कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग का प्रिंट मीडिया उद्योग से जुड़े हुए पत्रकारों, सम्पादकों तथा समाचार पत्र के स्वामियों के कार्य निष्पादन पर प्रभाव – एक अनुभवजन्य अध्ययन
- प्रियंका शर्मा व डॉ. गुरेन्दर पाल डंग
शोध सार : आज के समय में हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर, इंटरनेट और कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से इस प्रकार के कार्य तीव्रता से होने लगे हैं जिसकी कल्पना भी कभी पहले व्यक्ति ने नहीं की थी। विभिन्न कार्यों को अधिक उन्नत और कुशल तरीके से करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता से सम्बंधित उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग व्यावसायिक संस्थाओं के लिए इसे अपरिहार्य बनाता है। व्यवसायों में कृत्रिम बुद्धिमता को अपनाने से अनेक प्रकार के लाभ जैसे लागतों में कमी, तीव्रता, गुणवत्ता, आदि देखने को मिलते हैं। प्रिंट मीडिया उद्योग में भी कृत्रिम बुद्धिमता के अनेक उपयोगों तथा प्रयोगों को ध्यान में रख कर यह अनुसन्धान कार्य किया गया है जिसमें यह प्रयास किया गया कि किस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए पत्रकारों, सम्पादकों तथा समाचार पत्र के स्वामियों की कार्यशैली को सकारात्मक तथा नकारात्मक रूप में प्रभावित करता है। यह पाया गया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि समाचार तथा अन्य जरूरी सूचनाएं तीव्रता से पहुंचाने के लिए इसे विज्ञान का दिया हुआ वरदान माना जा सकता है, इससे पत्रकारिता से जुड़े हुए समस्त दल के सदस्यों की कार्यक्षमता व गुणवत्ता पहले से बढ़ गयी है, परन्तु विज्ञान के इस प्रकार के अन्वेषण से उनके जीवन की मानसिक शांति भी कम हुई है और उनके स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव भी पड़े हैं। एक पुरानी कहावत इस अनुसन्धान में पुनः चरितार्थ हुई कि "विज्ञान एक अच्छा सेवक है, लेकिन एक बुरा स्वामी है।'' परन्तु इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यावसायिक उपक्रमों तथा हितधारकों के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह तीव्रता और सटीक परिणाम प्रदान करता है जो अंततः प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यावसायिक उपक्रमों के लाभों में वृद्धि करता है तथा रोजगार के अवसर प्रदान करता है। प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यावसायिक संगठनों के लिए यह समझना अनिवार्य हो गया है कि अब आने वाला समय विश्व में कृत्रिम बुद्धिमता का है, इसलिए उन्हें सूचना एवं प्रौद्योगिकी से भरी प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक दुनिया में बने रहने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता के उपकरणों और तकनीकों को अपनाना होगा।
बीज शब्द : कृत्रिम बुद्धिमता,
प्रिंट मीडिया, तीव्रता,लाभदायकता,
गुणवत्ता, स्वास्थ, रोजगार।
मूल आलेख : "कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) पूर्व निर्धारित
संगठनात्मक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आंकड़ों की पहचान करने, व्याख्या करने, अनुमान
लगाने और आंकड़ों से सीखने की प्रणाली है" (मिकलेफ एंड गुप्ता, 2021, पृष्ठ 3)। यह मशीनों और उपकरणों द्वारा मानवीय
गतिविधियों की प्रतिकृति को संदर्भित करता है। कृत्रिम बुद्धिमता में यह प्रयास किया
जाता है कि वह कार्य जो पहले प्राकृतिक रूप से भगवान् द्वारा बनाये गए मनुष्य के
द्वारा किये जाते थे, उसी प्रकार के कार्यों को सॉफ्टवेयर की
सहायता से तीव्र गति व अधिक गुणवत्ता से पूर्ण किया जा सके जिसे मनुष्य के विकल्प
के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग में कंप्यूटर एवं
इंटरनेट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न कार्यों को अधिक उन्नत और कुशल
तरीके से करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता से सम्बंधित उपकरणों का प्रयोग व्यावसायिक
संस्थाओं के लिए इसे अपरिहार्य बनाता है। व्यवसायों में कृत्रिम बुद्धिमता को
अपनाने से अनेक प्रकार के लाभ जैसे लागतों में कमी, तीव्रता,
गुणवत्ता, आदि देखने को मिलते हैं।
(पीडब्ल्यूसी, 2018)
कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का प्रयोग पूरी दुनिया में तेजी से प्रगति कर रहा है।
मनुष्य के जीवन के अनेक क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमता की तकनीकों का उपयोग दिन
प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमताका प्रयोग इतना ज्यादा बढ़ गया है कि
ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, चाहे वह सामाजिक, व्यावसायिक या राजनैतिक क्षेत्र
जिसमें कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग न होता हो। हमारे जीवन की सामान्य कार्यशैली
में दिन प्रतिदिन के कार्यों तथा व्यवसाय के क्रियाकलापों में कृत्रिम बुद्धिमता
का प्रयोग अनेक रूप में देखने को मिलता है। आज हमारे घरों में अलेक्सा, गूगल असिस्टेंट जैसे कृत्रिम बुद्धिमता के यंत्रों से सभी बच्चे एवं बड़े
भली भांति परिचित हैं। इसके अलावा हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले अनेक
प्रकार के साज समानों में कृत्रिम बुद्धिमता की विशेषता पाई जाती है। व्यावसायिक
उपक्रम भी इसके प्रयोग से अछूते नहीं है जिससे यह व्यापारिक संगठनों, समाज और सरकार के लिए एक चर्चा का विषय बन चुका है। इन व्यावसायिक
उपक्रमों के लिए कृत्रिम बुद्धिमता की तकनीकों को अपनी व्यावसायिक प्रक्रियायों
में अपनाना अनिवार्य हो गया है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कृत्रिम
बुद्धिमता व्यावसायिक फर्मों के लिए बेहद फायदेमंद भी है, क्योंकि यह तीव्रता और
सटीक परिणाम प्रदान करता है जो अंततः व्यावसायिक प्रक्रिया के वित्तीय प्रदर्शन
में लाभ की ओर ले जाता है। व्यावसायिक संगठनों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वह
समय रहते कृत्रिम बुद्धिमता उपकरणों और तकनीकों को अपना लें।
प्रिंट मीडिया
उद्योग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग - प्रिंट मीडिया उद्योग मुख्य रूप से समाचारपत्रों और पत्रिकाओं के
माध्यम से समाचार रिपोर्टिंग, मुद्रण और समाचारों के वितरण से संबंधित उद्योग है। प्रिंट मीडिया उद्योग
में कृत्रिम बुद्धिमता का अत्यधिक प्रयोग किया जाने लगा है। एक समय होता था कि
पत्रकार पहले सूचनाएं एवं समाचारों को एकत्रित करने धरातल पर जाता था। समस्त
सूचनाओं को एकत्रिक करता था। घर वापस आकर दिन-रात लग कर अपनी लेखनी से उन्हें कागज़
पर उतारता था और फिर यात्रा करके सम्पादकीय मंडल तक पहुंचाता था। यह समय अब
कंप्यूटर, इंटरनेट तथा कृत्रिम बुद्धि के आने से पूर्णत: बदल
गया है। जब यह अनुसंधान प्रिंट मीडिया से जुड़े समूह के सदस्यों पर किया गया जिसमें
पत्रकार, सम्पादक तथा समाचारपत्र के स्वामी भी शामिल हैं,
तो उन सभी का यह मत है कि आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमता का है। अब
मीडिया पत्रकार ग्राउंड जीरो से ही समाचारों को कुछ मिनटों में ही दूर किसी शहर
में सम्पादक तक पहुंचा देते हैं जहाँ से समाचार पत्र प्रकाशित होता है। इस प्रकार
के सॉफ्टवेयर व उपकरण उपलब्ध हो चुके हैं जो स्वचालित लेखन से मात्र बोलने से ही
समाचारों को टाइप कर देते हैं और किसी भी भाषा में परिवर्तित कर देते हैं। यह किसी
आश्चर्य से कम नहीं है। कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग प्रिंट मीडिया को तीव्रता
प्रदान करता है तथा समाचार जल्द से जल्द पाठक तक पहुंच जाता है। इसमें लागत भी कम
हो जाती है और लाभदायकता बढ़ने की सम्भावना हो जाती है। ऐसे-ऐसे कृत्रिम बुद्धिमता के
साधन उपलब्ध हैं जो कम खर्च पर आसानी से मोबाइल फ़ोन या कंप्यूटर में प्रयोग हो
सकते हैं। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर व साधन पत्रकारों और सम्पादकों के एंड्राइड
मोबाइल फ़ोन पर आसानी से स्थापित किये जा सकते हैं। हर पत्रकार और सम्पादक इन
सॉफ्टवयरों को प्रयोग करने लगा है। इसका लाभ समाचार उपक्रमों के स्वामियों को
मिलने लगा है। यह बात हम सबको ज्ञात है कि समाचार जगत में सबसे पहले जो समाचार दे।
वह प्रशंसा का पात्र माना जाता है, और वह समाचारपत्र या चैनल ख्याति और लाभ
प्राप्त करने लगता है।
साहित्य का
अवलोकन:
(लिंडन,2017) कृत्रिम बुद्धिमता ने वैज्ञानिक और
तकनीकी क्षेत्रों से सम्बंधित अध्ययनों में सकारात्मक प्रदर्शन किया है, हालांकि इसकी कीमत का अंदाजा लगाना मुश्किल है। पत्रकारिता के क्षेत्र में
इससे लागत में असर पड़ा है, परन्तु कार्य करना पहले की तुलना
में अत्यंत सरल हुआ है।
(कुक व अन्य, 2021) एक वर्तमान रिपोर्ट से पता चला है कि समाचारों में कृत्रिम बुद्धिमता के
विकास के लिए एक बड़ी बाधा में उच्चित प्रतिभा का मिलना है, क्योंकि
उन प्रतिभाशाली कर्मचारियों को अन्य उद्योगों में ज्यादा पारिश्रमिक मिलता है।
उन्हें लम्बे समय के लिए मीडिया उद्योग में रोके रखना एक कठिन कार्य है।
(ब्रौसार्ड,2015) बहुत से
लोग कृत्रिम बुद्धिमता तकनीकों से खोजी पत्रकारिता की लागत कम करने की अपेक्षा
करते हैं। उनका मानना है कि इसके प्रयोग से कम खर्च करके अधिक उपयोगी जानकारी
एकत्रित की जा सकती है। उनका यह भी मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमता से कम
कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।
(स्ट्रे,2019) आम तौर पर
एआई मॉडल विशेष कारण के लिए बनाए जाते थे, परन्तु इन दिनों
इनका प्रयोग मीडिया के हर क्षेत्र में किया जाने लगा है। पहले यह केवल उपन्यासों
से सम्बंधित कार्यों में प्रयोग होते थे, परन्तु धीरे धीरे
इसका क्षेत्र विकसित हो गया है।
मिकलेफ और गुप्ता (2021) ने अपने अध्ययन में एआई क्षमता के निर्माण के लिए
आवश्यक विशिष्ट संसाधनों की पहचान की है और संगठनात्मक रचनात्मकता और प्रदर्शन पर
एआई क्षमता के प्रभाव का अध्ययन किया है। उनके अनुसार कृत्रिम बुद्धिमता को
क्रियान्वित करने के लिए संसाधनों की भी आवश्यकता होती है जिसे उपेक्षित नहीं किया
जा सकता।
शोध अंतराल - उपलब्ध साहित्य के अवलोकन के बाद यह पाया गया कि कृत्रिम
बुद्धिमता का प्रिंट मीडिया उद्योग से जुड़े हुए पक्षकारों पर एआई के प्रभाव का
किसी प्रकार का कोई अध्ययन प्रत्यक्ष रूप से नहीं किया गया है। यहाँ पर यह बात
स्पष्ट करना आवश्यक है कि इन हितधारकों में पत्रकार, फोटोग्राफर, सम्पादक, प्रिंट मीडिया संस्थान के स्वामी व अन्य कर्मचारी भी शामिल हैं। जब से
कंप्यूटर व इंटरनेट का चलन बढ़ा तो समाचार जगत ने इन साधनों को समय रहते हुए
अपनाया। यह क्रम आज भी जारी है। सूचना प्रौद्योगिकी में नए नए यंत्र, सॉफ्टवेयर तथाअन्वेक्षण इत्यादि आते जा रहे हैं और इन्हें धारण करना या
अपनाना समय के साथ साथ अनिवार्य हो गया है। मीडिया उद्योग भी इन नए विकसित यंत्रों
से बचा हुआ नहीं है। किस प्रकार कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग ने प्रिंट मीडिया से
जुड़े हुए पक्षकारों के कार्य निष्पादन को अच्छे या बुरे रूप में प्रभावित किया है, इस शोधपत्र के द्वारा यह अध्ययन
करने का प्रयास किया गया है।
शोध उद्देश्य -
इस अध्ययन के उद्देश्य निम्न
लिखित प्रकार हैं-
1.प्रिंट
मीडिया से संबंधित पत्रकारों, संपादकों तथा समाचार पत्रों के
स्वामियों के कार्य निष्पादन (परफॉरमेंस) पर कृत्रिम
बुद्धिमत्ता के उपयोग के प्रभाव का अध्ययन करना।
2.कृत्रिम
बुद्धिमता (एआई) के प्रिंट मीडिया में होने वाले प्रयोग से उत्पन्न सुविधाओं तथा
कठिनाइयों का अध्ययन करना तथा कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग को और उत्तम बनाने के
लिए उचित सुझाव देना।
शून्य
परिकल्पना (H0) -
H0: प्रिंट मीडिया उद्योग के पत्रकारों, संपादकों तथा
समाचार पत्रों के स्वामियों के कार्य निष्पादन पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग का
कोई प्रभाव नहीं है। साहित्य के अवलोकन तथा विशेषज्ञों की राय लेने के उपरान्त
कार्य निष्पादन (परफॉरमेंस) के अंतर्गत पांच मापदंडों का चुनाव किया गया है। यह
पांच मापदंड निम्नलिखित हैं-
1. लागत
न्यूनीकरण
2. सुविधा
3. सटीकता
4. गुणवत्ता
में सुधार
5. गति
मुख्य शून्य परिकल्पना को मापने के लिए शोध में निम्नलिखित पांच उप शून्य
परिकल्पनाएं ली गई है।
प्रत्येक
मापदंड की पृथक रूप से परिकल्पना को लिया गया और टी टेस्ट पर जांचा गया।
H01: कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग का लागत न्यूनीकरण पर कोई असर नहीं है।
H02: कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से कार्य करने में कोई सुविधा नहीं होती।
H03: कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से कार्य करने में सटीकता नहीं आती।
H04: कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से कार्य की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं
होता।
H05: कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से कार्य तीव्र गति से नहीं होते हैं।
उपर्युक्त पांच उप शून्य परिकल्पनाओं की जांच के बाद मुख्य परिकल्पना से
सम्बंधित भी एक मास्टर प्रश्न पूछा गया। यह प्रश्न भी सात पॉइंट लिकर्ट स्केल पर
ही पूछा गया। यह मास्टर प्रश्न मुख्य शून्य परिकल्पना की जांच को और पक्का करने के
लिए पूछा गया।
H06: प्रिंट मीडिया से सम्बंधित पक्षकारों के कार्य निष्पादन (परफॉरमेंस) पर
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग का कोई प्रभाव नहीं है।
शोध कार्य प्रणाली
- कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से
यह प्रयास किया जाता है कि वह कार्य जो पहले प्राकृतिक रूप से भगवान् द्वारा बनाये
गए मनुष्य के द्वारा किये जाते थे,
उसी प्रकार के कार्यों को कंप्यूटर जिसमें हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर
दोनों सम्मिलित हैं, की सहायता से तीव्र गति व अधिक गुणवत्ता
से सम्पूर्ण किया जा सके। इंटरनेट का प्रयोग भी कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग में
महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। एआई का प्रयोग मनुष्य के विकल्प के रूप में
प्रयोग किया जाने लगा है। विभिन्न कार्यों को अधिक उन्नत और कुशल तरीके से करने के
लिए कृत्रिम बुद्धिमता से सम्बंधित उपकरणों का प्रयोग व्यावसायिक संस्थाओं के लिए
इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर व साधन पत्रकारों व सम्पादकों
के एंड्राइड मोबाइल फ़ोन तथा कंप्यूटर पर आसानी से स्थापित किये जा सकते हैं। इस
प्रकार पत्रकार और सम्पादक कृत्रिम बुद्धिमता के संसाधनों को प्रयोग करने लगे हैं।
यह भी पाया गया कि समाचार पत्रों के छपाई करने के लिए जो नयी मशीनें प्रयोग में
लायी जा रही हैं, वह भी कृत्रिम बुद्धिमता रखती हैं और उससे
छपाई कि गुणवत्ता और उपयुक्त हो गई है। प्रूफ रीडिंग और व्याकरण की त्रुटियाँ भी एआई
से जुड़े हुए सॉफ्टवेयर पकड़ लेते हैं और ठीक कर देते हैं। इसके अतिरिक्त वहीं
समाचारपत्र सॉफ्ट कॉपी के फॉर्म में एआई की सहायता से पाठकों के मोबाइल फ़ोन पर भी
उपलब्ध कराये जा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमता ने मीडिया उद्योग को भी क्रांतिकारी
तरीके से बदल दिया है। एआई का प्रयोग समाचारपत्रों और पत्रिकाओं की छपाई के
साथ-साथ इन समाचार पत्रों की बिक्री, वितरण और लेखांकन
इत्यादि पर भी हो रहा है। बिग डाटा जैसे एआई की तकनीक की मदद से पाठकों की संख्या
को बढ़ाया जाता है। इससे पाठकों के बाजार को और विस्तृत किया जा रहा है जो कि
व्यवसायी के लाभों को बढ़ाता है और रोजगार के अनेक अवसर भी पैदा करता है। अनेक
प्रकार के एआई से युक्त मोबाइल सॉफ्टवेयर पाठकों के लिए भी उपलब्ध हैं जो समाचार
पत्रों की पहुंच को और विस्तृत करते हैं। ऐसे पत्रकार जो एक समय में केवल नौकरी
किया करते थे, सॉफ्टवेयरों के माध्यम से आज छोटे-छोटे
समाचारपत्रों के मालिक बन बैठे हैं और जीविका कमा रहे हैं। यह सब कंप्यूटर,
इंटरनेट और एआई की देन है।
इस अध्ययन के लिए प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए विभिन्न पत्रकारों, सम्पादकों तथा उपक्रमों के स्वामियों से संपर्क
किया गया। इसमें मुख्यतः अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी, इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे प्रमुख
अखबारों के पत्रकारों तथा सम्पादकीय मंडल के अलावा छोटे स्तर के समाचार पत्रों के
पत्रकारों तथा सम्पादकीय मंडल से भी संपर्क साधा गया। आज कल तो समाचारपत्र ऑफलाइन
तथा ऑनलाइन दोनों आने लगे हैं और पत्रकारों की संख्या एवं रोजगार के अवसरों में
वृद्धि हुई है। अध्ययन के लिए उत्तराखंड राज्य के शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों को
चुना गया। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शोध से सम्बंधित उत्तरदाता काफी हद
तक सुगमतापूर्वक मिल गए। इसके अलावा हरिद्वार तथा उधमसिंह नगर में उपलब्ध
उत्तरदाताओं से सम्बन्ध साधा गया जिससे कि प्रतिदर्श अच्छा व विश्वसनीय बन सके।
कुछ प्रिंट मीडिया उपक्रमों के स्वामी मेरठ व दिल्ली में रहते हैं, उनसे टेलीफोन तथा वीडियो कालिंग के माध्यम से संपर्क किया गया व जानकारी
प्राप्त की गई। ज्यादा संख्या में पत्रकारों उपलब्ध हो पाए, क्योंकि हर अखबार और
पत्रिका में इनकी संख्या अधिक होती है। इन पत्रकारों में छोटे व बड़े सभी प्रकार से
पत्रकारों को सम्मिलित किया गया। छोटे पत्रकारों से आशय शहर, कसबे या गांव के व्यक्ति भी शामिल हैं, जो पढ़े लिखे
हैं और बड़े अखबारों के लिए समाचार भेजने का काम करते हैं। यह सभी उत्तरदाता अपने
एंड्राइड मोबाइल फ़ोन तथा कंप्यूटर में उन सॉफ्टवेयरों व तकनीकों का प्रयोग करते थे
जिनमे कृत्रिम बुद्धिमता पाई जाती है, तभी वह उत्तरदाता की
श्रेणी में सम्मिलित किये गए।
शोध पत्र से सम्बंधित जानकारी को प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली का प्रयोग
किया गया। इस प्रश्नावली में लाइकर्ट स्केल से आधारित प्रश्न पूछे गए। यह प्रश्न
सात अंक पैमाने पर पूछे गए। प्रश्नावली में 7 बिंदु लाइकर्ट स्केल पर आधारित प्रश्न शामिल थे, 1
"दृढ़ रूप से असहमत" और 7 "दृढ़ता से
सहमत" थे। इस शोध के लिए जो प्रश्नावली बनाई गई, उसे इस
प्रकार से विकसित किया गया कि तीनों प्रकार के उत्तरदाता आसानी से उत्तर कर पाएं,
क्योंकि वह सभी एआई से सम्बंधित संसाधनों का प्रयोग अपने कार्यों के
सम्पादन के लिए कर रहे थे। यह भी पाया गया कि काफी सम्पादक स्वयं ही उपक्रम के
स्वामी भी थे। कुल 235 प्रश्नावलियां भरवाई गई जिसमें 210 शोध के लिए पूर्ण रूप से
भरी गई व उपयुक्त पाई गई। यह सभी उत्तरदाता वे लोग थे जो कृत्रिम बुद्धिमता के
सॉफ्टवयरों व तकनीकों को अपने समाचारों को संगृहीत करने, संकलन
करने, प्रूफ पढ़ने, अनुवाद करने या छपाई
इत्यादि कार्यों में संलिप्त यंत्रों में प्रयोग करते हैं। प्रश्नावली को भरवाने
के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार, गूगल फॉर्म तथा वीडियो कालिंग
तरीको का प्रयोग किया गया। कुछ अतिरिक्त प्रश्न केवल प्रिंट मीडिया उपक्रमों के
स्वामियों से पूछे गए जो उनकी लाभदायकता से सम्बंधित थे जिसमें यह जानने का प्रयास
किया गया कि एआई के प्रयोग से उनकी लाभदायकता पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसमें कुछ
चौकाने वाले नतीजे पाए गए। उनका यह कहना था कि कृत्रिम बुद्धिमता से जुड़े हुए नए
संयत्र और मशीनें उन्हें अपने व्यवसाय में स्थापित करनी पड़ रही हैं जो कि काफी
महंगी है और लाभदायकता पर इसका विपरीत असर हो रहा है। इसके सिवाए प्रतिस्पर्धा भी
बहुत बढ़ गई है क्योंकि ऑनलाइन समाचार पत्रों की बाढ़ सी आ गई है। इससे अनेक लोगों
को रोजगार तो मिला है, मगर पुराने प्रिंट मीडिया के व्यवसाइयों
की लाभदायकता घटी है।
डेटा विश्लेषण
और परिणाम - शोध के डेटा का
विश्लेषण करने के लिए और शोध की परिकल्पना का मूल्यांकन करने के लिए एस पी एस एस
सॉफ्टवेयर में टी टेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
इस शोध में कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग का उत्तरदाताओं के कार्य निष्पादन
(परफॉरमेंस) पर क्या प्रभाव पड़ा, इसको मापने के लिए पांच मापदंड लिए गए। एस पी एस एस में फैक्टर विश्लेषण
का प्रयोग किया गया जिसने समान माप के चरों को निम्नलिखित पांच मापदंडों में
चिन्हित कर दिया। इन सभी मापदंडों की विश्वसनीयता एस पी एस एस में 0.7 से अधिक आई जो इस बात का परिचायक है कि पाँचों मापदंडों की विश्वसनीयता
सही है।
1. लागत
न्यूनीकरण
2. सुविधा
3. सटीकता
4. गुणवत्ता
में सुधार
5. गति’
यह पांच मापदंड कार्य निष्पादन (परफॉरमेंस) को मापने के आधार माने गए हैं। यह
पाँचों मापदंड उत्तरदाताओं के कार्य के सम्पादन की कार्यक्षमताओं को प्रभावित करते
हैं। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि इन मापदंडों से यह मापा जा सकता है कि
निष्पादन अच्छा हुआ या खराब। प्रश्नावली
में 7 बिंदु लिकर्ट स्केल पर आधारित प्रश्न शामिल थे,
1 "दृढ़ रूप से असहमत" और 7 "दृढ़ता
से सहमत" थे। क्योंकि सात अंक पैमाना लिया गया यदि औसत चार से अधिक आया,
तो माना गया कि असर अनुकूल है और औसत चार से कम आया तो असर प्रतिकूल
है। एक से सात में चार एक तटस्थ अंक है। पांचों मापदंडों को एक एक करके टी टेस्ट
पर एस पी एस एस सॉफ्टवेयर से जांचा गया। यह पाया गया कि पाँचों मापदंडों में
प्रत्येक का औसत चार से अधिक था और टी टेस्ट का परिणाम भी महत्त्वपूर्ण आया।
प्रत्येक शून्य परिकल्पना अस्वीकार की गई। एक एक करके पाँचों मापदंडों में यह पाया
गया कि उत्तरदाताओं का रूझान दृढ़ता से सहमत की तरफ है। इसके उपरान्त मास्टर प्रश्न
को भी जांचा गया और उसके परिणाम भी टी टेस्ट में महत्त्वपूर्ण आये और उसकी शून्य
परिकल्पना भी अस्वीकार हो गई। शोध के सांखिकीय परिणाम जो एस पी एस एस सॉफ्टवेयर के
माध्यम से पाए गए, वह इस प्रकार हैं-
विश्वसनीयता (Reliability)
|
क्रोंबेच अल्फा (Cronbach’s Alpha) |
लागत न्यूनीकरण |
0.873 |
सुविधा |
0.899 |
सटीकता |
0.899 |
गुणवत्ता में सुधार |
0.882 |
गति |
0.886 |
प्रतिदर्श साँख्यिकी (Sample Statistics) |
||||
|
प्रतिदर्शों की संख्या (No. of samples) |
माध्य
(Mean) |
मानक विचलन (Std. Deviation) |
मानक त्रुटि माध्य (Std. Error Mean) |
लागत न्यूनीकरण |
210 |
5.3270 |
.98741 |
.06814 |
सुविधा |
210 |
5.2012 |
1.03309 |
.07129 |
सटीकता |
210 |
5.1952 |
1.00476 |
.06934 |
गुणवत्ता में सुधार |
210 |
5.0595 |
.96903 |
.06687 |
गति |
210 |
5.5417 |
.94609 |
.06529 |
प्रतिदर्श जांच (Sample Test) |
||||||
|
जांच मूल्य (Test Value) = 4 |
|||||
t |
df |
महत्त्वपूर्ण (दो पुच्छल) (Sig.) (2-tailed) |
माध्य अंतर (Mean Difference) |
95 प्रतिशत निश्चय अंतराल पर अंतर (95% Confidence Interval of the Difference) |
||
नीचला (Lower) |
उपरला
(Upper) |
|||||
लागत न्यूनीकरण |
19.475 |
209 |
.000 |
1.32698 |
1.1927 |
19.475 |
सुविधा |
16.849 |
209 |
.000 |
1.20119 |
1.0607 |
16.849 |
सटीकता |
17.239 |
209 |
.000 |
1.19524 |
1.0586 |
17.239 |
गुणवत्ता में सुधार |
15.845 |
209 |
.000 |
1.05952 |
.9277 |
15.845 |
गति |
23.614 |
209 |
.000 |
1.54167 |
1.4130 |
23.614 |
इससे यह तो प्रामाणित हो ही गया कि कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग प्रिंट मीडिया
में कार्य निष्पादन (परफॉरमेंस) में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है और शोध का
प्रथम उद्देश्य यहाँ पर सम्पादित हो गया।
शोध पत्र में सम्मिलित दूसरे उद्देश्य की पूर्ति से सम्बंधित सूचनाएं
उत्तरदाताओं से प्रश्नावली भरवाने की अवधि के दौरान ली गई जानकारी और अनुभवों से
प्राप्त की गई। वार्तालाप के दौरान काफी कुछ अन्य जानकारियां सभी उत्तरदाताओं
जिसमें पत्रकार, सम्पादक तथा
व्यवसाय के स्वामी सम्मिलित हैं, ने प्रदान की। इससे एआई के
लाभ तथा दोषों के बारे में और ज्यादा पता चला और धरातल पर उत्तरदाताओं के अनुभवों
की स्पष्ट तस्वीर देखने को मिली। इस शोध को पूर्ण करने की दिशा में जब प्रिंट
मीडिया में कार्यरत कर्मियों से अथवा अनेक उत्तरदाताओं से संपर्क किया गया,
तो कृत्रिम बुद्धिमता के अच्छे और बुरे दोनों परिणामों से उन्होंने
अवगत कराया। अच्छे रूपों में यह पाया गया कि विज्ञानं की यह खोज प्रिंट मीडिया से
जुड़े हुए उत्तरदाताओं के कार्य को आसान बनाती है। वे तीव्रता से कार्य कर पाते हैं
और सुविधापूर्वक गुणवत्ता के साथ वह अपने कार्यों को सम्पादित कर पाते हैं।
कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग से मीडिया उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। छोटे
-छोटे पत्रकार देश के कोने-कोने से समाचारों को बड़े मंच पर पहुंचाने का कार्य कर
रहे हैं व आर्थिक रूप से लाभान्वित भी हो रहे हैं। मन के किसी कोने में प्रत्येक
पत्रकार को यह महसूस होता है कि वह महत्त्वपूर्ण समाचारों एवं सूचनाओं को भारत
जैसे देश में मोबाइल में उपलब्ध सॉफ्टवेयर के माध्यम से बड़े अखबारों को उपलब्ध करा
रहा है। इसके साथ-साथ यह भी पाया गया कि जो पत्रकार या अन्य पक्षकार इन
सॉफ्टवेयरों का प्रयोग नहीं सीख पा रहे हैं, उनके रोजगारों
के लिए एआई खतरा बन के उभरा है। इसके सिवाए यह भी पाया गया कि प्रिंट मीडिया के
पत्रकार व सम्पादकों का वेतन अन्य उद्योगों की तुलना में बहुत कम है, जिस पर विचार करना अनिवार्य है। परन्तु यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि नए
युवाओं को एआई की मदद से रोजगार के नए अवसर भी मिले हैं जो एआई से जुड़े हुए
सॉटवेयरों और तकनीकों का प्रयोग भी कर सकते हैं।
एआई के प्रयोगो के प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए पक्षकारों में बुरे परिणाम भी
देखने को मिले हैं। हर वक़्त मोबाइल का प्रयोग एक बुरी लत भी बन चुका है और उनका
सामाजिक जीवन विपरीत रूप से प्रभावित हुआ है। मानसिक शांति भी भंग हुई है। मोबाइल
फ़ोन की लत इन पत्रकार बंधुओं और सम्पादकों के स्वास्थ के लिए हानिकारक प्रमाणित हो
रही है। हर वक़्त पत्रकार व सम्पादक कंप्यूटर और मोबाइल से ही चिपके हुए है। उनकी आँखों,
मस्तिष्क और शरीर पर विज्ञान की इस खोज का बुरा असर देखने को मिल
रहा है। यदि वह इससे रोजगार भी कमाते हैं और स्वास्थ को खोते हैं। यह एक चिंतन का
विषय है। स्वास्थ को खोकर कमाया हुआ धन किस काम का?
निष्कर्ष : इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमता का
प्रयोग प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यवसायिक उपक्रमों तथा हितधारकों के लिए लाभकारी है,
क्योंकि यह तीव्रता और सटीक परिणाम प्रदान करता है, जो प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यावसायिक उपक्रमों में रोजगार के
अवसर प्रदान करता है। प्रिंट मीडिया से जुड़े व्यावसायिक संगठनों के लिए यह समझना
अनिवार्य हो गया है कि अब आने वाला समय विश्व में कृत्रिम बुद्धिमता का है,
इसलिए उन्हें प्रौद्योगिकी से भरी प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक दुनिया
में जीवित रहने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता उपकरणों और तकनीकों को अपनाने में ही
भलाई है।
प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए व्यवसायिओं को अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन देना
होगा, क्योंकि अन्य उद्योगों में वेतन के रूप में ज्यादा कमाई होती है, जबकि मीडिया उद्योग उतना अच्छा वेतन नहीं दे
पाती। इसके साथ-साथ पत्रकार और सम्पादक दिन-रात काम करते हैं और अपने स्वास्थ को
ख़राब करते हैं। अतः उनके स्वास्थ पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है। परिवर्तन को अपनाना मनुष्य के लिए बदलते हुए
समय में आवश्यक हो जाता है। सूचना एवं प्रद्योगिकी के क्षेत्र में परिवर्तन निरंतर
जारी है और व्यवसाय को चलाने के लिए इन नये अन्वेक्षणों को उपेक्षित नहीं किया जा
सकता। अतः मीडिया उद्योग को भी कृत्रिम बुद्धिमता के प्रयोग को अपनाना ही होगा,
क्योंकि भविष्य कृत्रिम बुद्धिमता का ही है। व्यावसायिक वातावरण के अध्ययन में यह
कहा जाता है कि वह व्यवसायी लाभ कमाता है जो व्यावसायिक वातावरण में आने वाले
परिवर्तनों को अति शीघ्र धारण कर लेता है। यह निष्कर्ष प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए पक्षकारों के लिए बहुमूल्य
सुझाव प्रमाणित होगा।
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प्रियंका
शर्मा, शोध विधार्थी,
वाणिज्य
विभाग, डी०ऐ०वी०
(पी०जी०) कॉलेज, देहरादून (उत्तराखंड)
pspriyanka.in@gmail.com, 9897804544
डॉ० गुरेन्दर पाल
डंग, सह आचार्य,
वाणिज्य विभाग, डी०ऐ०वी० (पी०जी०) कॉलेज, देहरादून(उत्तराखंड)
gpdang@gmail.com, 9412052846
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)
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