मुख्यपृष्ठ32 अपनी माटी का 32वाँ अंक : अनुक्रमणिका सम्पादक, अपनी माटी सोमवार, जुलाई 06, 2020 3 अपनी माटी का 32वाँ अंक : अनुक्रमणिका संपादकीय धर्म और साहित्य -जितेंद्र यादव वैचारिकी ''असमानता दूर करने के लिए आरक्षण अनिवार्य है लेकिन अपर्याप्त है'' -प्रो.योगेन्द्र यादव निजीकरण की नीति और आत्मनिर्भरता की प्रतिज्ञा -घनश्याम कुशवाहा किन्नर विमर्श :मिथकों से अधिकारों तक -हर्षिता द्विवेदी आप आचार्य रामचन्द्र शुक्ल से असहमत हो सकते हैं लेकिन नकार नहीं सकते -जितेंद्र यादव महात्मा गांधी की वर्तमान प्रासंगिकता -डॉ. मोहम्मद हुसैन डायर आदिवासी साहित्य विमर्श : अवधारणा और स्वरूप -रविन्द्र कुमार मीना वर्तमान समय में समाजवादी आन्दोलन की चुनौतियाँ -प्रो. आनंद कुमार आलेखमाला लोक और कला की कहानी ठेस -डॉ. संगीता मौर्य मुर्दहिया में छात्र जीवन अनुभव और प्रासंगिकता -पूजा मदान यात्रा साहित्य की परम्परा में 'देस-विदेस दरवेश' -हेमंत कुमार ‘वोल्गा से गंगा’ की प्रारंभिक कहानियों का पुनर्पाठ -सुनील कुमार यादव हिन्दी नाटकों के केन्द्र में स्त्री स्वर -सोनम कनौजिया नवगीत में गाँधीजी की वैचारिकी -अशोक कुमार मौर्य कहानी मय्यत के फूल -डॉ. आयशा आरफ़ीन साक्षात्कार ''मुझ पर सबसे ज्यादा प्रभाव मेरे खुद का है।''- गोविंद मिश्र "संघर्ष से बने व्यक्तित्व थे स्वयं प्रकाश" -प्रो. माधव हाड़ा लोकरंग मणिपुर के पर्व–त्योहार- वीरेंद्र परमार कविता चैताली सिन्हा ‘अपराजिता’ अमित कुमार चौबे समीक्षा कासों कहूँ सुने को मोरी : तीसरी दुनिया का दर्द -डॉ. निरंजन कुमार यादव गिलिगडु उपन्यास में चित्रित वृद्ध जीवन की त्रासदी -पार्वती बाई चौगुले मध्यवर्गीय जीवन जीवन की दास्तान ‘चीफ की दावत’ -दिव्या मैंगोसिल: समसामयिक यथार्थ और विकास का रोग -भुवाल यादव शोध आलेख हिंदी दलित आत्मकथाओं में स्त्री चेतना का वर्तमान / माणक चंद सोनी
बहुत ही सुंदर लिखा है आप मेरी रचना भी पढना
जवाब देंहटाएंजी बहुत शुक्रिया 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना और सराहनीय प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार ।
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