सम्पादकीय
स्मरण
धरोहर
कथा-संसार
कविताएं
- 'लोक कलाएं वंचितों के शास्त्र हैं।' (संस्कृतिकर्मी सुभाष चन्द्र कुशवाहा से ज्योति यादव ) (54)
- 'अच्छी और सबल प्रेम कहानी लिखना खासा कठिन होता है।' (कथाकार प्रियंवद से विष्णु कुमार शर्मा) (85)
- ‘सबकी मुक्ति में ही अपनी मुक्ति की कुंजी है।‘ (आलोचक रोहिणी अग्रवाल से शशिभूषण मिश्र) (98)
- घने कोहरे को चीरते हुए आगे बढ़ रही है हिंदी ग़ज़ल।' ( ग़ज़लकार मधुवेश से डॉ. दीपक कुमार) (42)
- ‘बहुत ज्यादा अंधेरा होने के बाद ही सूरज की रोशनी निकलती है।’ ( कथाकार स्वयं प्रकाश से डॉ.ममता नारायण एवं डॉ. मोहम्मद हुसैन डायर ) (36)
- ‘मेरी इच्छा शक्ति ही मेरी प्रेरणा व ऊर्जा का स्त्रोत है।’ (कलाकार डॉ. कृष्णा महावर से हेमन्ता मीणा ) (51)
- पन्ना नायक की कविता में प्रवासी जीवन की संवेदना / पन्ना त्रिवेदी (49)
- दलित जीवन का महाआख्यान है श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ की ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’/ अनिल (74)
- आत्मकथ्य : विभाजन 1947 : एक पोती की अभिव्यक्ति / डॉ. पूजा जग्गी (47)
- आत्मकथ्य : अब मोड़ो आयो मोड़ो रे / डॉ. हेमंत कुमार (10)
- आत्मकथ्य : तीस सैकंड की रील्स और शॉर्ट्स से फोकस सिकुड़ कर रह गया है। / अभिषेक तिवारी (56)
वैचारिकी
सिनेमा की दुनिया
पत्रकारिता के पहाड़े
संघर्ष के दस्तावेज
हूल-जोहार
समानांतर दुनिया
विरासत
लोक का आलोक
अनकहे-किस्से
दीवार के उस पार
देशांतर
कवितायन
नीति-अनीति
रंगायन
- ओमप्रकाश वाल्मीकि का काव्य-सौन्दर्य / डॉ. प्रवीण कुमार एवं डॉ. कौशल कुमार (83)
- दलित साहित्य के इतिहास लेखन की समस्याएँ / डॉ. राम नरेश राम (84)
- राजस्थान के दलित मतदाताओं की दलीय प्रतिबद्धताएं / कर्मराज वर्मा (90)
- गुरदयाल सिंह के उपन्यास ‘मढ़ी का दीवा’ में सामाजिक यथार्थ / डॉ. कुलवंत सिंह (60)
- हिंदी कथा साहित्य में मुसहर-समुदाय : अस्तित्व और आजीविका का संकट / रामनाथ कुमार (55)
समानांतर दुनिया
- समकालीन हिंदी-कविता में स्त्री / डॉ. इंदू कुमारी (29)
- दक्षिण भारतीय स्त्री विद्रोह (संदर्भ :- केरल के चाय बागान की महिला श्रमिक) / डॉ. कृति कुमारी (38)
- हिंदी उपन्यासों में महिला श्रमिकों की समस्याएँ एवं चुनौतियाँ / के.एम. प्रतिभा (33)
- शिवमूर्ति की कहानियों में यौन संबंध : मजबूर और मुखर स्त्री आख्यान / अमिता मांद्रेकर (46)
- भारतीय सूफीवाद और आचार्य परशुराम चतुर्वेदी की आलोचना दृष्टि / विनय कुमार पाण्डेय (22)
- भोजन-चिंतन और अस्मिता : एक प्रस्थान / सौम्या गुप्ता (25)
- पश्चिमी भाषा-चिंतन में शब्दार्थ विमर्श / डॉ. रमेश कुमार बर्णवाल (52)
- प्रणव तत्त्व विवेचन : नादबिंदु उपनिषद् के विशेष परिप्रेक्ष्य में / नम्रता चौहान व चंचल सूर्यवंशी (79)
- भारतीय समाज की समरसता में रामानुजाचार्य के भक्ति सिद्धांतों का योगदान / डॉ. महीप कुमार मीना (19)
अनकहे-किस्से
कवितायन
- डिजिटल युग मे हिंदी मीडिया और भारतीय राजनीति / सुषमा देवी व डॉ. अरविंद कुमार सिंह (87)
- कामकाजी महिलाओं के पारिवारिक समायोजन का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन/ अजरा सुल्ताना (98)
- भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व: श्रीराम परिहार के निबन्धों के सन्दर्भ में- मीनाक्षी (94)
- कुमाऊँनी मांगलिक गीतों में प्रकृति चेतना- डॉ0 कविता (82)
- समाज पर हावी अंधविश्वास और भारत का संविधान / डॉ. भरत लाल मीणा (69)
- हिन्दी साहित्य की तकनीकी गुणवत्ता का आंकलन / शुभि जिन्दल व डॉ. मयंक जिन्दल (95)
- बुनियादी विद्यालय का शिक्षा दर्शन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 / गणेश शुक्ल एवं आशीष श्रीवास्तव (20)
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