शोध आलेख : जल संरक्षण जागरूकता एवं न्यू मीडिया अभियानों का एक अध्ययन / अरिन एवं डॉ. कुँवर सुरेन्द्र बहादुर

जल संरक्षण जागरूकता एवं न्यू मीडिया अभियानों का एक अध्ययन 
- अरिन एवं डॉ. कुँवर सुरेन्द्र बहादुर

शोध सार : वर्तमान समय में जल की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लोगों के पास तो पीने के लिए और ही आम प्रयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में जल है। बहुत से गाँव या नगर है जिसमें जल की समस्या गंभीर विषय बना हुआ है। जहाँ पीने के लिए भी स्वच्छ जल नहीं है। यदि गाँव पर दृष्टि डाली जाए तो वहाँ की महिलाएं पीने के लिए जल नल-कूपों, कुओं जलाशयों इत्यादि से लेकर आती हैं। अतः ऐसी परिस्थिति में जल संरक्षण एक अहम विषय के रूप में सामने आता हैं। हालांकि आज के समय में देखा जाए तो तकनीकी विकास ने अशुद्ध जल को भी पीने के योग्य बना दिया है किंतु फिर भी वर्तमान पानी की कमी मनुष्य के सतत् विकास के लिए बहुत ही चिंतनीय विषय हैं। वर्तमान समय मे न्यू मीडिया ने पारम्परिक मीडिया को बदल दिया हैं क्योंकि यह माध्यम किसी भी ब्रांड के प्रति जागरूकता लाने, अभियान चलाने और उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करने और सामाजिक अभियानों के माध्यम से लोगो के व्यवहार को बदलने में कड़ी का काम कर रहा हैं। पानी की बढ़ती कमी को देखते हुए विभिन्न निजी संगठनों, प्राईवेट कम्पनियों, मीडिया संस्थानों द्वारा समय-समय पर विभिन्न जल संरक्षण अभियानों को चला गया। प्रस्तुत शोध पत्र जल संरक्षण अभियानों के प्रति जागरूकता, दृष्टिकोण, व्यवहार एवं सामाजिक बदलाव पर केंद्रित हैं।

मुख्य शब्द : जल संरक्षण, जागरूकता, न्यू मीडिया, न्यू मीडिया अभियान।

मूल आलेख : जल ही जीवन हैं। जल के बिना मानव का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता हैं। जल हमारे लिए ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, जीव-जंतु, मनुष्य इत्यादि सबके लिए जल अनिवार्य हैं। जल का हमारे जीवन मे बहुत अधिक महत्त्व हैं। एक कहावत हैं ‘‘जल हैं तो कल है।’’ ‘‘पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ हैं किंतु इसमे से 97 प्रतिशत पानी खारा हैं जो पीने योग्य नहीं हैं, पीने योग्य पानी मात्रा 3 प्रतिशत हैं इसमें भी 2 प्रतिशत पानी ग्लेशियर एक बर्फ के रूप में हैं। इसी प्रकार सही मायने में मात्र 1 प्रतिशत पानी ही उपयोग हेतु उपलब्ध हैं। इसी के साथ-साथ नगरीकरण और औद्योगिकरण की तीव्रता बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती हैं जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही हैं देश के कई बड़े हिस्सों में पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर रही हैं।”1

अतः जीवन की रक्षा करने वाला जल, जल के अत्यधिक दोहन के कारण खुद अपने ही जीवन के लिए तरस रहा हैं। सुख-सुविधाओं में ग्रस्त लोगों ने जल का इतना दोहन किया है कि उन्होनें जल को मलिन बना दिया हैं अर्थात् जिसके कारण चारों तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई प्रतीत होती हैं। भूगर्भ में जल का स्तर निरंतर घटता जा रहा हैं वहीं प्रदूषण के कारण भूमंडलीय ताप निरंतर वृद्धि हो रही हैं और इसके साथ-साथ ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं। यह परिस्थिति भविष्य के लिए बहुत बड़े जल संकट की ओर इशारा कर रही हैं।

उदाहारण के तौर ‘‘वर्ष 2016 में महाराष्ट्र में सूखा पीड़ित किसानों की दिक्कतों के अलावा कई हिस्सों में लोगों के लिए पीने का पानी मिलना भी दूभर हो गया। इसे लेकर हिंसा और विवाद की घटनाएं इतनी गंभीर हो गई कि सूखाग्रस्त लातूर जिले के कलेक्टर पांडुरंग पोलको इलाके में धारा 144 लगानी पड़ी। कलेक्टर द्वारा लातूर जिले में पानी की टंकियों के पास 5 से अधिक लोगों के एकसाथ जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया 2

इसी के साथ-साथ अपार जलनिधि का स्वामी सागर के तट पर बसा चेन्नई शहर आज बूंद-बूंद पानी को तरस रहा हैं। 90,00,000 की आबादी वाले, देश के पाँच विशालतम महानगरों में से एक, चेन्नई में भूजल तथा झीलों के सभी स्रोत सूख चुके हैं। विगत 30वर्ष में सर्वाधिक भयानक जल संकट से जूझ रहे इस शहर के बच्चों के स्कूल बैग में किताबों से ज्यादा पानी बोतलों का बोझ देखा गया हैं। अधिक पानी का उपयोग करने वाले व्यवसाय बंद होने के कगार पर हैं वहीं सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मचारियों से अपना पीने का पानी अपने साथ लाने कहा जा रहा हैं। इसी के साथ घरेलू पानी आपूर्ति के साधन नलों में आपूर्ति 10 प्रतिशत पानी ही बचा हैं अर्थात् वर्तमान समय में पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया।

भारत में जल उपलब्धता उपयोग के कुछ तथ्यों पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताजे जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद हैं जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत भारतीय आबादी के हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता हैं आंकड़ों के अनुसार लगातार दो साल के कमजोर मानसून के बाद देश भर में लगभग 330 मिलियन लोग देश की एक चौथाई आबादी, गंभीर सूखे के कारण प्रभावित हुए हैं ”3

नीति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में जारी कम्पोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्समें रिपोर्ट बताया गया हैं कि ‘‘देश भर के लगभग 21 प्रमुख शहर दिल्ली, बंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद और अन्यवर्ष 2020 तक शून्य भूजल स्तर तक पहुँच जाएंगे एवं इसके कारण लगभग 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे साथ ही रिपोर्ट में कहा गया हैं कि वर्ष 2030 तक भारत में जल की मांग, उसकी पूर्ति से लगभग दोगुनी हो जाएगी। देश में वर्ष 1994 में पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 6000 घनमीटर थी, जो वर्ष 2000 में 2300 घनमीटर रह जाने का अनुमान थी। ऑकड़ें दर्शाते हैं कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 970 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता हैं जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 70 प्रतिशत लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगहों में रहने को मजबूर हैं। यदि देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो देश की राजधानी में भी पानी की बड़ी समस्या हैं क्योंकि भारतीय ब्यूरों द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में सामने आया था कि दिल्ली जब बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जाने वाला पानी मानकों पर खरा नहीं उतरता हैं और पीने योग्य नहीं हैं। भारत में तकरीबन 70 प्रतिशत जल प्रदूषित हैं जिसकी वजह से जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर था ”4

न्यू मीडिया का परिचयन्यू मीडिया संचार का वह संवादात्मक स्वरूप हैं जिसमें इंटरनेट का प्रयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर.एस.एस.फिड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माईस्पेस, ट्वीटर, यू-टूब, इंस्टाग्राम, वास्ट्सऐप मैसेंजर) ब्लॉग्स, टैक्सट मैसजिंग इत्यादि का उपयोग करते हुए पारस्परिक संवाद करते हैं। यह संवाद बहु-संचारण का रूप धारण कर लेता हैं जिसमें पाठक, दर्शक, श्रोता तुरंत अपनी टिप्पणी केवल लेखक, प्रकाशक से साझा कर सकते हैं, बल्कि अन्य लोग भी प्रकाशित, प्रचारित एवं संचारित विषय-वस्तु पर अपनी टिप्पणी कर सकते हैं ”5

जल संरक्षण एवं मीडिया वर्तमान में सतही जल का अल्पमात्रा में होना एक बड़ी समस्या की ओर इशारा कर रहा है। सतही जल कमतरता के बावजूद पीने के पानी सहित घरेलू उपयोग, खेती, औद्योगिक इस्तेमाल इत्यादि के लिए संपूर्ण मानव जाति इसी जल पर निर्भर है। लोगों द्वारा जल के अत्यधिक दोहन के कारण जल स्तर कम होता जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना अत्यधिक जरूरी हैं सीधे शब्दो में कहें तो जल संरक्षण पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और इसके अपव्यय या अनावश्यक उपयोग को करने की प्रथा है, क्योंकि ताजे, स्वच्छ जल को अब एक सीमित संसाधन माना जाता हैं, इसलिए जल संरक्षण महत्वपूर्ण और अनिवार्य हो गया है। वैसे तो भारत को नदियों को देश कहा जाता हैं लेकिन पानी का वितरण असमान होने के कारण अनेक हिस्से ऐसे है जहाँ लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा हैं।

अतः इसमे संचार माध्यमों की भूमिका कड़ी का काम कर सकती हैं ‘‘क्योंकि संचार माध्यमों की पहुँच और प्रभाव क्षमता असीमित हैं। इसका उपयोग नकारात्मक और सकारात्मक दोनो उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सामान्यतः संचार माध्यमों का उपयोग, सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के लिए किया जाता है इसी के साथ समाज के विभिन्न वर्गों तक मीडिया की पहुँच और पकड़ दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं। अतः इसी दिशा में संचार माध्यमों की भूमिका, दायित्व और उद्देश्य को प्रतिपादित करना अति आवश्यक हैं।”6

दूरदर्शन अपने शुरूआती समय से ही समाज को शिक्षित करने के साथ वातावरण को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जनता को अवगत करता रहा हैं। उदाहरण के तौर पर जल संरक्षण जागरूकता से संबधित स्टार प्लस के विशेष कार्यक्रम सत्यमेव जयते को लिया जा सकता हैं। जिसमें लोगों को जल संकट संबंधी विभिन्न पहलूओं से अवगत कराया गया। अतः इस तरह टेलीविजन माध्यम समय-समय पर पर्यावरण संबंधित मुद्दों के प्रति लोगों को जागरूक करता रहा हैं।

आजकल सूचना, फिल्म-संगीत और साहित्य के जरिये जन सामान्य में शिक्षण-प्रशिक्षण हो रहा है अर्थात् इसी के साथ-साथ ही प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रोनिक मीडिया एवं न्यू मीडिया माध्यमों के द्वारा जल संकट के बारे में विचार-विमर्श हो रहा है। वहीं पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा भी जल संरक्षण संबंधी परिशिष्ट और विशेषांक निकाले जा रहे हैं। टेलीविजन, रेडियो, वेबसाइट, पोर्टल्स, नुक्कड़-नाटक, कठपुतली प्रदर्शनों, भीति चित्रों, पोस्टर इत्यादि द्वारा भी जल प्रंबंधन एवं जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि मीडिया के विभिन्न माध्यमों द्वारा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के अथक प्रयास किए जा रहे हैं। मीडिया के इन अथक प्रयासों के द्वारा जनमाध्यमों को समाजोन्मुखी और विकास केंद्रित करने का इरादा परिलक्षित होता है।

‘‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण जागरूकता के क्षेत्र में 20वीं सदीं के शुरूआत के समय से ही मीडिया अपना योगदान दे रही है। रूसी मीडिया के क्षेत्र में हरियाली के लिए गिल्ड के द्वारा दिया गया योगदान सराहनीय माना जाता रहा है। 1996 में गिल्ड द्वारा पर्यावरण के विरूद्ध रूसी जनता को जागरुक करने के उद्देश्य से पत्रकारिता के क्षेत्र में एक ऐसी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण मुद्दे एवं पारिस्थतिक तंत्र को लेकर विशेष कवरेज किया गया था। मीडिया के द्वारा सन् 2002  में प्राकृतिक संसाधन के उचित उपयोग के संदर्भ में एक पारिस्थतिक 2002 के नाम से भी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अतः इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य लोगों में प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूकता लाना था।”7 अतः सामाजिक माध्यमों के जरिये इतनी अधिक सामग्री होने के बावजूद भी जल से जुड़ी समस्याऐं विकराल रूप धारण किए यह हैं। यह एक दयनीय परिस्थिति की ओर इशारा कर रही हैं।

साहित्य समीक्षासीटीसीएनद्वारा प्रस्तावितसार्वजनिक जल संरक्षण अभियानलेख के अनुसार ‘‘जन जल संरक्षण अभियान में लोगों को पानी बचाने, स्थिरता बनाने और जल संरक्षण के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, जिसका उद्देश्य जनता का लक्ष्य हैं। जल संरक्षण अभियानों के विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय लाभ है, विशेष शिक्षा अभियानों के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करना होगा। प्रस्तुत लेख में बताया गया हैं कि सोशल मीडिया संचार माध्यमों में एक त्वरित माध्यम के रूप में कार्य करता हैं इसके माध्यम से विभिन्न कार्यशालाओं, प्रस्तुतियों, हितधारकों की बातचीत आदि को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से या पहुँचाया जा सकता हैं ”8

जोशुआ डी वेर्ट्स, एलेना मिखाइलोवा, क्रिस्टोफर पोस्ट द्वारा प्रस्तवित लेखों के अनुसार ‘‘सामाजिक और जल संरक्षण में स्वयंसेवी भूगोल सूचना और सोशल मीडिया के लिए एक एकीकृत वेब जीआईएस फ्रेमवर्क-सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों को मिट्टी और पानी में सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने की अनुमति देती हैं। संरक्षण, पर्यावरण जागरूकता और समय पर डेटा प्रदान करना, यानि सोशल मीडिया जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने का एक प्रभावी माध्यम हैं ”9

डाइटन द्वारा प्रस्तुत लेख के अनुसार ‘‘वर्तमान समय में भारत जल संरक्षण अभियानों के प्रति सम्पूर्ण रूप से अग्रसर हो रहा हैं। कुछ सालों पहले पांरम्परिक मीडिया माध्यमों को ही अहम माना जाता था परंतु आज न्यू मीडिया के आगमन ने सम्पूर्ण विश्व कोग्लोबल विलेजके रूप प्रदर्शित किया हैं। यह किसी भी ब्रांड की स्थिरता के निर्माण, विपणन और विज्ञापन संचार का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन गया हैं। आजकल डिजिटल विपणक न्यू मीडिया और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तंत्र का उपयोग कर ग्राहकों से प्रभावी और आसानी से संवाद कर सकते हैं। इस नए मीडिया के उदय और लोकप्रियता के कारण विपणक के लिए अपने उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करना और ब्रांड से जुड़े सामाजिक अभियानों के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के लिए जागरूकता पैदा करना आसान हो गया हैं ”10

एडरसन मार्क विल ने अपने शोध पत्रचेंजिग इंजनस ऑफ चेंजः नेचुरल रिसोर्स कंजर्वेशन इन एरा ऑफ सोशल मिडियामें बताया हैं कि ‘‘संचार ने मृदा एवं जल संरक्षण को जमीनी स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए केंद्रिय भूमिका के रूप में काम किया हैं। पर्यावरण एवं प्राकृतिक समस्या को संबोधित करने की दशा में या लोगों को एक साथ लाने में संचार एक प्रधान भूमिका अदा करता हैं। वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया संरक्षण समुदाय के रूप में लोगों में अत्यधिक पहुँच का माध्यम हैं अर्थात् वर्तमान समय में सोशल मीडिया लोगों  को जागरूक करने का एक प्रभावशाली माध्यम हैं ”11

शोध उद्देश्यजल संरक्षण जागरूकता अभियानों के दृष्टिकोण का अध्ययन करना

शोध विधिप्रस्तुत शोधपत्र में वैचारिक एवं विश्लेषणात्मक शोध पद्धति का उपयोग किया गया हैं। इसमे शोधकर्ता द्वारा द्वितीय डेटा के आधार पर जनता को पानी के उचित उपयोग करने एवं जल को संरक्षित करने के प्रति प्रेरित करने के लिए जल संरक्षण जागरूकता पर न्यू मीडिया अभियानों जैसी विशेष पहलों का अध्ययन किया गया हैं। 

जल संरक्षण एवं न्यू मीडिया अभियानयह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि भारत एक गंभीर जल संकट के कगार पर हैं, मौजूदा जल संकट में हैं, देश की नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं जल संचयन तंत्र बिगड़ रहे हैं और भू-जल स्तर लगातार घट रहा हैं। इन सभी के बावजूद जल संकट और उसके प्रबंधन का विषय भारत में आम जनता की चर्चाओं में स्थान नहीं पा सका हैं, क्योंकि जल संरक्षण को लेकर मीडिया ने भी अपनी भूमिका को सही प्रकार से नहीं निभाया है, कहने का अभिप्राय यह है कि मीडिया अन्य मामलों से बाहर नहीं निकलता है किन्तु फिर भी समय के अनुसार मीडिया ने जल संरक्षण जागरूकता को लेकर विभिन्न अभियानों को लेकर जनता को जागरूक करने का प्रयास किया है।

 

क्रम संख्या

अभियान

मीडिया

स्थान/क्षेत्र

1.

बक्केट रविवार अभियान

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (रेडियो)

मुम्बई एवं उत्तरप्रदेश

(रेडिया सिटी)

2.

आखिरी बूंद अभियान

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टेलीविजन)

विशालश्री मंडपम, आर्ट ऑफ़्‌ लिविंग  इंटरनेशनल सेंटर, बेंगलूरू(आई.टी.वी नेटवर्क)

 

3

कोलगेट  एवरी  ड्रॉप्स काउंट अभियान

       सोशल मीडिया(यूटयूब)

कोलगेट कम्पनी अमेरिका

(यूटयूब)

4.

सहज ले हर बूंद पानी अभियान

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया

कानपुर, उत्तरप्रदेश

(दैनिक जागरण)

 

5.

मिशन पानी अभियान

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

(टेलीविजन)

न्यूज 18 चैनल

6.

जल जीवन हरियाली अभियान

प्रिंट मीडिया एवं सोशल मीडिया

 

(दैनिक जागरण, फेसबुक) ग्रामीण विकास विभाग

(बिहार)

7.

सही फसल अभियान

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया इत्यादि

नेशनल वाटर मिशन,

जल शक्ति मंत्रालय

 (नई दिल्ली)

8

अमृत सरोवर मिशन

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल  मीडिया इत्यादि

*एम.आर.डी,एम.जे.एस, एम.सी,एम.पी.आर.,एम.., एफ.सी.सी औरटी..

(नई दिल्ली)

9.

जागरूकता सृजन अभियान

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल  मीडिया इत्यादि

नेहरू युवा केंद्र एवं जल शक्ति मंत्रालय

(नई दिल्ली)

10.

जल शक्ति अभियान

प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया इत्यादि

जल शक्ति मंत्रालय

(नई दिल्ली)

 

तालिका : जल संरक्षण अभियान एवं विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म

*एम.आर.डी-मिनीस्ट्री ऑफ़्‌ रूरल डेवल्पमेंट, एम.जे.एस-मिनीस्ट्री ऑफ़्‌ जल शक्ति, एम.सी-मिनीस्ट्री ऑफ़्‌ कल्चर, एम.पी.आर.-मिनीस्ट्री ऑफ़्‌ पंचायतीराज, एम.सी.-मिनीस्ट्री ऑफ़्‌ इन्वायरमेंट, एफ.सी.सी एंड टी. . फ़ॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज एंड टेक्नीकल रगेनाइजेशन

बक्केट रविवार अभियान रेडियो सिटी ने रविवार-मिड-डे के सहयोग से पानी की बढ़ती कमी के मुद्दे को संबोधित करने के लिए बक्केट संडे अभियान शुरू किया। अभियान ने मुम्बई वासियों से बहते पानी की अधिक बर्बादी से बचाने के लिए स्नान करने बजाय हर रविवार को एक बाल्टी पानी का उपयोग करने का आग्रह किया। इस अभियान को मलाईका अरोड़ा, बोम्नी इरानी, ईशा गुप्ता, अमाल मलिक इत्यादि जैसी बॉलीवुड हस्तियों का समर्थन मिला। जिन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर इस पहल को अच्छा समर्थन दिया।

इसके बाद रेडियो सिटी ने आई. नेकस्ट के साथ मिलकर उत्प्रतरदेश बाजारों में एक बाल्टी रविवार- ‘इस बार कसम खाओ,हर रविवार सिर्फ एक बाल्टी पानी से नहाओअभियान के साथ पहल की। यह अभियान एक जागरूकता चरण के साथ शुरू हुआ जिसमें नागरिकों को वास्तविक तथ्यों और जल संकट से संबंधित मुद्दों के बारे में शिक्षित किया गया।”12 इस अभियान में रेडियो सिटी आर. जे. और पूरी टीम ने प्रत्येक रविवार को केवल एक बाल्टी पानी का उपयोग करने का संकल्प लिया और श्रोताओं और दर्शकों को इस अभियान के प्रति प्रोत्साहित किया।

प्रभाव: क्षेत्र के सम्मानित व्यक्तियों एवं जन प्रतिनिधियों के जन जागरूकता में शामिल होने के कारण यह अभियान उत्तरप्रदेश में काफी पसंद किया गया।

आखिरी बूंद अभियान‘‘भारत के सबसे बड़ेआई.टी.वी नेटवर्कनेआर्ट ऑफ लिविंग के साथ संयुक्त रूप से देश के सबसे बड़े टी.वी. अभियानआखिरी बूंदजल संरक्षण अभियान की शुरूआत की। यह अभियान विशालश्री मंडपम, आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर बेंगलूरू में शुरू किया गया। इस अभियान मेंआखिरी बूंदनामक एक मोबाईल ऐप की शुरूआत की गई ताकि लोगों को जल संरक्षण के प्रति समय-समय पर जागरूक किया जा सके।”13 अतः लोगों को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया सहित कई प्लेटफॉर्मों के द्वारा जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा हैं। इस अभियान के द्वारा जल संकट की गंभीरता, जल संरक्षण के तरीको, भारत की नदियों और भूमिका मॉडल और सफलता की कहानियों पर आधारित विशेष उपलब्ध सामग्री को प्रस्तुत किया जा रहा हैं ताकि लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा हो सके।

प्रभाव : आई.टी.वी. और आर्ट ऑफ लिविंग केआखिरी बूंद अभियानसे लोगों ने जल के महत्त्व को समझा और लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर जल संरक्षण की पहल की।

कोलगेट एवरी ड्रॉप्स काउंटइसी तरह कोलगेट के द्वारा भी लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए ‘‘कोलगेट एवरी ड्रॉप्स काउंटनामक अभियान की शुरूआत की गई। यह अभियान 30 सेकेंड की विडियो पर आधारित अभियान हैं अतः इस अभियान द्वारा यह दिखाया गया हैं कि ज्यादातर लोग ब्रुश करते समय नल को चालू रखते हैं जिससे की लगभग 4 गैलन पानी बर्बाद हो जाता हैं। कोलेगेट ने इस अभियान के द्वारा लोगों जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया कि वे ब्रुश करते समय नल को बंद रखे ताकि एक साल में 3000 गैलन पानी का बचाया जा सके। अतः इस अभियान से संबंधित वीडियो को यूट्यूब पर 10 मिलियन लोगों द्वारा देखा गया ”14 जल संरक्षण पूरी तरह से पीने के पानी को बचाने के विचारों पर केंद्रित हैं हालांकि कोविड-19 महामारी ने लोगों को सिखाया हैं कि पानी का संयम से उपयोग करना अति आवश्यक हैं।

प्रभाव: इस अभियान के द्वारा लोगों ने कोलगेट करते समय पानी को बचाने की कवायद को जरूरूी समझा और ब्रुश करते समय नल बंद रखने की पहल की। इस अभियान को यूट्यूब के माध्यम से 10 मिलियन लोगों द्वारा देखा गया। अतः अभियान भी जल संरक्षण की ओर एक अनोखी प्रभावशाली मुहिम के रूप में साबित हुआ।

सहज ले हर बूंद पानीइस अभियान की शुरूआत दैनिक जागरण ने कानपुर शहर में की थी। जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस अभियान को विभिन्न माध्यमों, इलैक्ट्रोनिक, न्यू मीडिया आधारित टूल्स फेसबुक, यूटयूब आदि द्वारा प्रचारित किया गया। यानि इस अभियान के माध्यम से प्रतिदिन घरों में 40 लीटर पानी बचाने की अपील की गई। अतः इस अभियान द्वारा जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए जहां एक तरफ महिलाओं और बच्चों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की गई, वहीं दूसरी तरफ न्यू मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया गया।

वेलस्पन इंडिया लिमिटिड के प्रमुख घरेलू ब्रांड द्वारा देशभर में घटते भूजल स्तर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस अभियान की शुरूआत की गई। इस अभियान को अद्वितीय .पी.आई. एककीकरण द्वारा समर्थित डिजिटल विज्ञापन बैनर का उपयोग करके शुरू किया गया जो वेलस्पन कम्पनी की रिवर्सिबल बेडशीट की रेंज को उजागर करने के साथ-साथ वास्तविक समय के आधार पर व्यक्तियों को उनके शहर में भूजल स्तर के प्रति जागरूक करता हैं।”15

प्रभाव: सहज ले हर बूंद अभियान ने प्रत्येक वर्ग के व्यक्तियों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया। इस अभियान द्वारा जनता ने व्यक्तिगत रूप से प्रतिदिन 40 लीटर पानी बचाने की अपील को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। जिससे की आम जन पर इस अभियान का एक सफल प्रभाव प्रतीत होता है।

मिशन पानी अभियान न्यूज 18 चैनल और हार्पिक केमिशन पानीअभियान ने भी जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यानि मिशन पानी द्वारा स्वच्छता बनाए रखने के साथ ही कुशल जल प्रबंधन और जल संरक्षण जागरूकता के लिए एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मिशन पानीअभियान के द्वारा भारत के उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू और जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और अभिनेता अक्षय कुमार इत्यादि गणमान्य व्यक्तियों ने इस मिशन के उद्देश्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया अतः इस मिशन ने भी जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण योगदान दिया16

प्रभाव: न्यूज 18 चैनल और हार्पिक केमिशन पानीअभियान ने लोगों के जीवन में जल संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देने के बड़े आंदोलन को चलाने में अग्रणी प्रयास किया। इस पहल के द्वारा असमान और पृथक प्रयासों को एक साथ जोड़ने में सफलता हासिल हुई। आम जन द्वारा पानी को लेकर प्रतिज्ञा लेने से स्पष्ट होता है कि इस अभियान ने लोगों के जीवन में जल संरक्षण के प्रति विवेकपूर्ण ढंग से बदलाव किए।

जल जीवन हरियाली मिशन आमजन को जल संरक्षण एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विकास विभाग द्वारा यह अनोखी पहल की गई। इस अभियान से आमजन को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई अर्थात् सोशल मीडिया के विभिन्न उपमाध्यमों जैसे फेसबुक, ट्विटर इत्यादि ने जल जीवन हरियाली मिशन का आमजन तक प्रचार-प्रसार किया। उदाहरणतः लोगों का सीधे तौर जल निवारण विभाग से सीधा संवाद होने लगा।17

प्रभाव: इस मिशन ने लोगों के जीवन में प्रभावशाली बदलाव किए जिससे की आमजन में जल संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जागरूता बढ़ी। अतः आमजन द्वारा अपनी पानी की समस्या एवं पर्यावरण की समस्या को सीधे तौर पर जल निवारण विभाग एवं पर्यावरण को भेजा जाने लगा। जिससे की लोगों के जीवन में जल की महत्वत्ता को बढ़ावा मिला।

सही फसल अभियान इस अभियान की शुरूआत राष्ट्रीय जल मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय द्वारा की गई थी। इस मिशन का उद्देश्य पानी की कमी वाले क्षेत्रों में किसानों को कम पानी की जरूरत वाली, पानी का कुशलता पूर्वक उपयोग, आर्थिक रूप से लाभप्रद, स्वास्थ्य और पोषण से भरपूर, क्षेत्र के कृषि-जलवायु-जलीय विशेषताओं के अनुकूल और पर्यावरण के अनुकूल फसलों को उगाने के लिए प्रेरित करना था। अतः इस मिशन के प्रचार में प्रिटं मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं न्यू मीडिया द्वारा अहम भूमिका अदा की गई ताकि किसानों को अनुकूल फसलों को उगाने एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सके। इस अभियान मेंनहीं है जल, तो नहीं फसल, जो कम जल ले, वही सही फसलजैसी पंचलाइन का प्रयोग किया ताकि लोगों को एक प्रभावशाली तरीके से जागरूक किया जा सके।”18

प्रभाव: इस अभियान के द्वारा लोगो में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में, कम पानी लेने वाली फसलों के बारे में जागरूकता बढ़ी। किसानों द्वारा आर्थिक रूप से लाभप्रद, स्वास्थ्य और पोषण से भरपूर एवं पर्यावरण के अनुकूल फसलों को उगाया जाने लगा। जिसके फलस्वरूप किसानों में जल एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा मिला।

अमृत सरोवर मिशन अमृत सरोवर मिशन की शुरूआत जल संरक्षण के उद्देश्य से की गई। इस मिशन के द्वारा प्रत्येक जिले के 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प करना हैं। इसमे लगभग एक एकड़ या उससे अधिक आकार के 50,000 जलाशयों का निर्माण होगा। इनमें से प्रत्येक अमृत सरोवर 10,000 घन मीटर की जल धारण क्षमता के साथ 1 एकड़ क्षेत्र में होगा।”19 इस मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य मीडिया के विभिन्न माध्यमों द्वारा जन सामान्य को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी है। अतः इस मिशन के प्रचार-प्रसार में प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं न्यू मीडिया के द्वारा विशेष भूमिका निभाई गई।

प्रभाव: इस मिशन के द्वारा लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा मिला। सरकार द्वारा प्रत्येक जिले के 75 जल निकायों में जल संरक्षण के लिए 50,000 जलाशयों को बनाए जाने की मुहिम चलाई गई जिसके फलस्वरूप गांवों के लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी।

जागरूकता सृजन अभियान इस अभियान की नेहरू युवा केंद्र के सहयोग से 21 दिसंबर, 2020 को जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए शुरूआत की गई। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को विभिन्न मीडिया के विभिन्न माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना हैं। नेहरू युवा केंद्र के द्वारा समय-समय पर रैलियो, जल चोपाल, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद, नारा लेखन प्रतियोगिताओं, दीवार लेखन आदि जैसी कई गतिविधियों के माध्यम से लोगों में जल संरक्षण के प्रति पुरजोर पहल की गई ताकि लोगों को जल के महत्त्व के बारे पता चल सके।

प्रभाव: जागरूकता सर्जन अभियान ने लोगों में जल के महत्त्व, ज्ञान और समझ को विकसित किया। जिससे की लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी और लोगों द्वारा व्यक्तिगत तौर पर जल संरक्षण किया जाने लगा।

जल शक्ति अभियान:

देश में जल की बढ़ती समस्या को देखते हुए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मोदी जी की प्रेरणा से 2019 में जल शक्ति अभियान की शुरूआत की गई। इस अभियान को 2019 में जुलाई से नवम्बर तक देश के जल संकट वाले 256 जिलों के 1592 प्रखंडों में मिशन के तौर पर चलाया गया। अतः ये वे प्रखंड थे जहां भूजल का अत्यधिक दोहन किय जा रहा था। इस अभियान में केंद्र सरकार के अधिकारियों, भूजल विशेषज्ञयों, वैज्ञानिकों और राज्य सरकारों के अधिकारियों ने मिलकर काम किया। अतः इस अभियान में पांच पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया-

Ø  जल संरक्षण और वर्षा जल संचय।

Ø  पारम्परिक और अन्य जलाशयों का जीर्णोद्धार।

Ø  पानी का पुनः इस्तेमाल और अवसंरचनाओं का पुनर्भरण।

Ø  जल विभाजक विकास तथा सघन वनीकरण।

Ø  प्रखंड और जिला-स्तरीय जल संरक्षण योजनाएं।

अतः इस अभियान द्वारा जल संरक्षण और वर्षा जल संचय के लिए 2.73 लाख अवसंरचनाओं का निर्माण, 45,000 जलाशयों और तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया तथा पानी के पुनः उपयोग और पुनर्भरण के लिए 1.43 लाख संरचनाओं का निर्माण हुआ। अतः इस तरह के अभियान जल संकट एवं जल संरक्षण जैसी गंभीर समस्या के निदान के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। वहीं प्रधानमंत्री जी ने 22 मार्च 2021 को विश्व जल दिवस के मौके परजल शक्ति अभियान : कैच रेनकी शुरूआत की। इस अभियान का ध्येयकैच रेन, व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्सथा यानि वर्षा की बूंदे जब और जहां गिरें, पानी का तभी और वहीं संचय किया जाए।”20 यह जल संरक्षण के लिए एक समयबद्ध अभियान था। जल शक्ति अभियान में जल पुनर्भरण और प्रबंधन के लिए काम करने वाले सभी हितधारकों को एकजुट करने का माहौल तैयार किया गया। शुरूआत में इस अभियान में पानी की तंगी वाले जिलों को इस अभियान में शामिल किया लेकिन बाद में बाकी 734 जिलों के 7213 ग्रामीण प्रखंडों और सभी शहरी क्षेत्रों को भी इस अभियान में शामिल कर लिया गया।

अतः लोगों को जल संरक्षण अभियानों के प्रति जागरूक करने के लिए नेहरू युवा केंद्रों की सहायता से 2.90 करोड़ से ज्यादा व्यक्तियों को इस अभियान से जोड़ा गया। इसी के साथ-साथ सूचना और शिक्षा संचार सामग्री ने जल संरक्षण और संग्रह के प्रति जागरूकता लाने के लिए पेशेवर एजेंसियों के जरिए क्षेत्रीय भाषाओं में दीवारों पर लिखें नारो, सोशल मीडिया पोस्टिंग, -पोस्टर, नुक्कड़ नाटक की स्क्रिप्ट, वाद-विवाद और लेखों के विषय तथा क्विज प्रतियोगिता इत्यादि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया।

निष्कर्षप्रस्तुत शोध पत्र जल संरक्षण और न्यू मीडिया अभियानों का एक अध्ययनका विश्लेषण करने पर हमारे सामने परिणाम यह आया हैं कि बक्केट अभियानने रविवार के दिन मुम्बई वासियों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, वहीं बक्केट अभियान के अंतिम चरण के दौरान सोशल मीडिया परबाल्टी एंथमने लोगों को जागरूक कर 4 सप्ताह में 10,758,400 लीटर जल को बचाया। अतः यह अविश्वसनीय उपलब्धि हमारे विश्वास का ही प्रमाण हैं, इस तरह की पहल हमारे समाज में बदलाव लाने की प्रतीक्षा कर रही हैं जो कि जल संरक्षण जागरूकता अभियानों से संभव हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त जल संरक्षण अभियान आखिरी बूंदनामक एक मोबाईल ऐप के माध्यम से लोगों को जल बचाने के प्रति जागरूक किया गया ताकि आने वाला समय के लिए सतत् पोषणीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। तत्पश्चात सहेज ले हर बूंद पानीअभियान की शुरूआत दैनिक जागरण द्वारा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए की गई ताकि लोगों को जल के महत्त्व के विषय में जानकारी प्राप्त हो सके। अतः इस अभियान की मुख्य बात यह रही हैं कि हर घर से प्रतिदिन 40 लीटर पानी बचाने की लोगों से अपील की गई। इसी तरह कोलगेट एवरी ड्रॉप्स काउंटअभियान से लोगों को जागरूक किया गया हैं कि जो लोग ब्रुश करते समय जल का अत्यधिक दोहन करते हैं उन लोगो  को प्रस्तुत अभियान द्वारा जल संरक्षण एवं प्रबंधन के प्रति जागरूक किया गया। अतः इसी के साथ-साथ मिशन पानीअभियान द्वारा भी लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने में भिन्न-भिन्न प्रकियाओं द्वारा लोगों को जागरूक किया गया। ऐसे ही जल जीवन हरियाली मिशन, सही फसल अभियान, अमृत सरोवर मिशन एवं जागरूकता सजृन अभियानों ने आमजन को जल के महत्त्व, ज्ञान एवं जल संरक्षण के प्रति समझ को बढ़ावा दिया। वहीं भारत सरकार द्वारा चलाए गए जल शक्ति अभियानजोकि जल संरक्षण एवं जल संचय के लिए अत्यंत सफल माना जा सकता हैं क्योंकि 22 मार्च, 2021 को अभियान शुरू होने से 28 मार्च,2022 तक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को मिला कर जल से संबंधित 46,76,852 कार्य पूरे होने की कगार पर थे। वहीं जल संरक्षण और वर्षा जल संचय की 10,69,649 संरचनाएं पूरी हो चुकी थी और लोगों को अभियानों के प्रति जागरूक करने के लिए समय-समय पर क्विज, वाद-विवाद, सोशल मीडिया पोस्टिंग एवं -पोस्टर इत्यादि को न्यू मीडिया के माध्यमों फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूटयूब, टिवटर इत्यादि के द्वारा प्रसारित किया गया। जिसके परिणामस्वरूप अनेक ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अभियानों सही सूझबूझ के साथ अपनाया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार-‘‘2.69 लाख ग्राम पंचायतों में से 2.03 लाख ने जल संरक्षण योजनाएं तैयार की हैं। वैसे जल संकट या जल संरक्षण जैसी गंभीर समस्या के लिए सरकार द्वारा अनेकों अभियान चलाए जाते हैं परंतु इन अभियानों के प्रति लोगों का जागरूक होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 

वर्तमान समय में न्यू मीडिया एवं प्रोद्योगिकी का समय हैं, लोगों को जागरूक करने लिए के लिए न्यू मीडिया कड़ी काम कर सकता हैं। अतः एक सार्वजनिक जल संरक्षण जागरूकता संचार अभियान लोगों में जागरूकता लाने का एक अहम तरिका हैं क्योकि सार्वजनिक संचार आमतौर पर एक विशिष्ट समयरेखा के भीतर बड़ी संख्या में व्यक्तियों को सूचित करने या प्रभावित करने के उद्देश्य से संचार का एक सुविचारित एवं नियोजित रूप हैं। सार्वजनिक जागरूकता अभियान संचार के द्वारा किसी भी व्यक्ति,परिवार,समुदाय आदि के व्यवहार में बदलाव लाया जा सकता हैं प्रस्तुत शोधपत्र से स्पष्ट होता हैं कि सार्वजनिक रूप से चलाए जा रहे जल संरक्षण जागरूकता अभियानों द्वारा समय-समय पर लोगों को जल संकट एवं जल संरक्षण से संबंधित नए-नए सुझाव से अवगत कराया जाता हैं,वैसे तो जब तक लोगों को पानी के महत्त्व के बारे में अहसास नही होगा तब तक जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना असंभव हैं। अतः ऐसी परिस्थिति में न्यू मीडिया के माध्यम से प्रस्तावित जल संरक्षण जागरूकता अभियान कड़ी का काम कर सकते हैं अर्थात् सरकार द्वारा प्राईवेट संस्थाओं,गैर सरकारी संगठनों इत्यादि द्वारा चलाए जा रहे जल संरक्षण जागरूकता अभियानों को समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहना चाहिए जिसे कि लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सके। अतः यह कहा जा सकता है वर्तमान समाज में जल संचय एवं जल संरक्षण संबधी जानकारी की विकट परिस्थिति नहीं हैं बल्कि लोगों में जनचतेना,समझदारी की कमी है। लोगों को जल संकट के बारे में तो जानकारी है, लेकिन जल संचय एवं उसके दोहन की उचित प्रवृति नही हैं जो कि एक दयनीय परिस्थिति की ओर इशारा करती है। अगर लोगों में जलसंचय एवं जल संरक्षण के प्रति सर्तकता, सावधानी एवं अनुसाशन की कमी रही तो एक दिन पेयजल के लिए बड़ी समस्या से गुजरना पड़ सकता हैं।

जल संरक्षण से संबंधित  समस्या के निदान के लिए यह कहना उचित होगा कि जनमानस को जल के अत्यधित दोहन के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहिए। वहीं सरकार, गैर सरकारी संगठनों एवं मीडिया द्वारा समय-समय पर चलाए जा रहे, जल संरक्षण जागरूकता अभियानों को लोगों के बीच सफलतापूर्वक संचारित करना होगा, जिससे जनता इन अभियानों में सर्तकता एवं समझदारी की भावना के साथ अपना सहयोग दे सके।

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अरिन
शोधार्थी
   
डॉ. कुँवर सुरेन्द्र बहादुर,
सहायक प्रोफेसर, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग, बी. बी. ए. यू., लखनऊ।
ksbuprtou@gmail.com8005228697
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati)  अंक-46, जनवरी-मार्च 2023 UGC Care Listed Issue
सम्पादक-द्वय : माणिक व जितेन्द्र यादव 
चित्रांकन : नैना सोमानी (उदयपुर)

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