वजनिक पुस्तकालय / सदाशिव श्रोत्रिय
Peer Reviewed Journal
सम्पादक : माणिक एवं जितेन्द्र यादव
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