डिजिटल मीडिया माध्यम और पूर्वाग्रहों को तोड़ती सफल महिला उद्यमी
- डॉ. अमिता एवं अदिति खरे
- डॉ. अमिता एवं अदिति खरे
मूल आलेख : जिस तरह महिलाएं घर की बैकबोन होती हैं, उसी तरह वे देश का भी एक मजबूत स्तंभ होती हैं। वे अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं जो कि अंततः राष्ट्र के विकास और प्रगति में सहायक होता है। चूंकि स्त्री और पुरुष दोनों ही इस दुनिया का हिस्सा हैं, अतः दोनों को देश के समग्र विकास में समान रूप से योगदान देने की आवश्यकता है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक़, "कार्यबल में महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक असमानता को कम करके वैश्विक जीडीपी को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जिससे संपन्न और विकासशील दोनों ही देशों को लाभ होगा।" इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही कार्य क्षेत्र में समान भागीदार होने की आवश्यकता है।
1.महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने वाले कारकों की पहचान करना।
2.व्यवसायिक यात्रा के दौरान उनके सामने आने वाली चुनौतियों को जानना।
3.यह जानने का प्रयास करना कि कैसे उनके द्वारा डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल अपने ब्रांड को स्थापित करने में किया गया है|
शर्मा (2020) ने विश्लेषण किया कि भारत में महिलाओं के लिए उद्यमी बनना बहुत चुनौतीपूर्ण है। अपने अध्ययन में, उन्होंने पाया कि भारत में महिला उद्यमी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई योजनाओं का सही उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं। उनका यह मानना है कि सरकार द्वारा की गई पहल में सुधार की आवश्यकता है ताकि वे महिला उद्यमियों के लिए तरक्की और निरंतर विकास के लिए मंच उपलब्ध करा सकें।
यह शोध पत्र सफल भारतीय महिला उद्यमियों के अनुभवों, चुनौतियों, अवसरों और प्रेरणाओं का अध्ययन करने पर केंद्रित है। यह अध्ययन मूल रूप से द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित एक खोजपूर्ण शोध अध्ययन है। भारत में महिला उद्यमिता के बारे में प्रासंगिक डेटा प्राप्त करने के लिए प्रकाशित शोध पत्रों, पुस्तकों और लेखों का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ता ने उद्यम के विकास में सोशल मीडिया की भूमिका और यह उनके लिए कितना प्रासंगिक है, इसका पता लगाने के लिए चुनिंदा उभरती भारतीय महिला उद्यमियों की जीवनयात्रा का विश्लेषण किया है। महिला उद्यमियों की जीवन यात्रा को समझने के लिए शोधकर्ता ने विभिन्न माध्यमों पर उपलब्ध चयनित महिला उद्यमियों के लिखित एवं दृश्य-श्रव्य साक्षात्कारों की गहन पड़ताल की है।
अपने कौशल, डिजिटल
मीडिया
और कई अन्य कारकों
के साथ अपने व्यवसाय
में सफलता प्राप्त
करने वाली भारतीय
महिला उद्यमियों
का चयन उद्देश्यपूर्ण
पद्धति
के अंतर्गत
नमूना सैंपलिंग
के आधार पर किया गया है। जिनमें
पांच सफल महिला उद्यमी
जिनके उद्यम 2010 से 2020 की समयावधि
में शुरू किए गए थे, उन्हें
‘इंडिया टाइम्स’
द्वारा
प्रदान
की गई ‘मीट द सक्सेसफुल
वुमन एंटरप्रेन्योर्स
इन इंडिया’ और ‘स्मार्ट बिजनेस बॉक्स’ द्वारा प्रदान
की गई भारत में शीर्ष 35 सफल महिला उद्यमियों
की सूची में से चुना गया है।
तथ्यों का विश्लेषण और प्राप्तियाँ :
शोध-पत्र की शोध प्रविधि में उल्लेख किया गया है कि यह अध्ययन एक खोजपूर्ण अध्ययन है और इंटरनेट पर उपलब्ध द्वितीयक डेटा पर आधारित है। इस पेपर के लिए डेटा प्रकाशित शोध-पत्रों, लेखों और वीडियो के प्रारूप में उपलब्ध साक्षात्कारों के माध्यम से एकत्रित किया गया है। विश्लेषण भाग को तीन भागों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है जो कि निम्नवार हैं-
1.महिला उद्यमियों
के सामने आने वाली चुनौतियाँ।
2.अपनी सीमाओं
को पार कर व्यवसायी
महिला बनने के लिए प्रेरणा
और डिजिटल
मीडिया।
3. महिला उद्यमिता के विकास में सहायक महत्वपूर्ण कारक।
● चयनित
महिला उद्यमियों का संक्षिप्त विवरण:
फाल्गुनी नायर:
वह मुंबई में जन्मी, भारतीय
अरबपति
व्यवसायी
हैं। वह नाइका कंपनी की फाउंडर
और CEO हैं। नाइका
2012 में स्थापित
एक ब्यूटी
और लाइफस्टाइल
रिटेल कंपनी है। एक इन्वेस्टमेंट
बैंकर के रूप में काम करने के बाद इन्होंने 2 मिलियन
डॉलर से अपना खुद का उद्यम चलाने का फैसला किया। आज इनकी कुल संपत्ति
लगभग US$ 450 करोड़ है (फोर्ब्स, 2022) और वह भारत की सबसे अमीर सेल्फमेड
महिला है।
अदिति गुप्ता:
वह गढ़वा, झारखंड, भारत की रहने वाली हैं और उन्हें 2014 में फोर्ब्स
इंडिया-30 की 'अंडर-30' महिलाओं
में सूचीबद्ध
किया गया था। वह न केवल एक उद्यमी
हैं, बल्कि ‘मेनस्ट्रुपीडिया’
कॉमिक
की लेखिका
भी हैं। इन्होंने
वर्ष 2012 में कॉमिक मेनस्ट्रुपीडिया
की सह-स्थापना
की। उनकी अनुमानित
कुल संपत्ति US$ 1.5 मिलियन
से US$ 3 मिलियन
के बीच है।
राधिका घई अग्रवाल: उन्हें
यूनिकॉर्न
क्लब में प्रवेश
करने वाली भारत की पहली महिला के रूप में पहचाना
जाता है और उन्हें
एक इंटरनेट
उद्यमी
के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने 2011 में ऑनलाइन
मार्केटप्लेस ‘शॉपक्लूज’ की स्थापना
की और वर्तमान
में कंपनी के मुख्य व्यवसाय
अधिकारी
के रूप में कार्यरत
हैं। उनकी कुल संपत्ति US$ 1 मिलियन
है (ग्लोबल
स्टैंडर्ड
न्यूज, 2020)।
दिव्या गोकुलनाथ:
दिव्या
ने 2008 में 21 साल की उम्र में एक शिक्षक
के रूप में अपना करियर शुरू किया। अपनी जीआरई कक्षाओं
के दौरान, उनकी मुलाकात
बायजू रवींद्रन
से हुई, जिन्होंने
उनके जिज्ञासु
प्रश्नों
के कारण उन्हें
एक शिक्षक
बनने के लिए प्रोत्साहित
किया। फिर दोनों ने 2011 में ‘बायजू’ की सह-स्थापना
की और 2015
में एक ऑनलाइन
प्लेटफॉर्म
लॉन्च किया। उनकी कुल संपत्ति US $3.05B (फोर्ब्स, 2020) है।
अश्विनी असोकाना:
वह अपने पति के साथ क्लाउड-आधारित
प्लेटफॉर्म ‘मैड स्ट्रीट डेन’ की सह-संस्थापक
हैं। इस व्यवसाय
को शुरू करने से पहले, उन्हें
सिलिकॉन
वैली में इंटेल इंटरेक्शन
और अनुसंधान
प्रयोगशाला
में मोबाइल
इनोवेशन
टीम का नेतृत्व
करने का अनुभव था। उन्होंने 2013 में अपना उद्यम MSD शुरू किया। यह एक आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस
और कंप्यूटर
विज़न कंपनी है। उनकी कुल संपत्ति $10 मिलियन
है|
● महिला
उद्यमियों के सामने चुनौतियाँ:
भारतीय समाज में चाहे कोई महिला शिक्षित हो या फिर अशिक्षित, अगर वह कुछ ऐसा करना चाहती है जो पूर्व निर्धारित सीमाओं तक सीमित नहीं है, तो उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न सफल महिला उद्यमियों के जीवन की यात्रा और पिछले शोध कार्यों ने विभिन्न चुनौतियों को इंगित किया है। महिलाओं उद्यमियों के लिए एक उपयुक्त बाजार खोजना कठिन है क्योंकि इस कार्य हेतू सही उपभोक्ता बाजार का पता लगाने के लिए सही शोध की आवश्यकता होती है (पाई एच, 2018)। कुछ महिलाओं के पास नए आइडियाज होते हैं और वे कुछ अलग करना चाहती हैं, लेकिन अपने परिवार के दायित्वों की वजह से पीछे हट जाती हैं, उन्हें अपनी बात पर अडिग रहने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ता है और आत्मविश्वास की कमी उन्हें पीछे खींच लेती है। महिलाओं के सामने सामाजिक-सांस्कृतिक बाधा भी एक प्रमुख चुनौती है। अधिकांशतः महिलाएँ अपने व्यवसाय में मिडलमैन को पसंद करती हैं और इस वजह से बाजारोन्मुख जोखिम बढ़ जाता है (शर्मा, 2020)। शिक्षा की कमी, उपलब्ध संसाधनों की पहचान और वित्त के बारे में कम ज्ञान भी महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, भले ही उनके पास अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की प्रबल इच्छा हो परंतु फिर भी भारत में महिलाओं के लिए नई चीजें सीखना थोड़ा मुश्किल है, खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए।
‘जिवामे’ की संस्थापक
ऋचा कर ने 2017 में ‘जिवामे’ की बाजार कीमत में गिरावट
के कारण CEO के पद से इस्तीफा
दे दिया था। लेकिन वह अभी भी बोर्ड की सदस्य हैं। यह बताता है कि निवेशकों
और संस्थापकों
के बीच संबंधों
से निपटना
थोड़ा कठिन है। डिजिटल
दुनिया
में, पारंपरिक
चुनौतियों
को कम किया जा सकता है, लेकिन डिजिटल
दुनिया
की भी अपनी चुनौतियां
हैं जैसे प्रचार-प्रसार
के लिए बनाई गई रणनीतियों
की आसानी से नकल की जा सकती है और डिजिटल
दुनिया
में निश्चित
रूप से साइबर सुरक्षा
भी एक बड़ा मुद्दा
है और इसमें शुरुआती
निवेश की भी जरूरत होती है, साथ ही व्यवसायिक
टीम को प्रशिक्षण
देना भी एक चुनौती
है(पाई एच, 2018)। महिला उद्यमियों
ने इन मुद्दों
की चुनौतियों
को पार किया है और अपने दृढ़ संकल्प
के साथ अपने उद्यम स्थापित
किए हैं, साथ ही आज वे भारत में अन्य महिलाओं
के लिए भी प्रेरणा
हैं।
● सीमाओं
को पार कर एक सफल महिला उद्यमी बनने में प्रेरणादायी कारक:
इस भाग में उन कारकों का विश्लेषण किया गया है जिन्होंने महिलाओं को एक उद्यमी और एक बिजनेस लीडर बनने के लिए प्रेरित किया।
शोध-पत्र की शोध प्रविधि में उल्लेख किया गया है कि यह अध्ययन एक खोजपूर्ण अध्ययन है और इंटरनेट पर उपलब्ध द्वितीयक डेटा पर आधारित है। इस पेपर के लिए डेटा प्रकाशित शोध-पत्रों, लेखों और वीडियो के प्रारूप में उपलब्ध साक्षात्कारों के माध्यम से एकत्रित किया गया है। विश्लेषण भाग को तीन भागों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है जो कि निम्नवार हैं-
3. महिला उद्यमिता के विकास में सहायक महत्वपूर्ण कारक।
भारतीय समाज में चाहे कोई महिला शिक्षित हो या फिर अशिक्षित, अगर वह कुछ ऐसा करना चाहती है जो पूर्व निर्धारित सीमाओं तक सीमित नहीं है, तो उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विभिन्न सफल महिला उद्यमियों के जीवन की यात्रा और पिछले शोध कार्यों ने विभिन्न चुनौतियों को इंगित किया है। महिलाओं उद्यमियों के लिए एक उपयुक्त बाजार खोजना कठिन है क्योंकि इस कार्य हेतू सही उपभोक्ता बाजार का पता लगाने के लिए सही शोध की आवश्यकता होती है (पाई एच, 2018)। कुछ महिलाओं के पास नए आइडियाज होते हैं और वे कुछ अलग करना चाहती हैं, लेकिन अपने परिवार के दायित्वों की वजह से पीछे हट जाती हैं, उन्हें अपनी बात पर अडिग रहने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ता है और आत्मविश्वास की कमी उन्हें पीछे खींच लेती है। महिलाओं के सामने सामाजिक-सांस्कृतिक बाधा भी एक प्रमुख चुनौती है। अधिकांशतः महिलाएँ अपने व्यवसाय में मिडलमैन को पसंद करती हैं और इस वजह से बाजारोन्मुख जोखिम बढ़ जाता है (शर्मा, 2020)। शिक्षा की कमी, उपलब्ध संसाधनों की पहचान और वित्त के बारे में कम ज्ञान भी महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, भले ही उनके पास अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की प्रबल इच्छा हो परंतु फिर भी भारत में महिलाओं के लिए नई चीजें सीखना थोड़ा मुश्किल है, खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए।
इस भाग में उन कारकों का विश्लेषण किया गया है जिन्होंने महिलाओं को एक उद्यमी और एक बिजनेस लीडर बनने के लिए प्रेरित किया।
मेंस्ट्रुपीडिया की सह-संस्थापक अदिति गुप्ता का कहना है कि एक महिला जो भी कार्य करना चाहती है, उसे करने के लिए उसे दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की आवश्यकता होती है। उसे मासिक धर्म से संबंधित कई वर्जनाओं का सामना भी करना पड़ा और यही वर्जनाएं कुछ अलग करने और समाज में बदलाव लाने की उसकी प्रेरणा बन गई (योरस्टोरी, 2019)। इसी तरह ज़िवामे की संस्थापक ऋचा कर को भारत में अधोवस्त्र खरीदारी की कठोर वास्तविकता के बारे में पता चला और उसने अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और एक ऑनलाइन खुदरा स्टोर शुरू करने का फैसला किया। उनका आइडिया भारत की महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अधोवस्त्र खरीददारी करने की प्रेरणा से संबंधित था और आज उनका व्यवसाय काफी ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने ‘अपग्रेड’ के साथ अपने एक साक्षात्कार में उल्लेख किया है कि इस तरह का उद्यम शुरू करना थोड़ा कठिन था लेकिन फिर वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती थी और सभी चुनौतियों का सामना भी करना चाहती थी।
2. प्रधान मंत्री रोजगार योजना और ईडीपी- ये ग्रामीण महिलाओं को उद्यमशीलता कौशल विकसित करने और अपने स्वयं के आउटलेट चलाने में मदद करने के लिए शुरू की गई है।
3. महिलाओं के प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम के लिए समर्थन (STEP)।
4. लघु उद्योग सेवा संस्थान। (एसआईएसआई)।
5. राष्ट्रीय लघु उद्योग विकास निगम
6. महिला विकास निधि
7. व्यापार संबंधित उद्यमिता सहायता और विकास (ट्रेड)
जब इंटरनेट या सोशल मीडिया की बात आती है, तो भारतीय महिलाएं जिनमें ग्रामीण-शहरी, शिक्षित-अशिक्षित, नौकरीपेशा या घर संभालने वाली महिलाएं भी समान रूप से जुड़ी हुई हैं (तोषनीवाल, 2019)। तोशनीवाल ने अपने शोध पत्र में बताया कि कैसे डिजिटल मीडिया महिलाओं को बिना व्यवसायिक यात्रा किए और बिना लोगों से मुलाकात किए, अपने व्यापारिक संबंध बनाए रखने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
1.सपना मनशानी एवं अंजना दुबे: ‘स्टार्टअप वीमेन इन स्टार्टअप इंडिया: ए स्टडी ऑफ़ वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया’, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ बिज़नेस मैनेजमेंट (आई जे बी जी एम), (वॉल-6, इशू -4) जून-जुलाई, 2017, पृ. 91
2.अखिला पाई एच: ‘डिजिटल स्टार्टअप्स एंड वीमेन आंत्रेप्रेन्योरशिप: ए स्टडी ऑन स्टेटस ऑफ़ वीमेन इन इंडिया आंत्रेप्रेन्योरस इन इंडिया’, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ रिसर्च एंड एनालिटिकल रेवियुज (आई जे आर एआर ), (वॉल-5, इशू - 4), अक्टूबर- दिसंबर, 2018
3.योगिता शर्मा: ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया’, आईओएसआर जर्नल ऑफ़ बिज़नेस एंड मैनेजमेंट (आईओएसआर - जेबीएम ), (वॉल-15, इशू-5), 2013, पृ 09 - 14.
4.वैष्णवी शर्मा: ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया: ए स्टडी ऑफ़ ओप्पोर्तुनिटीज़ एंड चैलेंजिस’, जर्नल ऑफ़ Xi'an यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्किटेक्चर एंड टेक्नोलॉजी, (वॉल-12. इशू -7), 2020, पृ.1307
5.मीनू गोयल एवं जय प्रकाश: ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योरशिप इन इंडिया-प्रोब्लेम्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स’, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च, (वॉल-1, इशू- 5), सितम्बर, 2011, पृ.195
6.सबरीना कोरेक: ‘वीमेन आंत्रेप्रेन्योरस इन इंडिया: व्हाट इस होल्डिंग देम बैक?’, आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, (इशू ब्रीफ नंबर- 317), सितम्बर, 2019
7वी आर पालनिवेलु एवं डी
मणिकंदन: 'प्रोब्लेम्स एंड
चैलेंजेस फेस्ड
बाय वीमेन
आंत्रेप्रेन्योर्स इन
इंडिया - ए स्टडी' नार्थ एशियन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज, (वॉल-3,
इशू
-9), सितंबर, 2017, पृ. 22
8.सेण्टर ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सी एफ आर): ग्रोइंग एकॉनॉमीज थ्रू जेंडर पैरिटी. https://www.cfr.org/womens-participation-in-global-economy/
8.सेण्टर ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सी एफ आर): ग्रोइंग एकॉनॉमीज थ्रू जेंडर पैरिटी. https://www.cfr.org/womens-participation-in-global-economy/
9.इंडियन ब्रांड इक्विटी
फाउंडेशन (आई बी ई
एफ):
वीमेन आंत्रेप्रेन्योर
शॉपिंग दी फ्यूचर ऑफ़ इंडिया, 2022 https://www.ibef.org/blogs/women-entrepreneurs-shaping-the-future-of-india#:~:text=Women-led%20Business%20Impact&text=India%20has%20432%20million%20working,to%2022–27%20million%20people.
10.ग्लो एंड लवली
कैरियर्स: ए 'ब्यूटी' फुल सक्सेस स्टोरी - फाल्गुनी नायर, सीेईओ, नाइका, 2019 https://www.glowandlovelycareers.in/blog/beautyful-success-story-falguni-nayar-ceo-nykaa-78
11.फेलियर बिफोर सक्सेस: अदिति गुप्ता. सक्सेस स्टोरी ऑफ़ दी को-फाउंडर ऑफ़ मेंस्ट्रूपीडिआ, 2022 https://failurebeforesuccess.com/aditi-gupta/
12. लेवरेज एडु: ऋचा कर: दी वीमेन बिहाइंड दी सक्सेस ऑफ़ जिवामे, 2021 !https://leverageedu.com/blog/richa-kar/#:~:text=Education%20and%20Early%20Career,-Image%20Source%3A%20Whizsky&text=Born%20and%20brought%20up%20in,with%20SAP%20Retail%20and%20Spencers.
13. सुगर मिन्ट: दिव्या गोकुलनाथ: वुमन बिहाइंड बाइजू'ज सक्सेस https://sugermint.com/divya-gokulnath/
14.स्मार्ट बिज़नेस बॉक्स: टॉप 35 सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2021 https://www.smartbusinessbox.in/women-entrepreneurs-in-india/
15.इंडिया टाइम्स: मीट दी सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2022 https://www.indiatimes.com/news/india/successful-women-entrepreneurs-india-558444.html
16.योर स्टोरी: इंट्रोडुइजिंग अदिति गुप्ता
https://yourstory.com/people/aditi-gupta?origin=awards
17.दी बेटर इंडिया:
दी इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ़ नाइका फाल्गुनी नायर, इंडिआज बिग्गेस्ट सेल्फ-मेड फीमेल बिलेनियर, 2022 https://www.thebetterindia.com/265560/nykaa-ipo-falguni-nayar-unicorn-billionaire-woman-entrepreneur-india/
11.फेलियर बिफोर सक्सेस: अदिति गुप्ता. सक्सेस स्टोरी ऑफ़ दी को-फाउंडर ऑफ़ मेंस्ट्रूपीडिआ, 2022 https://failurebeforesuccess.com/aditi-gupta/
12. लेवरेज एडु: ऋचा कर: दी वीमेन बिहाइंड दी सक्सेस ऑफ़ जिवामे, 2021 !https://leverageedu.com/blog/richa-kar/#:~:text=Education%20and%20Early%20Career,-Image%20Source%3A%20Whizsky&text=Born%20and%20brought%20up%20in,with%20SAP%20Retail%20and%20Spencers.
13. सुगर मिन्ट: दिव्या गोकुलनाथ: वुमन बिहाइंड बाइजू'ज सक्सेस https://sugermint.com/divya-gokulnath/
14.स्मार्ट बिज़नेस बॉक्स: टॉप 35 सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2021 https://www.smartbusinessbox.in/women-entrepreneurs-in-india/
15.इंडिया टाइम्स: मीट दी सक्सेसफुल वीमेन आंत्रेप्रेन्योर इन इंडिया, 2022 https://www.indiatimes.com/news/india/successful-women-entrepreneurs-india-558444.html
https://yourstory.com/people/aditi-gupta?origin=awards
डॉ. अमिता
असिस्टेंट
प्रोफेसर, पत्रकारिता
एवम्
जनसंप्रेषण
विभाग, काशी
हिंदू
विश्वविद्यालय,
वाराणसी
amitamgarh07@gmail.com, 9792460432/8299037177
अदिति
खरे
पीएचडी
स्कॉलर, पत्रकारिता
एवम्
जनसंप्रेषण
विभाग, काशी
हिंदू
विश्वविद्यालय,
वाराणसी
aditi.15khare@gmail.com, 7240993134
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-43, जुलाई-सितम्बर 2022 UGC Care Listed Issue
सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादव, चित्रांकन : धर्मेन्द्र कुमार (इलाहाबाद)
सम्पादक-द्वय : माणिक एवं जितेन्द्र यादव, चित्रांकन : धर्मेन्द्र कुमार (इलाहाबाद)
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