भारत में वेब पत्रकारिता
का विहंगावलोकन
- मोनू सिंह राजावत व डॉ. अमिता
बीज शब्द : डिजिटल पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, नया मीडिया, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, न्यूज़ अग्ग्रेगेटर।
मूल आलेख :
सूचना क्रांति ने मानव जीवन के हर पक्ष को बदला है चाहे वो सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक क्यों न हो, इन सभी पहलुओं पर सूचना क्रांति का प्रभाव पड़ा है। विश्व में इंटरनेट आगमन के बाद दुनिया में जिस प्रकार से सूचना क्रांति देखने को मिली है वह शायद इस सदी की सबसे प्रमुख घटनाओं में से एक है। सूचना प्रौद्योगिकी ने न सिर्फ संचार को गति दी है बल्कि लोगों को अभिव्यक्ति के नए अवसर भी उपलब्ध करवाएं हैं। इस क्रांति से पत्रकारिता भी इससे अछूती नहीं रह गई है। इससे सूचना और समाचार की दुनिया में वृहद अंतर देखने को मिला है। वास्तव में इस परिवर्तन से पत्रकारिता और समाचार की दुनिया में मौलिक और संरचनात्मक बदलाव हुए हैं। एक प्रकार से इंटरनेट के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने समाचारों के परंपरागत माध्यम (रेडियो, टेलीविज़न, और मुद्रित) से इतर ऑनलाइन यानी कि इंटरनेट पर उपलब्ध करा दिया है। इससे विभिन्न वेबसाईटों के माध्यम से सूचना और समाचार ऑनलाइन प्राप्त होने लगे हैं। यह बदलाव सिर्फ सूचना के नए माध्यम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि परम्परागत सूचना के साधनों के अस्तित्व पर भी सवाल पैदा करता है। पश्चिमी देशों में हुई विभिन्न शोध इस बात के द्योतक हैं कि परम्परागत समाचार माध्यमों जैसे अखबार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन समाचार माध्यमों का तेजी से विकास हुआ है। अमेरिका में 2004 से 2019 के बीच 2100 अख़बारों में गिरावट दर्ज की गयी है (यूनिवर्सिटी,
2018)।
साथ ही यह संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी यह स्थिति उत्पन्न हो रही है जिस वजह से मुद्रित समाचार पत्रों का भविष्य खतरे में देखा जा रहा है। दूसरी ओर
"भारत
में सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 624 मिलियन एवं मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 572 मिलियन हो गयी है। यहां पर औसतन 6 घंटे 36 मिनट तक लोग इंटरनेट का उपयोग करते है। और सोशल मीडिया पर औसतन 2 घंटे 25 मिनट का समय व्यतीत करते हैं। यहां पर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में वार्षिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत यानी कि 44 मिलियन से ज्यादा तथा सोशल मीडिया उयोगकर्ताओं में वार्षिक वृद्धि 31.2 प्रतिशत यानी कि 78 मिलियन से ज्यादा है"
(स्टेटिस्टिक्स, 2021 )। “भारत में 2020 में डिजिटल मीडिया 6.5% की वृद्धि के साथ INR
235 बिलियन तक पहुंच गया और 2023 तक INR 425 बिलियन तक पहुंचने के लिए 22% सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है” (फिक्की, 2021)। इन सब सकारात्मक बदलावों ने भारत में नए मीडिया का भविष्य उज्ज्वल किया है। बड़े-बड़े दिग्गज मीडिया घरानों के साथ ही छोटे शहर का कोई आम व्यक्ति भी इस दौर में प्रकाशक और प्रसारक के तौर पर यह कार्य आसानी से कर पा रहा है। “एक प्रकार से समाचार निर्माण और प्रसार की प्रक्रिया में पारम्परिक समाचार माध्यमों की पकड़ कम हो रही है साथ ही इसमें समाचारों के निर्माण की प्रक्रिया को लोकतान्त्रिक बनाने की भी अपार संभावनाएं हैं” (नारायण & नारायण, 2019)। इस नए माध्यम की पत्रकारिता ने पत्रकारिता पेशे में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं; प्रकाशन से लेकर वितरण तक मूलभूत और संरचनात्मक परिवर्तन हुए हैं। इस नए माध्यम की पत्रकारिता ने देश और महाद्वीपों की सीमाओं को परास्त कर समस्त संसार के लिए संभावनाओं के अवसर उपलबध करायें है। इस माध्यम से कोई भी व्यक्ति दुनियां के किसी भी कोनें में बैठ कर न्यूज वेबसाइट को संचालित कर सकता है जिसे विश्व के किसी भी कोने में आसानी से देखा व पढ़ा जा सकता है।
वेब पत्रकारिता :
वेब पत्रकारिता को ऑनलाइन पत्रकारिता, डिजिटल पत्रकारिता, इंटरनेट पत्रकारिता और साइबर पत्रकारिता के नाम से भी जाना जाता है। यह पत्रकारिता का ऐसा नया रूप है, जहाँ पर सम्पादकीय सामग्री को इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। या सरल शब्दों में कहें तो इंटरनेट के माध्यम से होने वाली पत्रकारिता वेब पत्रकारिता होती है। इस पत्रकारिता की प्रमुख विशेषताएं; संवादात्मक (इंटरेक्टिविटी), बहुपद (मल्टीमेडिअलिटी),
अतिपाठ्यता (ह्यपरटेक्सटुअलिटी) और तात्कालिकता (इम्मेडिअसी) है। इसमें विशेष रूप से परस्पर संवाद, प्रेरित करने की क्षमता, कनेक्टिविटी, अभिसरण एवं गतिशीलता ही इसे पारम्परिक पत्रकारिता से अलग करती है।
परिभाषा :
ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी ऑफ़ जर्नलिज्म (हारकप) के अनुसार वेब पत्रकारिता -
वेब पत्रकारिता में वो विभिन्न प्रकार के समाचार शामिल हैं, जो विभिन्न वेबसाइटों, सोशल मीडिया, आरएसएस चैनलों, ईमेल, न्यूज़लेटर्स और ऑनलाइन पत्रकारिता के अन्य रूपों के माध्यम से प्रसारित होते हैं।
होल्ली के अनुसार ऑनलाइन पत्रकारिता -
मूल लेखन और रिपोर्टिंग जो वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से दिया जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथर्न कैलिफ़ोर्निया के अनुसार डिजिटल पत्रकारिता -
वह न्यूज़ विषयवस्तु जो इंटरनेट के माध्यम से निर्मित अथवा/ और प्रसारित किया जाता है, विशेषतौर पर वह विषयवस्तु जो मुख्यधारा में काम कर रहे पत्रकारों द्वारा निर्मित किया गया हो, ऑनलाइन पत्रकारिता कहलाता है।
विशेषताएঁ :
“सिलिकॉन वैली के वरिष्ठ पत्रकार डिग मिलसन का कहना है कि- ऑनलाइन मीडिया यानी कि ऑनलाइन की जाने वाली पत्रकारिता। इन्होंने ऑनलाइन पत्रकारिता की कुछ खूबियां भी बताई है। जो निम्नानुसार हैं -
रियल टाइम : यानी कि समाचार उसी समय प्रकाशित और प्रसारित किये जा सकते हैं। वेब पत्रकार कोई भी घटना घटित होने के तुरंत बाद समाचार को अपडेट कर सकता है।
शिफ्टेड टाइम : ऑनलाइन प्रकाशित किये गए कंटेंट को आसानी से बाद में पढ़ने के लिए रखा जा सकता है।
मल्टीमीडिया : डिजिटल पत्रकार तस्वीर, संगीत, आवाज़ और वीडियो आदि को अपनी खबर के साथ जोड़ सकता है।
अंतरक्रियाशीलता : ऑनलाइन पत्रकार अपनी ख़बरों में हाइपरलिंक लगा सकता है। ये लिंक उस विषय से सम्बंधित जानकारी तक लेकर जाते हैं। इसके साथ ही पाठक प्रकाशित विषय वस्तु पर त्वरित प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं। वे ईमेल ,कमेंट और चर्चा के माध्यम से अपनी राय रख सकते है” (विश्वविद्यालय,
2015 )।
एक प्रकार से ऑनलाइन पत्रकारिता की मदद से अखबारों की पहुँच वैश्विक हो गई है। यहां पर मुद्रित माध्यम की तरह स्थान का कोई अभाव नहीं है, हाइपरलिंक की मदद से पाठक ऑडियो, वीडियो, ग्राफ़िक्स आदि का लाभ एक साथ ले सकते हैं। यह नए प्रकार की पत्रकारिता की प्रमुख विशेषता संवादात्मकता है, इसमें परम्परागत मीडिया की तरह सिर्फ संदेशों को लोगों तक पहुंचाकर अपना कार्य पूर्ण नहीं किया जाता हैं, बल्कि यहां पर पाठकों की प्रतिक्रिया समाचारों के चयन और निर्माण में अहम भूमिका अदा करती है।
एक प्रकार से “ऑनलाइन पत्रकारिता ने ख़बरों और सूचनाओं को प्रसारित करने के नए आउटलेट दिए है। यहां हर व्यक्ति जिसके पास कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल फ़ोन है वो प्रकाशक हो सकता है, लेखक और प्रसारक भी। लोग इंटरनेट पर हर मामले में अपनी राय व्यक्त कर सकते है“(जोशी & जोशी, 2015)।
वेब पत्रकारिता का इतिहास और विकास :
जब इंटरनेट 1989 में पहली बार आम लोगों के लिए खोल दिया गया तो उसके साथ ही इसके प्रयोग को अन्य कार्यों के लिए भी देखा जाने लगा। इसके एक वर्ष पश्चात् 1990 में टीम बर्न्स ली द्वारा वर्ल्ड वाइड वेब के आविष्कार ने इंटरनेट को नए आयाम प्रदान किये। इन्ही क्षत्रों में पत्रकारिता का प्रयोग किया गया। सर्वप्रथम वेब पत्रकारिता की उत्पत्ति यूनाइटेड किंगडम में वर्ष 1970 में टेलीटेक्स्ट के आविष्कार के साथ मानी जाती है। यह टेलीटेक्स्ट नामक प्रणाली उपयोगकर्ताओं को यह चुनने की अनुमति देती है कि वे कौन सी खबरें पढ़ना चाहते हैं, लेकिन कई कमियों की वजह से यह उतनी लाभकारी नहीं रही, लेकिन इसने पत्रकारिता के नए रूप की नींव तो रख ही दी थी, इसके उपरांत वीडियोटेक्स्ट भी सामने आया था। लेकिन मूल रूप से इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत 1993 से 2002 के बीच मानी जाती है, जब इंटरनेट तकनीकी के क्षेत्र में नई वेब भाषा- एचटीएमल, ईमेल, इंटरनेट एक्स्प्लोरर, और नेटस्केप नामक ब्राउज़र आदि का आगमन हुआ। वर्ष 1993 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ़्लोरिया में पत्रकारिता पर पहली वेबसाइट प्रारम्भ की गयी थी, लेकिन वेब पत्रकारिता के इतिहास में महत्वपूर्ण दिन 8 दिसंबर को माना जाता है, जब न्यूयोर्क टाइम्स ने इंटरनेट पर पहले लेख को प्रकाशित किया, वैसे तो नियमित रूप से नेट पर प्रकाशित होने वाले अखबार पालोआल्टो ने अपना न्यूज़ कंटेंट सप्ताह में दो बार नेट पर डालकर इस क्षेत्र में नियमित अखबार की शुरुआत करके मार्ग प्रशस्त किया। उसके उपरांत धीरे- धीरे अमेरिका के बड़े-बड़े मीडिया समूह जैसे- न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, सीएनएन, बीबीसी आदि ने इस नए माध्यम की खूबियों को समझकर अपने ऑनलाइन संस्करण शुरू किए। इसके पश्चात् जिन देशों में इंटरनेट की पहुँच लोगों तक होने लगी वहाँ पर इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत देखने को मिलती है।
वहीं भारत में 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड ने इंटरनेट आम लोगों के लिए शुरू किया। इसी वर्ष “भारत में वेब पत्रकारिता की शुरुआत ‘द हिंदू' नामक समाचार पत्र के इंटरनेट संस्करण के आगमन से मानी जाती है। इसके तीन वर्षों के भीतर, 1998
तक, लगभग 48 समाचार पत्र ऑनलाइन हो गए थे” (भारती,
2019)।
हिंदी में वेब पत्रकारिता की शुरुआत मध्यप्रदेश से निकलने वाले अखबार नई दुनिया अखबार की वेबसाइट वेबदुनिया से मानी जाती है। इसके आलावा धीरे-धीरे हिंदी भाषा के अन्य समाचार पत्र- दैनिक जागरण (17 जनवरी
1997),दैनिक भास्कर (4 मार्च 1997),
राजस्थान पत्रिका(19 फरवरी 1998),
अमर उजाला (24 जुलाई 1998),
प्रभात खबर (7 फरवरी 2000)
नवभारत टाइम्स, जनसत्ता आदि ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन दुनिया के बाजार में कदम रखा। ऐसे ही एक स्वतंत्र ऑनलाइन समाचार पत्र प्रभासाक्षी अस्तित्व में आया जिसका पहले कोई मुद्रित वर्जन नहीं था । वैसे तो “आरम्भ में अख़बारों की इंटरनेट से जुड़ने के गति बहुत धीमी थी। वर्ष 2006 तक विभिन्न भाषाओँ के सिर्फ 114 समाचारपत्र ही ऑनलाइन उपलब्ध हो पाए थे” (मिश्र, 2020), लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न बदलावों से इस माध्यम के विकास और विस्तार में अभूत्तपृर्व वृद्धि देखने को मिली है। स्क्रॉल डॉट इन, फर्स्ट पोस्ट डॉट कॉम, रीडिफ़ डॉट कॉम, तहलका डॉट कॉम, दी प्रिंट, दी क्विंट आदि कई पोर्टल शुरू हुए जो स्वतंत्र रूप से और सहयोगी रूप से विभिन्न संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे हैं, इनमें से बहुत सारी वेबसाइटें अपनी प्रस्तुति और तरीके की वजह से देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में देखी, पढ़ी और सराही जा रही हैं।
वेब पत्रकारिता का विनियमन :
ऑनलाइन पत्रकारिता के विनियमन के लिए विश्व के कई देशों में अलग-अलग संस्थाएं कार्यरत है। भारत में पत्र-पत्रिकाओं को शुरू करने के लिए आरएनआई (रजिस्ट्रार न्यूज़ पेपर ऑफ़ इंडिया) से पंजीकरण कराना होता है, वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शुरू करने के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है। लेकिन डिजिटल मीडिया न्यूज़ प्लेटफार्म के लिए देश में अभी तक कोई ऐसी प्रक्रिया उपलब्ध नहीं है। जिस वजह से डिजिटल मिडिया का विनियमन भारत सरकार के लिए एक चुनौती भी है, फिर भी सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम के तहत डिजिटल मिडिया के दिशा निर्देश जारी किये गये है। सूचना प्राद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना मंत्रालय द्वारा जारी नियम है। जिसमें डिजिटल न्यूज माध्यमों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफार्म्स के लिए बनाई गयी श्रेणियों के अनुसार इनको प्रेस परिषद के प्रेस परिषद एक्ट, 1978
के पत्रकारिता आचरण के मानदंड और केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
की धारा 5 के अधीन कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा। इसके अलावा इस नियम के तहत ऐसी कोई भी सामग्री जो किसी भी कानून के तहत अभी प्रतिबंधित है, उसे प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया सकता। साथ ही इसमें ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स के लिए भी दिशा निर्देश दिए गए है, जिसमे न्यूज़ प्लेटफार्मों को अपने पोर्टल पर शिकायत अधिकारी को निवारण के लिए रखना होगा। इसके अलवा भारत सरकार द्वारा पंजीकृत सेल्फ रेगुलेटरी संस्थाएं भी शिकायत निवारण का काम करेंगी, जिसमें एनबीफ़- प्रोफेशनल न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, वेब जर्नलिस्ट्स स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑनलाइन मीडिया- इंडियन डिजिटल पब्लिशर्स कंटेंट ग्रीवांस कॉउन्सिल आदि हैं। इसके आलावा यदि शिकायत इनके द्वारा हल नहीं होती है, तो वह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन भेजी जा सकती है।
समस्याएঁ और चुनौतियाঁ:
भारत में लगभग आधी आबादी इंटरनेट से अभी भी दूर है। जिस वजह से समाज में अभी भी डिजिटल विभाजन की समस्या व्याप्त है। इसके आलावा देश भर में उच्च स्तर की इंटरनेट निरक्षरता भी एक प्रमुख बाधा है। इसके इतर “वेब पत्रकारिता में सबसे बड़ा सवाल विश्वसनीयता को लेकर भी है। आज लोगों को इतनी जगहों से समाचार मिल रहे हैं कि लोगों के लिए समाचारों की विश्वसनीयता एक बड़ा मुद्दा है, यह वेब पत्रकारिता के लिए भी एक बड़ी चुनौती है” (जैन,
2016)।
ऑनलाइन न्यूज़ उपयोगकर्ताओं की निजता और गोपनीयता पर भी प्रश्न चिह्न उठता रहता है। क्योंकि किसी भी वेबसाइट को लॉगइन करने के बाद कूकीज वेब ब्रोजर डायरेक्टरी में संचित हो सकता है, इसलिए यह अपराधियों को जासूसी करने के लिए निजी जानकारी का खजाना भी हो सकता है, या निजी जानकारी को कुछ चुनिंदा हाथों में भी दिया जा सकता है। हालाँकि “अधिकांश न्यूज़ वेब साइटें जिनमें न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल शामिल हैं जो नो कूकीज नो एक्सेस नीति पर जोर देती हैं, उनके अनुसार कुकी जानकारी का उपयोग केवल अग्ग्रेगेटर में किया जाता है और अन्य कंपनियों को नहीं बेचा जाएगा” (ओह, 2016) । इसके अलावा वेब पत्रकारों के समक्ष तकनीकी ज्ञान की भी चुनौती है।
डिजिटल मीडिया की तात्कालिकता के कारण सूचनाएं चंद सेकंड में फ़ैल जाती हैं, इसी का लाभ उठाकर राजनैतिक सन्दर्भ में “ऑनलाइन मीडिया अभियानों का उपयोग जानबूझकर पक्षपाती या गलत जानकारी द्वारा जनता के वर्ग को गुमराह करने के उद्देश्य से व्यक्ति विशेष के खिलाफ घृणात्मक अभियानों तथा व्यक्तिगत हमलों द्वारा, खासतौर पर राजनीतिक सन्दर्भ में, लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाने के उदेश्य से किया जाता है” (राय, 2018 )। वास्तव में डिजिटल मीडिया का दुर्भावनापूर्ण उपयोग व्यक्ति विशेष की छवि को धूमिल करने के लिए बहुतायत में किया जा रहा है ।
इसके साथ ही नव माध्यमों पर खासतौर पर “पारंपरिक मीडिया के विज्ञापनों की तुलना में कम आय अर्जित करने वाले ऑनलाइन विज्ञापनों के बारे में चिंता; पारंपरिक पत्रकारिता संस्कृति और पत्रकारों के दृष्टिकोण; पत्रकारों के मल्टीमीडिया कौशल के लिए पारिश्रमिक की कमी और अभिसरण के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और तकनीकी संसाधनों में दुर्लभ संगठनात्मक निवेश” (मिश्रा, 2016) भी शामिल है।
वेब पत्रकारिता में कॉपीराइट यानी कि साहित्यिक चोरी भी एक प्रमुख चुनौती है, कई वेबसाइटें दूसरे की सामग्री को लेकर उसमे थोड़ा बहुत बदलाव करके उसे अपनी वेबसाइट पर लगा देती हैं। इसके अलावा गैर प्रशिक्षित लोग भी पत्रकारिता करने लगे है, जिस वजह से पत्रकारीय गुणों पर भी सवाल उठता रहता है। मूल रूप से कहें तो वेब पत्रकारिता में समाचार मूल्यों, समाचार की योग्यता, विश्वसनीयता, व्यक्तिगत गोपनीयता, नैतिक मानक, ख़बरों को सनसनीखेज बनाने आदि पर भी प्रश्न चिह्न उठता रहता है।
भारत में वेब पत्रकारिता की संभावनाएঁ :
“वर्ष 2020 में भारत में 749 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता थे। यह आंकड़ा 2040 तक 1.5 बिलियन से अधिक तक बढ़ने का अनुमान है। भारत वर्ष 2019 तक दुनिया भर में सबसे बड़े ऑनलाइन बाजार के रूप में चीन के बाद दूसरे स्थान पर था। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि का अनुमान लगाया गया था, जो इंटरनेट तक पहुंच में गतिशील वृद्धि का संकेत देता है” (कीलेरी, नंबर ऑफ़ इंटरनेट यूजर्स इन इंडिया 2010-2040, विथ एस्टिमेट्स अंटिल 2040, 2021)। जिस तेजी से इंटरनेट की पहुंच लोगों तक हो रही है उसी तेजी से देश भर में डिजिटल मीडिया उपभोग भी बढ़ रहा है। इस समय देशभर में कई गुणा वेबसाइट और कई गुणा वेब पेज अस्तित्व में आ गए हैं। यूट्यूब चैनल से लेकर ब्लॉग आदि पर लोग समाचार सामग्री और मुद्दों पर अपनी कलम चला रहें हैं। छोटे समूह से लेकर बड़े-बड़े मीडिया समूह ऑनलाइन पत्रकारिता के बाजार में आ गए है। जैसे- जैसे यह दशक विकसित हो रहा है, ऑनलाइन पत्रकारिता अपने विस्तार और तकनीकी में मजबूत होती जा रही है। कई महत्त्वपूर्ण शोधें भारत में वेब पत्रकारिता के उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती हैं, हाल ही में “इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की स्टडी के अनुसार, देश में डिजिटल ऐड मार्केट करीब 33.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। जबकि मुद्रित, इलेक्ट्रॉनिक और रेडियो की ऐड ग्रोथ रेट क्रमश: 8.6 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 16.9 प्रतिशत तक ही रहने का अनुमान है। जाहिर है आगे भी वेब पत्रकारिता में संभावनाएं बहुत हैं। यही कारण है कि आज कोई भी प्रमुख अखबार हो या फिर न्यूज चैनल हो, उनका अपना वेब एडिशन है” (कुमार,
2021)।
निष्कर्ष:
आज सूचना प्राद्यौगिकी के दौर में वेब संस्करण चलाने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है, इससे भविष्य में प्रत्येक पत्र-पत्रिका के ऑनलाइन होने की उम्मीद है साथ ही स्वतंत्र न्यूज पोर्टलों की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत में मोबाइल तकनीकी और फोन सेवा प्रदान करने वाले टेलिकॉम ऑप्रेटर भी इसके प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, सस्ते स्मार्टफोन, सस्ते इंटरनेट डाटा पैक लोगों को इंटेरनेट से जोड़ने में राह आसान बना रहे हैं। सोशल मीडिया, मोबाइल ऍप्लिकेशन्स, वेब साइट आदि के जरिये लोग देश-दुनिया की ख़बरों को उँगलियों के चंद इशारे पर पा रहे हैं, लेकिन इन लाभों के साथ ही डिजिटल विभाजन, इण्टरनेट निरक्षरता, जैसी प्रमुख चनौतियों से भी वेब पत्रकारिता को गुजरना पड़ रहा है, साथ ही इससे उत्पन्न हुई फेक न्यूज, मिस इन्फार्मेशन और डिस इन्फॉरर्मेशन आदि को भी प्रमुख चिन्ता के रुप में देखा जा रहा है। वास्तव में वेब पत्रकारिता ने सूचना का लोकतंत्रीकरण तो किया ही है साथ ही इससे कई समस्याऐं भी उभरी है। इन सब को ध्यान में रखकर भारत सरकार द्वारा जारी सूचना एवं प्रौद्योगिकी नियम 2021, ऐसी ही सकारात्मक पहल है जिसमें डिजिटल मिडिया के लिए आचार संहिता और दिशा निर्देश दिये गए हैं।
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मोनू सिंह राजावत
पीएचडी स्कॉलर, पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
सम्पर्क : monusinghrajawat8878@gmail.com,
7318135983
डॉ. अमिता
असिस्टेंट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
सम्पर्क : amita.journalism@bhu.ac.in, 8299037177
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) मीडिया-विशेषांक, अंक-40, मार्च 2022 UGC Care Listed Issue
अतिथि सम्पादक-द्वय : डॉ. नीलम राठी एवं डॉ. राज कुमार व्यास, चित्रांकन : सुमन जोशी ( बाँसवाड़ा )
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