डिजिटल मीडिया माध्यम और पूर्वाग्रहों को तोड़ती सफल महिला उद्यमी
-डॉ. अमिता एवं अदिति खरे
शोध सार : पिछले एक दशक में भारत में स्टार्टअप और नए व्यवसायों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिनमें से अधिकांशतः पुरुषों द्वारा शुरू किए गए थे। भारतीय समाज की महिलाओं के लिए उद्यमिता की महत्वाकांक्षा रखना उसे काफ़ी चुनौतीपूर्ण बना देता है। लेकिन महिलाएं इस कार्य में भी पीछे नहीं हैं, कई महिलाएं हैं जिन्होंने खुद को सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया है। महिला चाहे संपन्न परिवार से संबंध रखती हो या फिर साधारण पृष्ठभूमि से आती हो, उन्हें अपना उद्यम चलाने के लिए अपने निर्णय पर अडिग रहना ही पड़ता है। यह शोध पत्र उन कारकों का अध्ययन करने पर केंद्रित है जिन्होंने उन महिलाओं को एक व्यवसायी बनने के लिए प्रेरित किया और उन्हें इस कार्य को करने में किस-किस तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा। इस शोध पत्र के माध्यम से यह जानने का भी प्रयास किया गया है कि डिजिटल मीडिया और इंटरनेट उनके उद्यम को सफल बनाने में कितना मददगार साबित हुआ है।
मुख्य शब्द : उद्यमिता, महिला उद्यमी, भारतीय परिदृश्य, पूर्वाग्रह, चुनौतियाँ, प्रेरणा स्रोत, इंटरनेट, डिजिटल मीडिया, नवाचार, ब्रांड इमेज।
प्रस्तावना : जिस तरह महिलाएं घर की बैकबोन होती हैं, उसी तरह वे देश का भी एक मजबूत स्तंभ होती हैं। वे अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं जो कि अंततः राष्ट्र के विकास और प्रगति में सहायक होता है। चूंकि स्त्री और पुरुष दोनों ही इस दुनिया का हिस्सा हैं, अतः दोनों को देश के समग्र विकास में समान रूप से योगदान देने की आवश्यकता है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक़, "कार्यबल में महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता को कम करके वैश्विक जीडीपी को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे संपन्न और विकासशील दोनों ही देशों को लाभ होगा।" इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही कार्य क्षेत्र में समान भागीदार होने की आवश्यकता है।
एक देश तभी आर्थिक रूप से विकसित हो सकता है जब नौकरी चाहने वालों से ज्यादा नौकरी देने वालों की संख्या हो= और उद्यमिता एक ऐसा क्षेत्र है जो बहुत सारी नौकरियों का सृजन करता है। उद्यमिता एक प्रकार का ऐसा व्यवसाय है जो रचनात्मक विचारों की पहचान करने, नए व्यावसायिक मॉडल लाने, नए अवसरों की तलाश करने और उन्हें विकसित करने जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। उद्यमिता शब्द फ्रांसीसी शब्द 'उद्यमी' से आया है जिसका अर्थ है कार्य करना (शर्मा, 2020)। किसी देश के विकास और प्रगति को बढ़ाने में उद्यमिता ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है। नए स्टार्टअप्स के उदय के कारण पिछले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हुई है। यद्यपि उनमें से अधिकांश का स्वामित्व पुरुषों के पास है, परंतु महिलाएं भी सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों को तोड़कर, वित्त, पूंजी, प्रशिक्षण और विकास जैसे कम संसाधनों के होते हुए भी अपना रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ रहीं हैं (कोरेक, 2019)। यह अध्ययन भारतीय महिला उद्यमियों की प्रेरणाओं और चुनौतियों को समझने पर केंद्रित है।
इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उद्यमियों के सपनों को साकार करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। महिला उद्यमियों की प्रगति और उनके विकास के लिए भारत सरकार द्वारा विशेष योजनाएं प्रारंभ की गई हैं ताकि उनके विकास के साथ देश की अर्थव्यवस्था में भी उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। लेकिन महिलाएं चाहे शिक्षित हों या फिर अशिक्षित हों, उनके लिए घरेलु कार्य को छोड़कर हर दूसरा काम चुनौतियों और बाधाओं से भरा होता है। ऐसी स्थिति में एक कामकाजी महिला होना और वह भी एक उद्यम या व्यवसाय का नेतृत्व करना भारतीय समाज के लिए वास्तव में बहुत बड़ी बात है। भारतीय महिलाओं ने बड़ी चुनौतियों को पार करते हुए किसी तरह समाज की सीमाओं से ऊपर कदम रखा है और अपनी दृढ़ इच्छा और संकल्प से कुछ अनुचित परंपराओं और रूढ़ियों को तोड़ रही हैं। वैश्वीकरण और इंटरनेट के विकास के ठीक बाद, महिलाओं ने पुरुषों के वर्चस्व वाली दुनिया में खुद को तलाशना और स्थापित करना शुरू कर दिया है।
इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) का कहना है कि महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसाय भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बड़ा प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। "भारत में 432 मिलियन कामकाजी उम्र की महिलाएं और 13.5-15.7 मिलियन महिलाएं व्यवसाय का स्वामित्व रखती हैं, जिससे कि 22-27 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।" ये तथ्य स्पष्ट रूप से बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महिलाओं का योगदान बेहद अहम है।
वर्तमान समय में दुनिया में क्या-क्या घटित हो रहा है, यह जानने की जरूरत है, साथ ही अपने परिवेश से नए विचार लेने की भी आवश्यकता है और डिजिटल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जो अलग-अलग चीजें खोजने में मदद करता है। आज ऐसे बहुत सारे उद्यम हैं जो महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं जिनकी वास्तव में उन्नति और संसार तक पहुंच इन डिजिटल मीडिया माध्यमों की सहायता से हुई है इसका उदाहरण में स्ट्रुपीडिया की फाउंडर अदिति गुप्ता और जिवामे की फाउंडर रिचा कर हैं, जिनके आइडियाज और उद्यम को इंटरनेट ने बहुत ऊँचे मुकाम तक पहुंचाया है। चूँकि इंटरनेट वह जरिया है जिसके माध्यम से कोई अपने ब्रांड को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचा सकता है। इस अध्ययन के माध्यम से यह भी जानने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट ने उद्यम के विकास में क्या भूमिका अदा की है।
शोध उद्देश्य :
1.महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने वाले कारकों की पहचान करना।
2.व्यवसायिक यात्रा के दौरान उनके सामने आने वाली चुनौतियों को जानना।
3.यह जानने का प्रयास करना कि कैसे उनके द्वारा डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल अपने ब्रांड को स्थापित करने में किया गया है।
साहित्य का अध्ययन :
शर्मा
(2020) ने विश्लेषण किया कि भारत में महिलाओं के लिए उद्यमी बनना बहुत चुनौतीपूर्ण है। अपने अध्ययन में, उन्होंने पाया कि भारत में महिला उद्यमी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई योजनाओं का सही उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। उनका यह मानना है कि सरकार द्वारा की गई पहल में सुधार की आवश्यकता है ताकि वे महिला उद्यमियों के लिए तरक्की और निरंतर विकास के लिए मंच उपलब्ध करा सकें।
पाई एच, (2018) ने अपने पेपर में उन कारकों पर चर्चा की जो महिलाओं को अपना स्टार्टअप स्थापित करने तथा लाखों और अरबों में अपनी संपत्ति बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने उन प्रेरक कारकों का भी उल्लेख किया है, जिनके बारे में महिला उद्यमियों ने ऑनलाइन व्यवसाय शुरू करने के समय सोचा था। कोई भी व्यवसाय ऑनलाइन माध्यम से अच्छी वैश्विक पहुंच बना सकता है। यह कार्य कोई भी महिला गांव में रहकर या फिर किसी भी सुदूरवर्ती क्षेत्र से संबद्ध रख कर, अपना ऑनलाइन व्यवसाय चला सकती हैं। इस माध्यम में अच्छा लचीलापन है क्योंकि महिलाएं अपने परिवार का समुचित प्रबंधन भी कर सकती हैं, साथ ही व्यवसायिक यात्रा पर भी जा सकती हैं। वे घर या किसी अन्य जगह से भी अपना व्यवसाय कर सकती हैं। इस माध्यम में लेन-देन की लागत बढ़ाने के लिए कोई मिडिलमैन भी मौजूद नहीं होता है क्योंकि इसके माध्यम से विक्रेता और खरीदार आपस में सीधे संपर्क कर सकते हैं।
नेहरू और भारद्वाज (2013) ने उन कारकों की जांच की जो महिलाओं को अपना उद्यम चलाने के लिए प्रेरणा देते हैं और उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रतिस्पर्धी और पुरुष-प्रधान समाज में उद्यमी महिलाएं किन-किन समस्याओं से गुजरती हैं।
शर्मा, (2013) ने अपने अध्ययन में कई चुनौतियों की पहचान की जैसे- परिवार के साथ भावनात्मक संबंध, अपनी पसंद को छोड़कर सभी चीजों को प्राथमिकता देना, परिवार के पुरुष सदस्यों का प्रभुत्व, कार्य करने में सामाजिक बाधाएं, शिक्षा की कमी, वित्तीय समस्याएं, आत्मविश्वास की कमी, सीमित प्रबंधकीय क्षमता, कम जोखिम वहन क्षमता और बिचौलियों द्वारा शोषण। उसने कहा कि वे इन सबसे गुजरती हैं और अपने काम में सफलता प्राप्त करती हैं।
प्रकाश और गोयल, (2011) ने अपने शोध में सफल महिला उद्यमियों के पीछे के कारणों का पता लगाने का प्रयास किया जैसे परिवार, दोस्तों या किसी अन्य महिला उद्यमी की सफल और प्रेरणादायक कहानियां, उनकी शिक्षा, परिवार का समर्थन आदि। शोध पत्र में उल्लेख किया गया है कि अपनी सफलता के लिए इतने सारे कारकों के बाद भी उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि कम आत्मविश्वास, सामाजिक दायित्व, लिंग पूर्वाग्रह और महिलाओं को उद्यमिता की दुनिया में आने से रोकने के लिए रूढ़िवादी मानसिकता। यह शोध बताता है कि महिला उद्यमियों का नेतृत्व दृढ़ और प्रेरक है और वे उच्च जोखिम लेने के लिए भी तैयार रहती हैं।
लाल और सहाय, (2008) ने अपने अध्ययन में बहु-आयामी चुनौतियों और उन मुद्दों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिनका सामना महिलाएं अपनी उद्यमिता की यात्रा के दौरान करती हैं। उन्होंने महिलाओं के संदर्भ में उद्यमिता से संबंधित विभिन्न मनोवैज्ञानिक चरों की भी व्याख्या की। उनका अध्ययन लखनऊ की महिला उद्यमियों पर आधारित था। उनके शोध ने महिलाओं की विशेषताओं का वर्णन किया जैसे कि उनकी खुद की अवधारणा, वे समस्याओं का समाधान कैसे ढूंढती हैं, वे टीम का नेतृत्व कैसे करती हैं, उनका आत्म-सम्मान।
शोध प्रविधि :
यह शोध पत्र सफल भारतीय महिला उद्यमियों के अनुभवों, चुनौतियों, अवसरों और प्रेरणाओं का अध्ययन करने पर केंद्रित है। यह अध्ययन मूल रूप से द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित एक खोजपूर्ण शोध अध्ययन है। भारत में महिला उद्यमिता के बारे में प्रासंगिक डेटा प्राप्त करने के लिए प्रकाशित शोध पत्रों, पुस्तकों और लेखों का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ता ने उद्यम के विकास में सोशल मीडिया की भूमिका और यह उनके लिए कितना प्रासंगिक है, इसका पता लगाने के लिए चुनिंदा उभरती भारतीय महिला उद्यमियों की जीवनयात्रा का विश्लेषण किया है।
महिला उद्यमियों की जीवन यात्रा को समझने के लिए शोधकर्ता ने विभिन्न माध्यमों पर उपलब्ध चयनित महिला उद्यमियों के लिखित एवं दृश्य-श्रव्य साक्षात्कारों की गहन पड़ताल की है।
अपने कौशल, डिजिटल मीडिया और कई अन्य कारकों के साथ अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने वाली भारतीय महिला उद्यमियों का चयन उद्देश्यपूर्ण पद्धति के अंतर्गत नमूना सैंपलिंग के आधार पर किया गया है। जिनमें पांच सफल महिला उद्यमी जिनके उद्यम 2010 से 2020 की समयावधि में शुरू किए गए थे, उन्हें ‘इंडिया टाइम्स’ द्वारा प्रदान की गई ‘मीट द सक्सेसफुल वुमन एंटरप्रेन्योर्स इन इंडिया’ और ‘स्मार्ट बिजनेस बॉक्स’ द्वारा प्रदान की गई भारत में शीर्ष 35 सफल महिला उद्यमियों की सूची में से चुना गया है।
तथ्यों का विश्लेषण और प्राप्तियाँ :
शोध-पत्र की शोध प्रविधि में उल्लेख किया गया है कि यह अध्ययन एक खोजपूर्ण अध्ययन है और इंटरनेट पर उपलब्ध द्वितीयक डेटा पर आधारित है। इस पेपर के लिए डेटा प्रकाशित शोध-पत्रों, लेखों और वीडियो के प्रारूप में उपलब्ध साक्षात्कारों के माध्यम से एकत्रित किया गया है। विश्लेषण भाग को तीन भागों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है जो कि निम्नवार हैं-
1.महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियाँ।
2.अपनी सीमाओं को पार कर व्यवसायी महिला बनने के लिए प्रेरणा और डिजिटल मीडिया।
3. महिला उद्यमिता के विकास में सहायक महत्वपूर्ण कारक।
● चयनित महिला उद्यमियों का संक्षिप्त विवरण :
फाल्गुनी नायर : वह मुंबई में जन्मी, भारतीय अरबपति व्यवसायी हैं। वह नाइका कंपनी की फाउंडर और CEO हैं। नाइका 2012 में स्थापित एक ब्यूटी और लाइफस्टाइल रिटेल कंपनी है। एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम करने के बाद इन्होंने 2 मिलियन डॉलर से अपना खुद का उद्यम चलाने का फैसला किया। आज इनकी कुल संपत्ति लगभग US$ 450 करोड़ है (फोर्ब्स, 2022) और वह भारत की सबसे अमीर सेल्फमेड महिला है।
अदिति गुप्ता : वह गढ़वा, झारखंड, भारत की रहने वाली हैं और उन्हें 2014 में फोर्ब्स इंडिया-30 की 'अंडर-30' महिलाओं में सूचीबद्ध किया गया था। वह न केवल एक उद्यमी हैं, बल्कि ‘मेनस्ट्रुपीडिया’ कॉमिक की लेखिका भी हैं। इन्होंने वर्ष 2012 में कॉमिक मेनस्ट्रुपीडिया की सह-स्थापना की। उनकी अनुमानित कुल संपत्ति US$ 1.5 मिलियन से US$ 3 मिलियन के बीच है।
राधिका घई अग्रवाल : उन्हें यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश करने वाली भारत की पहली महिला के रूप में पहचाना जाता है और उन्हें एक इंटरनेट उद्यमी के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने 2011 में ऑनलाइन मार्केटप्लेस ‘शॉपक्लूज’ की स्थापना की और वर्तमान में कंपनी के मुख्य व्यवसाय अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी कुल संपत्ति US$ 1 मिलियन है (ग्लोबल स्टैंडर्ड न्यूज, 2020)।
दिव्या गोकुलनाथ : दिव्या ने 2008 में 21 साल की उम्र में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। अपनी जीआरई कक्षाओं के दौरान, उनकी मुलाकात बायजू रवींद्रन से हुई, जिन्होंने उनके जिज्ञासु प्रश्नों के कारण उन्हें एक शिक्षक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। फिर दोनों ने 2011 में ‘बायजू’ की सह-स्थापना की और 2015 में एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। उनकी कुल संपत्ति US $3.05B (फोर्ब्स, 2020) है।
अश्विनी असोकाना : वह अपने पति के साथ क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म ‘मैड स्ट्रीट डेन’ की सह-संस्थापक हैं। इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले, उन्हें सिलिकॉन वैली में इंटेल इंटरेक्शन और अनुसंधान प्रयोगशाला में मोबाइल इनोवेशन टीम का नेतृत्व करने का अनुभव था। उन्होंने 2013 में अपना उद्यम MSD शुरू किया। यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर विज़न कंपनी है। उनकी कुल संपत्ति $10 मिलियन है।
महिला उद्यमियों के सामने चुनौतियाँ :
भारतीय समाज में चाहे कोई महिला शिक्षित हो या फिर अशिक्षित, अगर वह कुछ ऐसा करना चाहती है जो पूर्व निर्धारित सीमाओं तक सीमित नहीं है, तो उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न सफल महिला उद्यमियों के जीवन की यात्रा और पिछले शोध कार्यों ने विभिन्न चुनौतियों को इंगित किया है। महिलाओं उद्यमियों के लिए एक उपयुक्त बाजार खोजना कठिन है क्योंकि इस कार्य हेतू सही उपभोक्ता बाजार का पता लगाने के लिए सही शोध की आवश्यकता होती है (पाई एच, 2018)। कुछ महिलाओं के पास नए आइडियाज होते हैं और वे कुछ अलग करना चाहती हैं, लेकिन अपने परिवार के दायित्वों की वजह से पीछे हट जाती हैं, उन्हें अपनी बात पर अडिग रहने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ता है और आत्मविश्वास की कमी उन्हें पीछे खींच लेती है। महिलाओं के सामने सामाजिक-सांस्कृतिक बाधा भी एक प्रमुख चुनौती है। अधिकांशतः महिलाएँ अपने व्यवसाय में मिडलमैन को पसंद करती हैं और इस वजह से बाजारोन्मुख जोखिम बढ़ जाता है (शर्मा, 2020)। शिक्षा की कमी, उपलब्ध संसाधनों की पहचान और वित्त के बारे में कम ज्ञान भी महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, भले ही उनके पास अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की प्रबल इच्छा हो परंतु फिर भी भारत में महिलाओं के लिए नई चीजें सीखना थोड़ा मुश्किल है, खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए।
‘जिवामे’ की संस्थापक ऋचा कर ने 2017 में ‘जिवामे’ की बाजार कीमत में गिरावट के कारण CEO के पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन वह अभी भी बोर्ड की सदस्य हैं। यह बताता है कि निवेशकों और संस्थापकों के बीच संबंधों से निपटना थोड़ा कठिन है। डिजिटल दुनिया में, पारंपरिक चुनौतियों को कम किया जा सकता है, लेकिन डिजिटल दुनिया की भी अपनी चुनौतियां हैं जैसे प्रचार-प्रसार के लिए बनाई गई रणनीतियों की आसानी से नकल की जा सकती है और डिजिटल दुनिया में निश्चित रूप से साइबर सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है और इसमें शुरुआती निवेश की भी जरूरत होती है, साथ ही व्यवसायिक टीम को प्रशिक्षण देना भी एक चुनौती है(पाई एच, 2018)। महिला उद्यमियों ने इन मुद्दों की चुनौतियों को पार किया है और अपने दृढ़ संकल्प के साथ अपने उद्यम स्थापित किए हैं, साथ ही आज वे भारत में अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा हैं।
सीमाओं को पार कर एक सफल महिला उद्यमी बनने में प्रेरणादायी कारक :
इस भाग में उन कारकों का विश्लेषण किया गया है जिन्होंने महिलाओं को एक उद्यमी और एक बिजनेस लीडर बनने के लिए प्रेरित किया।
मेंस्ट्रुपीडिया की सह-संस्थापक अदिति गुप्ता का कहना है कि एक महिला जो भी कार्य करना चाहती है, उसे करने के लिए उसे दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की आवश्यकता होती है। उसे मासिक धर्म से संबंधित कई वर्जनाओं का सामना भी करना पड़ा और यही वर्जनाएं कुछ अलग करने और समाज में बदलाव लाने की उसकी प्रेरणा बन गई (योरस्टोरी, 2019)। इसी तरह ज़िवामे की संस्थापक ऋचा कर को भारत में अधोवस्त्र खरीदारी की कठोर वास्तविकता के बारे में पता चला और उसने अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और एक ऑनलाइन खुदरा स्टोर शुरू करने का फैसला किया। उनका आइडिया भारत की महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अधोवस्त्र खरीददारी करने की प्रेरणा से संबंधित था और आज उनका व्यवसाय काफी ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने ‘अपग्रेड’ के साथ अपने एक साक्षात्कार में उल्लेख किया है कि इस तरह का उद्यम शुरू करना थोड़ा कठिन था लेकिन फिर वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती थी और सभी चुनौतियों का सामना भी करना चाहती थी।
एक अन्य सफल उद्यमी नायका की संस्थापक, फाल्गुनी नायर चाहती थीं कि महिलाएं अपने लिए सुंदर हों न कि पुरुषों या अन्य महिलाओं के लिए। उन्होंने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया और सफलता प्राप्त की। उनका अपना पारिवारिक व्यवसाय था लेकिन फिर भी उन्होंने नई शुरुआत करना और अपना साम्राज्य बनाना चुना (द बेटर इंडिया, 2021)।
उन महिला उद्यमियों के अलावा जिनकी पहले से ही अच्छी वित्तीय पृष्ठभूमि थी, कम वित्तीय पृष्ठभूमि की महिलाएं भी हैं, जो अभी तक एक सफल उद्यमी बनना चाहती हैं, उनके परिवार के लिए जीविका कमाने और कमाने वाली महिला होना जैसे प्रोत्साहित करने वाले कारक हैं। महिलाएं भी अपनी पहचान बनाना चाहती हैं, सामाजिक स्टेटस भी हासिल करना चाहती हैं और अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीना चाहती हैं, वे भारतीय समाज की रूढ़ियों को तोड़ना चाहती हैं और यह सब उन्हें एक उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करता है (शर्मा, 2020)।
सरकार का समर्थन भी एक अन्य कारक है जो महिलाओं के उद्यमी बनने के सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे व्यवसायों में सफल होने का बेहतर अवसर प्रदान करने की पहल की है। इनमें से कुछ नीतियों, प्रशिक्षण और योजनाओं का उल्लेख नीचे किया गया है (शर्मा, 2013):
1.
सरकार ने नए स्टार्टअप्स के लिए 3 साल के लिए टैक्स से छूट का प्रावधान किया है जो इनके ग्रोथ को हासिल करने के लिए एक बहुत बड़ी सकारात्मक समय सीमा है।
2.
प्रधान मंत्री रोजगार योजना और ईडीपी- ये ग्रामीण महिलाओं को उद्यमशीलता कौशल विकसित करने और अपने स्वयं के आउटलेट चलाने में मदद करने के लिए शुरू की गई है।
3.
महिलाओं के प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम के लिए समर्थन (STEP)।
4.
लघु उद्योग सेवा संस्थान। (एसआईएसआई)।
5.
राष्ट्रीय लघु उद्योग विकास निगम
6.
महिला विकास निधि
7.
व्यापार संबंधित उद्यमिता सहायता और विकास (ट्रेड)
डिजिटल मीडिया का महिला उद्यमिता के विकास में योगदान
:
जब इंटरनेट या सोशल मीडिया की बात आती है, तो भारतीय महिलाएं जिनमें ग्रामीण-शहरी, शिक्षित-अशिक्षित, नौकरीपेशा या घर संभालने वाली महिलाएं भी समान रूप से जुड़ी हुई हैं (तोषनीवाल, 2019)। तोशनीवाल ने अपने शोध पत्र में बताया कि कैसे डिजिटल मीडिया महिलाओं को बिना व्यवसायिक यात्रा किए और बिना लोगों से मुलाकात किए, अपने व्यापारिक संबंध बनाए रखने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
महिला उद्यमियों के ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्होंने शुरुआत से ही एक ऑनलाइन मोड में अपना उद्यम शुरू किया। हमारे शोध-पत्र में चुनी गई शीर्ष की पांच महिला उद्यमियों में से तीन ने अपना कारोबार ऑनलाइन मोड में शुरू किया। रिचा कर ने एक ई-कॉमर्स कंपनी के रूप में जिवामे की स्थापना की और राधिका घई अग्रवाल ने भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपना उद्यम स्थापित किया और आज वे सफल उद्यमी हैं। इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिस पर किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति व्यवसाय शुरू कर सकता है। नाइका की संस्थापक फाल्गुनी नायर ने 50 वर्ष की उम्र में अपना व्यवसाय शुरू किया और वह वर्तमान में भारत की सबसे अमीर सेल्फमेड महिला हैं। इन पांच महिला उद्यमियों के अलावा, अन्य कई महिला उद्यमी हैं जिन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपना व्यवसाय शुरू किया, उदाहरण के लिए- एक ऑनलाइन ज्वेलरी स्टोर रूबंस की संस्थापक चिनू कला जिनका जीवन वास्तव में काफी संघर्षपूर्ण रहा लेकिन वह वर्तमान में लगभग 40 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रही हैं। साथ ही, वे महिलाएं जिनके पास सहायक पारिवारिक पृष्ठभूमि एवम् पर्याप्त पूंजी नही थी, वे भी बहुत विनम्रता के साथ अपना कारोबार कर रही हैं।
यह बताता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म महिलाओं की उद्यमिता में भागीदारी बढ़ा रहे हैं और उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए पर्याप्त जगह दे रहे हैं। कई महिलाएं केवल तभी काम करती हैं जब उनके पास गरीब परिवार, पति की मृत्यु या कोई अन्य कारण हों। लेकिन वर्तमान में महिलाएं व्यवसाय में इसलिए उतर रही हैं क्योंकि वे जोखिम लेना चाहती हैं, पारिवारिक आय में योगदान करना चाहती हैं, अपनी क्षमता और कौशल को साबित भी करना चाहती हैं। महिलाओं को मल्टी-टास्कर के रूप में जाना जाता है, वे अपने परिवार को भी संभाल सकती हैं और साथ ही अपना उद्यम भी चला सकती हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने उनके लिए इसे और अधिक सुविधाजनक बना दिया है।
निष्कर्ष :
यह शोध अध्ययन प्रकाशित शोध-पत्रों, लेखों और कुछ चयनित सफल उद्यमियों के जीवन यात्रा के विश्लेषण करने पर आधारित है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे किन-किन चुनौतियों से गुजरती हैं और वे कौन से कारक हैं जो उन्हें एक व्यवसायिक लीडर बनने और एक सफल उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी जीवन यात्रा और लेखों के माध्यम से यह पता चलता है कि यदि उनका आइडिया समाज की निर्धारित परंपरागत रूढ़ियों से मेल नहीं खाता है तो उन्हें बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है और इसमें उनका संघर्ष बहुत बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, अदिति गुप्ता की मेनस्ट्रूपीडिया कॉमिक या ऋचा कर का ऑनलाइन लॉन्जरी बेचने का व्यवसाय। इसके अलावा उनमें प्रबंधकीय योग्यता और वित्तीय ज्ञान की कमी और मिडलमैन की भूमिका भी एक समस्या है। वहीं व्यवसायिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं को तो समर्थन मिल जाता है लेकिन सामान्य पृष्ठभूमि की महिलाओं को पारिवारिक दायित्वों, आत्मविश्वास की कमी तथा अपने परिवार को समझाने आदि की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अगर वे महिलाएं यात्रा करने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं तो इंटरनेट और डिजिटल मीडिया ने उन्हें नई चीजों का पता लगाने, सीखने और अपने उद्यम को अपने घर से चलाने का मौका दिया है।
तमाम मुश्किलों के बावजूद महिलाएं अपनी काबिलियत साबित करना चाहती हैं और बिजनेस लीडर बनना चाहती हैं, ऐसा उन्होंने सफल उद्यमी बनकर किया भी है। यह स्थिति न केवल उद्यमिता क्षेत्र में है बल्कि अन्य सभी क्षेत्र भी महिलाओं के लिए चुनौतियों से भरे हुए हैं, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प और सामाजिक सहयोग वास्तव में उन्हें अपने आलोक को विस्तार देने और बड़ी ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद कर सकता है।
सन्दर्भ :
2. अखिला पाई एच : ‘डिजिटल स्टार्टअप्स एंड वीमेन आंत्रेप्रेन्योरशिप : ए स्टडी ऑन स्टेटस ऑफ़ वीमेन इन इंडिया आंत्रेप्रेन्योरस इन इंडिया’, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड एनालिटिकल रेवियुज (आई जे आर एआर ), (वॉल-5, इशू - 4), अक्टूबर- दिसंबर, 2018
3. योगिता शर्मा : ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया’, आईओएसआर जर्नल ऑफ़ बिज़नेस एंड मैनेजमेंट (आईओएसआर - जेबीएम ), (वॉल-15, इशू-5), 2013, पृ 09 - 14.
4. वैष्णवी शर्मा : ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया : ए स्टडी ऑफ़ ओप्पोर्तुनिटीज़ एंड चैलेंजिस’, जर्नल ऑफ़ Xi'an यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड टेक्नोलॉजी, (वॉल-12. इशू -7), 2020, पृ.1307
5. मीनू गोयल एवं जय प्रकाश : ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योरशिप इन इंडिया-प्रोब्लेम्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स’, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च, (वॉल-1, इशू- 5), सितम्बर, 2011, पृ.195
6. सबरीना कोरेक : ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योरस इन इंडिया : व्हाट इस होल्डिंग देम बैक?’, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, (इशू ब्रीफ नंबर- 317), सितम्बर, 2019
7. वी आर पालनिवेलु एवं डी मणिकंदन : 'प्रोब्लेम्स एंड चैलेंजेस फेस्ड बाय वीमेन आंत्रेप्रेन्योर्स इन इंडिया - ए स्टडी' नार्थ एशियन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, (वॉल-3, इशू -9), सितंबर, 2017, पृ. 22
8. सेण्टर ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सी एफ आर) : ग्रोइंग एकॉनॉमीज थ्रू जेंडर पैरिटी. https://www.cfr.org/womens-participation-in-global-economy/
9. इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आई बी ई एफ) : वीमेन आंत्रेप्रेन्योर शॉपिंग दी फ्यूचर ऑफ़ इंडिया, 2022 https://www.ibef.org/blogs/women-entrepreneurs-shaping-the-future-of-india#:~:text=Women-led%20Business%20Impact&text=India%20has%20432%20million%20working, to%2022–27%20million%20people.
10. ग्लो एंड लवली कैरियर्स : ए 'ब्यूटी' फुल सक्सेस स्टोरी - फाल्गुनी नायर, सीेईओ, नाइका, 2019 https://www.glowandlovelycareers.in/blog/beautyful-success-story-falguni-nayar-ceo-nykaa-78
11. फेलियर बिफोर सक्सेस : अदिति गुप्ता. सक्सेस स्टोरी ऑफ़ दी को-फाउंडर ऑफ़ मेंस्ट्रूपीडिआ, 2022 https://failurebeforesuccess.com/aditi-gupta/
12. लेवरेज एडु : ऋचा कर : दी वीमेन बिहाइंड दी सक्सेस ऑफ़ जिवामे, 2021 !https://leverageedu.com/blog/richa-kar/#:~:text=Education%20and%20Early%20Career, -Image%20Source%3A%20Whizsky&text=Born%20and%20brought%20up%20in, with%20SAP%20Retail%20and%20Spencers.
13. सुगरमिन्ट : दिव्या गोकुलनाथ : वुमन बिहाइंड बाइजू'ज सक्सेस https://sugermint.com/divya-gokulnath/
14. स्मार्ट बिज़नेस बॉक्स : टॉप 35 सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2021 https://www.smartbusinessbox.in/women-entrepreneurs-in-india/
15. इंडिया टाइम्स : मीट दी सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2022 https://www.indiatimes.com/news/india/successful-women-entrepreneurs-india-558444.html
16. योर स्टोरी : इंट्रोडुइजिंग अदिति गुप्ता
https://yourstory.com/people/aditi-gupta?origin=awards
17. दी बेटर इंडिया : दी इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ़ नाइका फाल्गुनी नायर, इंडिआज बिग्गेस्ट सेल्फ-मेड फीमेल बिलेनियर, 2022 https://www.thebetterindia.com/265560/nykaa-ipo-falguni-nayar-unicorn-billionaire-woman-entrepreneur-india/
असिस्टेंट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवम् जनसंप्रेषण विभाग,
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अदिति खरे
पीएचडी स्कॉलर, पत्रकारिता एवम् जनसंप्रेषण विभाग,
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सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादव, चित्रांकन : धर्मेन्द्र कुमार (इलाहाबाद)
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