स्वतंत्र भारत में दिल्ली राज्यक्षेत्र की राजनीतिक - प्रशासनिक संरचना में लोकतांत्रिक मूल्यों का विश्लेषणात्मक अवलोकन
- सुशील कुमार एवं डॉ. हिमांशु बौड़ाई
शोध सार : वर्तमान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राजनीतिक-प्रशासनिक संरचना की आधारशिला 1991 में भारतीय संविधान में 69वें संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 239’क’‘क’ के माध्यम से रखी गयी। संघ राज्यक्षेत्र के रूप में दिल्ली को एक ‘निर्वाचित विधानसभा के साथ उपराज्यपाल द्वारा प्रशासित करने की व्यवस्था की गयी है। वर्तमान में संचालित यह व्यवस्था भी दिल्ली की निर्वाचित सरकार को निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में पूर्ण स्वायत्ता प्रदान नहीं करती है। दिल्ली का जनसांख्यिकीय आधार व भौगोलिक विस्तार यहाँ एक सुव्यवस्थित राज्य स्तर पर सरकार की मांग करता है तथा समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की आवाज़ उठाई जाती रही है। इस क्रम में लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर दिल्ली की राजनीतिक-प्रशासनिक संरचना में निरंतर बदलाव भी होते रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप दिल्ली को ‘राज्य’ व ‘केंद्र शासित प्रदेश’ जैसी राजनीतिक संरचना में परिवर्तित किया गया। अतः इस शोध-पत्र में दिल्ली की राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था में आए इन प्रजातान्त्रिक बदलावों का विश्लेषणात्मक अवलोकन करने का प्रयास किया गया है।
वर्ष | प्रशासनिक बदलाव |
1947-1952 | दिल्ली का प्रशासन भारत सरकार के अधीन |
1952-1956 | दिल्ली को “भाग-ग” राज्य के रूप में स्थापित किया गया (विधानसभा, मुख्यमंत्री व उसकी मंत्री-परिषद्) |
1956 | दिल्ली विधानसभा का विघटन (सातवें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से) |
1956-1966 | दिल्ली, केंद्र शासित प्रदेश के रूप में |
1957 | दिल्ली में “निर्वाचित नगर-निगम” की स्थापना |
1966-1980 | मेट्रोपोलिटिन काउंसिल की स्थापना, उपराज्यपाल पद की व्यवस्था(दिल्ली प्रशासनिक अधिनियम-1966 के द्वारा) |
1980 | मेट्रोपोलिटिन काउंसिल का विघटन |
1983-1990 | मेट्रोपोलिटिन काउंसिल की पुन:स्थापना |
1990 | मेट्रोपोलिटिन काउंसिल का पुन: विघटन |
1991- अभी तक | उपराज्यपाल पद के साथ निर्वाचित विधानसभा(70 सदस्यीय) की व्यवस्था स्थापित (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 के द्वारा) |
(तालिका 1.1)
2. डिस्ट्रिक्ट सेन्सस हैण्डबुक, एन. सी. टी. ऑफ डेल्ही, 2011 ।
3. गुप्ता, शिव चरण, 1987, डेल्ही द सिटी ऑफ फ्यूचर, विकास पब्लिशिंग हाउस, न्यू डेल्ही पृ. 23-25 ।
4. वाजपेई एंड वर्मा, एस. सी. एंड एस. पी., 1998, लैंडमार्क्स इन डेल्ही एडमिनिस्ट्रेशन, ज्ञान पब्लिशिंग हाउस. न्यू डेल्ही, पृ. 20-21 ।
5. उपरिवत, पृ.-22 ।
6. उपरिवत, पृ.-24-25 ।
7. शर्मा, एस. के., 2015, दिल्ली सरकार की शक्तियां और सीमाएं, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, पृ.48 ।
8. वाजपेई एंड वर्मा, एस. सी. एंड एस. पी., 1998, लैंडमार्क्स इन डेल्ही एडमिनिस्ट्रेशन, ज्ञान पब्लिशिंग हाउस न्यू डेल्ही, पृ.26-27 ।
9. उपरिवत, पृ.-29-32 ।
10.शर्मा, एस. के., 2015, दिल्ली सरकार की शक्तियां और सीमाएं, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, पृ. -50 ।
11. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम,1991 (1992 का अधिनियम संख्यांक 1) ।
12. भारतीय संविधान, अनुच्छेद 239’क’‘क’, उपभाग-2(क) ।
13. भारतीय संविधान, अनुच्छेद 239’क’‘क’, उपभाग-6 ।
14. शर्मा, एस. के., 2020, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली, पृ.135 ।
15. द हिन्दू न्यूजपेपर, 16 सितम्बर, 2021, नई दिल्ली।
16. द हिन्दू न्यूजपेपर, 04 जुलाई, 2018, नई दिल्ली।
शोधार्थी, राजनीतिक विज्ञान विभाग
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखण्ड-246174
sushilmehra.kumar@gmail.com, 9911317509
प्रो. हिमांशु बौड़ाई
राजनीतिक विज्ञान विभाग
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखण्ड-246174
himanshubourai@gmail.com, 9068506193
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