अनुक्रमणिका : 'अपनी माटी' का 37वाँ अंक
सम्पादकीय
धरोहर
बतकही
वैचारिकी
- गाजीपुर में कबीर / प्रो. गजेन्द्र पाठक
- आदिवासी साहित्य के समक्ष चुनौतियां / डॉ. गजेन्द्र कुमार मीणा
- युद्ध की त्रासदी और स्त्री अस्मिता / शिप्रा शुक्ला
- सूफियों पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव / श्रीनिवास त्यागी
- एम. एन. श्रीनिवास की ‘संस्कृतीकरण’ की अवधारणा के परिप्रेक्ष्य में ‘रश्मिरथी’ का अनुशीलन / डॉ. जे. आत्माराम
- उत्तर-आधुनिकता : नई सामाजिक दृष्टि का उदय / डॉ. विवेक कुमार यादव
संघर्ष के दस्तावेज
- कँवल भारती की इतिहास दृष्टि / ज्योति पासवान
- दलित दृष्टि से मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के संत साहित्य में गुरु का महत्त्व/ डॉ. अनिल कुमार
- दलित समाज का बदलता सामाजिक यथार्थ और रत्नकुमार सांभरिया की कहानियाँ / डॉ. अमिष वर्मा
- ‘हाशिए का समाज’ का शैक्षिक संदर्भ और भाषायी चुनौतियाँ / बजरंग भूषण
- मेहरुन्निसा परवेज़ की दृष्टि में बाँछड़ा जाति की युवतियाँ / डॉ. दिनेश पाल
- दलित विमर्श की अवधारणा और भक्तिकालीन हिंदी साहित्य / राम यश पाल
- हिन्दी दलित उपन्यासकारों की नारी विषयक दृष्टि / कुलदीप सिंह
हूल-जोहार
- औपनिवेशिक काल में झारखण्ड के आदिवासियों का शोषण एवं संघर्ष / प्रो. संजीव कुमार दुबे, सियाराम मीणा
- समकालीन आदिवासी कविता का पारिस्थितिक पाठ / डॉ. संतोष कुमार यादव
समानांतर दुनिया
- पितृसत्तात्मक सामाजिक संरचना में लैंगिक संवेदीकरण / * सविता ** प्रो. स्मिता चतुर्वेदी
- हिंदी नवजागरण में स्त्री-प्रश्न / डॉ. भास्कर लाल कर्ण
विरासत
- भूदान ट्रस्टीशिप का महत्तम विस्तार: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन / राखी प्रजापत और कोमल तूनवाल
- जाम्भोजी की सबदवाणी में अभिव्यक्त किसानी चेतना और आध्यात्मिक रूपक / ओमप्रकाश सुंडा
- हिंदी उपन्यासों में चित्रित किसानों की सामाजिक समस्या / सुभ्रांशिष बारिक
लोक का आलोक
- असम की ‘चाय जनगोष्ठी’ के लोकगीतों में अंतर्निहित व्यथा-वंचना / प्रियंका दास
- गाँवनामा : धरणी के रंगरेज किसान / सुशील द्विवेदी
हिंदी की बिंदी
- पंकज मित्र की कहानियों में भूमंडलोत्तर बाजारजनित परिदृश्य / दिनेश कुमार शर्मा
- राजस्थान की समकालीन हिंदी कहानी और ‘लाल बजरी की सड़क’ में यथार्थवाद / ममता यादव
- मनीष वैद्य कृत ‘चूहेदानी': भूमंडलीकरण और मानवीय संवेदनाओं का ह्रास / नेहा चौधरी
अनकहे-किस्से
- 'कुलटा' उपन्यास में नारी का सामाजिक द्वन्द्व / विवेकानन्द
- मंज़ूर एहतेशाम के उपन्यासों में सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता / प्रेमचन्द मौर्य
- विश्व साहित्य की अवधारणा और फणीश्वरनाथ 'रेणु' का कथा साहित्य / एकता वर्मा
- संस्कृति की ओर ‘लौटते हुए’ / निधि कुमारी गुप्ता
- पिघले चेहरे : मानवीय मूल्य और जीवन यथार्थ / डॉ. संदीप रणभिरकर
- खंजन नयन : भक्तकवि सूर के जीवन की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति / डॉ. रेनू त्रिपाठी
दीवार के उस पार
देशांतर
- लॉकडाउन में ट्रांसजेंडर समुदाय के समाजार्थिक और स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन / डिसेंट कुमार साहू
- दिल को झकझोरती तीसरी ताली / प्रियंका कुमारी गर्ग
- हिन्दी उपन्यासों और आत्मकथा में तृतीयलिंगी विमर्श / महेन्द्र कुमार वर्मा
कवितायन
- कुँवर नारायण की कविताओं में मानवीय मूल्य / डॉ. अमरनाथ प्रजापति
- छायावादी काव्य में रहस्यात्मकता / डॉ. दिनेश साहू
- मिथकीय चेतना और कुँवर नारायण का काव्य / कुमार सौरभ और डॉ. अनुशब्द
नीति-अनीति
- वैचारिक पूर्वाग्रहों की शिक्षा: राजस्थान में स्कूली पाठ्यपुस्तकों का बदलता स्वरुप / विजय मीरचंदानी
- आश्रय गृह और बुजुर्ग महिलाएँ : उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले का केस स्टडी / देबांजना नाग
- धार्मिक पाखण्ड और अंधभक्ति का सामाजिक यथार्थ : ‘आश्रम’ वेब सीरीज /दिनेश अहिरवार
बींद-खोतली
- ‘निरंतरता और अचलता : कैरिबियन और फिजी में प्रवासी भारतीयों की तुलना : एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण’ / डॉ. किरण झा
- पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भूमिका: झारखंड के विशेष संदर्भ में / परवेज शाहिद अली और डॉ. आशुतोष कुमार पाण्डेय
नाटक अभी जारी है
- राजस्थान का हिंदी रंगमंच : सामयिक सन्दर्भ एवं चुनौतियाँ / बलदेवा राम
- हस्तिनापुर नाटक में स्त्रियों का सामाजिक द्वंद्व / आरती शर्मा
- पंडित राधेश्याम कथावाचकः पारसी थियेटर से पारसी रंगमंच तक / डॉ. नितिन सेठी
पत्रकारिता के पहाड़े
कविताएँ और रचना-यात्रा
अध्यापकी के अनुभव
समीक्षायन
चित्रावली
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-37, जुलाई-सितम्बर 2021, चित्रांकन : डॉ. कुसुमलता शर्मा
UGC Care Listed Issue 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' ( PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
UGC Care Listed Issue 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' ( PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)