उत्तराखण्ड राज्य के नगरपालिका क्षेत्र पिथौरागढ़ की जनांकिकी: एक ऐतिहासिक अध्ययन
कु. मन्जू महरा एवं डॉ. हेम चन्द्र पाण्डेय
वह क्षेत्र जहां मानव निवास करता है, उस क्षेत्र की मानव संख्या को जनसंख्या कहते हैं अर्थात् मानव का समूह ही जनसंख्या कहलाता है।किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या के वितरण एवं स्वभाव को जानने के लिए उस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं पर दृष्टिपात करना आवश्यक है। इसी प्रकार किसी निश्चित क्षेत्र के प्रादेशिक अध्ययन एवं विकास में जनसंख्या एवं उसके प्रारूप की विशिष्ट भूमिका होती है।1हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां विषम स्थलाकृति, प्राकृतिक झरने, रमणीय स्थल अनेक तीर्थ स्थान तथा एतिहासिक महत्व के स्थल इस क्षेत्र में उपलब्ध है। अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं वाला यह राज्य प्रतिरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से विकास की राह देख रहा है। आदि काल से ऋषि मुनियों तथा प्रकृति प्रेमियों को आश्रय देने वाला यह हिमालयी प्रदेश जहां विभिन्न मानव जातियों तथा धर्म सम्प्रदायों का संगम स्थल के रूप में विश्व विख्यात है। वर्तमान समय में उत्तराखण्ड का दक्षिणी तराई भाबर एवं दून घाटी के साथ ही अन्य आन्तरिक महान घाटी क्षेत्रों में जनसंख्या का विशेष फैलाव है। ग्रामीण प्रदेश होने के साथ ही धरातलीय एवं जलवायु की विषमता के कारण अधिवासों के स्वरूपों में पर्याप्त भिन्नता पायी जाती है।
सीमांत जनपद पिथौरागढ़ सहित सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में पूर्वकालिक अवधि में जनसंख्या तथा उसकी वृद्धि का सही अनुमान लगाना एक जटिल प्रक्रिया है। तीसरा-चौथी सदी पूर्व के मिले शिलालेखों तथा गुम्बदों से स्पष्ट होता है कि इस भू-भाग में उपयुक्त स्थलों में मानव बस्तियों का आविर्भाव था। शंकराचार्य के इस क्षेत्र में पदार्पण (788-820 ई०) के बाद कत्यूर साम्राज्य (740-1000 ई०) के समय इस भू क्षेत्र में तीर्थाटन का विस्तार हुआ, जिसके फलस्वरूप बड़ी संख्या में बाहरी लोगों का आगमन हुआ उनमें से कुछ इस क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास करने लगे। जिस कारण कुमाऊँ क्षेत्र की प्रमुख घाटियों में भी जनसंख्या का प्रतिशत लगातार बढ़ने लगा। उत्तराखण्ड की सम्पूर्ण जनसंख्या 16,502 ग्रामों एवं विभिन्न स्तर के नगरों में निवास करती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सम्पूर्ण भारतीय हिमालयी प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 23‐9 प्रतिशत भाग उत्तराखण्ड के अन्तर्गत निवास करता है।2
उत्तराखण्ड का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला हरिद्वार है जिसका जनसंख्या घनत्व 801 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० है। भारत के राज्यों में बढ़ता जनघनत्व यहां बढ़ती जनसंख्या वृद्धि का परिणाम है। भारत सरकार के आधिकारिक अनुमानित आकड़ों के अनुसार, उत्तराखण्ड में सन् 2026 तक 37ःआबादी शहरों में निवास करेगी और उत्तराखण्ड सम्पूर्ण भारत में सातवां सर्वाधिक शहरी आबादी वाला राज्य बन जायेगा।3
समूचे देश की तरह ही उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में भी गांवों की अधिकता है। पिथौरागढ़ जिले की तीन चौथाई से भी अधिक जनसंख्या गांवों में निवास करती है तथा नगरीय भाग में एक चौथाई से भी कम जनसंख्या का जमाव पाया जाता है, लेकिन समय के साथ-साथ तकनीकी विकास को बल मिल रहा है, जिसके फलस्वरूप अधिसंख्य जनसंख्या नगरीय जनसंख्या का स्वरूप बनती जा रही है, क्योंकि इस प्रकार के क्षेत्रों में विभिन्न सुविधाएं जैसे जल, बिजली, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा आदि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक सुलभ होती है। स्पष्टतः इन सभी कारकों से नगरीकरण में वृद्धि होती है। सोर पिथौरागढ़ के इलाके में अतीत में असुर, नाग जातियों और फिर किरात, खस और कुणिन्द जाति के लोगों के निवास के साक्ष्य मिलते हैं।4 लगभग 350 ई० के बाद समुद्रगुप्त के काल में हिमालय में कत्यूरी शासन चल रहा था और सोर पिथौरागढ़ इसके अधीन था। मध्यकाल में सोर पिथौरागढ़ का इलाका मांडलिक राजाओं के अधीन आ गया था और सोर पिथौरागढ़ में ब्रह्म राजशाही ने शासन करते हुये उदयपुर निकट घुड़साल पौरा में इसे स्थापित किया और आगे चंद राजाओं के स्वर्णिम राज्यकाल में राजा दिलीप चंद के शासन के अन्तर्गत बन्दोबस्त अधिकारी पीरू गुसाईं ने बसासत के मध्य एक किला बनवाया जिसके आस-पास नगर बसा।5 गोरखाकाल (1790-1815) में सोर पिथौरागढ़ में गोरखा किले के आस पास गोरखा सैनिक छावनी का निर्माण हुआ और सही मायने में छोटी सी ग्रामीण सोर पिथौरागढ़ बसासत बजूद में आयी।6
एटकिंसन के अनुसार, औपनिवेशिक काल में इसे सोर परगने का प्रधान गाँव माना गया। यह इलाका कृषि काश्त के लिये ख्याति प्राप्त था अतः इस उपत्यका के मध्य गोर्खा सैनिक छावनी के आस-पास पहाड़ी सोर पिथौरागढ़ बजरिया जुटी जो आगे चल कर टाऊनशिप के रूप में विकसित हुयी और भारत की आजादी के बाद यह टाऊनएरिया के रूप में पहचान बनाने में सक्षम हुयी। विस्तार पाती टाऊनशिप आगे स्वतंत्र भारत में वर्ष 1962 में पिथौरागढ़ नगरपालिका के रूप में स्थापित व व्यवस्थित हुयी।औपनिवेशिक काल में सोर पिथौरागढ़ का इलाका सोर परगने के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले तथा बृहत् कुमाऊँ का हिस्सा था। सन् 1821 में पहले पहल कुमाऊँ के तात्कालिक कमिश्नर जार्ज विलियम टेªल द्वारा कुमाऊँ की जनसंख्या का आंकलन किया गया था,7किन्तु इस जनसंख्या विवरण में पिथौरागढ़ बसासत की जनसंख्या का अलग से कोई विवरण नहीं मिलता। इसी तरह के कुमाऊँ जनसंख्या सम्बन्धी मोटे अनुमान सन् 1848, 1872, 1881 तथा 1891 में भी लगाये गये। यों तो सन् 1881 की जनगणना किसी सीमा तक अधिक व्यवस्थित अवश्य थी पर पिथौरागढ़ क्षेत्र को जनगणना में पृथक इकाई नहीं माना गया जिस कारण इस बसासत की जनसंख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाता है।8वर्ष 1960 से पूर्व पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील थी। 24 फरवरी 1960 को एक जनपद के रूप में परिणित हो जाने के बाद अप्रैल वर्ष 1960 से पिथौरागढ़ जनपद को पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचूला और मुनस्यारी चार तहसीलों में विभक्त किया गया तथा 13 मई 1972 को चम्पावत तहसील को भी इस जनपद में सम्मिलित कर लिया गया।9सन् 1981 के अनुसार पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल 7217 वर्ग किमी० और जनसंख्या 479452 थी।10
वर्तमान (2011) की जनगणना
के अनुसार जनपद
की कुल जनसंख्या
483439 है जिनमें 239306 पुरूष तथा
244133 स्त्रियाँ हैं।11जनपद
निर्माण के बाद पिथौरागढ़ में चार उपजिलें बने जिसमें
गंगोलीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट
और पिथौरागढ़ हैं
जो अपने इसी
नाम से तहसील
भी थी।12पूर्व
में धारचूला एक
तहसील हुआ करती
थी जिसमें पांच
पट्टी सम्मिलित थे
और तत्कालीन धारचूला
तहसील की जनसंख्या
32,566 थी जिसमें महिलाओं
की आबादी 15,753 थी।13वर्तमान में धारचूला
नगरपालिका बन चुकी
है वर्ष 2011 की
जनगणना के अनुसार
धारचूला नगरपालिका की
जनसंख्या 7,039 है जिनमें
3,797 पुरूष एवं 3,242 महिलाएं है।14प्रारम्भ में डीडीहाट
तहसील में नौ पट्टे थे
और जनसंख्या 96,518 थी
और महिला जनसंख्या
50,452 थी।15वर्तमान डीडीहाट नगरपालिका
बन गई है जिसकी जनसंख्या
6,522 है। इसी प्रकार
60 के दशक में पिथौरागढ़ जनपद का दूरस्थ तहसील
मुनस्यारी जिसमें उस
समय तीन पट्टी
हुआ करती थी और 30,377 जनसंख्या थी
जिसमें महिलाओं की
संख्या 14,992 थी।16 पिथौरागढ़
बसासत की जनसंख्या
का पहला अनुमानित
व आंकलित आंकड़ा
ई०टी० एटकिंसन के
हिमालयन गजेटियर में
उपलब्ध होता है।
इस जनसंख्या विवरण
में पिथौरागढ़ बसासत
में सन् 1884 में
उन्हें 255 व्यक्ति निवास करते
मिले थे। वर्ष
1891 की अल्मोड़ा जिले
की जनगणना में
पूरी पिथौरागढ़ तहसील
क्षेत्र की जनसंख्या
आकलित है जो
1,20,000 आंकी गयी जबकि
पूरे अल्मोड़ा जिले
की जनसंख्या तब
4,16,468 पायी गयी।17
जनगणना
वर्ष व पिथौरागढ़
नगर की जनसंख्या18
क्र॰सं॰ |
जनगणना
वर्ष |
पिथौरागढ़
नगर जनसंख्या |
स्रोत
|
1 |
1881-84 |
255 |
हिमालयन
गजेटियर एटकिंसन |
2 |
1901 |
352 |
टाऊन
एरिया अभिलेख सोर
पिथौरागढ़ |
3 |
1941 |
1519 |
टाऊन
एरिया अभिलेख सोर
पिथौरागढ़ |
4 |
1951 |
1844 |
जनगणना
ग्रन्थमाला सोर पिथौरागढ़ |
5 |
1961 |
2783 |
नगरपालिका
पिथौरागढ़ अभिलेख/जनगणना ग्रन्थमाला
उ०प्र० |
6 |
1971 |
11942 |
नगरपालिका
पिथौरागढ़ अभिलेख/जनगणना ग्रन्थमाला
उ०प्र० |
7 |
1981 |
17657 |
भारत
जनगणना ग्रन्थमाला |
8 |
2001 |
41]157 |
भारत
की जनगणना/ नगरपालिका
अभिलेख |
9 |
2011 |
56]044 |
भारत
की जनगणना/ नगरपालिका
अभिलेख |
तालिका देखने से स्पष्ट होता है कि सन् 1881-84 में पिथौरागढ़ बसासत बहुत छोटी थी जिसकी जनसंख्या तीन सैकड़ा से भी कम थी। बीसवीं सदी के आरम्भिक वर्षों में सोर पिथौरागढ़ ग्रामीण कस्बे के रूप में ही था और इसकी कुल आबादी 352 आंकी गयी। प्रथम महायुद्ध के तुरंत बाद एक सैनिक सूबेदार भवान सिंह ने अपनी डायरी में सोर की बाजार (पिथौरागढ़) का वर्णन किया है जिसके अनुसार पिथौरागढ़ के पुराने बाजार के चौक में 15-20 मकान दोमंजिले थे, जिसके निचले भाग में दयाराम खर्कवाल (कपड़ा व्यापारी), जयभान माहरा साधारण कपड़े की दुकान व छोटा मोटा सामान 1 परिवार मौनदास साह ठुलघरिया (परचून व साधारण कपड़ा), रामकिशन साह कुमैया (मिठाई), दो परिवार खत्री (दवायें, जड़ी-बूटी, खिरची मिरची, गोला गिरी चना वगैरह), एक आद दुकान बार्बर की थी 5-6 सुनारों, मुसलमानों तथा पटवों की भी थी। कुछ छोटी-मोटी और दुकानें भी थी। इस प्रकार पिथौरागढ़ बजरिया की तात्कालिक जनंसख्या बमुस्किल 400 के आस-पास रही होगी।
तालिका से स्पष्ट होता है कि 1901-1941 के बीच प्रति दस वर्ष में 33‐1 प्रतिशत की वृद्धि दर बहुत ऊँची नहीं है 1951 से 1961 के बीच जनसंख्या की वृद्धि अकस्मात् बहुत ऊँची 272‐12 प्रतिशत रही। इसका मुख्य कारण पिथौरागढ़ कस्बे का टनकपुर मार्ग से जुड़ना एवं 1960 में इस कस्बे का जिला पिथौरागढ़ मुख्यालय के रूप में स्थापित हो जाना था। और फिर यह न केवल एक स्थापित क्रय-विक्रय केन्द्र केन्द्र (मिश्रित बाजार) अपितु अनेकांे राजकीय प्रतिष्ठानों, कार्यालयों एवं शैक्षणिक विद्यालयों एवं उच्चशिक्षा संस्थान (डिग्री कॉलेज) के यहां खुल जाने से नगर तेजी से फैलने लगा और 1960 के दशक में पिथौरागढ़ नगर का समग्र फैलाव व जनवृद्धि आकाश छू रही थी।पिथौरागढ़ जनपद अपनी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण और विलम्ब से जनपद मुख्यालय के रूप में स्थापित होने के कारण सामाजिक एवं राजनीतिक चैतन्यता से दूर था। पिथौरागढ़ पालिका क्षेत्र में सन् 1961 में 2783 तथा सन् 1971 में 11942 की आबादी निवास करती थी इस दशक में 9159 की आबादी बढ़ी थी जो कि तत्कालीन अल्मोड़ा और नैनीताल की वृद्धि दर से भी अधिक थी क्योंकि पिथौरागढ़ में सन् 1969 में नगरपालिका क्षेत्र के अन्तर्गत 16 ग्रामों को सम्मिलित किया गया था जिस कारण नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई थी।19
सन् 1962 में चीन आक्रमण से
यह क्षेत्र सामरिक
दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हो गया और सुरक्षा
की दृष्टि से
यहां केन्द्रीय व
राज्य सरकारें विकास एवं
अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार
हेतु अनेकों योजनायें
ला रही थी और पिथौरागढ़
नगरपालिका परिषद् एक
बृहद पालिका के
रूप में विकसित
हो रही थी। इस क्रम
में कार्यात्मक व्यवस्था
के लिये नगर
क्षेत्र में विस्तार
आ रहा था और वार्डो
की संख्या तेजी
से बढ़ रही थी। जहां
वर्ष 1971 में पिथौरागढ़
नगरपालिका में मात्र
पांच वार्ड थे
वहीं 1981 में पिथौरागढ़
नगरपालिका परिषद् में
10 (दस) वार्ड हो
गये। यह विस्तार
21 वीं सदी के आते-आते
और फैला और एक समय
सन् 1997-2002 में यहां
25 वार्ड बना दिये
गये। कालान्तर में
दूसरा पुनर्गठन हुआ
और 2011 पिछली जनगणना
वर्ष में पिथौरागढ़
नगरपालिका परिषद् 15 वार्ड में
विभक्त दर्शायी गयी
है वर्ष 2018 में
पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् के
निर्वाचन के वक्त
वार्डो की संख्या
बढ़कर 20 हो चुकी है।
पिथौरागढ़
नगरपालिका जनसंख्या: वर्ष 2018
वार्ड
नम्बर |
वार्ड
का नाम |
परिवारों
की संख्या |
कुल
जनसंख्या |
महिला |
पुरूष |
1 |
बजेटी |
662 |
3189 |
1658 |
1531 |
2 |
कुमौड़ |
756 |
3333 |
1567 |
1766 |
3 |
टकाना
कालौनी |
715 |
3092 |
1608 |
1484 |
4 |
लिंठ्यूड़ा |
511 |
2796 |
1454 |
1342 |
5 |
विण
जाखनी |
823 |
3325 |
1696 |
1629 |
6 |
भाटकोट |
620 |
2851 |
1454 |
1397 |
7 |
पाण्डेगांव |
825 |
3221 |
1546 |
1675 |
8 |
चन्द्रभागा |
710 |
2920 |
1548 |
1372 |
9 |
कृष्णापुरी |
789 |
3201 |
1665 |
1536 |
10 |
जगदम्बा
कालौनी |
843 |
3228 |
1549 |
1679 |
11 |
शिवालया |
526 |
2960 |
1717 |
1243 |
12 |
नया
बाजार |
591 |
3235 |
1682 |
1553 |
13 |
सिमलगैर |
648 |
3226 |
1678 |
1548 |
14 |
ऐंचोली |
625 |
3187 |
1562 |
1625 |
15 |
दौला |
715 |
3079 |
1509 |
1570 |
16 |
सिनेमा
लाइन |
732 |
3286 |
1742 |
1544 |
17 |
धनौड़ा |
612 |
3161 |
1644 |
1517 |
18 |
सेरा
पुनेड़ी |
714 |
3231 |
1551 |
1680 |
19 |
तिलढुकरी |
688 |
2950 |
1387 |
1563 |
20 |
खड़कोट |
926 |
3031 |
1576 |
1455 |
कुल
योग |
14031 |
62502 |
31793 |
30709 |
स्रोेत:
कार्यालय नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़।
उपरोक्त तालिका के
अनुसार 2018 के वार्डवार
जनसंख्या वितरण से
स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक
जनसंख्या 3333 कुमौड़ वार्ड
में है, जहां
756 परिवार
निवास करते हैं।
पिथौरागढ़ नगरपालिका के अन्तर्गत
सबसे कम जनसंख्या
लुन्ठ्यूड़ा वार्ड
में है जिसमें
मात्र 511 परिवार निवसित
हैं जिनकी कुल
जनसंख्या 2796 है। नगरपालिका
परिषद् में वर्ष
2018 में हुये स्थानीय
चुनावों को दृष्टिगत
रखते हुये जनसंख्या
वार्डों के स्वरूप
को बदल दिया
गया वर्तमान में
अब नगरपालिका परिषद्
पिथौरागढ़ में 15 (पन्द्रह) के
स्थान पर इन्हें
20 (बीस) वार्डों में विभक्त
कर दिया गया
और नियोजन और
विकास की दृष्टि
से इन्हीं पुराने
वार्डों को काटा-छांटा गया
और सीमा विस्तार
कर कुछ नये वार्डों को जोड़ लिया गया
है। इस तरह नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़
का जनसंख्या वितरण
निम्न तालिकाओं के
रूप में देखा
जा सकता है-
पिथौरागढ़
नगरपालिका परिषद् में
अनु०जाति, अनु०जनजाति तथा अन्य
पिछड़ा वर्ग
वार्ड
नं० |
वार्ड
नाम |
अनुसूचित
जाति |
अनु०जन
जाति |
पिछड़ी
जाति |
1 |
बजेटी
|
1417 |
80 |
172 |
2 |
कुमौड़ |
1207 |
68 |
116 |
3 |
टकाना
कालौनी |
912 |
102 |
172 |
4 |
लुन्ठ्यूड़ा |
908 |
144 |
257 |
5 |
विण
जाखनी |
855 |
85 |
115 |
6 |
भाटकोट |
602 |
65 |
167 |
7 |
पाण्डेगांव |
255 |
55 |
114 |
8 |
चन्द्रभागा |
241 |
20 |
185 |
9 |
कृष्णापुरी |
235 |
11 |
235 |
10 |
जगदम्बा
कालौनी |
221 |
11 |
193 |
11 |
शिवालया |
212 |
60 |
224 |
12 |
नया
बाजार |
212 |
60 |
260 |
13 |
सिमलगैर
|
210 |
22 |
154 |
14 |
ऐंचोली
|
189 |
9 |
81 |
15 |
दौला
|
172 |
98 |
269 |
16 |
सिनेमा
लाइन |
160 |
46 |
295 |
17 |
धनौड़ा |
152 |
55 |
152 |
18 |
सेरा
पुनेड़ी |
145 |
12 |
125 |
19 |
तिलढुकरी
|
130 |
102 |
372 |
20 |
खड़कोट |
121 |
71 |
233 |
योग |
8556 |
1176 |
3891 |
स्रोत- नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़,
वर्ष 2018
उपरोक्त तालिका के
अनुसार पिथौरागढ़ नगरपालिका
परिषद् में सर्वाधिक
अनुसूचित जाति जनसंख्या
बजेटी वार्ड में
तथा सबसे कम अनुसूचित जाति खड़कोट
वार्ड में रहती
है। इसी प्रकार
सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति लिन्ठ्यूड़ा
वार्ड में तथा सबसे कम
अनुसूचित जनजाति वाला
वार्ड ऐंचोली है।
सर्वाधिक ओ०बी०सी० जनसंख्या वाला
वार्ड तिलढुकरी तथा
सबसे कम ऐंचोली
वार्ड में होना
दर्शाया गया है।
नगरपालिका
परिषद् पिथौरागढ़ के
वार्डों में परिवारों
की संख्या तथा
बंद घरों की सूची
वार्ड
नं० |
वार्ड
नाम |
वार्ड
में परिवारों की
संख्या |
जो
घर बन्द हैं
उनकी संख्या |
1 |
बजेटी
|
810 |
15 |
2 |
कुमौड़ |
750 |
22 |
3 |
टकाना
कालौनी |
661 |
31 |
4 |
लुन्ठ्यूड़ा |
913 |
32 |
5 |
विण
जाखनी |
831 |
18 |
6 |
भाटकोट |
712 |
13 |
7 |
पाण्डेगांव |
485 |
14 |
8 |
चन्द्रभागा |
560 |
17 |
9 |
कृष्णापुरी |
580 |
25 |
10 |
जगदम्बा
कालौनी |
755 |
21 |
11 |
शिवालया |
550 |
32 |
12 |
नया
बाजार |
525 |
19 |
13 |
सिमलगैर
|
875 |
55 |
14 |
ऐंचोली
|
750 |
22 |
15 |
दौला
|
769 |
49 |
16 |
सिनेमा
लाइन |
821 |
39 |
17 |
धनौड़ा |
790 |
27 |
18 |
सेरा
पुनेड़ी |
807 |
31 |
19 |
तिलढुकरी
|
885 |
51 |
20 |
खड़कोट |
1125 |
53 |
|
योग |
14954 |
586 |
स्रोत:
कार्यालय, नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़।
उपरोक्त तालिका के
अनुसार नगरपालिका परिषद्
पिथौरागढ़ में विभिन्न
वार्डों में निवसित
परिवारों की संख्या
को दर्शाया गया
है, जिसके अनुसार
सर्वाधिक परिवारों वाला वार्ड
खड़कोट तथा सबसे
कम परिवार पाण्डेगांव
वार्ड में रहना
दर्शाया गया है। नगर में
हो रहे विकास
और विस्तार के
बावजूद नगरपालिका परिषद्
क्षेत्र में बंद घर भी
स्थित हैं उपरोक्त
तालिका के अनुसार
सिमलगैर वार्ड में
बंद पड़े घरों
की संख्या सर्वाधिक
55 तथा भाटकोट वार्ड
में यह संख्या
निम्नतम 13 हैं।
पिथौरागढ़
नगरपालिका: एक परिचय
क्र०सं० |
मद |
विवरण |
1 |
नगरपालिका
का क्षेत्रफल |
12 वर्ग किमी० |
2 |
कुल
पुरूष |
30709 |
3 |
कुल
महिला |
31793 |
4 |
अनुसूचित
जाति/जनजाति |
9732 |
5 |
पिथौरागढ़
नगरपालिका का कुल
साक्षरता प्रतिशत |
92‐32 |
कुल
जनसंख्या |
62502 |
स्रोत: जिला सांख्यिकी
कार्यालय, पिथौरागढ़, वर्ष 2019 के
अनुसार, पृ०-70
पिथौरागढ़
नगरपालिका क्षेत्र में स्थित
प्राथमिक तथा माध्यमिक
स्कूल एवं महाविद्यालय
क्र०
सं० |
स्कूल/महाविद्यालय |
संख्या |
1 |
मान्टेसरी/नर्सरी स्कूल |
06 |
2 |
जूनियर
बेसिक स्कूल |
48 |
3 |
सीनियर
बेसिक स्कूल |
26 |
4 |
हायर
सेकेण्डरी स्कूल बालक |
11 |
5 |
हायर
सेकेण्डरी स्कूल बालिका |
04 |
6 |
महाविद्यालय |
01 |
स्रोत: जिला
सांख्यिकी कार्यालय, पिथौरागढ़, वर्ष
2019 के अनुसार, पृ०-70
उपरोक्त तालिका के
अनुसार पिथौरागढ़ नगरपालिका
परिषद् में शैक्षिक
संस्थानों की सूची
को दर्शाया गया
है सारणी के
अनुसार नगर में प्राथमिक तथा माध्यमिक
शिक्षण संस्थानों की
संख्या पर्याप्त हैं।
नगर में उच्च
शिक्षा हेतु केवल
मात्र एक महाविद्यालय
है। पिछले कुछ
दशकों की अपेक्षा
विभिन्न सरकारी एवं
गैर सरकारी संस्थाओं
के प्रयत्नों के
शैक्षिक जागरूकता आदि
से 2011 में 2001 की
तुलना में कुछ जनसंख्या में दशकीय
वृद्धि दर तुलनात्मक
रूप से कम दर्ज की
गई है इसके साथ ही
केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा भी
कई कार्यक्रमों को
इस जनपद में
जनसंख्या निवारण हेतु
चलाए जा रहे हैं। इसके
परस्पर विकास एवं
क्रियान्वयन हेतु समग्र
भागीदारी की आवश्यकता
है जिससे यह
सीमांतवर्ती जनपद भी
विकसित जनपद की श्रेणी में
अपनी पहचान बना
सके।
जनपद की
अधिकांश जनसंख्या गांव
में ही निवास
करती है। परन्तु
इस जनपद के पालिका
क्षेत्र का अध्ययन
करने से स्पष्ट
होता है कि यहां हो
रहे नगरीकरण के
फलस्वरूप हो रहे
विकास कार्यक्रमों के
परिणामस्वरूप एवं स्वास्थ्य
संसाधनों की वृद्धि
के फलस्वरूप यहां
मृत्यु दर जन्म दर की
अपेक्षा कम है। देश के
अन्य प्रान्तों की
भांति यहां बाढ़
आदि का प्रकोप
भी नहीं हैं
जिसके परिणामस्वरूप यहां
शताब्दियों से जनसंख्या
वृद्धि तथा जीवन
स्तर साथ-साथ बढ़ रहे
हैं। पिथौरागढ़ नगर
के आस-पास की भूमि
अत्यधिक समतल होने
के कारण यहां
पर विकास और
विस्तार की अत्यधिक
सम्भावनाएं प्राचीन समय से ही बनी
हुई हैं इस शहर की
जनसंख्या वृद्धि दर
पिछले दशकों में
लगभग 50-60 प्रतिशत के बीच रही है।
सन्दर्भ
ग्रन्थ सूची:-
1-खर्कवाल,
डॉ०एस०सी०- उत्तराखण्ड, भौतिक सांस्कृतिक
एवं आर्थिक परिदृश्य
का भौगोलिक विश्लेषण,
विनसर प्रकाशन, 2017, पृ०-109
2-खर्कवाल,
डॉ०एस०सी०- उत्तराखण्ड, भौतिक सांस्कृतिक
एवं आर्थिक परिदृश्य
का भौगोलिक विश्लेषण,
विनसर प्रकाशन, 2017, पृ०-111
3- Regestrar
general of india, census of india reported in Hindustan times 09\08\06
4-एटकिंसन
ई०टी०,हिमालयन गजेटियर1882-84,
पृ०- 292-378
5-सक्सेना
पी०सी०, 1979, उत्तर प्रदेश
डिस्ट्रिक्ट गजेटियर पिथौरागढ़, इलाहाबादए
1979, पृ०-1
6-पंत,डॉ॰ रेखा
अप्रकाशित शोध Functional and Structural Analysis of Kumaun Urban with Special
Reference to Pithoragarh 1982]पृ०-16
7-सक्सेना
पी०सी०, 1979, उत्तर प्रदेश
डिस्ट्रिक्ट गजेटियर पिथौरागढ़, इलाहाबाद,
पृ०-39
8-एटकिंसन
ई०टी०, हिमालयन गजेटियर1882-84,
पृ०-688
9-गैन्सीर
आरनोल्ड- द ओन
ऑफ द गॉड्स,
पृ0-119।
10-कुमाऊँ
का इतिहास (1000-1790), डॉ०
शिवप्रसाद डबराल ‘चारण’ वीर गाथा प्रकाशन,
दोगड्डा गढ़वाल, भाग-5,
पृ०-359
11-कार्यालय
अर्थ एवं संख्याधिकारी,
2019, पृ०-9, पिथौरागढ़।
12-उत्तर
प्रदेश जिला गजट,
पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट
प्रेस इलाहाबाद, उत्तर
प्रदेश, 1979, पृ०-10
13-उत्तर
प्रदेश जिला गजट,
पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट
प्रेस इलाहाबाद, उत्तर
प्रदेश, 1979, पृ०-9
14- कार्यालय, नगरपालिका
धारचूला।
15-उत्तर
प्रदेश जिला गजट,
पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट
प्रेस इलाहाबाद, उत्तर
प्रदेश, 1979, पृ०-9
16-उत्तर
प्रदेश जिला गजट,
पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट
प्रेस इलाहाबाद, उत्तर
प्रदेश, 1979, पृ०-9
17-तदैव।
18-पंत,
डॉ० ललित, कुमाऊं
के आदिवासियों का आर्थिक
अध्ययन ( राजी तथा
शौका के सन्दर्भ
में)अप्रकाशित शोध
ग्रन्थ1981।
19-पांगती,डॉ॰ देेवराज
सिंह,राजनीतिक अभिजात्य
वर्ग के नेतृत्व
का नगरीकरण में
योगदान,अप्रकाशित शोध
ग्रन्थ - पृ0- 48
शोध छात्रा इतिहास,
एल0एस0एम0 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़
एवं
डॉ. हेम चन्द्र पाण्डेय
असिस्टेन्ट प्रोफेसर, इतिहास,
एल0एस0एम0 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़
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