फणीश्वरनाथ रेणु विशेषांक
अनुक्रमणिका
सम्पादकीय
समीक्षा
इस बार आलाप थोड़ा लंबा है
- मैला आंचल उपन्यास में चित्रित लोकगीत - डॉ. प्रकाश चंद
- संगीत में बातें करती रेणु की कहानियाँ - वीणा शर्मा
- मैला आँचल में लोकगीतों की अर्थवत्ता - डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद
- हिंदी के ‘मैला आँचल’ और असमिया के ‘नोई बोई जाय’ आंचलिक उपन्यासों में अभिव्यक्त लोकगीतों का तुलनात्मक स्वरूप - टिंकू छेत्री
- ‘मैला आँचल’ के गीतों में राजनीति - डॉ. पवनेश ठकुराठी
देहाती दुनिया से आस बची हुई है
- स्वातंत्र्योत्तर ग्राम्य अंचल में भू-राजनीति और जातीय अस्मिता विशेष सन्दर्भ : 'परती परिकथा' - कौशल कुमार पटेल
- ‘मैला आँचल’ में चित्रित गाँव - डॉ. रीना कुमारी. वी.एल
- रेणु के कथा साहित्य में लोक-कलाओं का स्वरूप - सत्यभामा
- मैला आँचल उपन्यास की आँचलिकता - विवेकानन्द
- फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास और आंचलिकता - विकास कुमार
आधी आबादी की धुन तार सप्तक में गूंजनी चाहिए
- ‘मैला आँचल’ में ‘नारी मुद्दों’ की अभिव्यक्ति एवं मूल्यांकन - अरुणा त्रिपाठी
- नारी विमर्श का दस्तावेज़ : रेणु का ‘परती: परिकथा’ - डॉ. उमेश चन्द्र
- फणीश्वरनाथ रेणु के आंचलिक संसार में विचरण करती स्त्री ('मैला आंचल' एवं 'दीर्घतपा' उपन्यासों के विशेष संदर्भ में) - एकता देवी
- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के कथा साहित्य में नारी का मनोवैज्ञानिक चित्रण : एक मूल्यांकन - डॉ. सन्तोष विश्नोई
- 'मैला आँचल में वर्णित नारी समस्याएं - सुनीता
मेरीगंज की माटी पुकारती रही
- आँचलिक उपन्यास परम्परा में ‘मैला आँचल’ - धर्मवीर
- संवेदना के धरातल पर 'मैला आँचल' - विनीत कुमार वर्मा एवं डॉ. राजेश कुमार तिवारी
- मैला आँचल का संवेदना पक्ष – डॉ. दिनेश्वर कुमार महतो
- आंचलिकता के युग प्रणेता : फणीश्वरनाथ 'रेणु' और मैला आँचल ( समकालीन परिदृश्य के विशेष संदर्भ में ) - डॉ. जया द्विवेदी
'क' से कविता कब सिखाया जाएगा
प्रेम में ढाई आखर पर्याप्त है
- प्रेम की ‘तीसरी कसम’ - प्रो. संजय कुमार
- हिंदी जगत का हिरामन : फणीश्वरनाथ रेणु - कु. मोनिका दुबे
- एक गुलफाम का कथा संसार - डॉ. अनिंद्य गंगोपाध्याय
- ‘लाल पान की बेगम’ संघर्षशीलता और स्वप्नपूर्ति की गाथा - डॉ. आशुतोष शर्मा
बारहखड़ी इतनी भी मुश्किल न थी
- फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास ‘मैला आँचल’ का भाषा द्वैत (Diglossia) के आधार पर भाषिक विश्लेषण - डॉ. कुमार माधव
- देशज शब्दावली का दर्पण : रेणु के आँचलिक उपन्यास - डॉ. सुमन शर्मा
नाच और प्रलय की आंखिन देखी
- महामारी : विभीषिकाएं एवं परिस्थितियाँ- ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के विशेष सन्दर्भ में - आलिया जेसमिना एवं डॉ. अंजु लता
- मैला आँचल में अभिव्यक्त नशाखोरी की समस्या - पूर्विका अत्री
- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का सामाजिक परिदृश्य - अंजना
- रेणु के कथा साहित्य में युगीन सामाजिक चेतना - डायमंड साहू
परदे के पार देखने वाले नहीं रहे
- रेणु कृत ‘मारे गये गुलफाम उर्फ़ तीसरी कसम’ कहानी का फ़िल्मी रूपांतरण : एक अवलोकन - बिभूति बिक्रम नाथ
- ‘तीसरी कसम’ कहानी और फिल्म में अभिव्यक्त लोक-तत्व - ज्ञान चन्द्र पाल
पीड़ा का राग अब कौन सुनता है
- फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास ‘जुलूस’ में विस्थापन - ममता माली
- रेणु के उपन्यास : स्वतंत्र भारत में सामंती प्रवृत्तियों के दस्तावेज़ - डॉ. जयसिंह मीणा
- रेणु के कथा साहित्य में लोक संस्कृति व सामाजिक अस्मिता का चित्रण - गुरजीत कौर
- स्वातंत्र्योत्तर भारत में लोक-कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता और फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियाँ - डॉ. बिनय कुमार पटेल
प्रश्न पूछना जारी रहे भले उत्तर न मिले
- रेणु: साक्षात्कारों के आइने में - डॉ. सिन्धु सुमन
- प्रगतिशील और प्रतिबद्ध लेखक : फणीश्वरनाथ रेणु - प्रो. सुधाकर शेंडगे
- फणीश्वरनाथ रेणु का कथेतर साहित्य - दिगंत बोरा एवं प्रो. श्याम शंकर सिंह
कथा कहे हिरामन
- रेणु की कहानियाँ : आदमी के मरम्मत की कार्यशाला - डॉ. भैरव सिंह
- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का यथार्थ जगत् - डॉ. मीना
- फणीश्वरनाथ रेणु : कथा-आस्वाद की नई मनोभूमि - इन्द्रमणि कुमार
- रेणु की कहानियों में अभिव्यक्त 'सांस्कृतिक अवमूल्यन' की दशा व दिशा - कुलदीप उपाध्याय
- अनैतिक इच्छाओं की पराकाष्ठा : टेबुल - डॉ. पूनम शर्मा
आँखों-देखी कहना अब कहाँ हो पाता है
- फणीश्वरनाथ रेणु के रिपोर्ताज में लोक जीवन - आरती शर्मा
- रेणु के रिपोर्ताज का महत्व और उनका परिचय - सविता कुमारी एवं अरमान अंसारी
- सामाजिक यथार्थ के जीवंत दस्तावेज : रेणु रिपोर्ताज - रुमन कुमारी
------------------------------------------------------------------------------------------------
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) फणीश्वरनाथ रेणु विशेषांक, अंक-42, जून 2022, UGC Care Listed Issue
अतिथि सम्पादक : मनीष रंजन
सम्पादन सहयोग : प्रवीण कुमार जोशी, मोहम्मद हुसैन डायर, मैना शर्मा और अभिनव सरोवा चित्रांकन : मीनाक्षी झा बनर्जी(पटना)
एक टिप्पणी भेजें