कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अभिभावकों का दृष्टिकोण : एक अध्ययन
डॉ. अरविंद कुमार
बीज शब्द : ऑनलाइन शिक्षा, कोविड-19, शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया, दृष्टिकोण, ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस्, वर्ग एवं लिंगभेद।
मूल आलेख : शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सरल सुगम एवं बोधगम्य बनाने के लिए शिक्षक हर संभव प्रयास करते हैं और प्रत्येक समय यही सोचते रहते हैं कि कैसे या फिर किन साधनों के माध्यम से शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जाए और अपनी बात आसानी से विद्यार्थियों तक पहुँचाई जाए ताकि उनको समयानुकूल नवीन एवं स्थाई ज्ञान प्रदान किया जा सके। इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस् शिक्षण-अधिगम को प्रभावशाली बनाकर, उसके प्रचार-प्रसार में महती भूमिका निभा रहे हैं। ऑनलाइन माध्यम से विद्यार्थी इंटरनेट एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे-टीवी, कंप्यूटर, टेबलेट, लैपटॉप, रेडियो, स्मार्टफोन आदि के द्वारा घर बैठे ही शिक्षा प्राप्त कर सकता है। इनके माध्यम से डीप लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, मशीन टू मशीन संचार तथा ई-शिक्षा आदि को बढ़ावा मिल रहा है।
भारत सरकार ने डिजिटल क्रांति लाने हेतु वर्ष
2015 में डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत कर अन्य क्षेत्रों के साथ शिक्षा के क्षेत्र
में भी अभिनव खोजों, गतिविधियों एवं क्रिया-कलापों को बढ़ावा दिया
है जिससे शिक्षक ऑनलाइन माध्यम(नोट्स, परिचर्चा, ब्लॉग, ई-शोध पत्र, ई-कक्षा, ई-बुक, ई-कंटेंट, कांफ्रेंसिंग एवं ऑडियो-वीडियो
आदि) से अपने विचारों एवं स्तरीय नवीन विषय-वस्तु को विद्यार्थियों तक पहुँचा पा रहे
हैं तथा स्वयं भी ई-प्रशिक्षण प्राप्त करके शिक्षण-अधिगम के नए-नए तरीकों से परिचित
हो रहे हैं। विभिन्न प्रकार के गेम्स एवं एप्लीकेशंस आदि के द्वारा सीखने से बच्चों
की बोध एवं परावर्ती क्षमता बढ़ रही है। इधर वर्ष 2019 के बाद से जब से समाज कोरोना महामारी से
जूझ रहा है तब से तो ऑनलाइन शिक्षा के अलावा कोई विकल्प बचा ही नहीं था। चाहे-अनचाहे
समाज का हर एक व्यक्ति इससे परिचित हो गया है। लॉकडाउन की अवधि में यदि यह माध्यम नहीं
होता तो निश्चित रूप से करोड़ों विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हो जाते, उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती। यूनेस्को
रिपोर्ट-2020 (श्रीवास्तव एवं दवे, 2021) के आँकड़े बताते हैं कि- “191 देशों के लगभग 157 करोड़ तथा भारत में लगभग 32 करोड़ विद्यार्थियों की शिक्षा अचानक स्कूल,
कॉलेज एवं विश्विद्यालय बंद होने से प्रभावित हुई थी।” कोविड-19 काल में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में स्काइप, व्हाट्सएप, यूट्यूब, फेसबुक, गूगल मीट, गूगल क्लास, जूम एवं माइक्रोसॉफ्ट टीम जैसे अनेकों प्लेटफार्मस्
ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट (ASAR-2021) से भी स्पष्ट होता है कि- “वर्ष 2018 में जहाँ 36.5 प्रतिशत बच्चों के पास मोबाइल था वहीं वर्ष
2020 में यह प्रतिशत बढ़कर 61. 8 फीसदी तथा वर्ष 2021 में 67.6 फीसदी हो गया।”
आज के बच्चे ऑनलाइन गेम्स, गाने, फिल्म, कहानी, कविता एवं कार्टून्स आदि को विभिन्न प्लेटफार्मस् के माध्यम से सीखते
एवं खेलते ही रहते हैं, एक तरह से यह उनके जीवन का नियमित हिस्सा है। ऑनलाइन शिक्षा
विद्यार्थियों को सीखने के बहुआयामी अवसर प्रदान करती है। एलन(2014) इस संदर्भ में कहते हैं कि- “डिजिटल मीडिया
बच्चों में सकारात्मक प्रेरणा का बहुत ही सुगम स्रोत है।” विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई
निर्बाध रूप से चलती रहे। इस हेतु भारत सरकार ने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्मस् यथा-
दीक्षा पोर्टल, रीड एलोंग एप, संपर्क बैठक एप, ई-पाठशाला, निष्ठा प्रोग्राम, स्वयं, स्वयं प्रभा, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, स्पोकन ट्यूटोरियल, दूरदर्शन पर गंगा, वर्चुअल लैब, मोबाइल एप्लीकेशन तथा शिक्षा के लिए निःशुल्क
और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर आदि के माध्यम से अभिभावकों, शिक्षकों तक पहुँच बनाने का प्रयास किया
है।
कोविड-19 महामारी के कारण जब भारत सरकार ने देश के
सभी शिक्षण संस्थान बंद करने की घोषणा की तब ऑनलाइन शिक्षा का दूसरा पहलू भी सामने
आया। हम सभी ने देखा कि कैसे गरीब ही क्या मध्यम वर्ग तक के अभिभावक अपने बच्चों को
शिक्षा दिलाने के प्रति असहाय नजर आ रहे थे। यह शिक्षा सभी को सीखने के समान अवसर प्रदान
नहीं करती है, कौशलों का मनोवाँछित प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं करा पाती है, जेंडर भेद को बढ़ावा देती है तथा गरीब-अमीर
के बीच खाई भी पैदा करती है। जिन विद्यार्थियों ने इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त
की थी उनकी ई-कक्षा में बमुश्किल 50 फीसदी उपस्थिति हो पाती थी तथा उनको विभिन्न
प्रकार की बीमारियों यथा- आँख, सिर, पेट दर्द, कुंठा, तनाव, अवसाद, एवं अलगाव आदि ने घेर लिया था। बच्चे सामाजिक
गतिविधियों से कट गए थे। बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ते समय चैटिंग, गेम्स खेलने, फिल्में देखने का एक तरह से अधिकार-सा मिल
गया था। इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिये विद्यार्थी पेड़ एवं पहाड़ की ऊँची चोटी पर चढ़कर
ई-कक्षा से जुड़ने का भी प्रयास करते नजर आते थे। आर्थिक मुश्किलों के कारण निजी स्कूलों
से अभिभावकों ने अपने बच्चों के नाम कटवा लिए। ‘हरियाणा राज्य में सत्र 2021-22 में
पिछले सत्र की अपेक्षा इस बार 12.51 लाख बच्चों ने प्रवेश नहीं लिया(कुशवाहा, 2021)।’
वर्ष 2018 में निजी स्कूल में जहां नामांकन का प्रतिशत 32.5 फीसदी था वहीं वर्ष
2020 एवं 2021 में क्रमशः घटकर 28.8 एवं 24.4 फीसदी ही रह गया(असर-2021)।
जो अभिभावक ऑनलाइन शिक्षा संबंधी उपकरण, डेटा प्लान आदि की व्यवस्था कर भी पाए तो
वह मात्र एक-दो बच्चों तक ही सीमित रही, ऐसे परिवार जहाँ इससे ज्यादा बच्चे थे वहाँ
बालिकाएँ इन सुविधाओं से वंचित रह गईं। संयुक्त राष्ट्र संघ महासचिव(अहमद एवं कुमार,
2020) ने भी कहा था कि– ‘कोविड-19 महामारी शिक्षा की अब तक की सबसे बड़ी बाधा है, इससे
सबसे अधिक लड़कियाँ तथा महिलाएँ प्रभावित होंगी।’ एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट
(ASAR-2021) भी बताती है कि ‘उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिमी बंगाल जैसे सर्वाधिक जनसंख्या
वाले राज्यों में भी बच्चों के पास स्मार्ट फोन सबसे कम थे।‘ एन०सी०ई०आर०टी० (अमर उजाला, 2020) ने ऑनलाइन शिक्षा के संबंध में केंद्रीय, नवोदय तथा अन्य विद्यालयों के बच्चों, अभिभावकों, प्रिंसिपल एवं शिक्षकों पर किए गए सर्वे
में पाया कि 27 फीसदी बच्चों पर न तो लैपटॉप है और न ही स्मार्ट फोन, 28 फीसदी अभिभावकों ने ऑनलाइन क्लास की सबसे
बड़ी बाधा बिजली तथा 17 फीसदी ने क्लास के दौरान भाषा को न समझना माना।
मूलभूत संसाधन नहीं है जबकि इनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत सुदृढ़ होती है तो गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन
करने वाले, सरकारी, बेसिक शिक्षा परिषदीय, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र
एवं अभिभावकों की असहाय एवं दयनीय स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ‘जहाँ की 24
प्रतिशत घरों में ही इंटरनेट की सुविधा हो, केवल 11 प्रतिशत घरों में अपने कंप्यूटर
हो, 30 प्रतिशत लोगों पर ही स्मार्टफोन हों(वाडिया, 2020)।’ दो जून की रोटी के लिए हाड़-तोड़ मेहनत
करने के बावजूद भी रोज़ मजदूरी नहीं मिल पाती हो, बच्चों को स्कूल जाने से पहले एवं बाद में
भी अभिभावकों का हाथ बँटाना पड़े, मजदूरी करनी पड़े वहाँ ऑनलाइन शिक्षा की बात
करना एक तरह से बेईमानी ही होगा। कोविड काल में जहाँ कि इस प्रकार की शिक्षा का प्रयोग
सर्वाधिक किया गया था उसमें सरकारी, बेसिक एवं माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थी
तो लगभग कक्षा से बाहर ही हो गए थे।
अतः इस बात की जिज्ञासा महसूस की गई की क्या कोविड महामारी
के दौरान ऑनलाइन शिक्षा सभी विद्यार्थियों का समावेशन कर पाने में कारगर रही? क्या कोविड-19 महामारी के दौरान यह शिक्षा वैकल्पिक शिक्षा
के तौर पर कामयाब रही? क्या यह शिक्षा विद्यार्थियों के स्वास्थ्य
को प्रभावित कर रही है? इन्हीं तथ्यों की जानकारी निमित्त प्रस्तुत
शोध किया गया है। प्रस्तुत शोध से संबंधित साहित्य का अवलोकन किया गया यथा- मेहरा एवं
ओमेडियन(2011) ने 76 फीसदी विद्यार्थियों में ई-लर्निंग के प्रति सार्थक रूप
से सकारात्मक दृष्टिकोण पाया, 82 प्रतिशत विद्यार्थियों ने इस शिक्षा को
महत्त्वपूर्ण माना, जबकि 57 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ई-लर्निंग को अपनाने की इच्छा
प्रकट की। तेवतिया(2020) ने अपने अध्ययन में पाया कि 60 फीसदी शिक्षक ऑनलाइन कक्षा लेने में सहज
तथा 4.5 प्रतिशत शिक्षक असहज महसूस करते हैं तथा 59.6 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना कि लॉकडाउन
का उनके शैक्षणिक स्तर पर नकारात्मक, 21.3 प्रतिशत ने सकारात्मक तथा 19.1 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कोई भी प्रभाव
नहीं माना। विजयलक्ष्मी, दास एवं अन्य(2020) ने अपने अध्ययन में पाया कि ई-लर्निंग पारदर्शिता, आमने-सामने के संपर्क तथा अंतःक्रियाशीलता
को बनाए रखने में सहायक है। अरोड़ा एवं श्रीनिवासन(2020) ने अपने अध्ययन में पाया कि नेटवर्क समस्या,
प्रशिक्षण का अभाव एवं वर्चुअल कक्षाओं के प्रति जागरूकता की कमी इसके मुख्य मुद्दे
हैं। कम उपस्थिति, व्यक्तिगत लगाव में कमी, कनेक्टिविटी के कारण अंतःक्रिया में कमी
के मध्य सार्थक अंतर पाया गया। श्रीवास्तव एवं दवे(2021) ने अपने शोध परिणाम में ऑनलाइन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों की मनोवृत्ति
को सकारात्मक पाया, विषय संबंधी शंका समाधान करने एवं ज्ञान
को बढ़ाने में इस शिक्षा की महती भूमिका पाई गई तथा यह भी पाया गया कि यदि तकनीकी समस्याओं
का निवारण कर दिया जाए तो इस शिक्षा की प्रभावशीलता में वृद्धि हो सकती है।
मैक्लॉघलिन एवं होलिंगवर्थ(2001), कॉनराड(2002), कौर(2004), चैपमैन(2005) आदि शोधकर्ताओं ने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य, समायोजन क्षमता, उपलब्धि स्तर, समस्या समाधान पर ई-लर्निंग का प्रभाव तथा
परंपरागत एवं ऑनलाइन शिक्षण में तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास किया है। कतिपय शोधकर्ताओं
द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा/ डिजिटल शिक्षा की उपयोगिता संबंधी
जो अध्ययन किए भी गए हैं उन्हें पर्याप्त की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इसी कमी
की पूर्ति हेतु प्रस्तुत अध्ययन किया गया है।
अध्ययन के उद्देश्य-
1. ऑनलाइन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों के दृष्टिकोण का अध्ययन करना।
2. ऑनलाइन शिक्षा के प्रति शिक्षकों के दृष्टिकोण का अध्ययन करना।
3. ऑनलाइन शिक्षा के प्रति अभिभावकों के दृष्टिकोण का अध्ययन करना।
शोध अध्ययन
में प्रयुक्त विधि-
प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षा
के प्रति विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा अभिभावकों के दृष्टिकोण के संबंध में जानकारी
प्राप्त करना है। अतः शोधकर्ता द्वारा ‘वर्णनात्मक अनुसंधान विधि’ का प्रयोग किया गया
है । अनुसंधान के उद्देश्य की पूर्ति हेतु ‘आकस्मिक न्यादर्शन विधि’ द्वारा उत्तर प्रदेश
राज्य के रूहेलखण्ड क्षेत्र (बरेली तथा मुरादाबाद मण्डल) के माध्यमिक एवं उच्च शिक्षण
संस्थानों के 243 शिक्षकों, 335 विद्यार्थियों तथा उनके 89 अभिभावकों, कुल 667 हितधारकों से दत्त संकलन किया गया है। प्रदत्तों
के संकलन हेतु शोधकर्ता द्वारा ‘ऑनलाइन शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों का दृष्टिकोण’, ‘ऑनलाइन शिक्षा के प्रति शिक्षकों का दृष्टिकोण’
तथा ‘ऑनलाइन
शिक्षा के प्रति अभिभावकों का दृष्टिकोण’ नामक तीन प्रश्नावलियों का निर्माण किया गया। प्रत्येक प्रश्नावली में दस-दस
पद थे। प्रदत्तों से निष्कर्ष निकालने हेतु प्रतिशत की गणना की गई है।
आंकड़ों
का विश्लेषण, व्याख्या एवं परिणाम -
एकत्र प्रदत्तों
का विश्लेषण कर उन्हें तालिका 1, 2 एवं 3 में प्रस्तुत किया गया है-
तालिका – 1
ऑनलाइन
शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों का दृष्टिकोण
क्र०
सं० |
पद / प्रश्न |
कुल विद्यार्थी संख्या – 335 |
|||||
हाँ (सं०) |
% |
नहीं (सं०) |
% |
अनिश्चित
(सं०) |
% |
||
1 |
ऑनलाइन
शिक्षा से आपको सीखने के पर्याप्त अवसर
प्राप्त हो रहे हैं? |
295 |
88.05 |
24 |
07.16 |
16 |
04.77 |
2 |
ऑनलाइन
शिक्षा के कारण आपको प्रयोगात्मक एवं कौशल
आधारित ज्ञान पूर्णतया प्राप्त नहीं हो पाता हैं? |
215 |
64.17 |
91 |
27.16 |
29 |
08.65 |
3 |
ऑनलाइन
शिक्षण में व्यस्त होने पर आपको शंका समाधान के पर्याप्त अवसर मिलते हैं? |
190 |
56.71 |
120 |
35.82 |
25 |
07.46 |
4 |
ऑनलाइन
शिक्षण के समय आपको ऑडियो, वीडियो एवं पाठ्य सामग्री स्पष्ट नहीं
हो पाती है? |
261 |
77.91 |
48 |
14.32 |
26 |
07.76 |
5 |
शिक्षक
से सीधे अंतःक्रिया (Interaction) न होने के कारण आप ई-कंटेंट को
अपेक्षाकृत गंभीरता से नहीं लेते हैं? |
175 |
52.23 |
120 |
35.82 |
40 |
11.94 |
6 |
ऑनलाइन
शिक्षा के कारण आप आंख दर्द, पेट दर्द, सिर
दर्द एवं तनाव, आदि महसूस कर रहे हैं? |
168 |
50.14 |
121 |
36.11 |
46 |
13.73 |
7 |
ऑनलाइन
शिक्षा की वजह से आपका ध्यान अवधि/ फैलाव (Attention
Span) प्रभावित हो रहा है? |
192 |
57.31 |
108 |
32.23 |
35 |
10.44 |
8 |
आपके
जिन साथियों को ऑनलाइन शिक्षा नहीं मिल पा रही है, क्या उनका उपलब्धि स्तर प्रभावित होगा? |
250 |
74.62 |
52 |
15.52 |
33 |
09.85 |
9 |
कोविड-19 से स्थिति सामान्य होने तक क्या आप ऑनलाइन
माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं? |
291 |
86.86 |
26 |
07.76 |
18 |
05.37 |
10 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा में आपकी रुचि धीरे-धीरे कम हो रही है? |
141 |
42.08 |
145 |
43.28 |
49 |
14.62 |
तालिका-1 के अवलोकन से विदित होता है कि सर्वाधिक 295 (88.05%)विद्यार्थियों ने स्वीकार किया है कि
ऑनलाइन शिक्षा से उन्हे सीखने के पर्याप्त अवसर प्राप्त हो रहे हैं। यह कथन इस आयाम
में प्रथम स्थान पर उपस्थित था । 291(86.86%) विद्यार्थियों ने कोविड-19 से स्थिति
सामान्य होने तक ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने की मंशा व्यक्त की। इस आयाम
का यह दूसरा प्रमुख कारण था। तीसरे प्रमुख कारण के रूप में 261(77.91%) विद्यार्थियों ने माना कि ऑनलाइन शिक्षण के समय उन्हें ऑडियो, वीडियो
एवं पाठ्यसामग्री स्पष्ट नहीं हो पाती है।
ऑनलाइन शिक्षा से वंचित साथियों की उपलब्धि स्तर में कमी को
250(74.62%) विद्यार्थियों ने माना है। 215(64.17%) विद्यार्थियों ने माना कि इस शिक्षा
के कारण वह प्रयोगात्मक तथा कौशल आधारित ज्ञान को पूर्णतया प्राप्त नहीं कर पा रहे
हैं। 192(57.31%) विद्यार्थियों ने स्वीकार किया है कि
इस शिक्षा से उनका ध्यान फैलाव प्रभावित हो रहा है, जबकि 108(32.23%) विद्यार्थियों ने इसके प्रति नकारात्मक विचार
व्यक्त किए। 190(56.71%)विद्यार्थियों ने माना कि इस शिक्षा
में उन्हें शंका समाधान के पर्याप्त अवसर
प्राप्त हो रहे हैं, जबकि 120(35.82) विद्यार्थियों ने कहा कि यह शिक्षा उनकी शंकाओं का समाधान
करने में सफल नहीं हो पा रही है।
175(52.23%) विद्यार्थियों का मानना है कि शिक्षक
से सीधे अन्तःक्रिया न होने के कारण वह ई-कंटेंट को गम्भीरता से नहीं ले पाते हैं,
जबकि 120(35.82%) विद्यार्थियों ने कहा कि शिक्षक से सीधे
अन्तःक्रिया न होने के बावजूद भी वह ऑनलाइन
शिक्षा को गम्भीरता से लेते हैं । 168(50.14%) विद्यार्थियों ने ऑनलाइन शिक्षा के
कारण सिर दर्द, पेट दर्द, आँख दर्द आदि प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
बताईं, जबकि 121(36.11%) विद्यार्थियों ने कहा कि उन्हें इस शिक्षा
से ऐसी कोई समस्या नहीं हो रही है।
145(43.28%)विद्यार्थियों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा
के प्रति उनकी रूचि में कोई कमी नहीं आयी है।
वह इसे प्राप्त करना चाहतें हैं, जबकि 141(42.08%) विद्यार्थियों ने माना कि इस शिक्षा में उनकी रूचि धीरे-धीरे
कम हो रही है, इस कथन के प्रति विद्यार्थियों में लगभग समान स्तर का दृष्टिकोण पाया
गया।
तालिका – 2
ऑनलाइन शिक्षा के प्रति
शिक्षकों का दृष्टिकोण
क्र० सं० |
पद / प्रश्न |
कुल शिक्षक संख्या – 243 |
|||||
हाँ (सं०) |
% |
नहीं (सं०) |
% |
अनिश्चित
(सं०) |
% |
||
1 |
क्या
आप ऑनलाइन शिक्षा को सीखने-सिखाने के नवीन अवसर के रूप में मानते हैं? |
209 |
86.00 |
17 |
06.99 |
17 |
06.99 |
2 |
क्या
ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने के लिए आपके पास पर्याप्त साधन/ डेटा पैक है? |
147 |
60.49 |
83 |
34.15 |
13 |
05.34 |
3 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा के कारण विद्यार्थी प्रयोगात्मक एवं
कौशल आधारित ज्ञान से वंचित हो रहे हैं? |
172 |
70.78 |
49 |
20.16 |
22 |
09.05 |
4 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षण में व्यस्त होने से विद्यार्थियों को शंका समाधान के पूर्ण अवसर मिल पा रहे हैं? |
90 |
37.03 |
125 |
51.44 |
28 |
11.52 |
5 |
आपसे
सीधे अंतःक्रिया (Interaction) न होने के कारण विद्यार्थी ई-कंटेंट को गंभीरता से नहीं लेते हैं? |
167 |
68.72 |
43 |
17.69 |
33 |
13.58 |
6 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा के कारण विद्यार्थियों का ध्यान फैलाव/
अवधि(Attention
Span) प्रभावित हो रहा है? |
158 |
65.83 |
50 |
20.57 |
35 |
14.40 |
7 |
जो विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं, क्या उनका उपलब्धि स्तर प्रभावित होगा? |
192 |
79.01 |
34 |
14.10 |
17 |
06.99 |
8 |
कोविड-19 से स्थिति सामान्य होने तक क्या ऑनलाइन
शिक्षा को चालू रखा जाए? |
200 |
83.33 |
21 |
08.64 |
22 |
09.05 |
9 |
विद्यार्थियों
की मोबाइल,टेबलेट,लैपटॉप की आदत को छुड़ाना कठिन हो सकता है? |
126 |
51.85 |
61 |
25.10 |
56 |
23.33 |
10 |
क्या
ऑनलाइन कक्षा में विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति संभव नहीं हो रही है? |
108 |
44.44 |
88 |
36.51 |
47 |
19.34 |
तालिका-2 से विदित होता है कि सर्वाधिक 209(86%) शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा को सीखने-सिखाने
के नवीन अवसर के रूप में माना, तथा 200(83.33%) शिक्षकों ने कहा है कि कोविड-19 से
स्थिति सामान्य होने तक इसे जारी रखा जाये। यह दोनों कथन क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय
स्थान पर प्रभावी पाए गए। 192(79.01%) शिक्षकों ने कहा कि जो विद्यार्थी ऑनलाइन
शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं उनका उपलब्धि स्तर प्रभावित होगा, इस आयाम का यह तीसरा
प्रमुख कारण था।
172(70.78%), 167(68.72%)एवं 158(65.83%) शिक्षकों ने क्रमशः माना कि ऑनलाइन शिक्षा
के कारण विद्यार्थी प्रयोगात्मक एवं कौशल आधारित ज्ञान से वंचित हो रहे हैं, वह उनसे प्रत्यक्षतः अन्तःक्रिया न कर पाने
के कारण ई-कंटेट को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं तथा उनका ध्यान फैलाव/ अवधि भी प्रभावित
हो रहा है । 147(60.49%) शिक्षकों ने कहा कि उनके पास ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने हेतु पर्याप्त साधन/
डेटा पैक हैं, जबकि 83(34.15%) शिक्षकों ने माना कि उनके पास ऐसे साधन नहीं हैं। 125(51.44%) शिक्षकों ने स्वीकार किया कि ऑनलाइन शिक्षा
में व्यस्त होने के कारण विद्यार्थियों को शंका समाधान के पूर्ण अवसर नहीं मिल पा रहे
हैं, जबकि 90(37.03%) शिक्षकों ने इस संबंध में सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदर्शित किया।
126(51.85%) शिक्षकों ने माना कि इस शिक्षा को प्राप्त करने के फलस्वरूप
विद्यार्थियों की मोबाइल, टेबलेट,लैपटॉप आदि की आदत को छुड़ाना कठिन हो सकता है। 108(44.44%) शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन कक्षा मे विद्यार्थियों
की नियमित उपस्थिति संभव नहीं हो पा रही है, जबकि 88(36.51%) शिक्षकों ने इस संबंध में सकारात्मक विचार
व्यक्त किए ।
तालिका – 3
ऑनलाइन शिक्षा
के प्रति अभिभावकों का दृष्टिकोण
क्र० सं० |
पद / प्रश्न |
कुल अभिभावक संख्या – 89 |
|||||
हाँ (सं०) |
% |
नहीं (सं०) |
% |
अनिश्चित
(सं०) |
% |
||
1 |
आप
अपने बच्चे को प्राप्त हो रही ऑनलाइन शिक्षा से संतुष्ट हैं? |
55 |
61.79 |
21 |
23.59 |
13 |
14.60 |
2 |
बच्चों
को ऑनलाइन शिक्षा दिलाने के लिए आपके पास पर्याप्त साधन/ डेटा पैक है? |
51 |
57.30 |
30 |
33.70 |
08 |
08.98 |
3 |
ऑनलाइन
शिक्षा के दौरान ही बच्चे चैट, गेम्स,मूवी, कार्टून, आदि भी देखने लगते हैं? |
50 |
56.17 |
32 |
35.95 |
07 |
07.86 |
4 |
ऑनलाइन
शिक्षा की वजह से आपको शिक्षकों के पढ़ाने के
तरीकों की भी जानकारी मिल जा रही है? |
42 |
47.19 |
36 |
40.44 |
11 |
12.35 |
5 |
एक
ही टॉपिक को कई माध्यम(ऑडियो, वीडियो, टेक्स्ट आदि) से पढ़ाने
के कारण बच्चों की स्क्रीन
टाइमिंग बढ़ रही है? |
60 |
67.41 |
17 |
19.10 |
12 |
13.48 |
6 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने के कारण बच्चे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायत
कर रहे हैं? |
59 |
66.29 |
21 |
23.59 |
09 |
10.11 |
7 |
कोविड-19 से परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक क्या
आप अपने बच्चे को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा
ग्रहण कराना चाहते हैं? |
66 |
74.15 |
12 |
13.48 |
11 |
12.35 |
8 |
ऑनलाइन
शिक्षा ग्रहण करने के कारण बच्चों की मोबाइल, टेबलेट आदि की लत को छुड़ाना
मुश्किल हो जाएगा? |
61 |
68.53 |
16 |
17.97 |
10 |
11.23 |
9 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर निज़ी संस्थानों में फीस
वसूलने की होड़ मची है? |
58 |
65.16 |
16 |
17.97 |
15 |
16.85 |
10 |
क्या
ऑनलाइन शिक्षा के प्रति बच्चों की रूचि घट रही है? |
54 |
60.67 |
22 |
24.71 |
13 |
14.60 |
तालिका-3 से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक 66(74.15%)अभिभावकों ने कोविड-19 से परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अपने बच्चे
को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा ग्रहण कराने की मंशा व्यक्त की। 61(68.53%)अभिभावकों ने माना कि ऑनलाइन शिक्षा
ग्रहण करने के कारण बच्चों की मोबाइल, टेबलेट एवं लैपटॉप आदि की लत को छुड़ाना मुश्किल हो जाएगा। इस
आयाम में यह कथन द्वितीय स्थान पर प्रभावी पाया गया। 60(67.41%), 59(66.29%), 58(65.16%) तथा 54(60.67%)अभिभावकों ने क्रमशः माना कि ऑनलाइन शिक्षा
के कारण विद्यार्थियों की स्क्रीन टाईमिंग वढ़ रही है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो रही
हैं, ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर निजी संस्थानों में
फीस वसूलने की होड़ मची है तथा इस शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों में रूचि घट
रही है।
55(61.79%) अभिभावकों ने कहा कि वह बच्चों को मिल
रही ऑनलाइन शिक्षा से संतुष्ट हैं। 42(47.19%) अभिभावकों ने इस शिक्षा की वजह से शिक्षकों
के पढ़ाने के तरीकों की जानकारी प्राप्त होने की बात कही, जबकि 36(40.44%) अभिभावकों ने इस कथन के प्रति असहमति व्यक्त
की। ऑनलाइन शिक्षा संबंधी पर्याप्त साधन/डेटा की उपलब्धता को 51(57.30%) अभिभावकों ने स्वीकार किया, जबकि 30(33.70%) अभिभावकों ने इन साधनों की अनुपलब्धता की
बात की।
50(56.17%) अभिभावकों का मानना है कि शिक्षा के दौरान
बच्चे गेम्स, कार्टून, मूवी, चैट आदि में भी देखने लगते हैं जबकि
32(35.95%)
अभिभावकों ने इस कथन के प्रति असहमति व्यक्त
की।
§ निष्कर्ष
:
§ सर्वाधिक
88.05 प्रतिशत विद्यार्थियों
ने माना कि ऑनलाइन शिक्षा से उन्हे सीखने के पर्याप्त अवसर प्राप्त हो रहे हैं तथा
सर्वाधिक 86
प्रतिशत शिक्षकों ने ऑनलाइन शिक्षा को सीखने-सिखाने के नवीन अवसर के रूप में माना।
- सर्वाधिक 74.15 प्रतिशत अभिभावकों ने कोविड महामारी
से स्थिति अनुकूल होने तक अपने बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा दिलाने की मंशा
व्यक्त क।
- दूसरे प्रमुख कारण के रूप में 86.86 प्रतिशत विद्याथियों तथा 83.33 प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि जब तक कोविड
महामारी से स्थिति से सामान्य नहीं हो जाती तब तक ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा को जारी रखा जाए।
- तीसरे कारण के रूप में 77.91 प्रतिशत विद्याथियों ने ऑनलाइन शिक्षा
के समय ऑडियो,वीडियो एवं पाठ्य सामग्री की अस्पष्टता तथा 79.01 प्रतिशत शिक्षकों ने यह शिक्षा ग्रहण
न करने वाले विद्यार्थियों की उपलब्धि स्तर का प्रभावित होना माना।
- 60.49 प्रतिशत शिक्षकों एवं 57.30 प्रतिशत अभिभावकों के पास ऑनलाइन शिक्षण हेतु पर्याप्त साधन एवं
डेटा पैक पाए गए।
- 56.17 प्रतिशत अभिभावकों ने स्वीकार किया कि ऑनलाइन शिक्षा के दौरान विद्यार्थी गेम्स, कार्टून, चैट, मूवी आदि देखने लगते हैं। 47.19 प्रतिशत अभिभावकों ने माना कि इस शिक्षा
की वजह से उन्हें शिक्षकों के पढ़ाने के
तरीकों की जानकारी मिल जा रही है।
- 56.71 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि ऑनलाइन
शिक्षण में व्यस्त होने पर भी विद्यार्थियों को शंका समाधान के पर्याप्त अवसर
मिलते हैं जबकि 51.44 प्रतिशत शिक्षकों का मानना है कि ऑनलाइन
शिक्षण में व्यस्त हो जाने से विद्यार्थियों
को शंका समाधान के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं ।
- 70.78 प्रतिशत शिक्षकों तथा 64.17 प्रतिशत विद्यार्थियों का मानना है
कि ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने से विद्यार्थी प्रयोगात्मक एवं कौशल आधारित ज्ञान
से वंचित हो सकते हैं उन्हें इसका पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
- 68.72 प्रतिशत शिक्षकों तथा 52.23 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि ऑनलाइन
शिक्षा में शिक्षक से सीधे अन्तःक्रिया न होने के कारण विद्यार्थी ई-कंटेंट को
गम्भीरता से नहीं लेते हैं।
- 60.67 प्रतिशत अभिभावकों ने माना कि ऑनलाइन
शिक्षा के प्रति बच्चों की रूचि घट रही है, जबकि 43.28 प्रतिशत विद्यार्थियों ने कहा कि इस
शिक्षा के प्रति उनकी रूचि में कोई कमी नहीं आई हैं।
- 44.44 प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन
कक्षाओं में विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति संभव नहीं हो पा रही हैं।
- 65.83 प्रतिशत शिक्षकों ने माना कि ऑनलाइन
शिक्षा की वजह से विद्यार्थियों का ध्यान फैलाव/ अवधि प्रभावित हो रहा है तथा 57.31 प्रतिशत विद्यार्थियों ने भी इस कथन
के प्रति ऐसे ही विचार व्यक्त किए।
- 66.29 प्रतिशत अभिभावकों ने माना कि ऑनलाइन
शिक्षा के कारण विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं
। 50.14 प्रतिशत विद्यार्थियों ने भी इस कथन के प्रति सहमति प्रकट
की ।
- 68.53 प्रतिशत अभिभावकों तथा 51.85 प्रतिशत विद्यार्थियों ने माना कि ऑनलाइन
माध्यम (मोबाइल, लैपटॉप एवं टेबलेट) जनित आदत/ लत को छुड़ाना मुश्किल हो सकता है।
- 65.16 प्रतिशत अभिभावकों ने माना कि ऑनलाइन
शिक्षा के नाम पर निजी संस्थानों में फीस वसूलने की होड़ मची हुई हैं।
§ शैक्षिक
निहितार्थ -
- ऑनलाइन शिक्षण के समय अभिभावक बच्चों
पर पैनी नजर रखें, उनसे वार्ता करें, मित्रवत व्यवहार
करें ताकि वह हमेशा डिजिटल गैजेट्स के सम्पर्क में न रहें और उनका स्वास्थ्य भी
उत्तम बना रहे।
- ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा के समय कला, नृत्य, गायन, वादन एवं अन्य कौशल आधारित कक्षाओं
की निरन्तरता को बनाए रखा जाए ताकि बच्चे अपनी कुंठा, दुश्चिंता, तनाव, अवसाद आदि को बाहर निकाल सकें और मनोरंजन
के साथ कक्षा से जुड़े रहें।
- बच्चों को हमेशा ऑनलाइन शिक्षा में
ही व्यस्त न रखा जाये, अभिभावक बच्चों से पेंड़-पौधों की देखभाल, सिलाई-कढ़ाई, घर की सजावट, खाने की नई-नई डिशिस बनाने, क्राफ्ट, इंडोर गेम्स आदि कार्यों को स्वयं करे
तथा बच्चों से भी करवाएँ ताकि उनमें सौन्दर्यात्मक, कलात्मक क्षमता तथा कर्म के प्रति प्रतिबद्धता
जैसे मूल्यों का रोपण हो।
- बच्चों से अंतःक्रिया एवं आत्मीयता
बढ़ाने के लिये जरूरी है कि शिक्षक कक्षा के समय बच्चों को उनके नाम से पुकारे, व्यक्तिगत कॉल करें, कहानी, कविता सुनाए, उनकी व्यक्तिगत समस्याओं
को ध्यान से सुने तथा निराकरण हेतु उन्हे प्रेरित भी करे।
- ऑनलाइन शिक्षा को वैकल्पिक शिक्षा के
रूप में प्रयोग किया जाये। समानान्तर या मिश्रित (ब्लेंडेड) शिक्षा को बढ़ावा दिया
जाये, क्योंकि तकनीकी जानकारी आज की माँग
है, इससे किसी को भी वंचित न रखा जाए यह
शिक्षा सीखने के नवीन अवसर प्रदान करती है।
- समाज के सक्षम लोग, विद्यालय प्रबन्धक, समाजसेवी एवं निजी एप्लीकेशन/ एप्स
निर्माता/ संचालक भी गरीब विद्यार्थियों को ध्यान से रखकर ऑनलाइन शिक्षा हेतु
निःशुल्क आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करें ताकि वह भी मुख्यधारा से जुड़ सकें।
- विपरीत परिस्थितियों के अलावा भौतिक
कक्षाओं को बढ़ावा दिया जाए ताकि विद्यार्थियों में सामाजिक गुणों का विकास हो।
- सरकार द्वारा विद्यार्थियों हेतु टेबलेट,
लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि की व्यवस्था की जाए।
उ0प्र0 में सरकार इस प्रकार की व्यवस्था कर भी रही है। ऑनलाइन शिक्षण हेतु शिक्षकों, विद्यार्थियों को प्रशिक्षण भी दिया
जाए।
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डॉ. अरविंद कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, बी.एड., राजकीय रज़ा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामपुर(उत्तर प्रदेश) -244901
arvindkmr37@gmail.com, 9411918004
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-38, अक्टूबर-दिसंबर 2021
चित्रांकन : Yukti sharma Student of MA Fine Arts, MLSU UDAIPUR
UGC Care Listed Issue 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' ( PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
जवाब देंहटाएंडॉ. अरविंद कुमार जी द्वारा
कोविड कॉल के दौरान ऑनलाइन शिक्षा पर किया गया सर्वोत्तम शोध है
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