शोध आलेख : सतत विकास लक्ष्य और प्रभावी मीडिया / पूजा रानी

सतत विकास लक्ष्य और प्रभावी मीडिया

- पूजा रानी

 

शोध सार : आजादी के बाद भारत ने मास मीडिया के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है| विशेष रुप से टेलीविजन एवं सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में छवि निर्माण और जागरूकता पैदा करने की क्षमता में मीडिया की शक्ति को  नकारना असंभव है, मीडिया संचार का महत्वपूर्ण साधन होने के साथ ही, यह जनमानस को प्रभावित करने एवं धारणा परिवर्तन की अद्भुत क्षमता रखता है, इसलिए इसे समाज का आईना भी कहा जाता है। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश जहां प्रति सेकंड जनसंख्या बढ़ रही है, यह बढ़ती आबादी पर्यावरण, संस्कृति और समाज पर दबाव को बढ़ावा देगी,इसलिए आवश्यकता है कि प्रत्येक व्यक्ति सतत विकास के प्रभावी मार्ग को अपनाएं। व्यवहार में यह परिवर्तन अपने आप हासिल नहीं होगा,इसके लिए सरकार और समाज की ओर से निरंतर और सचेत प्रयास की जरूरत है,यह सुझाव दिया जाता है कि समाज के सभी वर्गों के सतत विकास के लिए शिक्षा इस व्यवहार परिवर्तन में योगदान दे सकती हैं।मीडिया उत्प्रेरक के रूप में कार्य करके सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में सहयोगी सिद्ध होगा। मीडिया के श्रव्य और दृश्य प्रौद्योगिकी संयोजन की अनूठी विशेषता है कि यह लोगों को सूचना का प्रसारण करके कृषि, पर्यावरण,स्वास्थ्य और स्वच्छता आदि के क्षेत्रों में प्रभावी तरीके से सीखने के लिए प्रेरित करता है। मास मीडिया अभियान जनता के बीच वैज्ञानिक ज्ञान को संप्रेषित करने के लिए अपने विविध स्वरूप जैसे प्रिंट मीडिया, टेलीविजन, रेडियो प्रसारण,सोशल मीडिया, नेटवर्क साइट,ब्लॉग्स एवं वेबसाइट को शामिल करता है। सतत विकास सफलता की कुंजी है, इस डिजिटल युग में वैश्विक स्तर पर प्रिंट और विजुअल मीडिया ने कई सफल सामाजिक अभियान देखे हैं, जिनका लक्ष्य पर्यावरण बचाने, जलवायु परिवर्तन, गरीबी निवारण, पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षासमानता और आर्थिक विकास मे स्थिरता के मुद्दों को शामिल किया है। "मीडिया ने स्वच्छ भारत अभियान,सर्व शिक्षा अभियान जैसे कई सरकारी सहायता और पहल के साथ लोगों को विकास कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है। विभिन्न टीवी चैनलों ने सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों में प्रगति हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईहै।विशेष रूप से मातृ एवं बाल मृत्यु दर को कम करने, एचआईवी एड्स और अन्य बीमारियों से निपटने के लिए "रोकथाम इलाज से बेहतर है" को अपनाने के संदेशों से जागरूकता को बढ़ावा मिला।"1 जिस प्रकार से सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मीडिया ने अपने विविध स्वरूपों से जन जागरूकता को बढ़ावा दिया यह वर्तमान समय में अपनी व्यापक भूमिका से सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी अधिक शक्तिशाली रूप में सहयोग कर सकता है। इसे समाज के मनोरंजन पहलुओं पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने के बजाए विकासात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

 

बीज शब्द : सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य, मीडिया, सूचना प्रौद्योगिकी, सामाजिक अभियान, संप्रेषण ,जन जागरूकता, सतत विकास लक्ष्य।

 

मूल आलेख : प्राचीन भारतीय संस्कृति अपनी वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा के लिए प्रसिद्ध है,जिसमें संसाधनों के संतुलित उपयोग एवं वैश्विक हितों के संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया है,आधुनिक विश्व को औद्योगिक क्रांति से हुई प्रगति ने विकास की अंधाधुंध दौड़ में शामिल कर दिया जहां आर्थिक वृद्धि की कीमत पर्यावरण एवं मानवीय संसाधनों के शोषण से चुकाई गई।

"अंतिम वृक्ष को काट दिए जाने के बाद ....

अंतिम नदी को विषाक्त करने के बाद....

अंतिम मछली पकड़ लिए जाने के बाद....

हम पाएंगे कि पैसे को खाया नहीं जा सकता है।"2

 

सतत विकास की आवश्यकता व्यक्त करती उपरोक्त पंक्तियां संदेश देती है कि अति दोहन से अल्पकालीन समृद्धि प्राप्त करने से बेहतर है दीर्घकालीन सतत विकास को बढ़ावा देना ।यहां यह ध्यान देने योग्य बिंदु है कि यह प्रथम प्रयास नहीं है, जब संपूर्ण विश्व आर्थिक विकास को संपोषणीय वृद्धि के लिए प्रयासरत हुआ हो,"सतत विकास विचार से पहले सहस्राब्दी लक्ष्य निर्धारित किए गए सन् 2000 से 2015 तक एमडीजी के लक्ष्य तय किये गए।"3इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्धारित एसडीजी 2030 ने सहस्त्राब्दी लक्ष्यों का स्थान ले लिया। सतत विकास की संकल्पना का वास्तविक विकास 1987 में हमारा साझा भविष्य जिसे 'ब्रटलैंड रिपोर्ट'के नाम से भी जाना जाता है, के आने के बाद से यह शब्द व्यापक रूप से प्रयोग किया गया। सतत,टिकाउ या संधारणीय  विकास से तात्पर्य विकास के ऐसे स्वरूप से है जो भविष्य की पीढ़ियों के हितों से समझौता किए बिना वर्तमान पीढी की आवश्यकताओं को पूरा करता है।"सततलक्ष्य सभी के लिए बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य प्राप्त करने का खाका है।  गरीबी,असमानता,जलवायु परिवर्तन,पर्यावरण क्षरण,शांति और न्याय सहित हमारे सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करते हैं।"4 मीडिया अथक रूप से कल्पनाशील हर क्षेत्र में नवीनतम समाचारों पर जनता को अप-टू-डेट रखता है। इसलिए, जब सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने की बात आती है, तो मेहनती मीडिया क्या कवरेज  हासिल कर सकता है, इसकी संभावनाएं अनंत हैं।नागरिक समाजों, व्यापारिक समूहों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच संवाद को सुविधाजनक बनाने से लेकर, यह एक महत्वपूर्ण प्रहरी के रूप में कार्य करने तक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किए हुए है।

 

सतत विकास में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका -

संयुक्त राष्ट्र - जिसने 17 एसडीजी की स्थापना की - ने सितंबर 2018 में एसडीजी मीडिया कॉम्पैक्ट का गठन किया। भारतीय मीडिया हाउस एसडीजी मीडिया कॉम्पैक्ट के एक छोटे से अल्पसंख्यक वर्ग अर्थात नगण्य प्रभाव रखते हैं। भारत में मुख्यधारा का मीडिया कुछ  बहुत चर्चित पर्यावरणीय मुद्दों को छोड़कर एसडीजी से पूरी तरह अनभिज्ञ रहा है, जो सुर्खियां बटोरते हैं।  हालांकि, स्वतंत्र मीडिया और पोर्टल, जैसे डाउन टू अर्थ, क्वार्ट्ज, द सीएसआर जर्नल, इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू और बेटर इंडिया, एसडीजी से संबंधित समाचार निर्माताओं और कहानियों की कवरेज का अभूतपूर्व काम कर रहे हैं।  यह कवरेज विशेष रूप से जिम्मेदार व्यवसायों और गैर सरकारी संगठनों के लिए अधिक प्रासंगिक है जो सफल सतत विकास परियोजनाओं के सकारात्मक प्रभाव और पैमाने को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।"वैश्विक लक्ष्यों पर भारतीय उपमहाद्वीप की प्रगति का विशेष महत्व है, न केवल इसलिए कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं, बल्कि इसलिए भी कि एसडीजी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) में शामिल होने के लिए भारत को एक शक्तिशाली ढांचा प्रदान करते हैं।  और भी दिलचस्प बात यह है कि कंपनी अधिनियम की धारा 135 के तहत सीएसआर नीति उसी समय लागू हुई जब एसडीजी का गठन किया गया था।सीएसआर और एसडीजी,भारत में एसडीजी और सीएसआर के विषयगत क्षेत्रों में इतना घनिष्ठ अंतर्संबंध है कि व्यावहारिक रूप से आज हर सीएसआर परियोजना एसडीजीएस के वैश्विक लक्ष्यों में से कम से कम एक के साथ संरेखित है।  जिम्मेदार कंपनियों ने पहले ही वर्ष 2030 के लिए अपने लिए व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित कर लिए हैं, जिन्हें रणनीतिक सीएसआर के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।  कार्बन-न्यूट्रल और वाटर-पॉजिटिव बनने से, पहले यह सुनिश्चित करना कि कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा में पीछे न रहे, कौशल विकास के माध्यम से रोजगार बढ़ाने से लेकर मुफ्त चिकित्सा उपचार के लिए अस्पताल बनाने तक, बहुत सारे सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।"5सतत विकास एक नई जीवनशैली यानी उत्पादक, न्याय संगत और पर्यावरण अनुकूल अपनाने को प्रेरित करता है। विश्व भर में पर्यावरण जागृति को लेकर हो रहे आंदोलनों में भारत जैसे विकासशील देश ने विश्व प्रसिद्ध सामाजिक एवं पर्यावरणीय आंदोलन जैसे  उत्तराखंड में सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा प्रेरित चिपको आंदोलन, श्रीमती मेधा पाटेकर द्वारा प्रेरित नर्मदा बचाओ आंदोलन इत्यादि दिये हैं। हमारी गतिविधियां पर्यावरण को किस हद तक प्रभावित करती है,यह हमारी जीवन शैली पर निर्भर करता है कि हम पर्यावरण के अवक्रमण  या उन्नयन के लिए कैसे योगदान देते हैं, जैसे सड़कों पर कचरा फेंकने की बजाए कचरे को रीसाइक्लिंग करके जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन अपनाना, पानी, बिजली और ईधन का सही उपयोग करके इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन शैली को संतुलित बना कर सतत विकास अवधारणा को वास्तविक  बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। वर्तमान समय में सोशल मीडिया की भूमिका बहुत अहम है,सोशल मीडिया ने एक व्यक्ति को सैकड़ों हजारों अन्य लोगों के साथ संवाद करने में सक्षम बनाया है  चूंकि  सतत विकास एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण है जिसमें व्यक्तियों, समूह, संगठनों,जनता और सरकार की भागीदारी अपेक्षित है जिसमें व्यक्तिगत, स्थानीय या क्षेत्रीय,राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर सरकारें और सोशल मीडिया आपसी सहयोग से इन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहभागी हो सकते हैं।"सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निर्धारित कार्यक्रम तभी सफल हो सकते हैं जब अपनी  पूरी क्षमता के साथ ज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा तथा आबादी को इन्हें हासिल करने के लिए प्रेरित करने में सफलता प्राप्त हो, इसे हासिल करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, ब्लॉग्स, वेबसाइट इत्यादि सहायक साबित हो सकते हैं क्योंकि यह प्लेटफॉर्म्स मुफ्त सीधी कॉल और इंटरएक्टिव सोशल नेटवर्किंग तथा वेबसाइटों पर इंटरएक्टिव मंच के माध्यमसे सूचना और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराते हैं,इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म की पहुंच समाज के प्रत्येक वर्ग एवं व्यक्ति तक होने के कारण सतत विकास लक्ष्य के प्रति जागरूकता लाने में आसानी होगी।6

 

सतत विकास लक्ष्य प्रगति पर कोविड-19 महामारी का कुठाराघात -

इस महामारी ने वैश्विक स्तर पर सतत विकास के तीनों आयामों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है,इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमीर और गरीब देशों के बीच असमानता को बढ़ावा दिया है।एसडीजी लक्ष्य 1 गरीबी के सभी रूपों की दुनिया  से समाप्ति अर्थात् कोई गरीबी नहीं।कई वर्षों के सतत प्रयास से हुई उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद वर्ष 2020 में दुनिया के कई मध्यम और निम्न आय वाले देशों में  गरीबी उल्लेखनीय रूप से बढ़ गई, महामारी ने पिछले 1 साल में अनुमानित 120 मिलियन लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है।

 

एसडीजी लक्ष्य 2 -भूख की समाप्ति ।

खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण तथा टिकाऊ कृषि को बढ़ावा जीरो हंगर यानी भूखमरी के सभी स्वरूपों को खत्म करना के तहत खाद्य उपलब्धि तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना।

 

एसडीजी लक्ष्य 3- अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण ।

कोविड-19 मृत्यु दर बढऩे से जीवन प्रत्याशा में गिरावट दर्ज की गई,जिसमें यूरोप जैसे महाद्वीप के उच्च आर्थिक स्थिति वाले देश भी शामिल है, यह गिरावट दुनिया के सबसे कमजोर राष्ट्र और आर्थिक रूप से कम सक्षम तथा हाशिए पर धकेल दिए गए समुदाय में और भी अधिक है। कई सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट होता है कि महामारी ने अवसाद चिंता मे वृद्धि और आत्मविश्वास में कमी जैसे अल्पकालिक तथा महामारी से जीवित बचे व्यक्तियों में दीर्घकालीन मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।


एसडीजी लक्ष्य 4 -गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

दुनिया के कई हिस्सों में कई महीनों तक स्कूलों के बंद होने से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर तत्काल अल्पकालिक तथा उनके सीखने की क्षमता तथा शिक्षा प्रणालियों पर दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव देखा गया है| भारत जैसे विकासशील देशों में डिजिटल बुनियादी ढांचे तक सीमित पहुंच वाली आबादी के लिए परिस्थितियां और भी विकट है क्योंकि यहां स्कूल बंद होने की भरपाई दूरस्थ शिक्षा द्वारा आंशिक रूप से पूरी नहीं की जा सकती है।

 

एसडीजी लक्ष्य 5-लैंगिक समानता

इसे प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को सशक्त करना

 

एसजी लक्ष्य 6-स्वच्छ जल और स्वच्छता

इस के तहत सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत  प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना

 

एसडीजी लक्ष्य 7-सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा

सस्ती विश्वसनीय एवं टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करने के बुनियादी ढांचे तक पहुंच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

 

एसडीजी लक्ष्य 8-सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास पूर्ण और उत्पादक रोजगार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना I सभ्य कार्य और आर्थिक विकास,वैश्विक मंदी एवं आर्थिक गतिविधियों में गिरावट से वर्ष 2020 में बेरोजगारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।

 

एसडीजी लक्ष्य 9- उद्योग नवाचार और बुनियादी ढांचा।

लचीले बुनियादी ढांचे समावेशी और सतत  औद्योगिकरण को बढ़ावा देना।

 

एसडीजी लक्ष्य 10-अंतरराष्ट्रीय  और राष्ट्रों के अंदर विसंगतियों को कम करना I

 

एसडीजी लक्ष्य 11- सुरक्षित लचीले और टिकाऊ शहर तथा मानव बस्तियों का निर्माण करना। मलिन बस्तियों या भीड़-भाड़ वाली जगहों और वंचित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य सामाजिक और आर्थिक दुष्प्रभाव देखे गए ।

 

एसडीजी लक्ष्य 12- सतत उपभोग और उत्पादन प्रणाली सुनिश्चित करना।

 

"एसडीजी लक्ष्य 13-जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले प्रभाव से निपटने के लिए तत्काल कार्यवाही की योजना बनाना।"7

 

एसडीजी लक्ष्य 14-सतत एवं टिकाऊ विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और जलीय संसाधनों का सरंक्षण एवं उचित उपयोग करना।

 

"एसडीजी लक्ष्य 15-सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों एवं वन संसाधन भूमि क्षरण और जैविक विविधता के अवनयन को रोकने का प्रयास करना।

 

एसडीजी लक्ष्य 16-शांति न्याय और मजबूत संस्थान ।

सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी जिम्मेदार बनाना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सके।"8

 

एसडीजी लक्ष्य 17-लक्ष्यों के लिए साझेदारी।

 

सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना। "महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर राजनीतिक प्रणालियों के कामकाज कानून के शासन और बहू पक्ष वाद को भी चुनौती दी गई महामारी के दौरान कई सुधार योजनाओं एवं कार्यक्रमों को स्थगित करना पड़ा तथा कुछ आपातकालीन निर्देश और विनियम को बिना सामान्य विचार-विमर्श प्रक्रियाओं के लिया गया।"9"विशेष रुप से कोविड-19 वैक्सीन और टीकाकरण तक पहुंच में वैश्विक अंतर देखा गया अप्रैल 2021 तक प्रति व्यक्ति पर वैक्सीन की खुराक और कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति का समर्थन प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त वित्त संसाधनों का लाभ उठाने में विभिन्न देशों की क्षमताओं में काफी विसंगतियां हैं,जहां आर्थिक रूप से समृद्ध देश तथा कुछ मध्यम आय वाले देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक पहुंच रखने के कारण ऋण के माध्यम से अतिरिक्त खर्च को वहन करने में सक्षम है। "10 इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार निजी क्षेत्र एवं नागरिकों को आपसे सहयोग की भावना से कार्य करना होगा। फिर भी, जब तक मीडिया, जनता और अन्य कंपनियों, जो  भविष्य मे ज्ञान से लाभ उठा सकती हैं, दोनों के लिए सर्वोत्तम भूमिका के रूप में कार्य नहीं करती, ये सफलता की कहानियां हकीकत मे नही बदल सकेगी।

 

निष्कर्ष : एसडीजी में भारत के समग्र स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ; "वर्ष 2019 में 60 से वर्ष (2020-21) में 66 तक।  'स्वच्छ पानी और स्वच्छता'और 'सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा'में राष्ट्रव्यापी सुधार हुआ है।"11"भारत सतत विकास लक्ष्यों पर वैश्विक रैंकिंग में सात दक्षिण एशियाई देशों में से पांचवें स्थान पर है।"12"पानी बचाने के लिए बाल्टी से स्नान करना, यांत्रिक साधन प्रयोग की बजाए कपड़ों को धूप से सुखाना  और हाथ से  बर्तन धोने इत्यादि अन्य व्यापक, सतत एवं टिकाऊ तरीके हैं, जो जल एवं ऊर्जा बचत को बढ़ावा देते हैं।"13 भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही  भोजन को बर्बाद करना  वर्जित है, जो हमें जिम्मेदार उपभोग के लक्ष्य तथा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करेगाग्रामीण समुदाय, जो 2011 तक भारतीय आबादी का लगभग 70% हिस्सा थे, प्रकृति के करीब रहते हुए, प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान नहीं पहुंचाते और एक सरल और मितव्ययी जीवन शैली जीना जारी रखते हैं। "वर्तमान समय में केंद्र सरकार द्वारा कुछ फ्लैगशिप योजना और कार्यक्रम जैसे स्वच्छ भारत अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना,प्रधानमंत्री जनधन योजना, दीनदयाल  उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, प्रधानमंत्री उज्वला योजना इत्यादि व्यापक स्तर पर चलाई जा रही हैं| आमजन तक इनका लाभ पहुंचाने के लिए सरकार, मीडिया तथा प्रचार पर बड़ा बजट रखती है।"14

 

मीडिया की पहुंच आमजन तक होने के कारण यह अपने विविध स्वरूपों जैसे प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा अपने सर्वाधिक प्रचलित एवं त्वरित स्वरूप सोशल मीडिया के द्वारा सभी सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी शीघ्रता से एवं प्रमाणिक स्वरूप में पहुंचा सकता है-एसडीजी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, जिसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं: -रिपोर्ट, अध्ययन और इन्फोग्राफिक्स जैसे शैक्षिक संसाधनों का उत्पादन करना;विषयगत चर्चाओं, गोलमेज सम्मेलनों, सेमिनारों, वेबिनार, कार्यशालाओं, सम्मेलनों, वाद-विवादों, और प्रदर्शनियों  जैसे आयोजन या उनमें भाग लेना; "रेडियो का उपयोग - सामुदायिक रेडियो सहित - जो विशेष रूप से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना फैलाने और जागरूकता बढ़ाने का एक शक्तिशाली साधन हो सकता है, टेलीविजन, वीडियो और वृत्तचित्र फिल्म जैसी ऑडियो-विजुअल सामग्री का निर्माण; ऑनलाइन मंचों, याचिकाओं, समूहों और इंटरैक्टिव वेबसाइटों के साथ-साथ फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित इंटरनेट का उपयोग करना; मोबाइल फोन और टेक्स्ट मैसेजिंग जैसे वायरलेस संचार का उपयोग करना, जो समाज में रहने वाले उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जहां सूचना और संघ की स्वतंत्रता  सीमित है।"15 प्रेस विज्ञप्तियों, ब्रीफिंगों, समाचार पत्रों के लेखों और राय के अंशों के माध्यम से मीडिया को शामिल करना और मीडिया अभियानों का संचालन करना, नेटवर्किंग (ऑनलाइन और ऑफलाइन) जिसमें एसडीजी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जानकारी साझा करने और प्रसारित करने के लिए संपर्कों का एक नेटवर्क बनाना और बनाए रखना शामिल हैऔर कला, व्यंग्य, बोलचाल की भाषा, संगीत, नुक्कड़ नाटक और कॉमेडी सहित कला- जो जन जागरूकता और चेतना को बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली साधन हो सकती है।भारतीय मीडिया को बदलाव की मांग को स्वीकार कर गहन चिंतन और मनन से निर्धारित लक्ष्य के लिए कार्य करना होगा  जो आमजन को 2030 के दस्तक देने तक,दुनिया को अधिक समावेशी, न्यायसंगत और टिकाऊ बनाने के लिए प्रेरित कर सके।

 

 संदर्भ:

  1. डॉ. मोहम्मद फरियाद,आरिफ मोईन,दरोलऑफ टेलीविजनचैनल इन अचिविंग सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (मध्यम संशोधन पत्रिका),पेज नंबर 141
  2. पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी दृष्टि क्विकबुक, सप्तम संस्करण,पेज नंबर 270
  3. सिद्धेगौड़ा व्हाय. एस. एंड जगदीश बी.,रोल ऑफ मीडिया इन अचिविंग मिलेनियम डेवलपमेंट गोल
  4. https://sdgs.un.org/
  5. काश्मीनफर्नांडिस,मार्च19,2021,रोलऑफमीडियाइनएडवांसिंगसस्टेनेबलडेवलपमेंटगोल्स
  6. बी.बालास्वामी,रमेशपल्लवी,रोलऑफ़सोशलमीडियाइनप्रमोटिंगसस्टेनेबलडेवलपमेंट
  7. "जलवायु कार्रवाई यह क्यों मायने रखती है" (पीडीएफ)।  संयुक्त राष्ट्र।  11 सितंबर 2020 को लिया गया।
  8. https://www.un.org/
  9. www.ijcrt.orgइंटरनेशनलकॉन्फ्रेंस(आईएसएसएन-2320-2882)पीपलकनेक्टनेटवर्किंगफॉरसस्टेनेबलडेवलपमेंट

10.  'द इंपैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन की एसडीजीइंडिकेटर'बाय सएसआर जर्नल दिसंबर 28, 2021

11.  https://sdgs.un.org/

12.  https://www.researchgate.net

13.  https://www.weforum.org

14.  https://www.indiabudget.gov.in

15.  sdgaccountability.org


पूजा रानी

वार्ड संख्या 7, ग्रा. मु. पो. कलाना, तहसील-भादरा, जिला- हनुमानगढ़, (राज.)पिन कोड -335502,

ps.poojaupadhyay151@gmail.com, 9694204209


 अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) मीडिया-विशेषांक, अंक-40, मार्च  2022 UGC Care Listed Issue

अतिथि सम्पादक-द्वय : डॉ. नीलम राठी एवं डॉ. राज कुमार व्यास, चित्रांकन : सुमन जोशी ( बाँसवाड़ा )

1 टिप्पणियाँ

  1. लेखक ने बहुत ही उम्दा तरीके से अपनी बाते कही हैं। सतत विकास आज कि जरूरत बन गयी है। धरती को स्वस्थ रखना है तो सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना होगा। इस दिशा में सरकार और अन्य लोग मिल कर कर रहे हैं। जिससे लोगों की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके और भविष्य के लोगों को भी इन संसाधनों पर बराबर का हक मिल सके।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने