शोध आलेख : मनोरंजक जनमाध्यम के रूप में ओटीटी प्लेटफार्म की स्वीकार्यता में कोरोना-काल की भूमिका
(मनोरंजन हेतु OTT प्लेटफार्म की बढ़ती लोकप्रियता के विशेष संदर्भ में)
- कुमार मौसम व प्रो. प्रशांत कुमार
शोध सार : साल 2019 में आए कोरोना महामारी से समूचा विश्व आज भी नहीं उबर पाया है। अब तक इस महामारी से जितनी मौते हुई है उसने इसे मानव इतिहास का सबसे खतरनाक महामारी साबित कर दिया है। कोरोना नें न सिर्फ मानव जाति के आज को, बल्कि आने वाले भविष्य को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। कोरोना के इन्ही विपरीत परिस्थितियों के बीच कुछ लोगों नें जरुरतवश तो कुछ नें मजबूरन नए इनोवेशन और नयी व्यवस्था को स्वीकार किया है। चाहे वो क्लासरूम एजुकेशन से ऑनलाइन एजुकेशन की तरफ रुख करना हो या मनोरंजन के लिए टीवी/सिनेमा से ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म जैसे ऑनलाइन माध्यमों की तरफ बढ़ना। यह शोध पत्र मनोरंजक जनमाध्यम के रूप में OTT प्लेटफार्म की स्वीकार्यता में कोरोनाकाल की भूमिका की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पड़ताल करता है।
बीज शब्द : ओटीटी प्लेटफार्म, कोरोनाकाल, लॉकडाउन।
मूल आलेख : कोविड-19 या कोरोना एक ऐसी वैश्विक महामारी के रूप में हम सबके सामने
आयाजिसने समूची दुनिया को अपने-अपने घरों में नज़रबंद रहने के लिए अभिशप्त कर दिया।
इस महामारी को अगर मानव सभ्यता की अब-तक की सबसे बड़ी त्रासदी कहें तो कोई
अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस दौरान मानों पूरी दुनिया थम सी गयी थी।लोगों को घरों से
निकलने की सख्त मनाही थी। परिणामस्वरूप न सिर्फ लोगों की जीवनशैली बदली, बल्कि
लोगों के मीडिया उपभोग करने के तरीकों पर भी असर पड़ा। मानव सभ्यता के ऐसे
संकटकालीन दौर में जहाँ एक तरफ इंसानी मेल-जोल तो दूर, उनकी साँस पर भी पहरा लग
गया था,
तो
दूसरी तरफ सम्पूर्ण लॉकडाउन के कारण मनोरंजन के तंत्र भी सुषुप्तावस्था में चले गए
थे। टेलीविजन पर नए कॉन्टेंट की कमी साफ़ दिखने लगी थी। रामायण और महाभारत के रिपीट
टेलीकास्ट दूरदर्शन के टीआरपी का नया अध्याय लिख रहे थे। इसी अवधि में मनोरंजन के
लिए ओटीटी प्लेटफार्म को अपनाने की एक निर्विवाद प्रवृत्ति सामने आई जिसने ओटीटी
प्लेटफार्म की पॉपुलैरिटी का एक नया आयाम स्थापित किया। कई रिपोर्टें हैं जो ओटीटी
प्लेटफार्मों पर उपलब्ध सामग्री के बढ़ते बाजार और उनके प्रति उपभोक्ताओं के
दिलचस्पी की ओर इशारा करते हैं। लॉकडाउन के दौरान जब परिवार के सभी सदस्य को अपनी
रूचि और जरुरत के अनुसार मनोरंजन की आवश्यकता होती थी, तब ओटीटी प्लेटफार्म उन्हें
अपनी पसंद के कॉन्टेंट देखने, उसे आसानी से कहीं भी ब्राउज करने, डिवाइस/ माध्यमों की पसंद (मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट या टीवी स्क्रीन) की आज़ादी
प्रदान करता है।
इस अध्ययन के द्वारा भारत में ओटीटी प्लेटफार्म के विकास का अध्ययन
और उसकी बढ़ती पॉपुलैरिटी की समीक्षा की गयी है। साथ ही भारत में कोरोना पूर्व और
कोरोना पश्चात् इस माध्यम में दर्शकों की बढ़ती दिलचस्पी के बारे में अंतर्निहित
रुझानों को भी साझा किया है।
ओटीटी प्लेटफार्म - ओवर द टॉप मीडिया सेवा एक स्ट्रीमिंग मीडिया सेवा है जो दर्शकों को
सीधे इन्टरनेट के माध्यम से मनोरंजन/ सूचना सेवा प्रदान करता है। इसमें
कार्यक्रमों को OTT केबल प्रसारण और उपग्रह टेलीविजन प्लेटफार्मों को बायपास कर
दर्शकों तक पहुँचाता है। भारत में मौजूदा समय में 40 छोटे-बड़े OTT प्लेटफार्म हैंजो आए दिन एक से एक
बेहतरीन कार्यक्रमों के माध्यम से हमारा मनोरंजन करने में लगे हुए हैं। भारत में TVF, ALT बालाजी, VOOT, अमेज़न प्राइम, ZEE5 और नेटफ्लिक्स इत्यादि OTT प्लेटफार्म के क्षेत्र में कुछ
चर्चित नाम हैं।
कोरोनाकाल - कोरोना वायरस नामक वैश्विक महामारी की शुरुआत एक नए किस्म के
कोरोनवायरस के संक्रमण के रूप में मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई। जहाँ
बहुत से लोगों को बिना किसी कारण निमोनिया होने लगा और यह देखा गया कि पीड़ित
लोगों में से अधिकतर लोग वुहान सी फूड मार्केट में मछलियाँ बेचते हैं तथा जीवित
पशुओं का भी व्यापर करते हैं। जिसे बाद में चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस की एक
नई नस्ल का प्रभाव बताया। (PrabhatKhabar Digital Desk, 2020)
इस महामारी के पहले संदिग्ध मामले की सूचना 31 दिसंबर 2019 को WHO को दिया गया। भारत में इसका
व्यापक असर 30
जनवरी
तक दिखना आरंभ हो गया था। ये वो दौर था जब न तो लोगों को और न ही सरकार को समझ आ
रहा था कि वो इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए कौन से कदम उठाए। क्योंकि उस
वक़्त तक न तो इसके बारें में कोई ज्यादा वैज्ञानिक जानकारी थी न ही इससे बचने के
कोई बेहतर उपाय। नतीजतन जिन लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण के संकेत और लक्षण
दिखाई दिए,
उन्हें
अन्यों से अलग कर दिया गया। संभावित रूप से संक्रमित व्यक्तियों के साथ संपर्क में
आने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों सहित अन्य लोगों की निगरानी की गई थी।
कोरोना की शुरुआत होने से यह वायरस रूप बदल-बदलकर लोगों की
जिंदगियों के लिए खतरा पैदा करता रहा है। इसके पहले दुनिया अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा की शक्ल में इस बहरूपिये
वायरस का सामना कर चुकी है।अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और अब ओमीक्रॉन। सुनने में ये मैथ्स या फिजिक्स के कोई
टर्म जैसे लगते हैं। हालांकि ये कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट हैं। इन वेरिएंट में कई
ऐसी चीजें हैं जो इन्हें एक-दूसरे से अलग करती हैं। वायरस के म्यूटेशन के कारण
इस तरह के अलग-अलग प्रकार सामने आए हैं।
कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया। यह
अक्टूबर,2020 में ट्रेस किया गया था। इसे B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है। इसे
दुनियाभर में कोरोना का सबसे अधिक संक्रामक वेरिएंट माना जाता है। हालांकि इसकी
इंसानी जान लेने की क्षमता को लेकर अभी तक कोई दावा नहीं किया गया है। यूएस सेंटर
फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 3
जुलाई को डेल्टा वेरिएंट के अमेरिका में 51.7 फीसदी मामले आए थे। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसारजून के मध्य
तक ब्रिटेन में कुल कोरोना संक्रमण में डेल्टा वेरिएंट की हिस्सेदारी 99 फीसदी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन
की रिपोर्ट है कि 100 देशों में डेल्टा वेरिएंट का पता चला है।
भारत समेत पूरा विश्व इस वक़्त कोरोना की तीसरी लहर से गुजर रहा है
जिसकी वजह कोरोना का नवीनतम वेरिएंट ओमीक्रॉन है। इससे कई बड़े देश प्रभावित हो रहे
हैं। 26 नवंबर को विश्व स्वास्थ्य
संगठन (WHO)
ने
इस वेरिएंट को ओमीक्रॉन नाम दिया है। इसका साइंटिफिक नेम B.1.1.529 है। इसके बारे में अध्ययन जारी
हैं। हालांकि कोरोना के इस वेरिएंट को काफी ज्यादा इंफेक्शियस बताया जा रहा है।
एम्स दिल्ली में कोविड टास्क फोर्स के चेयरपर्सन डॉक्टर नवीत विग के अनुसार, “नया वेरिएंट ज्यादा ट्रांसमिसबल
है। यानी यह अधिक तेजी से फैलता है। इम्यूनिटी से लड़ने में यह ज्यादा कुशल है।” (नवभारतटाइम्स.कॉम, 2021)
लॉकडाउन - लॉकडाउन वो स्थिति है जब घर से बाहर और अन्दर आने-जाने को
प्रतिबन्धित कर दिया जाए। भारत में लॉकडाउन की शुरुआत 21 मार्च को हुई थी। 24 मार्च से उड़ानें, ट्रेनें, सार्वजनिक बसें, मेट्रो प्रणाली और लंबी दूरी के
ट्रेनों को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिए गया। बड़े पैमाने पर एकत्रीकरण और
समूह में पर्यटन को भी निलंबित कर दिया गया। सारे रेलवे स्टेशनों को बंद कर दिया
और सभी नौका परिचालन को निलंबित कर दिया। सहज भाषा में कहें तो कोरोना वायरस ने
भारत ही नहीं, समूचे विश्व में एक अदृश्य ताला सा लगा दिया था। लॉकडाउन के चलते
फैक्ट्रियां बंद हो गई, लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं, अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ गया
था। लेकिन अब टेस्ट करने पर जोर और टीकाकरण को बढ़ावा देकर धीरे-धीरे भारत इस लड़ाई
में जीत की तरफ़ बढ़ रहा है।
साहित्य पुनरावलोकन -
- अपनी
वेब सीरीज़ के लिए ऑडियंस कैसे बनाएं: मार्केट, मोटिवेट एंड मोबिलाइज़ के
अंतर्गत, (इस पत्र में वेब श्रृंखला के
लिए दर्शकों को कैसे गढ़ा जाए?
कैसे
उनके लिए बाज़ार तैयार किया जाए और उनकी रुचियों को ध्यान में रखते हुए कैसे
इस नव माध्यम का प्रसार किया जाए, इस पर अनुसंधानात्मक दृष्टि डाली गयी है।
यह दर्शकों को वेब श्रृंखला और वेबसाइटों की तरफ आकर्षित करने के लिए
व्यावहारिक सलाह और रणनीति प्रदान करता है। साथ ही दर्शकों की रुचि को टटोलने
और उसके अनुरूप कार्यक्रम बनाने के लिए प्रेरित करता है। ये पत्र इस बात की
चिंता भी ज़ाहिर करता है की अभी इस क्षेत्र में अनुभवी और पेशेवर लोगों की
काफ़ी कमी है।),
जूली
गिल्स. मई 2011
- वेब
टेलीविजन, वेबसीरीज और वेबकास्टिंग संगठन
में केस स्टडीज और ऑनलाइन उत्पादित टेलीविजन-स्टाइल कंटेंट का वितरण(चाहे एक निर्माता का शो
टेलीविजन पर या सिनेमाघरों में प्रसारित किया गया हो। वेब कंटेंट के दायरे
में आते ही वो व्यवसायिकता के पैमाने पर फिसड्डी साबित हो जाता है। ये शोध
पत्र वेब टेलिविजन,
वेब
सीरीज और वेब कास्टिंग संगठन में केस स्टडी और ऑनलाइन उत्पादित टेलीविजन शैली
की सामग्री के वितरण और उनकी व्यावसायिक पक्ष पर वैज्ञानिक दृष्टि डाली गयी
है।), मजेक डी, 2012.
3.
युवाओं के बीच वेब
श्रृंखला के लोकप्रियता का अध्ययन. भारतीय वेब श्रृंखला ALT बालाजी के विशेष सन्दर्भ में (बीते कुछ सालों पर गौर करें तो
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज ने धमाल मचा दिया है। इसकी एक बड़ी वजह ये है कि अब
कहानियों के साथ नए-नए प्रयोग हो रहे है और नए कंटेट ने दर्शकों को विकल्प दिया
है। टीवी से अलग यहां सास-बहू का घिसा-पिटा ड्रामा नहीं है और ना ही लंबे-लंबे
ब्रेक। टीवी चैनलों की बात करें या फिल्मों की कहानी अक्सर एक ही विषय के
इर्द-गिर्द कहानी घूमती रहती है जबकि वेब सीरीज में कंटेट सबसे बड़ा हथियार है।
यहां प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को बोल्ड कंटेट से लेकर कई ऐसे मुद्दों पर सीरीज बनानी
की छूट होती है जिन्हें फिल्मों या सीरियल्स में आमतौर पर नहीं दिखाया जाता। खासकर
ये युवाओं के लिए एक बेहतर माध्यम है जो फिल्मों में नाच-गाने और फैमिली ड्रामे से
अलग कहानियां देखना चाहते हैं। फिल्मों में जब भी बोल्ड या एडल्ट कंटेट होता है तो
प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को सेंसर बोर्ड से उलझना पड़ता है। जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म
पर सेंसर जैसा कुछ नहीं है। अब इस चीज़ के दो पहलू हैं, पहला पहलू कहता है कि हाँ
ठीक है इससे निर्माताओं को एक वैकल्पिक रास्ता तो मिल रहा है जहाँ वे अपनी बात
बेबाकी से कह पा रहे हैं तो वही दूसरा पक्ष ये कहता है कि छूट का मतलब ये तो नहीं कि
हम कुछ भी दिखाने लग जाए जिससे हमारी युवा पीढ़ी पर नकारात्मक असर हो। इसलिए बड़े
जोर-शोर से आज वेब आधारित सामाग्रियों के लिए सेंसरशिप की चर्चा हो रही है। वेब
सीरीज की बढती लोकप्रियता की बात करें तो इस कड़ी में टेलीकॉम कंपनियों के फ्री
इंटरनेट/सस्ते नेट प्लान देने की वजह से भी दर्शकों के लिए वेब सीरीज देखना आसान
हो गया है। आज के दौर में युवाओं के पास समय की कमी होती है। ऐसे में वो चलते-फिरते, काम करते हुए और वर्कआउट करते हुए
भी फोन में इसे कभी भी आसानी से देख सकते हैं। अभी मनोरंजन के क्षेत्र में और भी
बहुत बदलाव आएंगे और वे किस तरह के होंगे यह देखना भी दिलचस्प होगा। ये पत्र इस ओर
भी इशारा करता है कि भारत में प्रारंभिक जो भी वेब सीरीज बनी हैं उन्हें देखकर तो
ऐसा ही लग रहा है कि जो प्रतिबंधित है, वही चटखारे लेकर देखा जा रहा है।)कुमार
मौसम,
2019.
अनुसंधान के उद्देश्य
·
कोरोनाकाल के दौरान
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में OTT की बढ़ती लोकप्रियता का अध्ययन।
·
कोरोनाकाल में टेलीविजन
और OTT
के
दर्शकों का तुलनात्मक अध्ययन।
अनुसंधान प्रविधि
अनुसंधानकर्ता ने अध्ययन के उद्देश्यों के अनुरूप सर्वोत्तम संभव
परिणाम प्राप्त करने हेतु कार्यप्रणाली को डिजाइन करने की कोशिश की है जिसके लिए
अनुसंधान के दौरान विभिन्न तरीकों अनुसंधान उपकरणों और नमूनों का प्रयोग किया गया
है। ताकि अनुसंधान के उद्देश्यों को पूरा करते हुए एक वैध, विश्वसनीय और सटीक परिणाम की
प्राप्ति की जा सके।
शोध संरचना
प्रस्तुत शोध के लिए विवरणात्मक विधि का प्रयोग किया गया है।
वर्णनात्मक/ विवरणात्मक अनुसंधान संरचना ज्यादातर सामाजिक विज्ञान के शोधों में
उपयोग किया जाता हैजो शोधकर्ता को चरों में बिना हेर-फेर किए मौजूदा स्थिति के
आधार पर आँकड़ें प्राप्त करनें में मदगार होता है।
निदर्शन-
इस अध्ययन के लिए विवरणात्मक निदर्शन पद्धति का इस्तेमाल किया गया।
जिसका निदर्शन आकार 70 है।
इस अध्ययन के लिए शोधार्थी नें 70 प्रश्नावली
का वितरण किया था। जिसमें 35 शहरी
उत्तरदाता को और 35 ग्रामीण
उत्तरदाताओं के बीच वितरीत किए गए। कोरोनाकाल के मद्देनज़र सभी प्रश्नावलियों का
वितरण एवं उनका संग्रहण गूगल फॉर्म्स के माध्यम से किया गया है।
आंकड़ा संग्रह उपकरण-
इस
अनुसंधान के लिए आंकड़ों के संकलन के लिए प्रश्नावली विधि का इस्तेमाल किया गया है।
जिसके लिए शोध उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रश्नों को मनोवैज्ञानिक आधार पर
क्रमानुसार सेट किया गया थाताकि शोध के उद्देश्यों की पूर्ति एवं हेतु विश्वसनीय, वैध और सटीक आँकड़ें प्राप्त हो
सकें।
आंकड़ों का विश्लेषण
सारणी 1: उत्तरदाताओं की भौगोलिक स्थिति।
उम्र |
विकल्प |
बारंबारता |
प्रतिशत |
18 से 22 साल |
40 |
57.15 |
|
23 से 27 साल |
18 |
25.71 |
|
28 से 32 साल |
12 |
17.14 |
|
योग्यता |
स्नातक |
57 |
81.43 |
स्नात्कोत्तर |
13 |
18.57 |
|
लिंग |
पुरुष |
42 |
60 |
महिला |
28 |
40 |
|
स्थान |
ग्रामीण |
21 |
30 |
शहरी |
49 |
70 |
इन
वैद्य 70
प्रश्नावलीयों
के विश्लेषण के आधार पर देखें तो उत्तरदाताओं की भौगोलिक पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार
है। 57.15%
उत्तरदाता
18
से
22
साल
के हैं,
25.71% उत्तरदाता
23
से
27
साल
के हैं और 17.14%
उत्तरदाता
28
से
32
साल
के हैं। कुल 70
उत्तरदाताओं
में से 81.43%
उत्तरदाताओं
की योग्यता स्नातक और 18.57% की योग्यता स्नात्कोत्तर स्तर की है। इनमें 60% पुरुष और 40% महिला हैं। वहीं 30% उत्तरदाता ग्रामीण क्षेत्र के हैं
और 70
% उत्तरदाता
शहरी क्षेत्र वाले हैं।
सारणी2: क्या आप वेब सीरीज देखते हैं?
विकल्प |
प्रतिशत |
|
हाँ |
75.72 |
|
कभी-कभी |
24.28 |
|
कुल |
100 |
कुल
70
उत्तरदाताओं
में से 75.72%
उत्तरदाता
वेब सीरीज देखते हैं, वहीं
24.28%
उत्तरदाता
वेब सीरीज नहीं देखते है।
सारणी3: आप मनोरंजन के लिए कौन-कौन से जनमाध्यम का नियमित इस्तेमाल करते हैं?
विकल्प |
बहुत ज्यादा |
ज्यादा |
कह नहीं सकते |
कम |
बहुत कम |
टेलीविजन |
8 |
26 |
3 |
12 |
21 |
यू-ट्यूब |
20 |
36 |
2 |
7 |
5 |
वेब सीरीज |
32 |
27 |
0 |
9 |
2 |
अन्य माध्यम |
11 |
19 |
22 |
6 |
12 |
|
इस प्रश्न का प्रतिउत्तर देते हुए कुल 70 उत्तरदाता में से 26 उत्तरदाता मनोरंजन के लिए टेलीविजन का तो वहीं 36 उत्तरदातायू-ट्यूबका प्रयोग करते हैं। दूसरी तरफ 32 उत्तरदाता मनोरंजन के लिए वेब सीरीज देखते हैं तो 22 उत्तरदाता अन्य माध्यमों की तरफ रुख करते हैं।
सारणी5: आप वेब सीरीज कबसे देख रहे हैं?
विकल्प |
बारंबारता |
प्रतिशत |
|
6 महीने से |
19 |
27.14 |
|
1 साल से |
27 |
38.57 |
|
2 साल से |
18 |
25.72 |
|
2016 के बाद से |
6 |
8.57 |
|
कुल |
70 |
100 |
उत्तरदाताओं
से ये पूछने पर कि वो कबसे वेब सीरीज देख रहे हैं तो 27.14% उत्तरदाता के अनुसार वो 6 महीने से वेब सीरीज देख रहे हैं, 38.57% उत्तरदाता 1 साल से वेब सीरीज देख रहे हैं, 25.72% उत्तरदाता 2 साल से और 8.57% उत्तरदाता 2016 के बाद से वेब सीरीज देख रहे हैं।
सारणी6: कोरोनाकाल में कौनसा माध्यम आपकी रूचि के अनुरूप आपके मनोरंजन का
साथी बना?
विकल्प |
बारंबारता |
प्रतिशत |
|
टेलीविजन |
13 |
18.57 |
|
रेडियो |
5 |
7.14 |
|
इंटरनेट |
12 |
17.15 |
|
OTT प्लेटफार्म |
32 |
45.71 |
|
सोशल मीडिया |
8 |
11.43 |
|
कुल |
70 |
100 |
इस
प्रश्न के जवाब में 45.71% उत्तरदाता को कोरोनाकाल में OTT प्लेटफार्म नें उनकी रूची के अनुरूप मनोरंजन का विकल्प दिया है तो
वहीं 18.57%
उत्तरदाता
के अनुसार कोरोनाकाल में टीवी नें उनका मनोरंजन किया है।
सारणी7: आप वेब सीरीज क्यों देखते हैं?
कारण |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
|
1 |
नयी कहानियां/वेबीसोड |
00 |
1 |
3 |
28 |
38 |
2 |
मनोरंजन |
5 |
3 |
4 |
16 |
42 |
3 |
किसी के कहने/सलाह पर |
8 |
12 |
18 |
13 |
19 |
4 |
तात्कालिक/ट्रेंडिंग विषय |
00 |
4 |
22 |
19 |
25 |
5 |
सॉफ्ट पोर्न/ सेक्स अपील की वजह से |
16 |
11 |
29 |
8 |
6 |
6 |
चुटीले संवाद और व्यंग्य के लिए |
10 |
7 |
15 |
17 |
21 |
7 |
बड़े स्टार कास्ट की वजह से |
18 |
12 |
9 |
17 |
14 |
8 |
वेब सीरीज के प्रस्तुतिकरण से प्रभावित होकर |
11 |
9 |
17 |
21 |
12 |
9 |
क्षेत्रीय भाषा से जुड़ाव की वजह से |
6 |
8 |
16 |
11 |
29 |
इस
प्रश्न का प्रतिउत्तर उत्तरदाताओं से फाइव पॉइंट स्केल पर लिया गया है। जहाँ 5 का मतलब सबसे ज्यादा और 1 का मतलब सबसे कम है जिसका जवाब देते
हुए कुल 70
उत्तरदाता
में से 38
उत्तरदाता
मानते हैं कि वो नयी कहानियों क लिए वेब सीरीज देखते हैं। 21 उत्तरदाता वेब सीरीज के
प्रस्तुतिकरण से प्रभावित होकर तो 29 उत्तरदाता
क्षेत्रीय भाषा से जुड़ाव की वजह से वेब सीरीज देखते हैं।
सारणी8: क्या वेब सीरीज से टीवी के अस्तित्व को खतरा है?
विकल्प |
बारंबारता |
प्रतिशत |
|
|
हाँ |
45 |
64.28 |
|
|
नहीं |
16 |
22.85 |
|
|
थोड़ा बहुत |
6 |
8.57 |
|
|
कोई फर्क नहीं पड़ता |
3 |
4.28 |
|
|
कुल |
70 |
100.0 |
|
कुल 70 उत्तरदाताओं में से 64.28% को लगता है कि वेब सीरीज से टीवी के अस्तित्व को खतरा है, वहीं 8.57% उत्तरदाताओं को लगता है कि वेब सीरीज से टीवी के अस्तित्व को थोड़ा बहुत खतरा है। दूसरी तरफ 22.85% उत्तरदाता मानते है कि वेब सीरीज से टीवी के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है, तो 4.28% उत्तरदाता को लगता है कि वेब सीरीज से टीवी के अस्तित्व पर कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा।
निष्कर्ष :
OTT
जनमाध्यमों
नें मनोरंजन के क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोले हैं जहाँ कहानियों को कहने का
तरीका टेलीविजन से काफ़ी अलग है। वहीं टीवी आज भी संकीर्णता से दौर से गुजर रहा है जबकि OTT बगैर किसी बंदिश के एक से एक
बेहतरीन शोज़ के माध्यम से दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यूँ तो भारत में
वेब सीरीज की शुरुआत 2012 में “परमानेंट रूममेट्स” के रूप में हुयी थी जिसे IIT खड़गपुर के छात्र अरुनाभ नें अपनेयू-ट्यूबचैनल TVF पर प्रसारित किया गया था। इसके
बाद वेब सीरीज की दुनिया में नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, ऑल्ट बालाजी जैसे और भी कई प्लेटफ़ॉर्म आएं और उन्होंने अपना एक खास
दर्शक वर्ग तैयार किया। जिसकी वजह से टीवी बनाम OTT की एक बहस छिड़ गयी थी। चूँकि OTT का कारोबार तेज़ी से बढ़ रहा था तोये चिंता भी ज़ाहिर की जाने लगी थी कि
टीवी का अस्तित्व खतरे में हैं। इसी बीच कोरोना महामारी आ गई जिससे हालात इतने बेकाबू हो गए थे कि
लॉकडाउन करना पड़ाजिसमें हर तरह की गतिविधियों पर एक अदृश्य लगाम सा लग गया। लोग
महीनों तक अपनें-अपनें घरों से बाहर नहीं निकल पाए। शुरूआती कुछ समय तो जैसे-तैसे
निकल गए, पर कुछ महीनें बीतने के बाद लोगों को बोरियत इसलिए भी होने लगी, क्योंकि
टीवी समेत दूसरे सभी जनमाध्यमों में से किसी पर भी कार्यक्रम के नए एपिसोड नहीं आ
रहे थे। ऐसे में जरुरत कहें या मज़बूरी लोगों का रुझान सबसे नए माध्यम OTT प्लेटफ़ॉर्म की तरफ हुआ। जिसनें न
सिर्फ दर्शकों की रूची के मुताबिक कंटेंट मुहैया कराया, बल्कि कोरोनाकाल के विपरीत
परिस्थिति में लोगों का मनोरंजन भी किया।
FICCI और BARC की हालिया रिपोर्ट को देखें तो इस बात की पुष्टि होती है किOTT प्लेटफ़ॉर्म के दर्शकों की संख्या
में पिछलें कुछ महीनों या फिर कहें तो बीतें एक साल में काफ़ी इजाफा हुआ है। अंत
में इस पूरे शोध को अगर एक लाइन में परिभाषित करें तो कोरोनाकाल नेOTT को बीते 1 साल में 4 साल आगे भेज दिया है। ये सच है कि
कोरोनाकाल में लोगों नें मजबूरन वेब सीरीज देखना शुरू किया, पर आज यह उनके जीवन का
हिस्सा बन गया है।
सन्दर्भ -
1.बालाजी
टेलीफिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड वार्षिक रिपोर्ट, 2017-2018
https://www.moneycontrol.com/bse_annualreports/5323820317.pdf
2. गोयल, डी. सुब्रमण्यम, ए. कामथ, आर. (अप्रैल 4, 2018) ए स्टडी ऑन द प्रिविलेंस ऑफ़
इन्टरनेट एडिक्शन एंड इट्स एसोसिएशन विथ सायकोलॉजी इन इंडियन एडोलेसेंट्स.(www.indianjpsychiatry.org)https://www.researchgate.net/publication/245030039_A_study_on_the_prevalence_of_Internet_addiction_and_its_association_with_psychopathology_in_Indian_adolescents/download
3. गिल्स, जे. (मई 2011). हाउ तो ब्युल्ट एन ऑडियंस फॉर योर
वेब सीरीज: मार्केट, मोटीवेट
एंड मोबिलाइज,
www.greenhatdigital.com
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Web_series
5.https://www.techopedia.com/definition/4922/web-20
6.https://www.thehindu.com/features/metroplus/radio-and-tv/indian-web-series-are-slowly-replacing-formulaic-soaps-ontelevision/article8248
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कुमार मौसम
पीएचडी शोधार्थी, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी,
mausamjaiswal1@gmail.com.9582961717
प्रो. प्रशांत कुमार
निदेशक, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग,चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ,
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-39, जनवरी-मार्च 2022
UGC Care Listed Issue चित्रांकन : संत कुमार (श्री गंगानगर )
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