- डॉ. अरविन्द कुमार सिंह
शोध
सार : वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
तकनीक
हमारे
जीवन
के
विविध
आयामों
पर
कई
स्तरों
पर
कई
प्रकार
से
प्रभावित
किया
है।
जनसामान्य
की
भाषा
के
स्वरूप
एवं
संचार
करने
के
तरीके
में
परिवर्तन
होना
इस
प्रभाव
का
एक
बहुत
ही
महत्वपूर्ण
पहलू
है।
यद्यपि
सामाजिक
विकास
के
साथ
लोगों
की
भाषा
एवं
संवाद
प्रकिया
में
परिवर्तन
एक
सतत्
प्रक्रिया
है
और
इस
परिवर्तन
के
विविध
कारक
होते
हैं, किन्तु
वर्तमान
में
इस
परिवर्तन
में
सोशल
मीडिया
तकनीक
एक
बहुत
ही
महत्वपूर्ण
कारक
बन
गया
है।
पिछले
कुछ
वर्षों
में
सोशल
मीडिया
का
इस्तेमाल
बहुत
ही
व्यापक
हुआ
है।
इसके
माध्यम
से
लोगों
के
बीच
संचार
प्रक्रिया
बढ़ी
है।
इसने
आम
जन
के
संवाद
के
तौर
तरीके
पर
प्रभाव
डाला
है।
इसी
के
साथ
इसमें
प्रदत्त
विभिन्न
प्रकार
की
तकनीकी
सुविधाओं
ने
समाज
में
भाषा
के
स्वरूप
में
बहुत
ही
आधारभूत
ढंग
से
परिवर्तन
किया
है।
प्रस्तुत
शोध
लेख
में
सोशल
मीडिया
ने
हमारी
भाषा
एवं
संचार
को
किस
प्रकार
से
सकारात्मक
एवं
नकारात्मक
रूप
में
प्रभावित
किया
है, उसके
बारे
में
एक
शोधपूर्ण
ढंग
से
लेख
प्रस्तुत
किया
गया
है।
बीज
शब्द : हिन्दी, भाषा
का
स्वरूप, सोशल
मीडिया, सोशल
नेटवर्क, तकनीक, प्रभाव, संचार, परिवर्तन।
प्रस्तावना : सोशल
मीडिया
कोई
भी
वह
माध्यम
है
जिसमें
कि
इसके
उपयोगकर्ता
को
कन्टेन्ट
या
विविध
प्रकार
की
विषय
सामग्री
तैयार
करके
उस
सोशल
मीडिया
नेटवर्क
में
शामिल
लोगों
तक
प्रेषित
करने
एवं
एक
दूसरे
के
साथ
भागीदारी
करने
की
सुविधा
प्रदान
करता
है।
पिछले 15 वर्षो
में
इस
प्रकार
के
माध्यम
लोगों
के
बीच
काफी
अधिक
मात्रा
में
लोकप्रियता
प्राप्त
कर
चुके
हैं।
कुछ
सोशल
मीडिया
नेटवर्क
जैसे
फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब
का
काफी
अधिक
विस्तार
हुआ
है।
इस
पर
व्यक्ति
उस
पर
दिये
बटन
को
क्लिक
करके
ही
दुनिया
के
किसी
भी
कोने
में
स्थित
दूसरे
व्यक्ति
या
व्यक्ति
समूह
से
संवाद
कर
सकता
है।
यह
सहज
एवं
सुलभ
है
और
इस
पर
असीमित
मात्रा
में
सामग्री
पोस्ट
की
जा
सकती
है।
अपनी
अद्वितीय
विशिष्टता
के
कारण
अब
सोशल
मीडिया
हमारे
जीवन
का
एक
बहुत
ही
अभिन्न
महत्वपूर्ण
अंग
बन
गया
है।
यह
हमारे
जीवन
को
कई
प्रकार
से
प्रभावित
किया
है।
वैसे
तो
इसका
प्रभाव
जीवन
के
सभी
आयामों
पर
पड़ा
है, किंतु
इसने
सबसे
अधिक
प्रभाव
हमारी
भाषा
एवं
संचार
प्रक्रिया
पर
डाला
है।
हमारे
संचार
के
तौर-तरीके
को
सोशल
मीडिया
ने
बदल
कर
के
रख
दिया
है।1 वर्तमान
में विविध प्रकार
के
शोध
से
जो
जानकारी
मिल
रही
है, उससे
भी
यही
ज्ञात
होता
है
कि
विभिन्न
सोशल
मीडिया
ने
लोगों
की
भाषा
एवं
संचार
प्रक्रिया
पर
कई
प्रकार
से
प्रभाव
डाला
हैं।2
शोध
का मुख्य
उद्देश्य : प्रस्तुत
शोध
का
मुख्य
उद्देश्य
सोशल
मीडिया
की
हिन्दी
भाषा
एवं
लोगों
की
संचार
प्रक्रिया
पर
पड़
रहे
प्रभावों
के
बारे
में
विवेचना
करना
है।
इसके
अन्तर्गत
यह
जानने
का
प्रयास
किया
गया
है
कि
सोशल
मीडिया
पर
लोगों
द्वारा
जो
संचार
किया
जा
रहा
है, उसमें
भाषा
को
किस
प्रकार
से
उपयोग
किया
जा
रहा
है
और
इसने
पारम्परिक
ढंग
से
उपयोग
में
लाये
जाने
वाली
भाषा
को
किस
प्रकार
से
प्रभावित
किया
है।
इसी
के
साथ
यह
भी
जानने
का
प्रयास
किया
गया
है
कि
सोशल
मीडिया
पर
उपयोग
में
लायी
जाने
वाली
भाषा
एवं
संचार
का
क्या
नकारात्मक
पहलू
हैं।
शोध
पद्धति : प्रस्तुत
शोध
में
विवेचनात्मक
पद्धति
का
इस्तेमाल
किया
गया
है।
इसके
लिए
सूचना
सामग्री
के
लिए
मुख्य
रूप
से
द्वितीयक
सामग्री
का
उपयोग
किया
गया
है।
इसके
अन्तर्गत
विविध
प्रकार
के
समाचारपत्र, पत्रिका, ब्लॉग एवं
विभिन्न
प्रकार
के
वेबसाइट
में
प्रकाशित
लेख
का
अध्ययन
करके
उससे
सूचना
प्राप्त
की
गयी
है।
इन
स्रोतों
के
विषय
सामग्री
का
अन्तर्वस्तु
निरीक्षण
से
प्राप्त
जानकारी
के
आधार
पर
सोशल
मीडिया
की
भाषा
एवं
उस
पर
किये
जाने
वाले
संचार
के
तौर
तरीके
की
विवेचना
की
गयी
है।
सोशल
मीडिया की
वर्तमान स्थिति - सोशल
मीडिया
के
संदर्भ
में
विविध
प्रकार
के
रिपोर्ट
सतत्
रूप
में
दिये
जाते
रहते
है।
इसके
माध्यम
से
इसके
बारे
में
कुछ
बहुत
ही
रोचक
जानकारी
सामने
आती
हैं।
उदाहरण
के
लिए
यदि
हम
फेसबुक
की
बात
करें
तो विश्व में
सामान्यतौर
पर 9 में
से
एक
व्यक्ति
इसका
सदस्य
है।
इस
समय
पूरी
दुनिया
में
इसके 750 मिलियन
उपयोगकर्ता
है।
यह
दुनिया
के 70 भाषाओं
में
उपलब्ध
है।
इसमें
कालेज
एवं
स्कूल
जाने
वाले
उपयोगकर्ताओं
का
वह
समूह
भी
है
जो
कि
इसका
सबसे
अधिक
इस्तेमाल
करता
है। 30 प्रतिशत
उपयोगकर्ता
दिन
भर
में
कम
से
कम 5 बार
अपने
अकाउंट
की
जांच
करते
है।
इसी
तरह
यूट्यूब 92 बिलियन
पेज
व्यू
प्रति
माह
उत्पन्न
करता
है
और
ट्विटर
पर
प्रतिदिन 190 मिलियन
ट्वीट
किए
जाते
हैं।
फेसबुक
तो
एक
बहुत
ही
अग्रणी
सोशल
मीडिया
बन
गया
है।
दूर
रहते
हुए
अपने
सभी
करीबी
लोगों
के
साथ
जुड़े
रहने
के
लिए
ये
सभी
सोशल
मीडिया
तो
अब
बहुत
ही
आवश्यक
हो
गये
हैं।
इसने
लोगों
को
आपस
में
संवाद
करने
के
साथ
सम्पर्क
में
रहने
के
तौर
तरीके
को
बदल
दिया
है।
अब
दुनिया
की
आबादी
का
एक
बहुत
बड़ा
हिस्सा
विविध
सोशल
मीडिया
से जुड़ा हुआ
हैं।
इसने
एक
विशाल
सोशल
नेटवर्क
विकसित
किया
है।3 सोशल
मीडिया
का
हमारी
भाषा
एवं
संवाद
के
तरीके
पर
सकारात्मक
एवं
नकारात्मक
दोनों
तरीके
से
प्रभाव
पड़ा
है।
यहां
पर
आगे
पहले
सकारात्मक
एवं
फिर
नकारात्मक
पक्षों
की
विवेचना
प्रस्तुत
है।
अभिव्यक्ति
हेतु प्लेटफार्म - सोशल
मीडिया
ने
लोगों
को
असीमित
ढंग
से
कभी
भी
और
कही
भी
और
किसी
के
भी
साथ
अपने
विचारों
की
भागीदारी
करने
के
लिए
प्लेटफार्म
दिया
है।
इस
पर
लोग
अपनी
भाषा
में
विभिन्न
प्रकार
के
विचार, भाव, अनुभव, याद
आदि
को
व्यक्त
कर
सकते
हैं।
वे
विविध
सामाजिक
समस्याओं
एवं
मुद्दों
पर
विचार
व्यक्त
कर
सकते
हैं।
इसी
तरह
से
लोग
इन
माध्यमों
पर
विविध
प्रकार
के
फार्मेट
में
लेखन
कार्य
कर
सकते
हैं।
भिन्न-भिन्न
प्रकार
के
सोशल
मीडिया
ने
भिन्न-भिन्न
तरीके
से
लोगों
को
अपनी
बातों
एवं
भावनाओं
को
अभिव्यक्ति
करने
का
अवसर
प्रदान
किया
है।
इसलिए
भाषा
के
विभिन्न
तरीके
से
लिखने
और
व्यक्त
करने
के
नये
नये
आयाम
विकसित
होने
लगे
हैं।
फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम
आदि
सोशल
मीडिया
ने
अपने
अपने
तरीके
से
अभिव्यक्ति
के
फार्मेट
विकसित
किए
हैं।
इसमें
छोटे
एवं
बड़ी
मात्रा
में
अपनी
बातों
को
कहने
के
अवसर
होते
हैं।
इस
पर
लोग
अपनी
बातों
को
अच्छे
से
अच्छे
तरीके
से
कहने
का
प्रयास
करते
हैं।
इसी
के
साथ
इस
पर
अभिव्यक्ति
का
दुरूपयोग
करते
हुए
भाषा
का
इस्तेमाल
करते
है।
यद्यपि
सोशल
मीडिया
पर
किसी
प्रकार
के
अपराधपूर्ण
ढंग
से
अभिव्यक्ति
को
रोकने
के
लिए
कानून
भी
बनाये
गये
हैं।
4,5 इस प्रकार
सोशल
मीडिया
पर
लोग
अभिव्यक्ति
के
अवसर
का
अच्छे
एवं
नकारात्मक
दोनों
प्रकार
के
उद्देश्यों
को
पूरा
करने
के
लिए
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं।
बोलचाल
की भाषा
में लेखन
- जन
सामान्य
के
बीच
बोल
चाल
एवं
लिखित
भाषा
का
स्वरूप
कई
मायनों
में
भिन्न
भिन्न
होता
है।
किन्तु
सोशल
मीडिया
पर
लोग
संवाद
करते
हुए
अपनी
बातों
को
उसी
समय
लिखते
भी
हैं।
जब
भी
वे
किसी
प्रकार
का
कोई
बात, विचार
और
समाचार
देखते
हैं, या
फिर
किसी
के
साथ
संवाद
करते
हैं
तो
वे
उस
पर
लिख
करके
भी
अपने
विचारों
की
साझेदारी
करते
हैं।
वे
एक
दूसरे
के
साथ
भी
लिख
करके
संवाद
करते
हैं।
पहले
लिखित
भाषा
कभी
भी
बोलचाल
की
भाषा
की
तरह
नही
प्रस्तुत
की
जाती
रही
है।
किन्तु
वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
पर
लिखित
रूप
में
सब
लोग
बोल
चाल
की
भाषा
का
कई
स्तरों
पर
इस्तेमाल
कर
रहे
है।
यह
व्यक्तिगत्
स्तर
से
ले
करके
समूह
एवं
बड़े
समूह
पर
सार्वजनिक
तौर
पर
इस्तेमाल
किया
जा
रहा
है।6
नये
तरीके से
भाषा की
प्रस्तुति - सोशल
मीडिया
पर
बातों
को
कहने
के
लिए
तकनीकी
तौर
पर
विविध
प्रकार
के
टूल
या
उपकरण
उपलब्ध
हो
गये
हैं।
ब्लॉग, हैसटैग, चैट, लिंक
वर्तमान
में
भाषा
को
प्रस्तुत
करने
के
नये
तौर
तरीके
बन
गये
हैं।
पहले
भाषा
को
प्रस्तुत
करने
के
लिए
सीमित
विकल्प
होते
थे।
किन्तु
वर्तमान
में
यह
असीमित
मात्रा
में
वेब
माध्यम
पर
विभिन्न
डिजाइन
में
प्रस्तुत
किये
जाने
लगे
हैं।
वर्तमान
में
लोग
एक
दूसरे
को
मैसेन्जर
के
माध्यम
से
मैसेज
कर
रहे
हैं।
इसके
लिए
फेसबुक
मैसेन्जर, किक
एवं
अन्य
प्रकार
के
मैसेज
ऐप
आ
गये
हैं।
स्नैपचैट
जैसे
एक
सुडो
भाषा
का
भी
जन्म
हुआ
है।
इस
प्रकार
विभिन्न
भाषा
के
लोगों
के
बीच
एक
दूसरे
के
साथ
बहुत
ही
आसानी
के
साथ
संचार
करना
संभव
हो
गया
है।
हम
जिस
किसी
भी
सोशल
मीडिया
का
इस्तेमाल
करते
हैं, उसी
के
अनुसार
फिर
वह
सोशल
मीडिया
साइट
कम
या
अधिक
शब्दों
एवं
अन्य
प्रकार
की
सामग्री
के
इस्तेमाल
की
अनुमति
देती
है।
अतः
उसी
के
अनुसार
निर्धारित
शब्दों
एवं
स्वरूप
में
ही
बातों
को
कहना
रहता
है।7,8
अभिव्यक्ति
की नयी
भाषा, शब्दावली
एवं कन्टेन्ट
- सोशल
मीडिया
पर
लोग
अभिव्यक्ति
के
विविध
प्रकार
के
विषयों
पर
अपने
विचार
व्यक्त
करते
हैं।
इसके
अन्तर्गत
वह
विविध
प्रकार
के
व्यक्तिगत्
से
ले
करके
सार्वजनिक
विषयों
पर
अपने
विचार
व्यक्त
करते
हैं।
वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
पर
जितने
प्रकार
की
भी
भाषा
एवं
बोली
में
कन्टेन्ट
उपलब्ध
हो
गये
हैं, उसकी
कल्पना
कुछ
समय
पहले
नही
की जा सकती
थी।
सोशल
मीडिया
पर
विविध
प्रकार
के
विषयों
पर
लेखन
कार्य
किये
जा
रहे
हैं।
इस
कारण
लोगों
के
संवाद
के
विषयों
के
दायरे
में
काफी
अधिक
विस्तार
एवं
विविधता
हुई
है।
भाषाओं
को
प्रस्तुत
करने
के
नये
नये
अन्दाज
एवं
तौर
तरीके
भी
विकसित
हो
रहे
हैं।9
सोशल
मीडिया
पर
संचार
करने
की
प्रक्रिया
से
जुड़
करके
भी
बड़ी
संख्या
में
नये
शब्द
जुड़े
हैं।
उसमें
से
अधिकतर
अंगे्रजी
भाषा
के
ही
षब्द
है।
उदाहरण
के
लिए
सोशल
मीडिया
में
इंटरेक्शन
के
दौरान
जो
शब्द
इस्तेमाल
किये
जाते
हैं, उसमें
पोस्ट, अपलोड, डाउनलोड, सहित
बहुत
बड़ी
संख्या
में
शब्द
शामिल
किये
गये
हैं।
अंग्रेजी
में
कई
शब्द
पहले
हिन्दी
में
नहीं
इस्तेमाल
किये
जाते
रहे
थे, किंतु
अब
वे
सोशल
मीडिया
पर
बहुत
ही
सामान्य
शब्द
बन
गए
हैं।
पहले
सेल्फी, अनफ्रेंड, इमोजी
जैसे
शब्द
सिर्फ
अंग्रेजी
भाषा
में
होते
थे।
किन्तु
अब
वे
हिंदी
एवं
अन्य
भाषाओं
में
ये
बहुत
ही
व्यापक
स्तर
पर
सहज
रूप
में
इस्तेमाल
किए
जाने
लगे
हैं।
इसी
प्रकार
से
बहुत
बड़ी
संख्या
में
ऐसे
भी
शब्द
संक्षेप
विकसित
हुए
हैं, जो
कि
किसी
खास
प्रकार
के
वाक्य
के
संक्षिप्त
रूप
हैं
और
उसका
इस्तेमाल
करके
उसे
एक
संदेश
के
रूप
में
दिया
जाता
है।10
वर्तमान
शब्दों को
नए संदर्भ
एवं अर्थ - सोशल
मीडिया
पर
कुछ
शब्द
इतने
अधिक
प्रचलित
हो
गए
हैं
कि
वे
शब्द
दूसरे
शब्दों
को
विस्थापित
करके
अपने
ढंग
से
अर्थ
स्थापित
कर
रहे
हैं।
उदाहरण
के
लिए
गूगल
करने
का
सामान्य
अर्थ
ढुढ़ना
होता
है।
किंतु
ढूंढने
की
जगह
पर
गूगल
करना
ही
लोग
अधिक
से
अधिक
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं
और
इनका
इस्तेमाल
दुनिया
के
विभिन्न
भाषाओं
में
किया
जा
रहा
हैं।
इसी
के
साथ
अन्य
भाषाओं
में
प्रचारित
एवं
प्रसारित
किया
जा
रहा
है।
इसी
तरह
से
लाइक, वायरल
जैसे
शब्द अपने वर्तमान
अर्थ
से
परे
हटकर
के
सोशल
मीडिया
पर
एक
नए
प्रकार
के
अर्थ
को
जन्म
दिए
हैं।
इन्हे
हिन्दी
भाषा
में
भी
नये
अर्थ
के
साथ
इस्तेमाल
किया
जा
रहा
है।11
सोशल
मीडिया
ने
लोगों
के
बीच
शब्दों
को देखने
एवं
समझने
के
नजरिये
में
भी
बदलाव
किया
है।
उदाहरण
के
लिए
पिन
शब्द
को
देखा
जाये
तो
पारम्परिक
रूप
से
इस
शब्द
का
आशय
भौतिक
तौर
पर
इस्तेमाल
में
लाये
जाने
वाले
पिन
से
लिया
जाता
है।
सामान्यतौर
पर
इसकी
मदद
से
किसी
पेपर
एवं
कपड़े
को
बोर्ड
पर
लगाते
है।
किन्तु
आनलाइन
माध्यम
पर
इसका
आशय
इसी
अवधारणा
को
रखते
हुए
उसे
डिजिटल
पर
बोर्ड
किया
जाना
कहते
हैं
जो
कि
डिजिटली
ही
रहता
है।
सर्वाधिक
महत्वपूर्ण
पहलू
तो
यह
है
कि
सोशल
मीडिया
ने
विश्व
की
सभी
भाषाओं
को
प्रभावित
किया
है।
कुछ
मायनों
मे
हम
यह
भी
कह
सकते
है
कि
इसने
विविध
भाषाओं
में
कई
स्तरों
पर
एकरूपता
भी
उत्पन्न
किया
है।
वे
शब्द
जो
वर्तमान
में
कुछ
अर्थ
रखते
थे, वे
अब
नए
अर्थ
के
साथ
सोशल
मीडिया
पर
इस्तेमाल
किये
जाने
लगे
हैं।
बातचीत
की
भाषा
में
भी
अब
उसे
नए
अर्थ
के
साथ
ही
इस्तेमाल
किया
जा
रहा
है।
उदाहरण
के
लिए
पहले
कोई
व्यक्ति
वाल
शब्द
का
इस्तेमाल
करता
था
तो
उसका
तत्काल
आशय
घर
में
बने
दीवार
से
ही
लिया
जाता
था।
किंतु
वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
के
संदर्भ
में
जब
वाल
शब्द
का
इस्तेमाल
किया
जाता
है
तो
वह
सोशल
मीडिया
के
होम
पेज
को
व्यक्त
करता
है।
इस
प्रकार
के
बहुत
बड़ी
संख्या
में
अंग्रेजी
शब्दों
के
जो
अंग्रेजी
भाषा
में
पारम्परिक
अर्थ
होते
थे, वे
उसी
अर्थ
के
साथ
हिन्दी
सहित
दूसरी
भाषाओं
में
इस्तेमाल
किए
जाते
थे, किंतु
अंग्रेजी
में
उनके
अर्थ
बदल
जाने
के
साथ-साथ
अन्य
भाषाओं
में
भी
वे
बदले
हुए
अर्थ
के
साथ
ही
इस्तेमाल
किए
जाने
लगे
हैं।
इस
प्रकार
टैबलेट, ट्रोल
आदि
जैसे
शब्द
अपने
पारंपरिक
अर्थ
से
अलग
हटकर
के
नए
अर्थ
में
इस्तेमाल
किए
जाने
लगे
हैं।
सोशल
मीडिया
ने
हिन्दी
एवं
अन्य
विभिन्न
भाषाओं
की
शब्दावली
को
काफी
समृद्ध
भी
किया
है।
यदि
हम
हिंदी
भाषा
की
ही
बात
करें, तो
हम
पाएंगे
कि
हिन्दी
भाषा
की
शब्दावली
में
बहुत
बड़ी
संख्या
में
नए
नए
शब्द
शामिल
हो
गए
हैं
और
इनके
इस्तेमाल
करने
की
आवृत्ति
भी
काफी
अधिक
बढ़
गई
है।
सोशल
मीडिया
पर
लोगों
की
भाषा
शब्दावली
बढ़ती
जा
रही
है।12
भाषा
एवं संवाद
में विविध
प्रतीक, चिह्न
एवं इमोटिकान
का इस्तेमाल
- सोशल
मीडिया
के
कारण
भाषा
पर
पड़ने
वाले
प्रभाव
का
एक
महत्वपूर्ण
पहलू
यह
भी
है
कि
भाषा
में
न
सिर्फ
शब्दों
की
संख्या
बढ़ी
है
एवं
उनके
अर्थ
परिवर्तित
हुए
हैं, वरन्
विभिन्न
प्रकार
के
अन्य
प्रतीक
चिन्हो
का
भी
इस्तेमाल
आरम्भ
हुआ
है
और
अब
लोग
सामान्य
संवाद
के
दौरान
इस
प्रकार
के
प्रतीक
चिन्हों
का
भी
अधिक
संख्या
में
इस्तेमाल
करने
लगे
हैं।
इसके
माध्यम
से
हम
अपनी
भावनाओं
को
कहीं
अधिक
तीव्रता
एवं
सहजता
के
साथ
व्यक्त
करने
में
सक्षम
हो
गए
हैं।
यह
अलग-अलग
सन्दर्भो
के
हमारी
मनोभावों
को
बहुत
सूक्ष्मता
के
साथ
व्यक्त
करने
में
काफी
अधिक
उपयोगी
हो
गए
हैं।13
सोशल
मीडिया
ने
भाषा
के
स्वरूप
में
इसके
अंतर्गत
विभिन्न
प्रकार
के
इमोटिकॉन, पिक्चर, प्रतीक
खास
प्रकार
के
शब्दावली विकसित किये
हुए
हैं।
विविध
भावनाओं
को
व्यक्त
करने
के
लिए
लिखने
एवं
बोलने
की
जगह
इमोटिकान
का
इस्तेमाल
बहुत
ही
आम
बात
हो
गयी
है।
इमोटिकॉन
की
तो
एक
बहुत
बड़ी
श्रृंखला
ही
विकसित
हो
गई
है
और
यह
विभिन्न
प्रकार
के
भावों
को
शब्दों
को
इस्तेमाल
किए
बगैर
तत्काल
स्वयं
व्यक्त
करने
में
बहुत
ही
प्रभावी
तरीके
से
सक्षम
हैं।
आरम्भ
में
इस
प्रकार
के
इमोटिकान
की
संख्या
सीमित
थी।
किन्तु
धीरे
धीरे
इसकी
संख्या
काफी
अधिक
हो
गयी
है।
इसी
तरह
से
सन्देश
देने
हेतु
बहुत
बड़ी
संख्या
में
इमोजी
भी
उपयोग
किये
जाते
हैं।
वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
पर
बहुत
बड़ी
संख्या
में
आइकान
इस्तेमाल
किये
जाते
हैं।
इस
प्रकार
के
आइकान
वैसे
तो
डिजिटल
माध्यम
में
संवाद
का
एक
बहुत
बड़ा
माध्यम
बन
गया
है
किन्तु
इनका
इस्तेमाल
सोशल
मीडिया
पर
भी
किया
जा
रहा
है।
यदि
किसी
प्रकार
के
टूल
का
उपयोग
किया
जाना
है
तो
फिर
उससे
सम्बन्धित
आइकान
का
इस्तेमाल
करके
उसे
तत्काल
उपयोग
किया
जा
सकता
है।
इनके
माध्यम
से
संवाद
को
काफी
सुगमता
के
साथ
किया
जाना
संभव
हो
सका
है।14
शब्द
संक्षेप का
इस्तेमाल - इसी
प्रकार
से
सोशल
मीडिया
पर
विभिन्न
संदर्भों
में
संचार
करने
के
दौरान
बहुत
बड़ी
संख्या
में
विविध
प्रकार
के
शब्द
संक्षेप
का
भी
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
ये
शब्द
संक्षेप
भी
एक
खास
प्रकार
के
अर्थ
या
सन्देश
को
अति
संक्षिप्त
रूप
में
ही
व्यक्त
करने
में
सक्षम
होते
हैं।
ये
शब्द
संक्षेप
उसी
रूप
में
हिन्दी
एवं
अन्य
सभी
भाषाओं
में
इस्तेमाल
किये
जा
रहे
है।
लंबे
वाक्य
लिखने
की
जगह
पर
अब
ऐसे
शब्द
संक्षेप
लिख
करके
वाक्यों
को
व्यक्त
किया
जा
रहा
है।
सोशल
मीडिया
पर
नये
सिरे
से
इस
ढंग
के
हिंदी
भाषा
में
भी
ऐसे
शब्द
संक्षेप
इस्तेमाल
किए
जा
रहे
है।
हिंदी
भाषा
बोलने
वाले
लोग
भी
ऐसे
संक्षेप
इस्तेमाल
करके
संवाद
करने
में
सहूलियत
महसूस
कर
रहे
हैं
और
इससे
संवाद
करने
की
गति
में
बढ़ोत्तरी
हो
रही
है
और
एक
व्यक्ति
कई
स्तरों
पर
संवाद
कर
सकते
हैं।15
सोशल
मीडिया पर
भाषा अनुवाद - सोशल
मीडिया
पर
संचार
के
दौरान
अनुवाद
करने
की
एक
बहुत
बड़ी
सुविधा
उपलब्ध
हो
गई
है।
पहले
इस
ढंग
से
किये
जाने
वाले
अनुवाद
में
काफी
अधिक
संख्या
में
त्रुटियां
होती
थी।
किंतु
जैसे-जैसे
तकनीक
की
सुविधा
बढ़ती
चली
जा
रही
है, उसी
के
साथ-साथ
अनुवाद
की
शुद्धता
भी
बढ़ती
चली
जा
रही
है
और
आने
वाले
समय
में
यह
शुद्धता
और
अधिक
अच्छे
ढंग
की
होने
की
उम्मीद
की
जा
सकती
है।
इसने
भिन्न-भिन्न
भाषाओं
के
व्यक्तियों
के
बीच
में
सजीव
तरीके
से
तत्काल
टेक्स्ट
आदि
रूपों
में
संवाद
करने
की
सुविधा
उपलब्ध
करा
दी
है
और
अब
दो
भिन्न-भिन्न
भाषा
एवं
संस्कृति
के
व्यक्तियों
के
बीच
में
संवाद
करने
में
भाषा
की
दीवार
नहीं
खड़ी
होती
है।
व्यापार
एवं
मार्केटिंग
की
दुनिया
में
इस
प्रकार
के
अनुवाद
के
सन्दर्भ
में
काफी
बातें
बतायी
गयी
हैं।16
आडियो
एवं टैक्स्ट
में संवाद - सोशल
मीडिया
पर
टेक्स्ट
को
ऑडियो
रूप
में
और
ऑडियो
को
टेक्स्ट
रूप
में
करके
संवाद
करने
के
लिए
तकनीक
बन
गये
हैं।
इसने
भी
लोगों
को
एक
दूसरे
के
साथ
बहुत
ही
सहज
और
सहूलियतपूर्ण
तरीके
से
संवाद
करने
की
सुविधा
प्रदान
की
है।
इससे
एक
व्यक्ति
जब
किसी
भी
दूसरे
व्यक्ति
के
साथ
संवाद
करता
है, तो
वह
अपनी
इच्छानुसार
टेक्स्ट
अथवा
ऑडियो
रूप
में
संवाद
कर
सकता
है।
इसने
दो
भिन्न
भिन्न
स्थितियों
में
रहने
वालों
के
बीच
संवाद
की
सुविधा
प्रदान
कर
दी
है।17
सोशल
मीडिया पर
भाषा की
शुद्धता - सोशल
मीडिया
पर
भाषा
लिखने
की
सुविधा
दी
गयी
है।
इससे
संवाद
के
दौरान
भाषा
की
शुद्धता
को
बनाए
रखने
के
लिए
भी
मदद
मिलती
है।
अतः
संवाद
में
कोई
व्यक्ति
जब
किसी
शब्द
को
गलत
तरीके
से
लिखता
अथवा
बोलता
है
तो
फिर
उसे
शुद्ध
करने
की
पहल
सोशल
मीडिया
में
उपलब्ध
टूल
के
द्वारा
की
जाती
है।
इस
प्रकार
के
टूल
की
मदद
से
पहले
की
तुलना
में
अब
भाषा
के
उपयोग
के
दौरान
काफी
अधिक
शुद्धता
हो
जाती
है।
भाषा
की
शुद्धता
को
बनाये
रखने
की
उलझन
को
सोशल
मीडिया
में
उपलब्ध
सुविधाओं
के
कारण
काफी
हद
तक
कमी
करने
में
मदद
मिली
है।
सोशल
मीडिया
पर
व्यक्त
किए
गए
आधे
अधूरे
ढंग
से
व्यक्त
किए
गए
विचारों
को
भी
पूर्ण
रूप
में
समझने
में
कठिनाई
होती
हैं।
वह
व्यक्ति
जो
कि
सोशल
मीडिया
की
भाषा
को
बहुत
ही
अच्छी
तरीके
से
अभ्यस्त
नहीं
हुए
रहते
हैं, उनके
लिए
यह
आवश्यक
है
कि
जो
भी
विचार
भाव
व्यक्त
किया
जाए
वह
भाषा
स्तर
पर
एवं
अन्य
तरीके
से
सही
रूप
में
हो।
एक
नये ढंग
की भाषा
एवं अभिव्यक्ति
- अब
हम
सोशल
मीडिया
की
बात
करते
हैं
तो इस बात
को
ध्यान
में
रखना
है
कि
इस
पर
संवाद
करने
के
लिए
विभिन्न
प्रकार
के
तौर
तरीकों
लगातार
उद्भव
हो
रहा
है।
इसी
के
साथ-साथ
संचार
के
तरीके
में
भी
बदलाव
हो
रहा
है
और
यह
सब
कुछ
बहुत
तीव्र
गति
से
हो
रहा
है।
अतः
सोशल
मीडिया
के
माध्यम
से
लोगों
के
साथ
संवाद
करने
के
गुण
को
लगातार
सीखना
वर्तमान
समय
की
एक
बहुत
बड़ी
आवश्यकता
हो
गई
है।
इसके
माध्यम
से
हम
एक
बहुत
बड़े
जन
समुदाय
को
संबोधित
कर
सकते
हैं।18
हम
किसी
के
साथ
कैसे
संचार
करते
हैं, उसमें
सोशल
मीडिया
की
अपनी
तकनीक
की
भूमिका
काफी
अधिक
हो़
गई
है।
उदाहरण
के
लिए
ट्विटर
जैसे
सोशल
मीडिया
पर
हम
अपनी
बातों
को
सिर्फ
सीमित
कैरेक्टर
के
माध्यम
से
ही
कर
सकते
हैं।
अतः
काफी
अधिक
बातें
करने
के
लिए
हमें
बातों
को
शब्द
संक्षेप
से
लेकर
के
पिक्चर,फोटोग्राफ,ग्रैफिक
और
अन्य
प्रकार
के
प्रतीक
चिन्हों
का
इस्तेमाल
करते
है।
जब
हम
ट्विटर
जैसे
माध्यम
का
इस्तेमाल
करते
हैं, उसमें
हमें
बहुत
ही
सावधान
हो
करके
बात
करने
की
आवश्यकता
होती
है।
हर
क्षेत्र
में
संवाद
करने
के
लिए
वर्तमान
में
सोशल
मीडिया
का
इस्तेमाल
किया
जाने
लगा
है, उसी
अनुसार
हर
क्षेत्र
में
संचार
के
तौर
तरीके
में
इसने
बदलाव
ले
आया
है।19
संचार
की मात्रा, गति
एवं ढंग
में बढ़ोत्तरी - वर्तमान में
सोशल
मीडिया
पर
काफी
अधिक
संख्या
में
एक्रोनिम
का
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
अभी
तक
पारम्परिक
तौर
से
इसमें
शब्दों
एवं
कैरेक्टर
की
जगह
कम
से
कम
शब्दों
में
अधिक
से
अधिक
मात्रा
में
संवाद
की
सुविधा
उपलब्ध
हो
रही
है।
हमारे
संचार
प्रेषित
करने
की
गति
एवं
मात्रा
बढ़
गयी
है।
अब
हम
पहले
की
तुलना
में
कई
मायनों
में
अलग
ढंग
से
संचार
करते
है।
इसने
विभिन्न
प्रकार
के
रिश्तों
को
सजीव
बनाए
रखने
में
बहुत
अधिक
मदद
किया
है।
पहले
की
तुलना
में
अब
लोग
अपने
परिचितों
से
कहीं
अधिक
मात्रा
में
संवाद
कर
सकते
हैं, और
सोशल
मीडिया
ने
भौगोलिक
सीमाओं
को
पार
करते
हुए
संवाद
की
सुविधाएं
दी
है।
इसलिए
दूर
दूर
रहने
वाले
लोगों
में
आपसी
सम्पर्क भी बने
हुए
हैं।
इस
पर
बहुत
बड़ी
संख्या
में
लोगों
के
साथ
संवाद
कर
सकते
हैं।
समूहों
में
संवाद
करना
बहुत
आसान
हो
गया
है।
इसी
प्रकार
से
समय
के
सन्दर्भ
में
विस्थापित
संवाद
करना
भी
संभव
हो
गया
है।
अब
किसी
भी
प्रकार
के
संदेश
का
तत्काल
जवाब
न
देने
पाने
की
स्थिति
में
उस
संदेश
का
बाद
में
टेक्स्ट
या
आडियो
रूप
में
उत्तर
दिया
जाना
संभव
है।
सोशल
मीडिया
पर
लोग
संदेशों
को
तत्काल
एक
दूसरे
के
पास
प्रेषित
कर
सकते
हैं।20
नॉन-वर्बल
संचार में
वृद्धि - सोशल
मीडिया
ने
संचार
के
नॉन-वर्बल
तरीके
में
बहुत
बड़ी
संख्या
में
वृद्धि
किया
है
।
इस
पर
विविध
रूपों
में
बहुत
ही
उपयोगी
नॉनवर्बल
तत्व
है।
नानवर्बल
संचार
के
लिए
विविध
प्रकार
के
प्रतीक
एवं
चिह्नों
का
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
हालाॅकि
इसका
अत्यधिक
इस्तेमाल
करने
से
लोगों
में
बहुत
झुंझलाहट
भी
होती
है।
सोशल
मीडिया
पर
विविध
वेबसाइट
के
लिंक
के
माध्यम
से
पहुंचने
की
व्यवस्था
हो
गई
है।
इसके
माध्यम
से
जब
भी
कोई
बात
कही
जाती
है
तो
उससे
संबंधित
अन्य
बातों
को
अगर
किसी
को
बताना
करना
हैं, तो
सन्दर्भ
लिंक
दे
करके
वहां
पर
उसको
यह
सुविधा
दी
जाती
है।
उस
लिंक
के
माध्यम
से
वह
उस
वेबसाइट
पर
या
उस
कंटेंट
पर
पहुंच
सकता
है, जहां
पर
अन्य
बातें
दी
गई
रहती
हैं।
21,22
भाषा
एवं संचार
पर नकारात्मक
प्रभाव - एक
तरफ
जहां
सोशल
मीडिया
का
भाषा
एवं
संचार
पर
कई
प्रकार
से
सकारात्मक
प्रभाव
पड़
रहा
है, वहीं
पर
इसका भाषा पर
बहुत
नकारात्मक
प्रभाव
भी
कई
तरीके
से
पड़
रहा
है।
सोशल
मीडिया
की
भाषा
पर
यह
नकारात्मक
प्रभाव
कहीं
अधिक
दिखने
लगा
है।
जब
कोई
शब्द
किसी
खास
ढंग
से
इस्तेमाल
किया
जाने
लगता
है
तो
फिर
वह
सोशल
मीडिया
पर
उसी
रूप
में
अन्य
लोगों
द्वारा
भी
इस्तेमाल
किया
जाने
लगता
है।
इस
प्रकार
से
भाषा
में
अनचाहे
तरीके
से
परिवर्तन
हो
जाता
है।
23,24
भाषा
में त्रुटियों
की अधिकता
- वर्तमान में
हम
एक
ऐसे
दुनिया
में
रह
रहे
हैं, जहां
पर
कि
सब
कुछ
बहुत
तेजी
के
साथ
सभी
कार्य
करने
की
लगातार
होड़
मची
हुई
है।
यह
बात
संवाद
करने
के
मामले
में
भी लागू होती
है।
इस
जल्दबाजी
में
भाषा
की
शुद्धता
पर
लोग
बहुत
कम
ध्यान
देते
हैं।
भाषा
की
शुद्धता
से
अनजान
लोग
अपनी
बातों
को
किसी
भी
प्रकार
से
कह
देने
की
होड़
में
रहते
हैं।
भाषा
में
लोग
बहुत
बड़ी
संख्या
में
त्रुटिपूर्ण
तरीके
के
शब्दों
और
वाक्यों
का
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं।
अधिकतर
लोग
शब्दों
को
अपने
तरीके
से
एक
नया
त्रुटिपूर्ण
रूप
दे
करके
उसे
प्रस्तुत
कर
देते
हैं।
जब
भी
किसी
प्रकार
के
एक्रोनिम
का
इस्तेमाल
किया
जाना
रहता
है, उस
समय
तो
यह
गलती
विशेष
रूप
से
दिखती
है।
सोशल
मीडिया
की
भाषा
में
विविध
प्रकार
के
प्रतीकों, चिह्नों
का
काफी
अधिक
मात्रा
में
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
अभी
इस
प्रकार
के
चिह्नों
के
जो
प्रतीकात्मक
अर्थ
लिए
जा
रहे
हैं, वह
तो
ठीक
है।
किंतु
उसकी
संख्या
आदि
के
बारे
में
किसी
प्रकार
का
कोई
मानक
नहीं
बनाया
जा
सका
हैं।
अतः
एक
ही
भाव
एवं
बात
को
व्यक्त
करने
के
लिए
अलग
अलग
व्यक्ति
अलग
अलग
तरीके
के
चिह्नों
की
संख्याओं
का
इस्तेमाल
करता
है।
25,26
लेखन
पर प्रभाव
- सोशल
मीडिया
पर
संवाद
के
कारण
से
लोगों
की
भाषा
के
लेखन
की
क्षमता
भी
काफी
अधिक
प्रभावित
हो
रही
है।
लोग
पहले
की
तरह
अब
लेखन
कार्य
नहीं
करते
हैं।
इस
पर
वाक्य
टाइप
करने
की
आदत
भी
कम
होती
जा
रही
है, क्योंकि
लोग
अब
बोल
करके
भी
टाइप
कर
सकते
हैं।
इस
दौरान
उत्पन्न
त्रुटियों
को
दूर
करने
का
प्रयास
कम
ही
किया
जाता
है।
छात्रों
पर
तो
यह
प्रभाव
अधिक
पड़ा
है।
छात्रों
में
सही
भाषा
एवं
गलत
भाषा
के
बीच
में
अंतर
करने
एवं
समझने
में
समस्या
हो
रही
है।
लोग
त्रुटिपूर्ण
भाषा
से
इतना
अधिक
परिचित
होते
जा
रहे
हैं
कि
भाषा
के
सही
इस्तेमाल
के
प्रति
गंभीरता
ही
खत्म
हो
जा
रही
है।
27,28
सोशल
मीडिया
की
भाषा
के
स्वरूप
में
इस
प्रकार
के
बदलाव
के सब पहलूओं
के
बारे
में
बहुत
बड़ी
संख्या
में
लोगों
को
जानकारी
नही
है।
वे
सोशल
मीडिया
एवं
सूचना
तकनीक
के
इस्तेमाल
के
प्रति
बहुत
सहज
और
अभ्यस्त
नहीं
रहते
है।
वह
इसके
नये
स्वरूप
को
समझने
में
सक्षम
नहीं
होते
हैं।
इस
कारण
से
जो
कुछ
चिह्न
सोशल
मीडिया
पर
इस्तेमाल
किये
जाते
हैं, उन्हे
ये
लोग
अच्छी
तरीके
से
उपयोग
नही
कर
पाते
हैं।
इस
कारण
उनकी
संचार
कुशलता
कम
ही
रहती
है।
संवाद
की अधिकता - सोशल
मीडिया
पर
इतना
अधिक
संचार
किया
जाने
लगा
है
कि
भाषा
के
इस्तेमाल
के
प्रति
लोगों
की
गंभीरता
में
भी
कमी
आयी
है।
एक
तरफ
भाषा
सम्प्रेषण
के
लिए
इतने
उपकरण
उत्पन्न
हो
गये
हैं
कि
काफी
अधिक
मात्रा
में
विविध
प्रकार
की
बातें
की
जा
सकती
है।
इसका
बहुत
ही
त्रुटिपूर्ण
ढंग
से
उपयोग
होने
लगा
है।
इस
पर
अभिव्यक्ति
के
अधिकार
का
काफी
अधिक
मात्रा
में
दुरुपयोग
होते
हुए
देखा
जाता
है।
कानून
और
आचार
संहिता
का
भी
सोशल
मीडिया
पर
काफी
उल्लंघन
होता
रहता
है।
लोगों
के बीच
वास्तविक संवाद
की कमी
- सोशल
मीडिया
ने
आभासी
दुनिया
में
लोगों
के
बीच
संवाद
करने
की
सुविधा
उत्पन्न
कर
दी
है।
अब
लोग
वास्तव
में
संवाद
के
स्तर
पर
सामाजिक
अंतक्र्रिया
नहीं
कर
पा
रहे
हैं।
वे
दूर
रहकर
के
सोशल
मीडिया
पर
डिजिटल
तकनीक
के
माध्यम
से
संवाद
कर
रहे
है।
इसलिए
लोगों
में
वास्तविक
मुलाकात
कम
होती
है।
वास्तविक
रूप
में
उपस्थित
हो
करके
संवाद
न
कर
पाने
के
कारण
उनके
बोलने
में
आत्मविश्वास
की
कमी
होती
है।
अंतर
व्यक्ति
संचार
की
गुणवत्ता
पर
भी
इसका
प्रभाव
पड़ा
है।
सोशल
मीडिया
पर
आभासी
तौर
पर
बात
चीत
करने
पर
लोगों
के
शारीरिक
भाषा
का
सही
प्रकार
से
अभ्यास
करने
पर
भी
असर
पडता
है।
बॉडी
लैंग्वेज
का
सही
ढंग
से
इस्तेमाल
एवं
विकास
नहीं
हो
रहा
है।
एक
दूसरे
के
मनोभावों
को
पढ़ने
में
कम
अवसर
मिल
रहा
है
और
संचार
का
यह
पहलू
भी
घटता
जा
रहा
है।
इससे
आपसी
मानवीय
संवेदनाओं
को
जानने
की
क्षमता
भी
कमजोर
होती
चली
जा
रही
है
और
वह
वास्तविक
मनोभावों
और
भावनाओं
को
नहीं
देख
एवं
पढ़
पा
रहे
हैं।29
सोशल
मीडिया
पर
संवाद
करने
के
कारण
से
लोगों
को
एकाग्रचित्त
होकर
के
कार्य
करने
में
भी
बाधा
पहुंच
रही
है
और
लोग
व्यक्तिगत्
स्तर
पर
हो
करके
इतना
अधिक
मात्रा
में
संवाद
कर
रहे
हैं
कि
वास्तविक
कार्य
के
संदर्भ
में
किए
जाने
वाले
संवाद
प्रभावित
हो
रहे
है।
अब
सोशल
मीडिया
पर
विविध
प्रकार
के
जो
तकनीक
उपलब्ध
हो
गये
हैं, वही
भाषा
के
विकास
एवं
उसके
नये
स्वरूप
देने
के
सन्दर्भ
में
काफी
अधिक
भूमिका
निभा
रहे
हैं।20,31 इसी
प्रकार
से
सोशल
मीडिया
का
भाषा
एवं
संचार
पर
कई
अन्य
तरीके
से
भी
नकारत्मक
प्रभाव
के
पड़
रहा
है।
निष्कर्ष : इस प्रकार से हम देखते हैं कि सोशल मीडिया ने हिन्दी भाषा एवं उसे प्रस्तुत करने के संचार प्रक्रिया के स्वरूप पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरीके से काफी अधिक प्रभाव डाला है। कुछ वर्ष पूर्व तक हिन्दी एवं अन्य भाषा में जो बदलाव बहुत ही धीरे धीरे एवं क्रमिक ढंग से होते थे, उसमें इसने एक बहुत ही अल्प समय में आधारभूत ढंग से परिवर्तन किया है। यह परिवर्तन कई तरीके से और विभिन्न आयामों में कई स्तरों पर हुआ है। इसका सतत् रूप से प्रचार एवं प्रसार भी होता जा रहा है। इसी के साथ इस पर नए-नए तरीके से संचार के साधन जैसे एप आदि भी विकसित होते जा रहे हैं। बहुत ही अल्प समय में सोशल मीडिया ने जिस प्रकार से हिन्दी भाषा एवं संचार प्रक्रिया को प्रभावित किया है, उसे देखते हुए यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में यह प्रक्रिया जारी रहेगी। सोशल मीडिया पर अभी भाषा को और प्रभावी बनाने में अन्य प्रकार के टूल की खोज एवं इस्तेमाल किया जायेगा। इससे इसमें अन्य प्रकार से भी प्रभाव पड़ेगें और भाषा में परिवर्तन होगा। आने वाले समय में भाषा के उपयोग तौर तरीका और बदल जाने का उम्मीद की जा रही है। इसलिए भाषा में जो कुछ भी बदलाव उत्पन्न हो रहा है, उसके प्रति सतत् जागरूक रहने की आवश्यकता है। यह लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है कि सोशल मीडिया पर इस्तेमाल किए जाने वाले भाषा को सही तरीके से उपयोग करने के संदर्भ में भी तकनीकी जानकारी रखें। अब यह हमारे आम जीवन की भाषा एवं संवाद करने के तौर तरीके में शामिल होता जा रहा है। भाषा ही जीवन है और भाषा में हो रहे बदलाव को सीखना जीवन को सार्थक ढंग से जीने एवं जीवन को सही रास्ते पर बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है। यदि व्यक्ति समाज में अपनी एक सक्रिय भूमिका निभाते रहना चाहता हैं तो यह आवश्यक है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बीच में इस्तेमाल किए जाने वाले भाषा के नए-नए तौर तरीके से अच्छी ढंग से परिचित हो और उसका सही तरीके से इस्तेमाल करने की कुशलता भी सीखें। इसी के साथ उसके नकारात्मक पक्षों को कम करने के लिए भी प्रयास करें।
संदर्भ :
असिस्टेंट प्रोफेसर, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
सम्पर्क : aksinghmediacentre@gmail.com, 9628291991
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जवाब देंहटाएंSodh aalekh : aaj ki hindi ka sbrup or mhtm
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