अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-35-36, जनवरी-जून 2021, चित्रांकन : सुरेन्द्र सिंह चुण्डावत
UGC Care Listed Issue 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' ( PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
अनुक्रमणिका : 'अपनी माटी' का 35-36वाँ अंक(संयुक्तांक)
UGC Care Listed Issue 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' ( PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
अनुक्रमणिका : 'अपनी माटी' का 35-36वाँ अंक(संयुक्तांक)
धरोहर
बतकही
वैचारिकी
- भारतीय किसान : मिथक बनाम यथार्थ / प्रो. गजेन्द्र पाठक
- प्रवासी भारतीयों का सामाजिक-सांस्कृतिक संघर्ष / घनश्याम कुशवाहा
- बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के चिंतन में धर्म / डॉ. भारती सागर
- कबीर के राम / डॉ. अभिषेक रौशन
- मानव-नियति के प्रश्न और ‘परिंदे’ / डॉ. बीना जैन
- जयशंकर प्रसाद की कहानियों का सौन्दर्यबोध / भरत
संघर्ष के दस्तावेज
- ‘तिरस्कृत’ में दलित चेतना / डॉ. गंगा सहाय मीणा
- संत्रास, कुंठा, घुटन और महानगरों का अम्बेडकरवादी लेखन / डॉ. कर्मानंद आर्य
- दलितों के संघर्ष का जीवंत दस्तावेज ‘सलाम’ / डॉ. आलोक कुमार
- पेरियार ललई सिंह के नाटकों में ब्राह्मणवादी-व्यवस्था का खंडन / विजय कुमार
- ओमप्रकाश वाल्मीकि के कविता कर्म का आन्तरिक यथार्थ / अमृत लाल जीनगर और डॉ. विदुषी आमेटा
- दलित सौन्दर्यशास्त्र और मलखान सिंह की कवितायें / डॉ. रविता कुमारी
- हिन्दी दलित कविता आलोचना : दशा और दिशा / सन्दीप कुमार
- ओड़िया दलित उपन्यासों की छवि / ज़िनित सबा
हूल-जोहार
- बाघ और सुगना मुण्डा की बेटीः स्त्री चेतना - डॉ. विजय कुमार रंजन
- आदिवासी कविताओं में चित्रित आदिवासी समाज और स्त्री अस्मिता / लालुराम
समानांतर दुनिया
- फ़िल्म 'शूद्र द राइजिंग' : शूद्र उत्पीड़न की महागाथा / डॉ. अनिल कुमार
- हिंदी-मलयालम साहित्य और सिनेमा में क्वीर विमर्श : एक झांकी / डॉ. निम्मी ए.ए
विरासत
- बौद्ध ग्रंथ ‘धम्मपद’ में तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का स्वरूप / कृष्ण कुमार साह
- कबीर की प्रासंगिकता : वर्तमान संदर्भ / डॉ. उमा देवी
- साहित्य, समाज एवं संस्कृति का अंत :संबंध - डॉ. अर्चना त्रिपाठी
- दक्षिण-पूर्व एशिया मे प्राचीन भारत के सांस्कृतिक साम्राज्य का समीक्षात्मक अध्ययन / डॉ. प्रशान्त कुमार और गौरव सिंह
- न्यू मीडिया कला में पर्यावरण कला एवं पर्यावरणवाद / मुकेश कुमार शर्मा
- उर्दू का भाषा के रूप में विकास / विक्रम सिंह बारेठ
लोक का आलोक
- पाबूजी का लोकदेवत्व / डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंघवी
- ‘गवरी’ में ऐतिहासिक खेल ‘राणा पूंजा भील’ : कलात्मक दृश्य बिम्ब / डॉ. संदीप कुमार मेघवाल
- हिन्दी कहावतों में लोक–जीवन / डॉ. ज्योति यादव
हिंदी की बिंदी
- भारतीय नवजागरण के आईने में हिन्दी और अनुवाद / धीरज कुमार
- वेब मीडिया एवं भाषा अध्यापन / डॉ. भाऊसाहेब नवनाथ नवले
- कामताप्रसाद गुरु और किशोरीदास वाजपेयी एक तुलनात्मक विवेचन / चतराराम
- छायावादी कविताओं के बहाने ‘लंबी कविताओं’ के शिल्प पर बहस / राजेश कुमार यादव
अनकहे-किस्से
- देह का उत्सव मनाती प्रियंवद की कथा-नायिकाएं / विष्णु कुमार शर्मा
- तमस उपन्यास की भाषिक संवेदना / प्रदीप कुमार एवं डॉ. सुनीता रानी घोष
- एस. एल. भैरप्पा के उपन्यासों के वर्ण्य विषय / प्रो. राजिन्द्र पाल सिंह ‘जोश’ और केवल कुमार
- मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानियों में विषय-वैविध्य / वंदना पाण्डेय
- ‘शिखर और सीमाएं’ उपन्यास में चित्रित पूर्वोत्तर, प्रेम और पितृसत्ता / चिन्मयी दास
- नई आर्थिक नीतियों से 'डूबते' गाँव का हलफ़नामा / नुसरत ज़बीन सिद्दीकी
- प्रतिरोध और प्रतिशोध का स्वर / तुल्या कुमारी
- सुरमई हरीतिमा / डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव
देशांतर
‘जैसे उनके दिन फिरे’ में अभिव्यक्त समकालीन जीवन की विसंगतियाँ / डॉ. महावीर सिंह वत्स और डॉ. राजबीर वत्स- समकालीन यात्रावृत्तांतों के विश्लेषण का सामाजिक-सांस्कृतिक आधार / सुनील कुमार यादव
- संस्मरण साहित्य का वैशिष्ट्य : महादेवी वर्मा कृत ‘स्मृति की रेखाएं’ के परिप्रेक्ष्य में / कंचन लता यादव
- हिंदी साहित्य में ‘थर्ड जेंडर विमर्श’ विशेष संदर्भ : ‘मैं पायल’ (उपन्यास) / हर्षिता द्विवेदी
- 'फिरोजी आँधियाँ' के मार्फ़त व्यवस्था-बोध के प्रश्न / डॉ. भावना मासीवाल
- दर्द, उपेक्षा तथा घृणा से भरे जीवन की कथा है 'किन्नर कथा' / भारती
कवितायन
- आधुनिक हिन्दी काव्य में अस्तित्ववादी चेतना की अभिव्यक्ति / डॉ. मार्तण्ड कुमार द्विवेदी
- मुक्तिबोधीय फैंटेसी, स्वप्न-कार्य की तकनीक तथा मुक्तिबोध के व्यग्रता स्वप्न / अनूप बाली
- ‘राही नहीं राहों के अन्वेषी’ : अज्ञेय का चिंतन और सृजन सरोकार / हेमन्त कुमार गुप्ता
- केदारनाथ अग्रवाल की कविता के कुछ पहलू / राज कुमार
- नीलेश रघुवंशी की कविता का जनतंत्र / कार्तिक राय
- समकालीन हिंदी ग़ज़ल में वंचित समाज / दीपक कुमार
नीति-अनीति
- छात्र असन्तोष : नैतिक शिक्षा की आवश्यकता / डॉ. दयाशंकर सिंह यादव
- एनसीएफ- 2005 पर आधारित माध्यमिक स्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में मध्यकालीन बोध / अनुसुइया शर्मा और डॉ. प्रवीण दोसी
- बेरोजगार युवा का मनोजगत (अखिलेश के ‘अन्वेषण’ उपन्यास के संदर्भ में) / बर्नाली नाथ
बींद-खोतली
- भारत में प्रवासी महिला कामगारों पर कोविड-19 का प्रभाव / डॉ. राजेश्वर दिनकर रहांगडाले
- गांधीयन गणराज्य का अर्थतंत्र / डॉ. कैलाश चन्द सामोता
- भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका : एक आलोचनात्मक विश्लेषण / पूजा जैन
नाटक अभी जारी है
- भारतीय रंगमंच में वैकल्पिक रंग दृष्टि के रूप में हबीब तनवीर का रंग मुहावरा / सुनील कुमार
- मुद्राराक्षस के नौटंकी नाटकों की रंगमंचीय प्रयोगशीलता / रूपांजलि कामिल्या
पत्रकारिता के पहाड़े
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