शोध आलेख: उत्तराखण्ड राज्य के नगरपालिका क्षेत्र पिथौरागढ़ की जनांकिकी: एक ऐतिहासिक अध्ययन / कु. मन्जू महरा एवं डॉ. हेम चन्द्र पाण्डेय


उत्तराखण्ड राज्य के नगरपालिका क्षेत्र पिथौरागढ़ की जनांकिकी: एक ऐतिहासिक अध्ययन

कु. मन्जू महरा एवं डॉ. हेम चन्द्र पाण्डेय

 

 

वह क्षेत्र जहां मानव निवास करता है, उस क्षेत्र की मानव संख्या को जनसंख्या कहते हैं अर्थात् मानव का समूह ही जनसंख्या कहलाता है।किसी भी क्षेत्र की जनसंख्या के वितरण एवं स्वभाव को जानने के लिए उस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं पर दृष्टिपात करना आवश्यक है। इसी प्रकार किसी निश्चित क्षेत्र के प्रादेशिक अध्ययन एवं विकास में जनसंख्या एवं उसके प्रारूप की विशिष्ट भूमिका होती है।1हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां विषम स्थलाकृति, प्राकृतिक झरने, रमणीय स्थल अनेक तीर्थ स्थान तथा एतिहासिक महत्व के स्थल इस क्षेत्र में उपलब्ध है। अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं वाला यह राज्य प्रतिरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से विकास की राह देख रहा है। आदि काल से ऋषि मुनियों तथा प्रकृति प्रेमियों को आश्रय देने वाला यह हिमालयी प्रदेश जहां विभिन्न मानव जातियों तथा धर्म सम्प्रदायों का संगम स्थल के रूप में विश्व विख्यात है। वर्तमान समय में उत्तराखण्ड का दक्षिणी तराई भाबर एवं दून घाटी के साथ ही अन्य आन्तरिक महान घाटी क्षेत्रों में जनसंख्या का विशेष फैलाव है। ग्रामीण प्रदेश होने के साथ ही धरातलीय एवं जलवायु की विषमता के कारण अधिवासों के स्वरूपों में पर्याप्त भिन्नता पायी जाती है।

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ सहित सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में पूर्वकालिक अवधि में जनसंख्या तथा उसकी वृद्धि का सही अनुमान लगाना एक जटिल प्रक्रिया है। तीसरा-चौथी सदी पूर्व के मिले शिलालेखों तथा गुम्बदों से स्पष्ट होता है कि इस भू-भाग में उपयुक्त स्थलों में मानव बस्तियों का आविर्भाव था। शंकराचार्य के इस क्षेत्र में पदार्पण (788-820 ई०) के बाद कत्यूर साम्राज्य (740-1000 ई०) के समय इस भू क्षेत्र में तीर्थाटन का विस्तार हुआ, जिसके फलस्वरूप बड़ी संख्या में बाहरी लोगों का आगमन हुआ उनमें से कुछ इस क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास करने लगे। जिस कारण कुमाऊँ क्षेत्र की प्रमुख घाटियों में भी जनसंख्या का प्रतिशत लगातार बढ़ने लगा। उत्तराखण्ड की सम्पूर्ण जनसंख्या 16,502 ग्रामों एवं विभिन्न स्तर के नगरों में निवास करती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सम्पूर्ण भारतीय हिमालयी प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 23‐9 प्रतिशत भाग उत्तराखण्ड के अन्तर्गत निवास करता है।2

उत्तराखण्ड का सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला हरिद्वार है जिसका जनसंख्या घनत्व 801 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० है। भारत के राज्यों में बढ़ता जनघनत्व यहां बढ़ती जनसंख्या वृद्धि का परिणाम है। भारत सरकार के आधिकारिक अनुमानित आकड़ों के अनुसार, उत्तराखण्ड में सन् 2026 तक 37ःआबादी शहरों में निवास करेगी और उत्तराखण्ड सम्पूर्ण भारत में सातवां सर्वाधिक शहरी आबादी वाला राज्य बन जायेगा।3

समूचे देश की तरह ही उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में भी गांवों की अधिकता है। पिथौरागढ़ जिले की तीन चौथाई से भी अधिक जनसंख्या गांवों में निवास करती है तथा नगरीय भाग में एक चौथाई से भी कम जनसंख्या का जमाव पाया जाता है, लेकिन समय के साथ-साथ तकनीकी विकास को बल मिल रहा है, जिसके फलस्वरूप अधिसंख्य जनसंख्या नगरीय जनसंख्या का स्वरूप बनती जा रही है, क्योंकि इस प्रकार के क्षेत्रों में विभिन्न सुविधाएं जैसे जल, बिजली, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा आदि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक सुलभ होती है। स्पष्टतः इन सभी कारकों से नगरीकरण में वृद्धि होती है। सोर पिथौरागढ़ के इलाके में अतीत में असुर, नाग जातियों और फिर किरात, खस और कुणिन्द जाति के लोगों के निवास के साक्ष्य मिलते हैं।4 लगभग 350 ई० के बाद समुद्रगुप्त के काल में हिमालय में कत्यूरी शासन चल रहा था और सोर पिथौरागढ़ इसके अधीन था। मध्यकाल में सोर पिथौरागढ़ का इलाका मांडलिक राजाओं के अधीन गया था और सोर पिथौरागढ़ में ब्रह्म राजशाही ने शासन करते हुये उदयपुर निकट घुड़साल पौरा में इसे स्थापित किया और आगे चंद राजाओं के स्वर्णिम राज्यकाल में राजा दिलीप चंद के शासन के अन्तर्गत बन्दोबस्त अधिकारी पीरू गुसाईं ने बसासत के मध्य एक किला बनवाया जिसके आस-पास नगर बसा।5 गोरखाकाल (1790-1815) में सोर पिथौरागढ़ में गोरखा किले के आस पास गोरखा सैनिक छावनी का निर्माण हुआ और सही मायने में छोटी सी ग्रामीण सोर पिथौरागढ़ बसासत बजूद में आयी।6

एटकिंसन के अनुसार, औपनिवेशिक काल में इसे सोर परगने का प्रधान गाँव माना गया। यह इलाका कृषि काश्त के लिये ख्याति प्राप्त था अतः इस उपत्यका के मध्य गोर्खा सैनिक छावनी के आस-पास पहाड़ी सोर पिथौरागढ़ बजरिया जुटी जो आगे चल कर टाऊनशिप के रूप में विकसित हुयी और भारत की आजादी के बाद यह टाऊनएरिया के रूप में पहचान बनाने में सक्षम हुयी। विस्तार पाती टाऊनशिप आगे स्वतंत्र भारत में वर्ष 1962 में पिथौरागढ़ नगरपालिका के रूप में स्थापित व्यवस्थित हुयी।औपनिवेशिक काल में सोर पिथौरागढ़ का इलाका सोर परगने के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले तथा बृहत् कुमाऊँ का हिस्सा था। सन् 1821 में पहले पहल कुमाऊँ के तात्कालिक कमिश्नर जार्ज विलियम टेª द्वारा कुमाऊँ की जनसंख्या का आंकलन किया गया था,7किन्तु इस जनसंख्या विवरण में पिथौरागढ़ बसासत की जनसंख्या का अलग से कोई विवरण नहीं मिलता। इसी तरह के कुमाऊँ जनसंख्या सम्बन्धी मोटे अनुमान सन् 1848, 1872, 1881 तथा 1891 में भी लगाये गये। यों तो सन् 1881 की जनगणना किसी सीमा तक अधिक व्यवस्थित अवश्य थी पर पिथौरागढ़ क्षेत्र को जनगणना में पृथक इकाई नहीं माना गया जिस कारण इस बसासत की जनसंख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाता है।8वर्ष 1960 से पूर्व पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील थी। 24 फरवरी 1960 को एक जनपद के रूप में परिणित हो जाने के बाद अप्रैल वर्ष 1960 से पिथौरागढ़ जनपद को पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचूला और मुनस्यारी चार तहसीलों में विभक्त किया गया तथा 13 मई 1972 को चम्पावत तहसील को भी इस जनपद में सम्मिलित कर लिया गया।9सन् 1981 के अनुसार पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल 7217 वर्ग किमी० और जनसंख्या 479452 थी।10

वर्तमान (2011) की जनगणना के अनुसार जनपद की कुल जनसंख्या 483439 है जिनमें 239306 पुरूष तथा 244133 स्त्रियाँ हैं।11जनपद निर्माण के बाद पिथौरागढ़ में चार उपजिलें बने जिसमें गंगोलीहाट, धारचूला, मुनस्यारी, डीडीहाट और पिथौरागढ़ हैं जो अपने इसी नाम से तहसील भी थी।12पूर्व में धारचूला एक तहसील हुआ करती थी जिसमें पांच पट्टी सम्मिलित थे और तत्कालीन धारचूला तहसील की जनसंख्या 32,566 थी जिसमें महिलाओं की आबादी 15,753 थी।13वर्तमान में धारचूला नगरपालिका बन चुकी है वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार धारचूला नगरपालिका की जनसंख्या 7,039 है जिनमें 3,797 पुरूष एवं 3,242 महिलाएं है।14प्रारम्भ में डीडीहाट तहसील में नौ पट्टे थे और जनसंख्या 96,518 थी और महिला जनसंख्या 50,452 थी।15वर्तमान डीडीहाट नगरपालिका बन गई है जिसकी जनसंख्या 6,522 है। इसी प्रकार 60 के दशक में पिथौरागढ़ जनपद का दूरस्थ तहसील मुनस्यारी जिसमें उस समय तीन पट्टी हुआ करती थी और 30,377 जनसंख्या थी जिसमें महिलाओं की संख्या 14,992 थी।16 पिथौरागढ़ बसासत की जनसंख्या का पहला अनुमानित आंकलित आंकड़ा ई०टी० एटकिंसन के हिमालयन गजेटियर में उपलब्ध होता है। इस जनसंख्या विवरण में पिथौरागढ़ बसासत में सन् 1884 में उन्हें 255 व्यक्ति निवास करते मिले थे। वर्ष 1891 की अल्मोड़ा जिले की जनगणना में पूरी पिथौरागढ़ तहसील क्षेत्र की जनसंख्या आकलित है जो 1,20,000 आंकी गयी जबकि पूरे अल्मोड़ा जिले की जनसंख्या तब 4,16,468 पायी गयी।17

जनगणना वर्ष पिथौरागढ़ नगर की जनसंख्या18

क्र॰सं॰

जनगणना वर्ष

पिथौरागढ़ नगर जनसंख्या

स्रोत

1

1881-84

255

हिमालयन गजेटियर एटकिंसन

2

1901

352

टाऊन एरिया अभिलेख सोर पिथौरागढ़

3

1941

1519

टाऊन एरिया अभिलेख सोर पिथौरागढ़

4

1951

1844

जनगणना ग्रन्थमाला सोर पिथौरागढ़

5

1961

2783

नगरपालिका पिथौरागढ़ अभिलेख/जनगणना ग्रन्थमाला उ०प्र०

6

1971

11942

नगरपालिका पिथौरागढ़ अभिलेख/जनगणना ग्रन्थमाला उ०प्र०

7

1981

17657

भारत जनगणना ग्रन्थमाला

8

2001

41]157

भारत की जनगणना/ नगरपालिका अभिलेख

9

2011

56]044

भारत की जनगणना/ नगरपालिका अभिलेख


तालिका देखने से स्पष्ट होता है कि सन् 1881-84 में पिथौरागढ़ बसासत बहुत छोटी थी जिसकी जनसंख्या तीन सैकड़ा से भी कम थी। बीसवीं सदी के आरम्भिक वर्षों में सोर पिथौरागढ़ ग्रामीण कस्बे के रूप में ही था और इसकी कुल आबादी 352 आंकी गयी। प्रथम महायुद्ध के तुरंत बाद एक सैनिक सूबेदार भवान सिंह ने अपनी डायरी में सोर की बाजार (पिथौरागढ़) का वर्णन किया है जिसके अनुसार पिथौरागढ़ के पुराने बाजार के चौक में 15-20 मकान दोमंजिले थे, जिसके निचले भाग में दयाराम खर्कवाल (कपड़ा व्यापारी), जयभान माहरा साधारण कपड़े की दुकान छोटा मोटा सामान 1 परिवार मौनदास साह ठुलघरिया (परचून साधारण कपड़ा), रामकिशन साह कुमैया (मिठाई), दो परिवार खत्री (दवायें, जड़ी-बूटी, खिरची मिरची, गोला गिरी चना वगैरह), एक आद दुकान बार्बर की थी 5-6 सुनारों, मुसलमानों तथा पटवों की भी थी। कुछ छोटी-मोटी और दुकानें भी थी। इस प्रकार पिथौरागढ़ बजरिया की तात्कालिक जनंसख्या बमुस्किल 400 के आस-पास रही होगी।

तालिका से स्पष्ट होता है कि 1901-1941 के बीच प्रति दस वर्ष में 33‐1 प्रतिशत की वृद्धि दर बहुत ऊँची नहीं है 1951 से 1961 के बीच जनसंख्या की वृद्धि अकस्मात् बहुत ऊँची 272‐12 प्रतिशत रही। इसका मुख्य कारण पिथौरागढ़ कस्बे का टनकपुर मार्ग से जुड़ना एवं 1960 में इस कस्बे का जिला पिथौरागढ़ मुख्यालय के रूप में स्थापित हो जाना था। और फिर यह केवल एक स्थापित क्रय-विक्रय केन्द्र केन्द्र (मिश्रित बाजार) अपितु अनेकांे राजकीय प्रतिष्ठानों, कार्यालयों एवं शैक्षणिक विद्यालयों एवं उच्चशिक्षा संस्थान (डिग्री कॉलेज) के यहां खुल जाने से नगर तेजी से फैलने लगा और 1960 के दशक में पिथौरागढ़ नगर का समग्र फैलाव जनवृद्धि आकाश छू रही थी।पिथौरागढ़ जनपद अपनी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण और विलम्ब से जनपद मुख्यालय के रूप में स्थापित होने के कारण सामाजिक एवं राजनीतिक चैतन्यता से दूर था। पिथौरागढ़ पालिका क्षेत्र में सन् 1961 में 2783 तथा सन् 1971 में 11942 की आबादी निवास करती थी इस दशक में 9159 की आबादी बढ़ी थी जो कि तत्कालीन अल्मोड़ा और नैनीताल की वृद्धि दर से भी अधिक थी क्योंकि पिथौरागढ़ में सन् 1969 में नगरपालिका क्षेत्र के अन्तर्गत 16 ग्रामों को सम्मिलित किया गया था जिस कारण नगरीय जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई थी।19

सन् 1962 में चीन आक्रमण से यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण हो गया और सुरक्षा की दृष्टि से यहां केन्द्रीय राज्य सरकारें  विकास एवं अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार हेतु अनेकों योजनायें ला रही थी और पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् एक बृहद पालिका के रूप में विकसित हो रही थी। इस क्रम में कार्यात्मक व्यवस्था के लिये नगर क्षेत्र में विस्तार रहा था और वार्डो की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। जहां वर्ष 1971 में पिथौरागढ़ नगरपालिका में मात्र पांच वार्ड थे वहीं 1981 में पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् में 10 (दस) वार्ड हो गये। यह विस्तार 21 वीं सदी के आते-आते और फैला और एक समय सन् 1997-2002 में यहां 25 वार्ड बना दिये गये। कालान्तर में दूसरा पुनर्गठन हुआ और 2011 पिछली जनगणना वर्ष में पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् 15 वार्ड में विभक्त दर्शायी गयी है वर्ष 2018 में पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् के निर्वाचन के वक्त वार्डो की संख्या बढ़कर 20 हो चुकी है।

पिथौरागढ़ नगरपालिका जनसंख्या: वर्ष 2018

वार्ड नम्बर

वार्ड का नाम

परिवारों की संख्या

कुल जनसंख्या

महिला

पुरूष

1

बजेटी

662

3189

1658

1531

2

कुमौड़

756

3333

1567

1766

3

टकाना कालौनी

715

3092

1608

1484

4

लिंठ्यूड़ा

511

2796

1454

1342

5

विण जाखनी

823

3325

1696

1629

6

भाटकोट

620

2851

1454

1397

7

पाण्डेगांव

825

3221

1546

1675

8

चन्द्रभागा

710

2920

1548

1372

9

कृष्णापुरी

789

3201

1665

1536

10

जगदम्बा कालौनी

843

3228

1549

1679

11

शिवालया

526

2960

1717

1243

12

नया बाजार

591

3235

1682

1553

13

सिमलगैर

648

3226

1678

1548

14

ऐंचोली

625

3187

1562

1625

15

दौला

715

3079

1509

1570

16

सिनेमा लाइन

732

3286

1742

1544

17

धनौड़ा

612

3161

1644

1517

18

सेरा पुनेड़ी

714

3231

1551

1680

19

तिलढुकरी

688

2950

1387

1563

20

खड़कोट

926

3031

1576

1455

कुल योग

14031

62502

31793

30709

      स्रोेत: कार्यालय नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़।

उपरोक्त तालिका के अनुसार 2018 के वार्डवार जनसंख्या वितरण से स्पष्ट होता है कि सर्वाधिक जनसंख्या 3333 कुमौड़ वार्ड में है, जहां 756  परिवार निवास करते हैं। पिथौरागढ़ नगरपालिका के अन्तर्गत सबसे कम जनसंख्या लुन्ठ्यूड़ा  वार्ड में है जिसमें मात्र 511 परिवार निवसित हैं जिनकी कुल जनसंख्या 2796 है। नगरपालिका परिषद् में वर्ष 2018 में हुये स्थानीय चुनावों को दृष्टिगत रखते हुये जनसंख्या वार्डों के स्वरूप को बदल दिया गया वर्तमान में अब नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़ में 15 (पन्द्रह) के स्थान पर इन्हें 20 (बीस) वार्डों में विभक्त कर दिया गया और नियोजन और विकास की दृष्टि से इन्हीं पुराने वार्डों को काटा-छांटा गया और सीमा विस्तार कर कुछ नये वार्डों को जोड़ लिया गया है। इस तरह नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़ का जनसंख्या वितरण निम्न तालिकाओं के रूप में देखा जा सकता है-

पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् में अनु०जाति, अनु०जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग

वार्ड नं०

वार्ड नाम

अनुसूचित जाति

अनु०जन जाति

पिछड़ी जाति

1

बजेटी

1417

80

172

2

कुमौड़

1207

68

116

3

टकाना कालौनी

912

102

172

4

लुन्ठ्यूड़ा

908

144

257

5

विण जाखनी

855

85

115

6

भाटकोट

602

65

167

7

पाण्डेगांव

255

55

114

8

चन्द्रभागा

241

20

185

9

कृष्णापुरी

235

11

235

10

जगदम्बा कालौनी

221

11

193

11

शिवालया

212

60

224

12

नया बाजार

212

60

260

13

सिमलगैर

210

22

154

14

ऐंचोली

189

9

81

15

दौला

172

98

269

16

सिनेमा लाइन

160

46

295

17

धनौड़ा

152

55

152

18

सेरा पुनेड़ी

145

12

125

19

तिलढुकरी

130

102

372

20

खड़कोट

121

71

233

योग

8556

1176

3891

   स्रोत- नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़, वर्ष 2018

उपरोक्त तालिका के अनुसार पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् में सर्वाधिक अनुसूचित जाति जनसंख्या बजेटी वार्ड में तथा सबसे कम अनुसूचित जाति खड़कोट वार्ड में रहती है। इसी प्रकार सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति लिन्ठ्यूड़ा वार्ड में तथा सबसे कम अनुसूचित जनजाति वाला वार्ड ऐंचोली है। सर्वाधिक ओ०बी०सी० जनसंख्या वाला वार्ड तिलढुकरी तथा सबसे कम ऐंचोली वार्ड में होना दर्शाया गया है।

 

 

नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़ के वार्डों में परिवारों की संख्या तथा बंद घरों की सूची

वार्ड नं०

वार्ड नाम

वार्ड में परिवारों की संख्या

जो घर बन्द हैं उनकी संख्या

1

बजेटी

810

15

2

कुमौड़

750

22

3

टकाना कालौनी

661

31

4

लुन्ठ्यूड़ा

913

32

5

विण जाखनी

831

18

6

भाटकोट

712

13

7

पाण्डेगांव

485

14

8

चन्द्रभागा

560

17

9

कृष्णापुरी

580

25

10

जगदम्बा कालौनी

755

21

11

शिवालया

550

32

12

नया बाजार

525

19

13

सिमलगैर

875

55

14

ऐंचोली

750

22

15

दौला

769

49

16

सिनेमा लाइन

821

39

17

धनौड़ा

790

27

18

सेरा पुनेड़ी

807

31

19

तिलढुकरी

885

51

20

खड़कोट

1125

53

 

योग

14954

586

स्रोत: कार्यालय, नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़।

उपरोक्त तालिका के अनुसार नगरपालिका परिषद् पिथौरागढ़ में विभिन्न वार्डों में निवसित परिवारों की संख्या को दर्शाया गया है, जिसके अनुसार सर्वाधिक परिवारों वाला वार्ड खड़कोट तथा सबसे कम परिवार पाण्डेगांव वार्ड में रहना दर्शाया गया है। नगर में हो रहे विकास और विस्तार के बावजूद नगरपालिका परिषद् क्षेत्र में बंद घर भी स्थित हैं उपरोक्त तालिका के अनुसार सिमलगैर वार्ड में बंद पड़े घरों की संख्या सर्वाधिक 55 तथा भाटकोट वार्ड में यह संख्या निम्नतम 13 हैं।

पिथौरागढ़ नगरपालिका: एक परिचय

क्र०सं०

मद

विवरण

1

नगरपालिका का क्षेत्रफल

12 वर्ग किमी०

2

कुल पुरूष

30709

3

कुल महिला

31793

4

अनुसूचित जाति/जनजाति

9732

5

पिथौरागढ़ नगरपालिका का कुल साक्षरता प्रतिशत

92‐32

कुल जनसंख्या   

 

62502

   स्रोत: जिला सांख्यिकी कार्यालय, पिथौरागढ़, वर्ष 2019 के अनुसार, पृ०-70

 

पिथौरागढ़ नगरपालिका क्षेत्र में स्थित प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूल एवं महाविद्यालय

क्र० सं०

स्कूल/महाविद्यालय

संख्या

1

मान्टेसरी/नर्सरी स्कूल

06

2

जूनियर बेसिक स्कूल

48

3

सीनियर बेसिक स्कूल

26

4

हायर सेकेण्डरी स्कूल बालक

11

5

हायर सेकेण्डरी स्कूल बालिका

04

6

महाविद्यालय

01

   स्रोत: जिला सांख्यिकी कार्यालय, पिथौरागढ़, वर्ष 2019 के अनुसार, पृ०-70

 

उपरोक्त तालिका के अनुसार पिथौरागढ़ नगरपालिका परिषद् में शैक्षिक संस्थानों की सूची को दर्शाया गया है सारणी के अनुसार नगर में प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षण संस्थानों की संख्या पर्याप्त हैं। नगर में उच्च शिक्षा हेतु केवल मात्र एक महाविद्यालय है। पिछले कुछ दशकों की अपेक्षा विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयत्नों के शैक्षिक जागरूकता आदि से 2011 में 2001 की तुलना में कुछ जनसंख्या में दशकीय वृद्धि दर तुलनात्मक रूप से कम दर्ज की गई है इसके साथ ही केन्द्र राज्य सरकारों द्वारा भी कई कार्यक्रमों को इस जनपद में जनसंख्या निवारण हेतु चलाए जा रहे हैं। इसके परस्पर विकास एवं क्रियान्वयन हेतु समग्र भागीदारी की आवश्यकता है जिससे यह सीमांतवर्ती जनपद भी विकसित जनपद की श्रेणी में अपनी पहचान बना सके।

जनपद की अधिकांश जनसंख्या गांव में ही निवास करती है। परन्तु इस जनपद के  पालिका क्षेत्र का अध्ययन करने से स्पष्ट होता है कि यहां हो रहे नगरीकरण के फलस्वरूप हो रहे विकास कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप एवं स्वास्थ्य संसाधनों की वृद्धि के फलस्वरूप यहां मृत्यु दर जन्म दर की अपेक्षा कम है। देश के अन्य प्रान्तों की भांति यहां बाढ़ आदि का प्रकोप भी नहीं हैं जिसके परिणामस्वरूप यहां शताब्दियों से जनसंख्या वृद्धि तथा जीवन स्तर साथ-साथ बढ़ रहे हैं। पिथौरागढ़ नगर के आस-पास की भूमि अत्यधिक समतल होने के कारण यहां पर विकास और विस्तार की अत्यधिक सम्भावनाएं प्राचीन समय से ही बनी हुई हैं इस शहर की जनसंख्या वृद्धि दर पिछले दशकों में लगभग 50-60 प्रतिशत के बीच रही है।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची:-

1-खर्कवाल, डॉ०एस०सी०- उत्तराखण्ड, भौतिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिदृश्य का भौगोलिक विश्लेषण, विनसर प्रकाशन, 2017, पृ०-109

2-खर्कवाल, डॉ०एस०सी०- उत्तराखण्ड, भौतिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिदृश्य का भौगोलिक विश्लेषण, विनसर प्रकाशन, 2017, पृ०-111

3- Regestrar general of india, census of india reported in Hindustan times 09\08\06

4-एटकिंसन ई०टी०,हिमालयन गजेटियर1882-84, पृ०- 292-378

5-सक्सेना पी०सी०, 1979, उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट गजेटियर पिथौरागढ़, इलाहाबादए 1979, पृ०-1

6-पंत,डॉ॰ रेखा अप्रकाशित शोध Functional and Structural Analysis of Kumaun Urban with Special Reference to Pithoragarh 1982]पृ०-16

7-सक्सेना पी०सी०, 1979, उत्तर प्रदेश डिस्ट्रिक्ट गजेटियर पिथौरागढ़, इलाहाबाद, पृ०-39

8-एटकिंसन ई०टी०, हिमालयन गजेटियर1882-84, पृ०-688

9-गैन्सीर आरनोल्ड- ओन ऑफ गॉड्स, पृ0-119

10-कुमाऊँ का इतिहास (1000-1790), डॉ० शिवप्रसाद डबरालचारणवीर गाथा प्रकाशन, दोगड्डा गढ़वाल, भाग-5, पृ०-359

11-कार्यालय अर्थ एवं संख्याधिकारी, 2019, पृ०-9, पिथौरागढ़।

12-उत्तर प्रदेश जिला गजट, पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट प्रेस इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, 1979, पृ०-10

13-उत्तर प्रदेश जिला गजट, पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट प्रेस इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, 1979, पृ०-9

14- कार्यालय, नगरपालिका धारचूला।

15-उत्तर प्रदेश जिला गजट, पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट प्रेस इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, 1979, पृ०-9

16-उत्तर प्रदेश जिला गजट, पिथौरागढ़, पी०सी०सक्सेना(आई०ए०एस०) गर्वनमेंट प्रेस इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, 1979, पृ०-9

17-तदैव।

18-पंत, डॉ० ललित, कुमाऊं के आदिवासियों  का आर्थिक अध्ययन ( राजी तथा शौका के सन्दर्भ में)अप्रकाशित शोध ग्रन्थ1981

19-पांगती,डॉ॰ देेवराज सिंह,राजनीतिक अभिजात्य वर्ग के नेतृत्व का नगरीकरण में योगदान,अप्रकाशित शोध ग्रन्थ - पृ0- 48

 

 कु. मन्जू महरा

शोध छात्रा इतिहास,

 एल0एस0एमराजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयपिथौरागढ़

एवं

डॉ. हेम चन्द्र पाण्डेय

असिस्टेन्ट प्रोफेसरइतिहास,

 एल0एस0एमराजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयपिथौरागढ़


 

अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)  अंक-43, जुलाई-सितम्बर 2022 UGC Care Listed Issue
सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादवचित्रांकन धर्मेन्द्र कुमार (इलाहाबाद)

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