शोध आलेख :- मोबाइल : वरदान या अभिशाप : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन / राकेश सैनी

मोबाइल : वरदान या अभिशाप : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
- राकेश सैनी

शोध-सार : इस अध्ययन के माध्यम से सूचना व तकनीकी के युग में मोबाइल पर इंटरनेट की उपयोगिता तथा युवा वर्ग द्वारा इसके दुरुपयोग का अध्ययन किया गया है। जहाँ मोबाइल पर इंटरनेट जैसी तकनीक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो रही है वहीं युवा वर्ग अपने लालच व बुरे व्यसनों को पूरा करने के लिए इसे हथियार के रूप में भी प्रयुक्त कर रहे हैं, जिसके कारण वे स्वयं अनेकानेक सामाजिक, मानसिक व शारीरिक विकारों से भी ग्रसित हो रहे हैं। इस अध्ययन के द्वारा शोधकर्ता ने मोबाइल के अधिक प्रयोग करने के कारण मोबाइल के प्रयोग के आदी या लत लग जाने की प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है तथा तथा मोबाइल के उपयोग के आदी हो जाने के कारण एक व्यक्ति किन-किन प्रकार की सामाजिक, मानसिक व पारिवारिक समस्याओं से ग्रसित हो जाता है इस तथ्य की ओर इंगित किया है। 

बीज शब्द : मोबाइल, इन्टरनेट, आदी(लत), सूचना व तकनीकी।

मूल आलेख : मोबाइल पर इंटरनेट शब्द आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। चाहे साक्षर व्यक्ति हो या अनपढ़ व्यक्ति हो, गांव में रहने वाला हो या शहर में कार्य करने वाला कोई व्यवसायी हो।2016 से पहले जिओ 4G के आने तक मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग आम नहीं था। लेकिन जिओ 4G के आने के उपरांत सूचना और तकनीकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है और भारतीय समाज में तेजी से स्मार्टफोन का प्रचलन बढ़ने लगा है। आज लगभग प्रत्येक घर में कम से कम 1 स्मार्टफोन व इंटरनेट की व्यवस्था जरूर है। जबकि दूसरी ओर मध्यम वर्ग व उच्च वर्गों में प्रत्येक व्यक्ति के पास चाहे वह किसी भी उम्र का हो स्मार्ट फोन पर इंटरनेट उपलब्ध है। सूचना तकनीकी ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपने पैर पसार लिए हैं। छोटी सी छोटी वस्तु से लेकर महंगी से महंगी ज्वेलरी या अन्य उपकरणों तक सभी कुछ आज ऑनलाइन हो रहा है।

“The Economics Times” पत्रिका के अनुसार भारत में प्रति माह 12 गीगाबाइट या प्रति उपयोगकर्ता की उच्चतम मोबाइल डेटा खपत दर हैऔर देश में 1.18 बिलियन मोबाइल कनेक्शन, 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता और 600 मिलियन स्मार्टफोन हैं, जो प्रति तिमाही 2.5 करोड़ बढ़ रहे हैं।”1 

 एक अन्यरिपोर्ट के अनुसार “सन 2016 में भारत में 260.42 मिलियन मोबाइल व इन्टरनेट के उपभोक्ता थे जो सन 2022 तक बढ़कर 930.57 मिलियन हो गए है तथा आगामी वर्षो में और भी तेजी से बढ़ने वाले है।”2

Number of mobile phone internet users in India from 2010 to 2020, with estimates until 2040(in millions)

 Sourcehttps://www.statista.com/statistics/558610/number-of-mobile-internet-user-in-india/#professional

  जिस प्रकार एक चाकू से सब्जी काट कर 100 व्यक्तियों का पेट भरा जा सकता है उसी प्रकार से उस चाकू का गलत उपयोग कर 100 व्यक्तियों का गला भी काटा जा सकता है। किसी भी वस्तु का सही और गलत उपयोग उसको काम में लेने वाले व्यक्ति की मानसिकता तथा सामाजिकता पर निर्भर करता है कि वह उसका अच्छे कार्यों के लिए उपयोग करता है और समाज में रचनात्मक कार्य करता है या समाज का विध्वंस करने के लिए उसका दुरुपयोग करता है। ठीक इसी प्रकार से मोबाइल व इंटरनेट जैसे अति-आधुनिक साधनों का प्रयोग कुछ व्यक्ति समाज के रचनात्मक कार्यों में कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ व्यक्ति इस तकनीक का उपयोग अपने फायदे या दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए तथा अन्य सामाजिक सांस्कृतिक बुराइयों को जन्म देने के लिए कर रहे हैं।

 इस शोधकार्य “मोबाइल : वरदान या अभिशाप : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन” के अंतर्गत मोबाइल के उपयोग व दुरुपयोग का समाजशास्त्रीय अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।

 अध्ययन के उद्देश्य

1.    1.   मोबाइल पर इंटरनेट के रचनात्मक उपयोगों की जानकारी प्राप्त करना।
2.    मोबाइल पर इंटरनेट के समाज विरोधी उपयोगों की जानकारी प्राप्त करना।
3.    मोबाइल व इंटरनेट के अधिक प्रयोग से सामाजिक संबंधों में आने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना।
4.    मोबाइल पर इंटरनेट के अधिक प्रयोग से होने वाली मानसिक व शारीरिक बीमारियों का अध्ययन करना।

 

अनुसंधान पद्धति

उक्त शोध कार्य के लिए वर्णनात्मक व व्याख्यात्मक शोध पद्धति का उपयोग किया गया है। प्राथमिक आंकड़ों का संग्रह करने हेतु गूगल फॉर्म प्रश्नावली/अनुसूची का प्रयोग किया गया है तथा द्वितीयक आंकड़ों का संग्रह विभिन्न शोध कार्यों से किया गया है।

इस अध्ययन कार्य में भी सूचना तकनीक का उच्च स्तरीय प्रयोग किया गया है तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप के माध्यम से प्रश्नावली विभिन्न आयु समूह तथा विस्तृत फैले हुए क्षेत्र में उत्तर दाताओं को प्रसारित की गई है तथा उत्तरदाताओं से प्राप्त फीडबैक का वर्गीकरण और सारणीयन कर निष्कर्षों को प्राप्त किया गया है।

 निदर्शन :

            समग्र : इस शोध पत्र हेतु समग्र वे सभी मोबाइल उपयोगकर्ता है जो मोबाइल पर इन्टरनेट उपयोग करते है।

            अतः इस शोध पत्र में निदर्शन हेतु मोबाइल व इन्टरनेट का प्रयोग करते हुए फेसबुक व whatsapp का प्रयोग करते हुए प्राथमिक आंकड़ो का संग्रह करने हेतु प्रश्नावली का गूगल लिंक विभिन्न आयु वर्ग के उतरदाताओं तक भेजा गया है तथा प्राप्त फीडबैक में से 100 उतरदाताओं का चयन देव निदर्शन के आधार पर किया गया है।

 

मोबाइल इंटरनेट के रचनात्मक अनुप्रयोग

बैंकिंग

 आज अधिकांश युवा वर्ग चाहे वह निम्न, मध्यम या उच्च वर्ग का हो बैंकिंग लेनदेन या अपने मित्र व रिश्तेदारों के साथ पैसों के लेनदेन हेतु फोन पे, गूगल पे, पेटीएम, अमेज़न पे, भीम, योनो एसबीआई या अन्य उपलब्ध बैंकिंग प्लेटफार्म का उपयोग अपने धन के आदान-प्रदान हेतु कर रहा है।


  

मार्केटिंग

आज मार्केटिंग के क्षेत्र में भी व्यापक परिवर्तन आया है जहाँ पूर्व में मार्केटिंग व विज्ञापन हेतु इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया का प्रयोग किया जाता था वहीं आज बाजार में अनेक ऑनलाइन सेवा प्रदाता अपनी सेवाएं विज्ञापन हेतु प्रदान कर रहे हैं। घरेलू सामान हो या व्यवसायिक सामान्य , दवाइयां सभी का आयात-निर्यात तथा अंतिम उपभोक्ता तक सामान पहुंचाने का काम विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, जिओ मार्ट, शॉपक्यूल्स, फर्स्टक्राइ, इजीफार्मेसी, टाटा क्लिक, 1mg जेसी सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। साथ ही विभिन्न प्रकार के सामानों का विज्ञापन भी इन प्लेटफार्म पर किया जा रहा है।


 

सोशल मीडिया

आज भौतिक दूरी कोई मायने नहीं रखती क्योंकि मोबाइल में इंटरनेट के प्रयोग के द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस या वीडियो कॉल का प्रयोग कर इस प्रकार से बातचीत कर सकता है जैसे की वह एक दूसरे के सम्मुख बैठे हो। इस कड़ी में विभिन्न सोशल मीडिया एप्स व साइटस का अमूल्य योगदान रहा है, जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम इत्यादि। इन सभी प्लेटफार्म के माध्यम से चाहे टेक्स्ट मैसेज, फोटो, वीडियो, ऑडियो किसी भी फॉर्मेट में सूचनाओं को सरलता व शीघ्रता से भेजा व प्राप्त किया जा सकता है।

इन सभी के प्रयोग के लिए यह आवश्यक भी नहीं कि उपयोगकर्ता साक्षर है अथवा निरक्षर है क्योंकि यह सभी प्लेटफॉर्म ग्राफिक यूजर इंटरफेस को सपोर्ट करते हैं जिसके कारण बिना पढ़े बिना भी चित्रों के माध्यम से सूचनाओं को आसानी से भेजा और प्राप्त किया जा सकता है।


        

 

मीटिंग

सूचना और तकनीक का बेहतरीन अनुप्रयोग ऑनलाइन मीटिंग ऐप के माध्यम से किया गया है। जो विशेषकर कोरोना काल में वरदान साबित हुआ है।जहाँ व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के समीप जाने से डर रहा था ऐसे विपरीत वह कठिनाई भरे समय में इन ऑनलाइन मीटिंग एप्स ने लोगों का समाज को राहत पहुंचाई है। इन एप्स के माध्यम से कई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह बिना एक दूसरे के सामने भौतिक उपस्थित हुए बगैर वर्चुअल मीटिंग्स का आयोजन कर सकते हैं।कोरोना काल में इसका सर्वाधिक प्रयोग व्यवसायिक कार्यो व विशालकाय करोड़ों, अरबों रुपए के टर्न ओवर वाली कंपनियों के द्वारा भी अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा प्रदान करते हुए कार्य करने के लिए किया गया है।


 

 

शिक्षा

 मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग के द्वारा आज शिक्षा प्राप्त करना भी बहुत आसान हो गया है। ऐसे विद्यालय महाविद्यालय जहाँ शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई या किसी कारणवश उनका स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो गया है ऐसे समय में उन विद्यार्थियों का नुकसान नहीं हो इसके लिए भी राज्य सरकारों व शिक्षा से जुड़ी हुई एजेंसियों तथा एनजीओ के द्वारा वर्चुअल क्लासरूम की व्यवस्था करवाने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं तथा पूर्व में रिकॉर्डेड क्लासेज वीडियो इन्हें उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। वर्तमान समय में अनेक कंपटीशन एग्जाम की तैयारी हेतु भी अनेक कंपटीशन सेंटरो ने अपने ऑनलाइन एप्स जैसे उत्कर्ष, अनअकैडमी, संकल्प व अन्य कोचिंग सेंटर ने अपने-अपने प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए हैं ताकि विद्यार्थी घर से बाहर गए बिना भी अपनी सुविधा, योग्यता व क्षमता के अनुसार घर पर रहकर भी शिक्षा प्राप्त कर सके व रोजगार को प्राप्त कर सके।



चिकित्सा

आज के समय में व्यक्ति के बीमार होने पर व्यक्ति को डॉक्टर के घर तक जाने की आवश्यकता भी समाप्त होने लगी है क्योंकि बहुत सारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डॉक्टरों ने अपने-अपने अस्पताल व परामर्श केंद्रों को विभिन्न एप्स के माध्यम से या वेबसाइटों के माध्यम से ऑनलाइन शुरू कर दिया है। जिससे एक व्यक्ति घर बैठे मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग करते हुए अपनी फीस का ऑनलाइन भुगतान कर किसी भी चिकित्सक से चिकित्सकीय परामर्श घर बैठे ही प्राप्त कर सकता है। गूगल पर सर्च करने पर ऐसे असंख्य वेबसाइट व प्लेटफार्म उपलब्ध हो जाते हैं जो किसी विशेष विशेषज्ञ द्वारा निर्मित किए जाते हैं।



 

अतः ग्राफ से स्पस्ट है कि आज भी चिकित्सा कार्य हेतु लोग परम्परागत तरीको का उपयोग ज्यादा पसंद करते है।

 

गेमिंग

पुराने समय में एक कहावत अत्यधिक प्रचलित थी कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और स्वस्थ शरीर प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को योग व्यायाम व खेलों के अंदर भाग लेना होता था ताकि वह अपने शारीरिक व मानसिक क्षमताओं का विकास कर सके। परंतु मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग ने इन खेलों को वह मानसिक व्यायाम को गेमिंग तक सीमित कर दिया है। आज एक मोबाइल यूजर जो इंटरनेट का प्रयोग करता है वह प्ले स्टोर या अन्य ऐप डाउनलोड सेंटर से विभिन्न प्रकार के गेम्स चाहे वह बच्चों से संबंधित हो या बड़ों से संबंधित हो डाउनलोड कर अपना मनोरंजन घर पर या एक कमरे में बैठकर भी कर सकता है। एक तरफ यह तथ्य अच्छा भी है क्योंकि मानसिक व्यायाम घर के माध्यम से हो जाता है तथा बच्चा या संबंधित व्यक्ति अपने मस्तिष्क की क्षमताओं को तो ऊंचाइयों तक ले जा सकता है परंतु शारीरिक क्रियाएं या व्यायाम नहीं होने के कारण वह शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है। वह विभिन्न बीमारियां जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप, ब्लड शुगर इत्यादि से ग्रसित हो जाता है। 


 

ऑनलाइन बुकिंग

जहाँ पुराने समय में एक व्यक्ति रेल, बस, हवाई-जहाज इत्यादि की टिकट प्राप्त करने के लिए लंबी कतारों में खड़ा रहता था और घंटों की मशक्कत के बाद उसको टिकट मिलती थी। वही आज यह परिदृश्य भी मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग से बदल गया है। आज हम देखते हैं कि एक व्यक्ति रेल, बस, हवाई-जहाज, होटल, टैक्सी इत्यादि की बुकिंग घर पर बैठे ही बिना घंटो लाइन में लगे घर बैठे ही इनकी टिकट बुक कर लेता है। साथ ही अपनी यात्रा के लिए पूर्व में होटल, टैक्सी, खाना इत्यादि भी शेड्यूल्ड ऑर्डर कर देता है ताकि वह बिना किसी इंतजार के तथा निश्चित स्थान पर उपस्थित हुए बिना सभी चीजों को व्यवस्थित कर सकता है। इसके अतिरिक्त पानी, बिजली, गैस जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए भी हर महीने आने वाले बिल को भी व्यक्ति कतारों में लगकर घंटों की श्रम के बाद में जमा करवा पाता था। यह सभी कार्य भी आजकल विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से कुछ सेकंड के समय में ही इन सभी बिलों का भुगतान ऑनलाइन मोबाइल के माध्यम से संपन्न कर देता है जिसके कारण उसका अमूल्य समय की बचत हो जाती है।


 

मनोरंजन

पुराने समय में बहुत अधिक मनोरंजन के साधन विद्यमान नहीं थे व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया का प्रयोग करते हुए या स्वयं किसी स्थान का भ्रमण कर या आउटडोर गेम्स खेल कर अपना मनोरंजन करता था वही आज मोबाइल व इंटरनेट के प्रयोग से वह घर बैठे टीवी, फिल्म, धारावाहिक, यूट्यूब व अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग करते हुए अपना मनोरंजन स्वयं घर पर ही कर सकता है।


 

व्यवसायिक प्रशिक्षण

पुराने समय में सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कुकिंग, ब्यूटी पार्लर इन सभी के कोर्स निर्धारित स्थान पर या उच्च शिक्षण संस्थाओं में जाकर ही प्राप्त किए जा सकते थे तथा इन सभी कार्यों के लिए व्यक्ति को बहुत सारा समय व धन खर्च करना पड़ता था। यह सभी कार्य आज कोई भी व्यक्ति मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग करते हुए घर से ही यूट्यूब या अन्य प्लेटफार्म का प्रयोग करते हुए घर पर भी अपनी सुविधा के अनुसार घर पर रहकर भी सीख सकता है। आज बहुत सारे व्यक्ति घरों पर रहते हुए अपने कार मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या अन्य चीजों के खराब होने पर गूगल सर्च के माध्यम से उन को ठीक करने का प्रयास जरूर करते हैं। प्रथम प्रयास में विफल होने पर ही वह उन उपकरणों को बाजार ले जाकर सही करवाते हैं अतः कोई भी कार्य करने हेतु अगर किसी व्यक्ति को ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है या कोई जानकारी वह प्राप्त करना चाहता है तो वह निश्चित रूप से गूगल का प्रयोग कर उस जानकारी को मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से ही प्राप्त करने का प्रयास करता है इसमें असफलता मिलने पर ही वह अन्य किसी माध्यम का प्रयोग करता है।





 

मोबाइल इंटरनेट के समाज विरोधी अनुप्रयोग

 हैकिंग, क्रैकिंग व फिशिंग

जहाँ एक और मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग अनेक समाज के रचनात्मक कार्यों में किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर बहुत सारे असामाजिक तत्व विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल को हैक कर उनके बैंक खातों से पैसे निकालने प्ले स्टोर ऑनलाइन एप स्टोर से लाइसेंस वर्जन सॉफ्टवेयर में हेरफेर कर फ्री में उपलब्ध करवा रहे हैं तथा साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के मेलवेयर, वायरस एप्स बनाकर दूसरे लोगों के मोबाइल में डाटाचोरी जैसे गंभीर अपराध भी कर रहे हैं। एक व्यक्ति अपनी मोबाइल में विभिन्न प्रकार की सामाजिक, पारिवारिक व निजी फोटोस व वीडियो या मैसेज स्टोर करके रखता है।ये हेकर्स अपनी प्रोग्रामिंग क्षमता का गलत उपयोग कर उन प्राइवेट डाटा को चोरी कर व्यक्ति की निजता का हनन कर रहे हैं तथा इस प्रकार से प्राप्त वीडियो, फोटो इत्यादि का उपयोग गलत कार्यों के लिए कर रहे हैं।

           

ब्लैकमेलिंग, हनी-ट्रैप, ऑनलाइन गेमिंग

कुछ व्यक्ति व्यक्तिगत फायदों के लिए या पैसे कमाने के उद्देश्य से मोबाइल व इंटरनेट का दुरुपयोग करते हुए सोशल मीडिया साइटों पर फेक आईडी बनाकर अन्य लोगो को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर या मित्रता के झूठे वादे करके अपने जाल में फंसाते हैं तथा उनसे कुछ ऐसे कार्य करवा लेते हैं जिनकी समाज अनुमति नहीं देता है। ऐसे व्यक्तियों की वीडियो, फोटोस या ऑडियो की रिकॉर्डिंग कर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है तथा अपने खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हैं। ऐसे असंख्य केस आए दिन अखबारों में हमें देखने को मिलते हैं। जिन्हें हम हनी-ट्रैप, ब्लैकमेल इत्यादि के नाम से जानते हैं।

इसके अतिरिक्त कुछ सेवा प्रदाता कंपनियां अपने फायदे के लिए ऑनलाइन गेमिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध कराती है जो अधिकतर युवा, किशोर वबालकों को प्रभावित करती है तथा उन्हें ऑनलाइन गेम्स खेलने की एवज में बहुत सारा धन उनसे वसूल करती है।मोबाइल में शारीरिक तोर से खेले जाने वाले खेलो को प्रभावित किया है जिसकी वजह से छोटे मासूम बच्चों का बचपन व बड़े व्यक्तियों को कसीनो जैसे खेलो के माध्यम से ऑनलाइन पैसे लगाकर अपना भाग्य आजमाने का अवसर गर्त में ले जा रहा है। जिसके कारण वे बच्चे अपने घरों से या माता-पिता के अकाउंट से पैसे चोरी करना सीख रहे हैं तथा ऐसे बच्चे लगातार ऑनलाइन गेम के संपर्क में रहने से विभिन्न प्रकार के मानसिक विकार व अवसाद से ग्रस्त होकर हिंसक प्रवृत्ति के हो जाते हैं। पूर्व में ब्लू व्हेल व इस प्रकार के बहुत सारे ऑनलाइन गेम्स के उदाहरण हम देखते हैं। जिसके कारण बहुत सारे बच्चों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा था।



मूलतः ब्लैकमेल या हनी-ट्रैप जैसे मुद्दों से एक व्यक्ति की सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक स्तिथि प्रभावित होती है अतः लोग इन मुद्दों को छुपा कर रखना चाहते है अतः ऐसे मुद्दों की वास्तविक संख्या ज्ञात करना बहुत ही दुष्कर कार्य होता है।

 

इरॉटिक / पोर्न साइट व्यवसाय

यह मोबाइल व इंटरनेट का सबसे घिनौना रूप है जिसमें कुछ बड़े व्यवसायियों के द्वारा इस प्रकार के ओटीटी प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाए जाते हैं जिनके ऊपर विभिन्न प्रकार की इरॉटिक, एडल्ट व पोर्न मूवीस का प्रदर्शन विभिन्न प्रकार की सब्सक्रिप्शन देकर या निःशुल्क किया जाता है। इन फिल्मों में या धारावाहिकों में काम करने के लिए सर्वप्रथम बहुत सारे लड़के-लड़कियों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर मजबूर किया जाता है ताकि वह इस प्रकार के कंटेंट का निर्माण करने में सहयोग दें तत्पश्चात इन कंटेंटो को विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से उपभोक्ता की मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से प्रदर्शित करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इन सभी कंटेंट को गूगल पर सर्च करके आसानी से देखा जा सकता है। ऐसे में अबोधबालक, युवा वर्ग इन सबके आसानी से शिकार हो सकते हैं। गूगल सर्च में इस प्रकार के फिल्टर उपलब्ध नहीं होने से एक आम बच्चे व युवा की पहुंच इन तक आसानी से हो जाती है। जिसके कारण आज हम विभिन्न प्रकार के बढ़ते हुए सामाजिक व लैंगिक अपराधों को देखते हैं।

 अखबारों में न्यूज़ चैनलों में सामूहिक रेप, अपहरण, हत्या इत्यादि के समाचार आम हैं। इन सभी की शुरुआत ऐसे प्लेटफार्म के माध्यम से ही होती है।जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने हेतु या अच्छे उपयोग हेतु मोबाइल में इंटरनेट उपलब्ध करवाते हैं वबच्चे ऐसे कंटेंट तक पहुंच जाते हैं तथा समय से पहले ही जवान हो जाते हैं तथा असुरक्षित यौन संबंधों की तरफ अग्रसर हो जाते हैं जो आगे जाकर उनके भविष्य के लिए एक प्रश्नवाचक चिन्ह लगा देती है।



 मूलतः इरोटिक/एडल्ट मूवी या विडियो देखना जैसे मुद्दों से एक व्यक्ति की सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक स्तिथि प्रभावित होती है अतः लोग इन मुद्दों को छुपा कर रखना चाहते है अतः ऐसे मुद्दों की वास्तविक संख्या ज्ञात करना बहुत ही दुष्कर कार्य होता है।


आतंकवादी गतिविधियां

जहाँ एक और मोबाइल पर इंटरनेट का प्रयोग सोशल मीडिया का प्रयोग एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के साथ में निर्बाध रूप से जोड़े रखने का कार्य करता है वहीं दूसरी तरफ कुछ आतंकवादी संगठन इनका प्रयोग आतंकवादी गतिविधियों हेतु भी करते हैं क्योंकि सोशल मीडिया व इंटरनेट के माध्यम से जाने तथा आने वाली सूचनाओं को किसी सरकारी कंपनी, रक्षा मंत्रालय व सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा फिल्टर करना बहुत ही दुष्कर कार्य होता है इस प्रकार की गतिविधियां करने हेतु विशेष रूप से मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग किया जाता है।

मूलतः आतंकवादी गतिविधियों के राष्ट्रविरोधी होने के कारण व्यक्ति की सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक स्तिथि प्रभावित होती है अतः लोग इन मुद्दों को छुपा कर रखना चाहते है अतः ऐसे मुद्दों की वास्तविक संख्या ज्ञात करना बहुत ही दुष्कर कार्य होता है।

  एस्कॉर्ट सर्विस व कॉल गर्ल की ऑनलाइन बुकिंग

मोबाइल व इंटरनेट का यह उपयोग भी अत्यंत घिनौना है। वर्तमान समय में कुछ एस्कॉर्ट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां एस्कॉर्ट की आड़ में देह व्यापार जैसे अनैतिक कार्यों को कर रही है। यह सभी कंपनियां विभिन्न व्हाट्सएप नंबर या अन्य साइटों के माध्यम से कॉलगर्ल्स की बुकिंग करवाती है व निर्धारित स्थानों पर इन्हें पहुंचा कर उनकी रकम वसूल करती है।

मूलतः देह-व्यापार में संलिप्त होना या इनका प्रयोग करना अत्यंत ही निजी व कानून विरोधी होने के कारण व्यक्ति की सामाजिक, राजनीतिक, पारिवारिक स्थिति प्रभावित होती है अतः लोग इन मुद्दों को छुपा कर रखना चाहते है अतः ऐसे मुद्दों की वास्तविक संख्या ज्ञात करना बहुत ही दुष्कर कार्य होता है। 

धर्म व जाति से संबंधित भड़काऊ विचारधारा

कुछ साम्प्रदायिक विचारधाराओं, धर्म व जाति को प्रेरित करने का कार्य करने वाले तथाकथित संघटन व लोग सूचना व तकनीकी युग में मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग जहाँ रचनात्मक व अच्छे विचारों को प्रेषित करने में कर रहे है वहीं दूसरी तरफ धर्म व जाति के नाम पर बने विभिन्न संगठन अपनी दकियानूसी विचारधाराओं को मोबाइल पर इंटरनेट के माध्यम से प्रेषित करते हैं तथा विभिन्न स्थानों पर एकत्रित होने के लिए सामूहिक मैसेज भेजकर दंगे-फसाद, आगजनी इत्यादि करवाते हैं जो समाज में विघटन पैदा करते हैं व अपने व्यक्तिगत व अपने समूह के फायदे के लिए वे संपूर्ण समाज की एकता व अखंडता को को खतरे में डाल देते हैं।

 

मोबाइल व इंटरनेट के अधिक प्रयोग से सामाजिक संबंधों में आने वाले परिवर्तन

 मोबाइल व इंटरनेट के अधिक प्रयोग से सामाजिक संबंधों में आने वाले परिवर्तन का अध्ययन करने हेतु स्व-निर्मित प्रश्नावली का उपयोग कर 100 उतरदाताओं से प्राप्त उतरों का विशलेषण कर निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है।



           उक्त शोधकार्य हेतु प्रश्नावली से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 51% लोगों ने मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक प्रयोग के आदि होने के कारण अपने परिवार जनों के साथ दूरी बढ़ने की बात से पूर्ण सहमत है, 23% लोगों ने मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक प्रयोग के आदि होने के कारण अपने परिवार जनों के साथ दूरी बढ़ने की बात से पूर्ण असहमत है जबकि 26% लोगों ने मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक प्रयोग के आदि होने के कारण अपने परिवार जनों के साथ दूरी बढ़ने की बात से आंशिक सहमत है।



उक्त शोधकार्य हेतु प्रश्नावली से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 58% लोगों ने सोशल मीडिया या मोबाइल के प्रयोग करने के कारण अपने परिवार व मित्र जनों के साथ बातचीत हेतु कम समय मिलने की बात से पूर्ण सहमत है, 10% लोगों ने सोशल मीडिया या मोबाइल के प्रयोग करने के कारण अपने परिवार व मित्र जनों के साथ बातचीत हेतु कम समय मिलने की बात से पूर्ण असहमत है जबकि 32% लोगों ने सोशल मीडिया या मोबाइल के प्रयोग करने के कारण अपने परिवार व मित्र जनों के साथ बातचीत हेतु कम समय मिलने की बात से आंशिक सहमत है। 


उक्त शोधकार्य हेतु प्रश्नावली से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 57% लोगों ने मोबाइल फ़ोन से अपने परिवार की निजी घटनाओं की जानकारी को अपने रिश्तेदारों तक पहुँचने तथा नातेदारों में मनमुटाव बढ़ने की घटना होने से से पूर्ण सहमत है, 11% लोगों ने मोबाइल फ़ोन से अपने परिवार की निजी घटनाओं की जानकारी को अपने रिश्तेदारों तक पहुँचने तथा नातेदारों में मनमुटाव बढ़ने की घटना होने से पूर्ण असहमत है जबकि 32% लोगों ने मोबाइल फ़ोन से अपने परिवार की निजी घटनाओं की जानकारी को अपने रिश्तेदारों तक पहुँचने तथा नातेदारों में मनमुटाव बढ़ने की घटना होने से से आंशिक सहमत है। 


 

            उक्त शोधकार्य हेतु प्रश्नावली से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 47% लोगों ने लड़के-लड़की की सगाई व शादी के मध्य समय में मोबाइल फ़ोन से अत्यधिक बातचीत होने से शादी से पूर्व ही रिश्तों की मधुरता कम होने की बात से पूर्ण सहमत है, 15% लोगों ने लड़के-लड़की की सगाई व शादी के मध्य समय में मोबाइल फ़ोन से अत्यधिक बातचीत होने से शादी से पूर्व ही रिश्तों की मधुरता कम होने की बात से पूर्ण असहमत है जबकि 38% लोगों ने लड़के-लड़की की सगाई व शादी के मध्य समय में मोबाइल फ़ोन से अत्यधिक बातचीत होने से शादी से पूर्व ही रिश्तों की मधुरता कम होने की बात से आंशिक सहमत है। 

 


            उक्त शोधकार्य हेतु प्रश्नावली से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 75% लोगों ने वर्तमान समय में होली, दीपावली, ईद, क्रिसमिस जैसे त्योहारों का उत्साह मोबाइल फ़ोन पर सोशल मीडिया के माध्यम से सन्देश भेजने तक सीमित होने की बात से पूर्ण सहमत है, 7% लोग वर्तमान समय में होली, दीपावली, ईद, क्रिसमिस जैसे त्योहारों का उत्साह मोबाइल फ़ोन पर सोशल मीडिया के माध्यम से सन्देश भेजने तक सीमित होने की बात से पूर्ण असहमत है जबकि 18% लोग वर्तमान समय में होली, दीपावली, ईद, क्रिसमिस जैसे त्योहारों का उत्साह मोबाइल फ़ोन पर सोशल मीडिया के माध्यम से सन्देश भेजने तक सीमित होने की बात से आंशिक सहमत है। 

मोबाइल पर इंटरनेट के अधिक प्रयोग से होने वाली मानसिक व शारीरिक बीमारियां

आंकड़ों का विश्लेषण

आयु

No of Respondents

1 Hour

2 Hour

4 hour

4  or more

Total

14 से 18 वर्ष

16

6

8

1

1

16

19 से 35 वर्ष

57

10

20

12

15

57

36 से 60 वर्ष

26

8

11

4

3

26

60 वर्ष सेअधिक

1

1

 0

 0

 0

1

Total

100

25

39

17

19

100

तालिका संख्या 1


ग्राफ संख्या 1

तालिका संख्या 1में उत्तरदाताओं में से विभिन्न आयु वर्ग के कुल कितने उत्तरदाताओं ने अपने फीडबैक दिए हैं इस को दर्शाया है तथा साथ ही इस तालिका में आयु वर्ग के अनुसार मोबाइल देखने की प्रवृत्ति को दर्शाया गया है जिसमें प्रति घंटे के हिसाब से किस आयु वर्ग के कितने व्यक्तियों ने कितने घंटे मोबाइल देखना स्वीकार किया है इस को दिखाया गया है तथा इसी के साथ सलंग्न ग्राफ संख्या 1 में इसका चित्रात्मक रूप प्रदर्शित किया गया है जिनको देखकर स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है कि सर्वाधिक मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग 19 से 35 वर्ष के युवाओं ने किया है, उसके पश्चात 36 से 60 वर्ष के व्यक्तियों द्वारा मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग किया गया है तथा सबसे कम मोबाइल इंटरनेट का प्रयोग 60 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर सिटीजंस के द्वारा किया जाता है क्योंकि वह इस नई तकनीकी से ज्यादा परिचय नहीं रखते हैं।

Mobile watching Hour Percentage According to age group

 


 

 

 

 

 

 

Age

No of Respondents

1 Hour

1 Hour %

2 Hour

2 Hours %

4 hour

4 hours %

4  or more

 4 or More %

Total

14 से 18 वर्ष

16

6

37.50

8

50.00

1

6.25

1

6.25

16

19 से 35 वर्ष

57

10

17.54

20

35.09

12

21.05

15

26.32

57

36 से 60 वर्ष

26

8

30.77

11

42.31

4

15.38

3

11.54

26

60 वर्ष सेअधिक

1

1

100.00

 

0.00

 

0.00

 

0.00

1

Total

100

25

25.00

39

39.00

17

17.00

19

19.00

100

तालिका संख्या 2

ग्राफ संख्या 2

तालिका संख्या 2 में उत्तर दाताओं से विभिन्न आयु वर्ग में प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रतिदिन कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसकी जानकारी दी गई है तथा साथ ही इस तालिका पर प्रतिशत का प्रयोग किया गया है ताकि सभी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जा सके तथा इस तालिका के आंकड़ों को प्रदर्शित करने हेतु ग्राफ संख्या 2 का प्रयोग किया गया है। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के कितने व्यक्तियों द्वारा 1 दिन में कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसको प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ 2 से स्पष्ट है कि 14 से 18 वर्ष के अधिकांश बच्चे प्रतिदिन एक या 2 घंटे ही मोबाइल का उपयोग करते हैं जबकि 19 से 35 आयु वर्ग के उत्तर दाता के द्वारा दो या 4 घंटे से अधिक मोबाइल का अधिक प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार से 36 से 60 वर्ग के उत्तर दाताओं के द्वारा भी अधिक मोबाइल का प्रयोग नहीं किया जाता है वे सिर्फ एक या 2 घंटे ही प्रतिदिन मोबाइल का प्रयोग करते हैं अंत में 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति भी मोबाइल का न्यूनतम उपयोग सोशल मीडिया जैसे कार्यों या अन्य व्यक्ति से बात करने हेतु करते हैं अतः वे भी 1 घंटे से अधिक मोबाइल का उपयोग कम करते हैं।

चश्मे का प्रयोग

Mobile Use in Hours

No of Respondents

Yes

Yes %

Yes Sometime

Yes Sometime %

No

NO %

1 Hour

25

10

40.00

2

8.00

13

52.00

2 Hours

39

12

30.77

5

12.82

22

56.41

4 Hours

17

6

35.29

3

17.65

8

47.06

4 or more

19

4

21.05

2

10.53

13

68.42

Total

100

32

12

56

तालिका संख्या 3

ग्राफ संख्या 3

तालिका संख्या3 में उत्तर दाताओं से विभिन्न आयु वर्ग में प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रतिदिन कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसकी जानकारी दी गई है तथा साथ ही इस तालिका में पर प्रतिशत का प्रयोग किया गया है ताकि सभी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जा सके तथा इस तालिका के प्रतिशत आंकड़ों को प्रदर्शित करने हेतु ग्राफ संख्या 3 का प्रयोग किया गया है। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के कितने प्रतिशत व्यक्तियों द्वारा चश्मे का प्रयोग किया जाता है इसको प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ3 से स्पष्ट है किअधिकांश व्यक्ति चाहे वह जितने भी घंटे मोबाइल देखते हैं उन्होंने इस तथ्य को अस्वीकार किया है कि सिर्फ अधिक मोबाइल देखने के कारण उनके चश्मा लगा है।

अतः ग्राफ व तालिका संख्या 3 से स्पष्ट है कि नज़र कमजोर होने या चस्मा लगने हेतु सिर्फ मोबाइल अधिक समय तक देखना जिम्मेदार नहीं हो सकता है इसके लिए अन्य करक भी सामान रूप से प्रभावी है।वर्तमान समय में एक व्यक्ति सही और संतुलित भोजन का उपयोग नहीं कर पाता है जिसके कारण उसके शरीर में अनेक प्रकार के विटामिन व खनिज लवणों की कमी हो जाती है यह भी एक कारण इसमें प्रभावी हो सकता है या व्यक्ति की नजर कमजोर होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे आनुवंशिक कारण इत्यादि।

सिरदर्द

Headache Due to Heavy Mobile Use

Mobile Use in Hours

No of Respondents

Yes

Yes %

Yes Sometime

Yes Sometime %

No

NO %

1 Hour

25

4

16.00

10

40.00

11

44.00

2 Hours

39

17

43.59

12

30.77

10

25.64

4 Hours

17

4

23.53

6

35.29

7

41.18

4 or more

19

4

21.05

7

36.84

8

42.11

Total

100

29

35

36

तालिका संख्या 4

ग्राफ संख्या 4

तालिका संख्या 4 में उत्तर दाताओं से विभिन्न आयु वर्ग में प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रतिदिन कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसकी जानकारी दी गई है तथा साथ ही इस तालिका पर प्रतिशत का प्रयोग किया गया है ताकि सभी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जा सके तथा इस तालिका के प्रतिशत आंकड़ों को प्रदर्शित करने हेतु ग्राफ संख्या 4 का प्रयोग किया गया है। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के कितने प्रतिशत व्यक्तिमोबाइल के अधिक प्रयोग के कारण सिरदर्द जैसे समस्या से स्थाई या अस्थाई रूप से ग्रसित है इसको प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ4 से स्पष्ट है किअधिकांश व्यक्ति चाहे वह जितने भी घंटे मोबाइल देखते हैं उन्होंने इस तथ्य को अस्वीकार किया है कि सिर्फ अधिक मोबाइल देखने के कारण उनके सिरदर्द, माइग्रेन जैसे समस्या हुई है।

सिर्फ 2 घंटे प्रतिदिन मोबाइल देखने वाले समूह ने यह माना है कि उनके सिर दर्द का मुख्य कारण अधिक मोबाइल देखना है अतः स्पष्ट है कि अधिक मोबाइल देखने के कारण सिरदर्द, माइग्रेन जैसी शारीरिक समस्याओं का जन्म होता है परंतु इसका प्रतिशत तुलनात्मक रूप से सिर्फ अधिक मोबाइल देखने वालों को ही सिरदर्द, माइग्रेन जैसी समस्याएं अधिक होती है सेकम है।

 सिरदर्द, माइग्रेन जैसी समस्याओं के लिए वर्तमान में युवाओं के द्वारा या अन्य सामाजिक वर्गों के द्वारा अपनायी गयी जीवन शैली भी हो सकती है। जहाँ एक व्यक्तिपुरे दिनभर थकान व तनाव वाले वातावरण में रहता है तथा संयुक्त परिवारों के टूटने से एकांकी परिवारों में रहता है जिसमे सभी सदस्य अपने अपने कार्यों में इतने व्यस्त होते है कि उन्हें एक दुसरे से बातचीत करने तक की फुर्सत नहीं होती है ऐसे में पारिवारिक सदस्यों के बीच स्नेह का कम होना, सामाजिक जुड़ाव नहीं होना इत्यादि समस्याएं होती है व उचित खानपान व दिनचर्या नहीं होती है, जैसे बहुत सारे कारण हो सकते हैं।

मानसिक अवसाद व तनाव

Mental Disorder Due to Heavy Mobile Use

Mobile Use in Hours

No of Respondents

Yes

Yes %

Yes Sometime

Yes Sometime %

No

NO %

1 Hour

25

4

16.00

6

24.00

15

60.00

2 Hours

39

11

28.21

8

20.51

20

51.28

4 Hours

17

1

5.88

3

17.65

13

76.47

4 or more

19

6

31.58

7

36.84

6

31.58

Total

100

22

 

24

 

54

 

तालिका संख्या 5

ग्राफ संख्या 5

तालिका संख्या 5 में उत्तर दाताओं से विभिन्न आयु वर्ग में प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रतिदिन कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसकी जानकारी दी गई है तथा साथ ही इस तालिका पर प्रतिशत का प्रयोग किया गया है ताकि सभी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जा सके तथा इस तालिका के प्रतिशत आंकड़ों को प्रदर्शित करने हेतु ग्राफ संख्या 5 का प्रयोग किया गया है। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार कितने प्रतिशत व्यक्तिमोबाइल के अधिक प्रयोग के कारण विभिन्न मानसिक रोगों जैसी समस्या से स्थाई या अस्थाई रूप से ग्रसित है इसको प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ 5 से स्पष्ट है किअधिकांश व्यक्ति जो 1, 2 व 4 घंटे तक मोबाइल देखते है उन्होंने इस तथ्य को अस्वीकार किया है कि सिर्फ अधिक मोबाइल देखने के कारण उनके विभिन्न मानसिक रोगों जैसी समस्या हुई है।

परन्तु 4 घंटे से अधिक मोबाइलदेखने वाले समूह ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि अधिक मोबाइल देखने के कारण उनमें या उनके बच्चों में विभिन्न मानसिक बीमारियां घर कर रही है तथा वे चिडचिडे हो रहे हैं। किसी भी कार्य को करने में उनकी रुचि अपेक्षाकृत रूप से कम होती है तथा उनके बच्चों को जब भी कोई कार्य करने के लिए कहा जाता है तो है वे या उनके बच्चे स्वयं को मोबाइल से अलग नहीं कर पाते हैं वह कार्य को टालमटोल करने की कोशिश करते हैं। इसके अतिरिक्त उनमें चिड़चिड़ापन व अत्यधिक गुस्सा करने जैसी प्रवृति भी उत्पन्न हो रही है जिसके कारण पारिवारिक व सामाजिक सदस्यों से वे अच्छी तरह अंत-क्रिया संपादित नहीं कर पाते हैं।

एक व्यक्ति को होने वाले विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियों के लिए सिर्फ और एकमात्र कारक मोबाइल का अधिक प्रयोग होना आवश्यक नहीं है इसके लिए वर्तमान समय में एक व्यक्ति की जीवन शैली भी कारण हो सकती है।जहाँ व्यक्ति पूरे दिन भर थकान और तनाव वाले वातावरण में रहता है कार्य का अनावश्यक बोझ अपने सिर पर लिए घूमता है तथा परिवारों में विघटन की स्थितियां बन रही है। विभिन्न परिवारों में तलाक, घरेलू हिंसा, मारपीट जैसी घटनाएं आम है। अतः एक परिवार में एक व्यक्ति को अपेक्षित स्नेह नहीं मिल पाता है जिसके कारण वह मानसिक रूप से परेशान हो जाता है वविभिन्न मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। कई बार यह मानसिक तनाव इस कदर हावी हो जाता है कि व्यक्ति अपने जीवन को समाप्त कर आत्महत्या जैसी घटनाओं को भी जन्म दे देता है।

 याददाश्त व एकाग्रता पर दुष्प्रभाव

Memory and Consistency Disorder Due to Heavy Mobile Use

Mobile Use in Hours

No of Respondents

Yes

Yes %

Not Noticed

Not Noticed %

Not Sure

Not Sure %

No

NO %

1 Hour

25

8

32.00

3

12.00

7

28.00

7

28.00

2 Hours

39

21

53.85

2

5.13

6

15.38

10

25.64

4 Hours

17

7

41.18

3

17.65

4

23.53

3

17.65

4 or more

19

13

68.42

1

5.26

2

10.53

3

15.79

Total

100

49

 

9

 

19

 

23

 

  






तालिका संख्या 6


ग्राफ संख्या 6

तालिका संख्या 6 में उत्तर दाताओं से विभिन्न आयु वर्ग में प्राप्त फीडबैक के अनुसार प्रतिदिन कितने घंटे मोबाइल देखा जाता है इसकी जानकारी दी गई है तथा साथ ही इस तालिका पर प्रतिशत का प्रयोग किया गया है ताकि सभी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जा सके तथा इस तालिका के प्रतिशत आंकड़ों को प्रदर्शित करने हेतु ग्राफ संख्या 6 का प्रयोग किया गया है। जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों से प्राप्त आंकड़ो के अनुसार कितने प्रतिशत व्यक्तिमोबाइल के अधिक प्रयोग के कारण याददाश्त व एकाग्रता में कमी जैसी समस्या से स्थाई या अस्थाई रूप से ग्रसित है इसको प्रदर्शित किया गया है। ग्राफ 6 से स्पष्ट है किअधिकांश व्यक्ति जो कितने भी घंटे तक मोबाइल देखते है उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि सिर्फ अधिक मोबाइल देखने के कारण उनके याददाश्त व एकाग्रता में कमी जैसी समस्या हुई है।

विशेषकर 4 घंटे से अधिक मोबाइल देखने वाले समूह ने इस तथ्य को बहुत अधिक मात्रा में स्वीकार किया है की अत्यधिक मोबाइल के प्रयोग के कारण उनके याददाश्त कमजोर हुई है व उनमें या उनके बच्चों में एकाग्रता में भी कमी आई है। जिसके कारण जब भी उन्हें किसी कार्य को करने के लिए कहा जाता है तो पहले तो वह उस कार्य को टालमटोल करने की प्रवृत्ति को अपनाते हैं तत्पश्चात उस कार्य को करना ही भूल जाते हैं। इसके अतिरिक्त जैसे महिलाएं या बच्चे जब कोई घरेलू कार्य को कर रहे होते हैं तो ऐसे में उस कार्य को करते-करते बीच में ही कोई अन्य कार्य करने में लग जाते हैं व पीछे वाले कार्य को पूर्णता भूल जाते हैं।जैसे घर के अंदर रसोई में सब्जी या कोई अन्य पकवान चढ़ाकर गैस स्टोव को बंद करना भूल गए या दिए गए होमवर्क को बच्चे भूल जाते है अगले दिन पूछे स्कूल जाने पर ही उनको याद आता है कि उन्हें होमवर्क दिया गया था क्योंकि वे घर आकर मोबाइल की देखने के आदी होने के कारण मोबाइल में लग जाते हैं व गृहकार्य को भूल जाते हैंया किसी पुरुष सदस्य को बाजार जाने पर कोई सामान लाने के लिए कहा जाता है या अन्य कोई काम कहा जाता है तो वह अपनी ही ख्यालों में खोए हुए रहते हैं और बिना सामान लिए ही पुनः घर आ जाते हैं।

 इस प्रकार की समस्याएं प्रत्येक घर में आज आम हो गई है और इसका मूलतः कारण मोबाइल का अधिक प्रयोग है जिसके कारण एक व्यक्ति मानसिक रूप से मोबाइल के से जुड़ा हुआ रहता है। उसके दिमाग में मोबाइल के विभिन्न वीडियो, चुटकुले या गेम की प्लानिंग ही चलती रहती है।

निष्कर्ष :

इस शोध पत्र के माध्यम से मोबाइल पर इंटरनेट के उपयोगों की रचनात्मक जानकारी को प्राप्त किया गया है जिसके अनुसार वर्तमान समय में मोबाइल पर विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे बैंकिंग, मार्केटिंग, सोशल मीडिया पर संदेश भेजना, ऑनलाइन मीटिंग का आयोजन करना, शिक्षा प्राप्त करना, चिकित्सा प्राप्त करना, ऑनलाइन मनोरंजन करना, घर बैठे ही टेलीफोन, बिजली, पानी इत्यादि के बिलों का ऑनलाइन भुगतान कर अपने कीमती समय को बचाना तथा साथ ही साथ घर बैठे ही विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षणों को ऑनलाइन प्राप्त करना, समाचार पत्रों के माध्यम से जिला, राज्य, देश व अन्य देश में घटने वाली घटनाओं की जानकारी सहजता प्राप्त करना, नोबेल कोविड-19 के समय में लोगों को जागरूक किया गया, सरकारी योजनाओं की जानकारियां एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन करने, छिपी हुई प्रतिभा को निखारने में इंटरनेट का बड़ा योगदान जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य संपादित किए जा रहे हैं। अतः निष्कर्ष है यह कहा जा सकता है कि आज लगभग जीवन के सभी क्षेत्रों में मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग कर अपने समय व धन का सदुपयोग किया जा रहा है।

जिस प्रकार हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं उसी प्रकार मोबाइल पर इंटरनेट का प्रयोग एक तरफ जहाँ व्यक्ति अपने कीमती समय व धन को बचाने तथा घर से ही सभी प्रकार के कार्यों को संपादित करने के लिए कर रहा है, उसी प्रकार से एक व्यक्ति घर बैठे ही विभिन्न प्रकार के समाज विरोधी कार्यो को भी करने में मोबाइल व इंटरनेट तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है जैसे विभिन्न प्रकार की हैकिंग, क्रैकिंग, फिशिंग जैसे साइबर अपराधों को वह घर बैठे ही मोबाइल पर इंटरनेट का प्रयोग कर संपादित कर रहा है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के ब्लैक-मेलिंग, हनी ट्रैप, ऑनलाइन गेम के माध्यम से व्यक्तियों से पैसे वसूल करना, पोर्न, इरॉटिक फिल्म व्यवसाय को संचालित करना, आतंकवादी गतिविधियों, एस्कॉर्ट, कॉल गर्ल जैसी सुविधाओं को ऑनलाइन बुक करना, धर्म व जाति से संबंधित भड़काऊ विचारधाराओं को प्रेषित करना जैसे अनैतिक व आपराधिक गतिविधियों का संचालन भी इसी मोबाइल और इंटरनेट के द्वारा किया जा रहा है।

अति तो हर चीज की बुरी होती है चाहे वह ज्ञान की ही क्यों ना हो।विभिन्न आयु समूह है के 100 उत्तरदाताओं से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आज मोबाइल में इंटरनेट के अधिक प्रयोग से सामाजिक संबंधों में भी परिवर्तन आने लगे हैं।जहाँ एक व्यक्ति अपने घर से संबंधित निजी बातों को अन्य व्यक्तियों या परिवारजनों तक पहुंचा देते हैं। जिसके कारण परिवार के सदस्यों के अंदर मनमुटाव आ जाते हैं। पति-पत्नी के मधुर रिश्ते कड़वाहट में बदल जाते हैं। मोबाइल देखने की अधिक प्रवृत्ति के कारण मोबाइल के इतने अधिक आदी हो जाते हैं कि वे अपने परिवार के लिए भी पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते और बातचीत नहीं होने के कारण परिवार के सदस्यों में दूरियां बढ़ती चली जाती है जिसका नतीजे के रूप में पारिवारिक सदस्यों के आपसी मनमुटाव, पारिवारिक कलह, घरेलू हिंसा, तलाक जैसी सामाजिक समस्याओं का जन्म होने लगा है।

उत्तरदाताओं से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह भी प्रमाणित किया जा सकता है कि विभिन्न आयु समूहों तथा विभिन्न मोबाइल देखने के घंटों के बीच एक सहसंबंध पाया गया है। जिसके अनुसार अधिक मोबाइल देखने पर विभिन्न प्रकार की शारीरिक मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है।जैसे नजर का कमजोर होना, सिर-दर्द, माइग्रेन की समस्या से ग्रसित होना तथा इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के मानसिक विकार मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग के कारण व्यक्तियों के अंदर देखे जा रहे हैं जैसे एक व्यक्ति मोबाइल के अधिक प्रयोग के कारण चिड़चिड़ा हो जाता है वह उसे गुस्सा अधिक आने लग जाता है इसके साथ ही व्यक्ति की याद रखने की क्षमता कमजोर होने लगती है तथा एकाग्रता में भी कमी आने लगती है इसके कारण वह अपने दैनिक कार्यों को भी सही प्रकार से संपादित नहीं कर पाता तथा बार-बार किए जाने वाले कार्यों को भूल जाता है।

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि जहाँ एक तरफ मोबाइल में इंटरनेट के प्रयोग में पूरे विश्व को आपस में जोड़ दिया है भौतिक दूरियां अब कोई मायने नहीं रखती है इन सभी तथ्यों के होने के बावजूद भी इसके अनियंत्रित उपयोग के कारण व्यक्ति विभिन्न प्रकार की शारीरिक, मानसिक बीमारियों से ग्रसित होता चला जा रहा है।मोबाइल का प्रयोग सुविधा व दुविधा दोनों लाता है यह निर्भर इस बात पर करता है कि हम इसका प्रयोग किस तरह से करते हैं वह इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर किस प्रकार पड़ता है। समय के साथ बदलना व अनुकूलित होना समय की मांग है लेकिन वह मनुष्य की आंखों, मनुष्य के मन की शांति की कीमत पर हासिल करना नहीं है। मोबाइल का प्रयोग संभवतः मनुष्य की सुविधाएं बढ़ाने हेतु हुआ है अतः असुविधा का जरिया नहीं बनाने में यह सब की भलाई है।

 सामान्य नागरिकों हेतु सुझाव

1.    मोबाइल व इंटरनेट सूचना और तकनीकी एक बहुत अच्छा साधन है लेकिन इसका अधिक उपयोग बहुत हानिकारक है। आज देखा जाए तो आज की युवा पीढ़ी मोबाइल का उपयोग नकारात्मकता की ओर कर रही है।जो लोगों को पतन की ओर ले जा रहा है।अतः प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह बच्चा, व्यस्क या वृद्ध हो प्रत्येक दिन एक निश्चित समय तक ही मोबाइल का उपयोग करना चाहियें।

2.    आज ऑनलाइन शिक्षा के कारण मोबाइल का उपयोग अधिक होने लगा है।जो बच्चो को मानसिक रूप प्रभावित करता जा रहा है। अत: हमे लोगो को इंटरनेट केअधिक उपयोग से होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूक करना चाहिए व अपने परिवार के सदस्यों की मोबाइल के द्वारा की जाने वाली कार्यप्रणाली पर नजर रखनी चाहिए।

3.    मोबाइल के कारण आज के समय में रिस्तेदारो के बीच रिश्ते टूट रहे है या रिश्ते कमजोर होने लगे हैं। लोग आपस में बात करने से हिचकिचाने लगे हैं। अतः प्रतिदिन एक समय निर्धारित कर सभी पारिवारिक सदस्यों के साथ बातचीत करनी चाहिए ताकि परिवार में स्नेहपूर्ण वातावरण का निर्माण हो सके।

4.    लोग सारा दिन मोबाइल पर लगे रहते हैं जिससे वे मानसिक तनाव के शिकार हो जाते है।अतः आवश्यकता होने पर ही सोशल मीडिया या मोबाइल कॉल का एक निश्चित व निर्धारित समयावधि से अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए।

5.    तकनीकी का सकारात्मक सोच के साथ प्रयोग सदैव उपयोगी है परंतु अत्यधिक प्रयोग तनाव जैसे मनोविकार उत्पन्न करता है। अतः ऑनलाइन माध्यमो का प्रयोग सतर्कता के साथ किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के बहकावे या लालच में आकर कोई अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए।

आगामी शोधकर्ताओं के लिए सुझाव

1.    यह शोधकार्य अत्यधिक विस्तृत रूप से किया गया है जिसमे मोबाइल के अधिक प्रयोग से होने वाली सभी सामाजिक, शारीरिक व मानसिक समस्याओं को शामिल किया गया है अत: आगामी शोधकर्ता इनमे से अपने विषय के परिप्रेक्ष्य से एक इकाई का चयन कर गहन शोधकार्य कर सकते है।

 

संदर्भ :

1.   1.  मुन्तजिर अब्बास : “भारत का बढ़ता डेटा उपयोग, डिजिटल इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए स्मार्टफोन अपनाना: शीर्ष नौकरशाह”, द इकोनॉमिक टाइम्स, 26 अक्टूबर 2021
https://economictimes.indiatimes.com/news/india/indias-growing-data-usage-smartphone-adoption-to-boost-digital-india-initiatives-top-bureaucrat/articleshow/87275402.cms
2.    तनुश्री बसुरॉय : “2010 से 2020 तक भारत में मोबाइल फोन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या, 2040 तक अनुमान के साथ”, स्टेटीस्ता, 15 मार्च 2022
https://www.statista.com/statistics/558610/number-of-mobile-internet-user-in-india/#professional
 

संदर्भ ग्रंथ : 

1.   1.  के. रविन्द्रन :कोयंबटूर क्षेत्र के चयनित ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मोबाइल ऐप के प्रभाव पर एक तुलनात्मक अध्ययन (पीएच्.डी. उपाधि हेतु प्रस्तुत)”, पेरियार विश्वविद्यालय, 2018
http://hdl.handle.net/10603/237643
2.    विजय कुमार : “इंटरनेट के फायदे और नुकसान“, www.1hindi.com, 2020
https://www.1hindi.com/advantages-and-disadvantages-of-internet-in-hindi/
3.    25+ इंटरनेट के फायदे और नुकसान”, besthinditips.in, 19 जनवरी, 2022
https://besthinditips.in/advantages-and-disadvantages-of-internet-in-hindi/
4.    दीपक भंडारी : “इन्टरनेट के फायदे और नुकसान क्या-क्या है?, www.supportmeindia.com, 12 मार्च 2022
https://www.supportmeindia.com/internet-ke-fayde-aur-nuksan/
5.    प्रजापति अर्जुन देव आर्य: “इंटरनेट का लाभ”, www.my-knowledge.in, 27 अक्टूबर 2021
https://www.my-knowledge.in/internet-ke-labh-aur-hani/
6.    ”मोबाइल के फायदे और नुकसान” , techrogi.com
https://techrogi.com/mobiles-advantage-and-disadvantage-in-hindi/
7.    “क्या है इन्टरनेट के लाभ तथा नुकसान | जाने ”, https://gkhindigyan.in, 10 सितम्बर 2021
https://gkhindigyan.in/internet-kya-hai/
8.    अभिनव मिश्रा : “छात्रों और बच्चों के लिए इन्टरनेट के फायदे और नुकसान”, जागरण
https://www.jagran.com/blogs/abhinavblog/internet-prose-advantages-and-disadvatages/
9.    “इन्टरनेट का उपयोग पर निबंध”, www.hindikiduniya.com, 16 जनवरी 2018
https://www.hindikiduniya.com/essay/essay-on-uses-of-internet-in-hindi/
10. “मोबाइल बैंकिंग”, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया
https://www.unionbankofindia.co.in/Hindi/personal-mob-overviewhindi.aspx
 

राकेश सैनी
व्याख्याता, राजकीय उ. मा. वि. अजीतसर, चूरू
एवं शोधार्थी, समाजशास्त्र विभाग, मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर
raj.9509580294.phd@gmail.com, 9509580294



अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)  अंक-41, अप्रैल-जून 2022 UGC Care Listed Issue

सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादव, चित्रांकन : सत्या कुमारी (पटना)

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