पर्यटन का एक आयाम ग्रामीण पर्यटन इसके प्रगति एवं संभावनाओं का अध्ययन
प्रशान्त सिंह एवं डा0 आनन्द कुमार सिंह
भारत विश्व के प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है जो अनेक विविधताओं से भरा हुआ है यहाँ विविध संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, विविध भौगोलिक क्षेत्र, जैव विविधता एवं सामाजिक विविधता का अदभुत संगम देखने को मिलता है। यहां एक तरफ हिमालय की चोटियाॅ तो दूसरी तरफ समुद्र, एक तरफ रेगिस्तान तो दूसरी तरफ नदियों की श्रृखंला और वर्ष भर वर्षा होने वाले क्षेत्र ऐसी विविधता ने ही भारत को विश्व में एक अलग पहचान दी है और देश में पर्यटन के नये-नये आयामों का प्रार्दुभांव किया है।
इन्ही
आयामो में से एक नया
आयाम ग्रामीण पर्यटन
भी है। ग्रामीण
पर्यटन के अध्ययन
से पूर्व पर्यटन
उसकी स्थिति को
समझना अति आवश्यक
है। पर्यटन
वह गतिविधि है
जिसमें पर्यटक अपने
आवासीय क्षेत्र से
बाहर मनोरंजन, विश्राम,
व्यवसाय एवं अन्य
उद्देश्य से यात्रा
करता है।
पर्यटन
शब्द के बारे में बात
करे तो यह शब्द अग्रेजी
के TOURISM
या TOUR
से सम्बन्धित है
‘टूर’ को लैटिन
भाषा के TORNOS, शब्द से लिया
गया है जिसका
अर्थ एक प्रकार
के औजार से है। जो
एक पहिये की
भाॅति गोलाकार होता
है। इसी शर्त
से ही पर्यटन
में भी इसकी भाति चक्र
या पैकेज टूर
अर्थात एक मुश्त
यात्रा के विचार
का प्रादुर्भाव हुआ।
वर्तमान समय में पर्यटन विश्व
के अन्य देशों
के साथ ही भारत का
भी सबसे बड़ी
सेवा उद्योग है।
2019 में भारत ने
194.30 अरब अमेरिकी डाॅलर की
आय यात्रा और
पर्यटन के क्षेत्र
से प्राप्त किया
जो भारत की जीडीपी का
6.8 था
वहीं यह अनुमान
है कि 2028 तक
यह बढ़कर 512 अरब
अमेरिकी डाॅलर हो
जायेगा। जो भारत की जीडीपी
का 10.35 होगा।
भारत
में विदेश से
आये पर्यटकों से
भारत के विदेशी
मौद्रिक आय में भी वृद्धि
निरन्तर होती रही
है। इसे इस तरह देख
सकते है 2001 में
3.198 अरब अमेरिकी डालर की विदेशी मौद्रिक
आय प्राप्त हुई
थी जो 2010 में
बढ़कर 14.49 अरब अमेरिकी
डालर हो गयी और यह
2019 में बढ़कर 30.058 अरब अमेरिकी
डालर तक पहुच गयी जिसके
2028 तक 50.9 अरब अमेरिकी
डालर तक पहुचने
की सम्भावना है।
भारतीय रूपयों में
बात करें तो यह 2001 में 15083 करोड़
रू0 2010 में 66172 करोड़ रू0
और 2019 में 211661 करोड़
रू0 हो गयी। भारत की
विश्व पर्यटन में
हिस्सेदारी की बात
करें तो निम्न
आकड़ों द्वारा समझा
जा सकता है।
वर्ष |
विश्व |
भारत |
विश्व में भारत की
हिस्सेदारी प्रतिशत में |
विश्व में भारत का स्थान
|
2010 |
931 |
14.49 |
1.56 |
17okW |
2019 |
1465 |
30.058 |
2.05 |
13okW |
(आकड़े बिलियन
अमेरिकी डालर में)
भारत
के विभिन्न पर्यटन
क्षेत्रों में देश-विदेश के
पर्यटकों के आगमन
की बात करे तो 2010 में घरेलू
पर्यटकों की संख्या
7470 लाख और विदेशी
पर्यटकांे की संख्या
179.1 लाख थी, वहीं
यह 2019 घरेलू पर्यटकांे
की संख्या बढ़कर
23219.8 लाख और
विदेशी पर्यटको की
संख्या बढ़कर 314.1 लाख
हो गयी।
भारत
में पर्यटन उद्योग
का रोजगार सृजन
करने में भी बहुत अच्छा
योगदान है। इसमें
कम निवेश के
बाद भी अन्य क्षेत्र की तुलना
में अधिक रोजगार
पैदा किये जा सकते हैं।
वर्तमान समय में भारत में
रोजगार सृजन में
पर्यटन क्षेत्र 8.0ः
की दर से योगदान दे
रहा हैं।
वित्तीय
वर्ष 2020 में इस
क्षेत्र में पर्यटन
उद्योग के अन्तर्गत
390 लाख नौकरीयों का
सृजन हुआ था, और यह
अनुमान है कि
2029 तक यह बढ़कर
530 लाख नौकरियों तक
पहुच जायेगा इस
उद्योग की अपार सम्भावना को देखते
हुए इस क्षेत्र
में प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश ¼F.D.I.½
की प्राप्ति में भी निरन्तर वृद्धि हो
रही है।
ग्रामीण
पर्यटनः-
भारत
की रीढ़ गाँव
को कहा जाता
है और देश के लगभग
70ः लोग गाँव
में निवास करते
हैं। आधुनिकता के
इस दौर में भी भारत
के गाँव के लोग अपने
रीति-रिवाज, कला,
संस्कृति, एवं प्राकतिक
धरोहर को सहेजे
हुए हंै। यहाँ
के गाँव के लोगों के
द्वारा आधुनिकीकरण के
साथ ही साथ अपने प्राचीन
संस्कृति के बीच
ताल-मेल बनाये
रखने की कला सीखने योग्य
हंै। यहाँ की कला, संस्कृति,
शिल्प, प्राकृतिक धरोहर,
हथकरघा, लोक संगीत,
त्यौहार, मेले, दूर-दूर तक
फैले खेत-खलिहान,
बाग-बगीचे, विभिन्न
परम्परा आदि आज भी लोगो
को गाँव की ओर आने
के लिए आकर्षित
करते हंै। आज के व्यस्तता
के दौर में भी गाँवों
की मस्ती, सहजता,
लोगों के बीच में लगाव
स्वप्न की तरह प्रतीत होता
है, जिसे थोड़े
से प्रयास से
अपने मस्तिष्क में
सहेजने का अवसर ग्रामीण पर्यटन के
द्वारा मिल सकता
हैं। ग्रामीण पर्यटन
को परिभाषित करने
का प्रयास करें
तो कह सकते है कि
ग्रामीण भाग के सुन्दर वातावरण
प्राकृतिक सौन्दर्य, संस्कृतिक परम्परा,
लोक-संगीत पारम्परिक
भावना ऐतिहासिक धरोहर
को दर्शाना जिससे
स्थानीय समुदाय को
आर्थिक और सामाजिक
लाभ पहुँचता हो,
साथ ही पर्यटको
और स्थानीय लोगों
के बीच संवाद
से पर्यटन अनुभव
के अधिक समृद्ध
बनने की सम्भावना
हो, तो उसे ग्रामीण पर्यटन कहा
जा सकता है।
ग्रामीण पर्यटन बहुआयामी
प्रकृति का है जिसमें
(1) कृषि पर्यटन (2) प्राकृति
पर्यटन (3) साहसिक
पर्यटन (4) नृजातीय पर्यटन (5) सांस्कृतिक
पर्यटन (6) व्यंजन
पर्यटन (7) पारिस्थितिक
पर्यटन
आदि
शामिल है। जो आपस में
निकट संबद्धता रखते
है। भारत सरकार
के अधीन पर्यटन
मंत्रालय ने भी
इस क्षेत्र के
महत्व को देखकर
ऐसे ग्रामीण पर्यटन
स्थलो के विकास
पर विशेष बल
दिया है। जो सम्बन्धित कला, हथकरघा,
शिल्प, ऐतिहासिक धरोहर,
संस्कृत आदि क्षेत्र
को पर्यटकों के
अनुकुल बनाने में
सहायक हो रहे है। वही
ग्रामीण पर्यटन के
अन्तर्गत घरेलू विदेशी
पर्यटकों के लिए
की जाने वाली
सुविधाओं का प्रबन्ध,
सेवा आदि का कार्य ज्यादातर
उस क्षेत्र के
ग्रामीण सुमदाय द्वारा
ही किया जाता
है जिससे ग्रामीण
क्षेत्र के जीवन स्तर मे
सुधार भी देखा जा सकता
है।
भारतीय
ग्रामीण पर्यटन के
विकास हेतु सरकारी
प्रयासः-
भारत
सरकार स्वतन्त्रता के
बाद के कुछ वर्षों में
पर्यटन क्षेत्र को
लेकर कुछ खास योजनाएं नहीं बनायी
गयी थी परन्तु
इस क्षेत्र के
महत्व को देखते
हुए पहली पर्यटन
नीति 1982 में लाई
गयी थी। तत्पश्चात्
भारत सरकार इस
क्षेत्र की महत्ता
को और अधिक प्रासंगिक बनाने के
लिए इसे एक अलग मंत्रालय
का भी दर्जा
दे दिया।
वर्ष
1992 में पर्यटन के
क्षेत्र में एक राष्ट्रीय कार्य योजना
की शुरूआत की
गयी जिसमें भारत
की कला, संस्कृत,
ऐतिहासिक धरोहर को
संरक्षण देने के साथ पर्यटन
के विकास पर
विशेष बल दिया गया जिससे
पर्यटन के सभी क्षेत्रों के विकास
में निरन्तरता आयी।
21वीं शदी के आरम्भ में
भारत सरकार के
द्वारा सरकारी प्रयासो
के तहत राष्ट्रीय
पर्यटन नीति 2002 के
अन्तर्गत ग्रामीण पर्यटन की
चर्चा पहली बार
की गयी इसके
प्रोत्साहन के लिए
पर्यटन मंत्रालय द्वारा
भारत की दसवीं
पंचवर्षीय योजना (2002-07) के अन्तर्गत
पर्यटन से सम्बन्धित
योजना लाके इसके
प्रमुख क्षेत्रों की
पहचान की गयी, वे है
स्वागत, सहयोग, सुरक्षा,
सफाई, सूचना संरचना
और सुविधा इसमें
सांस्कृतिक पर्यटन के
विस्तार और ग्रामीण
पर्यटन पर बल दिया गया
था।
2004
में इंडोजेनस पर्यटन
परियोजना की शुरूआत
सुआलकुची से की
गयी थी इसका उद्देश्य ग्रामीण आजीविका,
आय सृजन, रोजगार,
ग्रामीण लैगिक समानता
महिलाओं का सशक्तीकरण,
ग्रामीण युवाओ सीमान्त
समूहो और उनकी क्षमता निर्माण
पर ध्यान केन्द्रित
करना था।
अतुल्य भारत
अभियान के अन्तर्गत
भारत के स्थानीय
निवासियो के व्यवहार
में देश-विदेश
के पर्यटकों के
लिए उचित बर्ताव
और शिष्टाचार्य को
बनाने के लिए ‘अतिथि देवो
भवः’ अभियान चलाया
गया इसका उद्देश्य
था की ग्रामीण
लोग अपने कला,
संस्कृति व विरासत
का संरक्षण करने
के साथ ही वे यात्रियों
व पर्यटकांे का
स्वागत भारतीय रीति-रिवाज के
अनुरूप करे इन सब अभियानों
और अन्य प्रयासों
ने भारत के पर्यटन को
विश्व मान्यता प्रदान
किया। इसको और अधिक प्रभावी
बनाने के लिए
2017 में अतुल्य भारत
अभियान को अतुल्य
भारत 2.0 अभियान के
रूप में रूपान्तरित
कर और अधिक प्रभावी बनाने का
प्रयास किया गया,
इसके तहत पर्यटन
मंत्रालय, संस्कृत मंत्रालय और
भारती पुरात्व विभाग
की संयुक्त पहल
पर एडाप्ट ए
हरिटेज प्रोजेक्ट लांच
किया गया जो पर्यटन के
विशिष्ट प्रचार प्रसार
पर ध्यान केन्द्रित
करता है।
स्वदेश दर्शन
योजना इस योजना
का आरम्भ भारत
सरकार के पर्यटन
मंत्रालय व संस्कृति
मंत्रालय द्वारा 2014-15 में की
गयी इसके अन्तर्गत
विषयगत पर्यटन सर्किट
को एक करके उनको बढ़ावा
देने, विकसित करने
ओर दोहन करने
के उद्देश्य से
तैयार किया गया
इस योजना में
पर्यटन सर्किट के
आधार भुत ढाचे
के विकास पर
बल दिया गया
है। इस योजना
के अन्तर्गत 15 परिपथ
की पहचान की
गयी जो निम्न
है-
बौद्ध सर्किट 9. मरूस्थल
सर्किट
तटीय सर्किट 10. हिमालय
सर्किट
इको पर्यटन
सर्किट 11. सूफि
सर्किट
विरासत सर्किट 12. कृष्ण
सर्किट
पूर्वोत्तर क्षेत्र सर्किट 13. रामायण
सर्किट
ग्रामीण सर्किट 14.
आध्यात्मिक सर्किट
जनजातिय सर्किट
15. वन्यजीव सर्किट
तीर्थकर सर्किट
श्यामा
प्रसाद मुखर्जीं रूर्वन
मिशन के अन्तर्गत
ग्रामीण क्षेत्रों के
एकीकृत परियोजना आधारित
बुनियादी अवसरचना को विकसित
करने हेतु ग्रामीण
विकास मंत्रालय द्वारा
2016 में शुरू की
गयी, यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना
है। जिनका उद्देश्य
आर्थिक व बुनियादी
सेवाओं का विकास
करना तथा ग्रामीण
एवं शहरी विभाजन
को कम करना है इसके
तहत देश में विभिन्न राज्यों एवं
केन्द्र शासित प्रदेशों
में 84 पर्यटन अवसंचना
परियोजनाएॅ चलाई जा
रहा है। जिसके
अन्तर्गत पर्यटन स्थलो
का सौन्दर्यीकरण, पर्यटन
पार्को का निर्माण
पर्यटन रिवरफ्रंट, विकास,
पर्यटकों के आवास
की व्यवस्था, पर्यटन
स्थलों पर सार्वजनिक
सुविधा आदि का विकास किया
जा रहा है।
2020
में ‘देखो अपना
देश योजना’ शुरू की गयी इस
योजना का उद्देश्य
भारत के सभी लोगो से
अपने देश के हर कोने
को देखने के
लिए यात्रा करने
को प्रोत्साहित किया
गया है जिसके
लिए पर्यटन पर
भी आयोजन किया
गया।
आत्मनिर्भर
भारत के संकल्प
को पूरा करने
के लिए पर्यटन
मंत्रालय द्वारा ग्रामीण
पर्यटन के विकास
के लिए राष्ट्रीय
कार्य नीति एवं
रोडमैप तैयार किया
गया है जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में
एक प्रमुख साकारात्मक
पहल है यह कार्यनिति निम्न प्रमुख
स्तम्भो पर केन्द्रित
है।
ग्रामीण पर्यटन के
लिए क्लस्टर विकसित
करना।
ग्रामीण पर्यटन हेतु
आदर्श नीतियाँ और
सर्वोत्तम प्रथाएँ
ग्रामीण पर्यटन हेतु
डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ और
मंच
हितधारकों की क्षमता
का निर्माण
ग्रामीण पर्यटन के
लिए विपणन सहायता
प्रशासन और संस्थागत
ढांचे का विकास
अध्ययन
का उद्देश्यः-
प्रस्तुत अध्ययन का
उद्देश्य निम्नलिखित है
पर्यटन की
अवधारणा एवं वर्तमान
स्थिति का अध्ययन
करना।
ग्रामीण पर्यटन की
अवधारणा और इस क्षेत्र को बढ़ावा
देने के किए गये सरकारी
प्रयास का अध्ययन
करना।
ग्रामीण पर्यटन से
होने वाले प्रभावों
का अध्ययन।
ग्रामीण पर्यटन की
सम्भावना का अध्ययन
करना।
शोध
प्रणालीः-
प्रस्तुत अध्ययन में
अवलोकनात्मक व विश्लेष्णात्मक
विधि का प्रयोग
कर, शोध कार्य
सम्पन्न किया गया
द्वितीयक स्त्रोत हेतु-
(1) मूल ग्रन्थ (2) वेवसाइड (3) जर्नल (4) प्रोजेक्ट
रिपोर्ट
(5) सरकारी तथा
गैर सरकारी रिपोर्ट (6) पत्र-पत्रिका आदि स्रोतो
से अध्ययन कार्य
पूर्ण किया किया
है।
शोध
परिकल्पनाः-
शोध-कर्ता
द्वारा अध्ययन से
पूर्व शोध के सम्बन्ध में पूर्व
धारणाए परिकल्पना का
निर्माण होना स्वाभाविक
है। वर्तमान अध्ययन
निम्न परिकल्पना पर
आधारित है।
ग्रामीण पर्यटन को
विकसित करके ग्रामीण
लोगों के लिए रोजगार के
नये अवसर पैदा
किये जा सकते है।
ग्रामीण पर्यटन में
पूर्व की अपेक्षा
वर्तमान में विकास
के प्रयास में
वृद्धि हो रही है।
ग्रामीण पर्यटन के
आधारभूत संरचना के
विकास में कमी।
गामीण
पर्यटन की सम्भावनाः-
भारत विश्व
में जनसंख्या की
दृष्टि से दूसरे
और क्षेत्रफल की
दृष्टि से सातवाँ
स्थान पर है यहां विश्व
के प्रमुख धर्मो
में से हिन्दु,
ईसाई, इस्लाम, सिख,
जैन, पारसी और
यहूदी व धर्म के लोगो
का निवास है
वही हिन्दु, सिख,
जैन, बौद्ध, धर्म
की जन्मस्थली भी
यही है यहां की भौगोलिक
संरचना विश्व में
अपनी अलग पहचान
रखता है। इस देश की
रीति-रिवाज, लोग-संगीत, नृत्य,
वास्तुकला, परम्परा, भाषा, वस्त्र
आदि का जो संगम है
वह विश्व में
कही और देखने
से नहीं मिलता
जो पर्यटन की
सम्भावनाओं का नया
द्वार खोलता। ग्रामीण
पर्यटन को ग्रामीण
सम्भावना को निम्न
रूप से समझा जा सकता
है।
एक
सस्ता प्रवेश द्वार-
ग्रामीण
पर्यटन का ग्रामीण
प्रवेश बहुत ही सस्ता है
यहां के भोजन,
आवास, मनोरंजन, यात्रा
की लागत शहरी
क्षेत्र की अपेक्षा
कम है वही शहर में
निवास करने वालो
की संख्या से
कही अधिक ग्रामीण
क्षेत्र में निवास
करने वालो का है जो
इस पर्यटन उद्योग
का दायरा बढ़ाने
की अपार सम्भावना
दर्शाता है।
शहरी आबादी
की स्वास्थ चेतना
और प्रकृति के
अनुकूल साधनो की
खोज-
वर्तमाान में ज्यादातर
लोग तनाव मानसिक
बीमारियों से परेशान
है वे वर्तमान
के भागदौड़ भरे
जीवन में कुछ पल शांति
से व्यतीत कर
अपने मन-मस्तिष्क
को आनन्द की
अनुभुत कराने के
लिए प्रकृति की
ओर निरन्तर खेाज
में है। जो ग्रामीण पर्यटन की
सम्भावना का एक
द्वार खोलता है।
क्योंकि देश के ग्रामीण क्षेत्र की
संगीत, कला, रीति-रिवाज, नृत्य
कठपुतली शो, कृषि
पर्यटन परिवारिक आवास,
विभिन्न परम्परा चाय
के बागान ऐतिहासिक
विरासत भौगोलिक विविधता
आदि मन को एक अलग
स्तर पर ले जाते है
जो मन-मस्तिष्क
को एक नयी ऊर्जा प्रदान
करते है।
प्राकृतिक
वातावरण में रूचिः-
देश में
प्राकृतिक सौन्दर्यता की अनमोल
विरासत है यहाँ सुन्दर वन
पहाड़िया, जैव विविधता,
नदियाॅ, मौसमी वन,
सागर, गहरी घाटियाॅ,
रेगीस्तान आदि स्थित
है जो प्रकृति
में रूचि रखने
वाले पर्यटको को
अपनी ओर आकर्षित
करते है। देश में 566 वनजीवन अभयारण्य,
52 टाइगर रिजर्व, 97 संरक्षण रिजर्व,
214 सामुदायिक रिजर्व, 32 हाथी रिजर्व,
18 वायोस्फीयर रिजर्व, 467 पक्षी विहार
क्षेत्र, 104 राष्ट्रीय उद्यान है
यहा ग्रामीण पर्यटन
की अपर सम्भावनाएँ
है जिसे पर्यटन
के हिसाब से
विकसित किया जा सकता है।
अन्यः-
देश में 400 से अधिक छोटी-बड़ी नदियाँ जिसके किनारे हजारो गाँव स्थित है नदियों के किनारे रिवर राफ्टिंग, फ्लिक्स, जल प्रपात, झरने आदि विकशीत कर ग्रामीण पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। सैकड़ो आद्रभूमि, 49 रामसर आद्र भूमि स्थित है जिससे जल अधार पर्यटन की अपार सम्भावना है।भारत में वनजीवन संस्थान द्वारा समुद्र के तट पर 106 स्थलो की पहचान की गयी जिसे विकसीत और संरक्षित कर पर्यटन के रूप में विकसीत करने की अपार सम्भावना हैं।
कृषि पर्यटन
के क्षेत्र में
अपार सम्भावना है।
हरित्व एवं
पोषणीय पर्यटन पारिस्थिक
पर्यटन क्षेत्र में
अपार सम्भावना है
साहसीय पर्यटन,
समुद्री पर्यटन, अवकास
पर्यटन एवं स्वस्थ
पर्यटन का ग्रामीण
पर्यटन के क्षेत्र
में अपार सम्भावनाएॅ।
रोजगार के
क्षेत्र की बात करें तो
ग्रामीण पर्यटन के
माध्यम से यहां के लोगों
को व्यवसायिक प्रशिक्षण
प्रदानकर पर्यटन उद्योग
में रोजगार के
अवसर पैदा करने
की असीम सम्भावनाए
है।
ग्रामीण
पर्यटन को बढ़ावा
देने के लिए सुझावः-
ग्रामीण
पर्यटन को पर्यटको
के अनुकुल बनाने
के लिए निम्न
क्षेत्र को विकसित
एवं आधुनिक करने
की विशेष आवश्यकता
है।
बुनियादी ढांचे का
विकास
धरोहरो और
स्मारकों पर ध्यान
केन्द्रित करने की
आवश्यकता
स्ंाचार के क्षेत्र
में व्यवस्थित विकास
परिवहन क्षेत्र
का समुचित विकास
पर्यटको के लिए आवास की
अच्छी व्यवस्था।
ग्रामीण पर्यटन में
विकास में सार्वजनिक
एवं निजी भागीदारी
में वृद्धि
ग्रामीण पर्यटन स्थलो
को आपस में जोड़ना
प्रशासनिक व संगठननात्मक
ढांचे का विकास
कृषि पर्यटक,
अवकाश पर्यटक, साहसिक
पर्यटक आदि पर्यटन
को बढ़ाने पर
विशेष ध्यान
योजनओ का
सही क्रियान्वन
ग्रामीण पर्यटन के
प्रचार-प्रसार, आदि
क्षेत्रों पर विशेष
ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे
ग्रामीण पर्यटन को
रोजगारपरक व पर्यटक
अनुकूल बनाने के
लक्ष्यो की प्राप्ति
होगी और साथ ही ग्रामीण
विकास व देश के आर्थिक
विकास के लक्ष्यों
को भी हासिल
किया जा सकता है।
निष्कर्षः-
प्रस्तुत शोध पत्र
के विश्लेषण से
निष्कर्षतया हम कह
सकते हैं कि ग्रामीण पर्यटन देश
के गाँवो को
एक नया रूप दे सकता
है। जिससे गाँव
के आर्थिक, सामाजिक
व सांस्कृतिक सम्पन्नता
का द्वार खुल
सकता है। ग्रामीण पर्यटन का
सतत विकास देश
की समृद्धि और
विविधतापूर्ण संास्कृतिक विरासत को
विश्व पटल पर प्रमुख स्थान
दिला सकता है।
क्षेत्र का तेजी से विकास
देश की अर्थ व्यवस्था को एक नई ऊँचाई
प्रदान कर सकता ह,ै
और प्रधानमंत्री की
आत्मनिर्भर भारत के
सपने को साकार
कर सकता है वशर्ते की
गाँव में मौजूद
पर्यटन की सम्भावनाओं
को उसी रूप में पूर्णतः
परिमार्जित किया जाए
जिससे गाॅव का बहुमुखी विकास हो
सके और पर्यटन
के लिए आवश्यक
शर्तो का गाँव पूरी तरह
अनुशरण कर ग्रामीण
पर्यटन के लिए पर्यटको को आकर्षित
कर सके, जिससे
ग्रामीण युवाओं
को पर्यटक
उद्योग से सम्बन्धित
विभिन्न क्षेत्र में
रोजगार मिल सके और साथ
भी ग्रामीण जीवनशैली
में विकास हो
सके और विभिन्न
जीवन शैलियों में
एकता आये जो राष्ट्र की एकता एवं उसके
आर्थिक विकास में
सहायक हो। इसके
लिए केन्द्र व
राज्य सरकार द्वारा
एक जुट प्रयास
से ग्रामीण पर्यटन
के बुनियादी ढाचे
के विकास के
लिए एक समावेशित
येाजना रणनीति और
उसका सही क्रियान्वन
कर के ही ग्रामीण पर्यटन का
समुचित विकास एवं
विस्तार किया जा सकता है
जिससे निर्धारित लक्ष्यों
की प्राप्त कर
इसे नई ऊचाई प्रदान की
जा सकती है।
सन्दर्भ
ग्रन्थः-
1-
भारतीय
रिजर्व बैंक
2-
पर्यटन
मंत्रालय, भारत सरकार
3-
UNWTO टूरिस्ट
मार्केट ट्ेडस, वैरोमिटर,
हाईलाइट
4-
पर्यटन
विभाग उत्तर प्रदेश
सरकार रिपोर्ट
5-
सहायक
वेवसाइड w.w.w.inflibnet.ac.in
6-
http/-
w.w.w tourism.gov.in.itc
7-
भारत
पर्यटन सांख्यिकी रिपोर्ट
8-
पर्यटन
मंत्रालय, दिल्ली
9-
योजना
मासिक पत्रिका
10- अन्य पत्र
पत्रिका आदि
शोध निर्देशक शोधार्थी
डा0 आनन्द कुमार सिंह प्रशान्त सिंह
एसोसिएट प्रोफेसर वाणिज्य संकाय, वीर बहादुर सिंह
(वाणिज्य संकाय) व पूर्वांचल विश्वविद्यालय
राजकीय महिला महाविद्यालय जौनपुर (उ0प्र0)
शाहगंज जौनपुर
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