- प्रियंका रंजन एवं प्रो. उत्तम कुमार पेगु
शोध-सार : सूचना क्रांति के दौर में तथ्य और सूचनाएं हमें पोषक तत्व की तरह प्रतीत होती हैं। सूचनाएं आज उन आवश्यक चीजों की श्रेणी में हैं जिसकी ग्राह्यता शिखर पर स्थान रखती है। सैद्धांतिक रूप से जानकारियों का सूचनात्मक संदर्भ तत्व आधारित है। यह आवश्यक नहीं है कि तात्विक संदर्भ को प्रेषक अथवा प्रस्तोता सदैव ज्ञानात्मक रूप से समुचित और प्रचुर हो। मीडिया जगत में डिजिटल संचार तकनीक के हस्तक्षेप ने अपनी विविधता और विशिष्टता के कारण नवाचार की गति को उन्नत से उत्कृष्ट किया है। यद्यपि नई सूचना तकनीक और इससे संबद्ध संचार व्यवस्थाओं ने लगभग दो दशक पूर्व से अपनी सक्रियता बढ़ायी है। तकनीकी विकास ने दुनिया की 50 फीसदी जनसंख्या से अधिक समाज को अपनी प्रयोगधर्मिता से जोड़ा है। प्रौद्योगिकी ने शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, जनमानस की अनेक सेवाओं, व्यापार-वाणिज्य, वित्तीय समागम के लिए सुव्यवस्थित समावेश किया है। तकनीकी सुविधाओं के अतुलनीय अभिदान द्वारा नव जनमाध्यम ने समाज को सुरक्षा, सामासिकता, तकनीकी प्रबंधन और अनुप्रयोग से संचार व्यवस्था की अनेक पूर्वगामी चुनौतियों को सुगम व सरलीकृत किया है। मोबाइल और कम्प्यूटर जैसी सर्वगतिशील युत्ति और यांत्रिकी ने सामाजिक ताने-बाने के अतिरिक्त रोजगार की संभावनाओं, व्यापकता और शोध के संसार के अनेक दबाव को मुक्त कर सूचना के एतिहासिक परिवेश को नवोन्मेषी प्रतिमान स्थापित किए हैं। नव जनमाध्यमों ने विज्ञापन, ग्राफिक्स-एनिमेशन, मीडिया प्रबंधन के बहु-चक्रीय नियोजन ने प्रौद्योगिकी की संभावनाओं को सुबोध किया है।
डिजिटल सूचना प्रौद्योगिकी के युगांतकारी
आयामों में संभावनाएं अधिकाधिक हैं। तकनीक की विकासात्मक प्रवृत्तियां राष्ट्रीय
विकास के उपागम हैं। सूचना जगत के लक्ष्यों ने तकनीकी हस्तक्षेपों से विकृतियों को
भी प्रभावित किया है। इन विसंगतियों में साइबर आधारित व्यक्तिगत,
सामाजिक,
आर्थिक
व अन्य दोष और प्रदूषक भी शामिल हो गए हैं। डिजिटल चुनौतियों के दौर में सूचनाओं का
क्षींण होना, सूचना
के तत्वों की विलुप्तता इस बात पर प्रश्न उठता है कि इन तत्वों और सूचनाओं को
क्षींण कौन कर रहा है। अनेक सर्च इंजन, पोर्टल,
वेबसाइट
और ब्राउजर पर जिम्मेदारियों की कमी हैं। हालांकि इन्हीं परेशानियों के बीच
डिजिटल मंचों पर अनूठे नवाचार हो रहे हैं जहां चुनौतियों के बीच सकारात्मक प्रभाव
पड़ रहा है।
बीज शब्द :
डिजिटलीकरण, डिजिटल
युग, डिजिटल प्रसार,
सोशल
नेटवर्किंग, सूचनाक्रांति,
ई-रिपोर्टिंग
तकनीक, पेशेवर
पत्रकार, डिजिटल
चुनौतियां।
मूल आलेख :
संचार प्रौद्योगिकी का डिजिटल स्वरूप व संभावनाएं :
डिजिटल जनमाध्यामों ने अनेक तकनीक और संसाधनों से संचार की मूल सैद्धांतिकी को आवरण में रखते हुए नए कदम बढ़ाए हैं। आज इन क्षेत्रों में संचार और सूचना आधारित कार्य ही नहीं अपितु रोजगार भी सृजित हो रहे हैं। यहां तक कि सामाजिक विस्तार में सहज उपलब्धता रखे सोशल मीडिया के लगभग सभी उपकरणों यथा फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, लिंक्डइन और ब्लॉग जैसे मंच पर तकनीकी व्यक्तियों की उपलब्धता को स्थापित किया जा रहा है। तकनीकी रूप से कार्य कर रहे ऐसे व्यक्तियों का सामूहिक कार्य या एकीकृत स्वरूप देखा जा सकता है। सामाजिक परिवर्तन, मुहिम, जनमत, अनुनयन, जनसंपर्क और संचार के अनेकानेक उपकरण आदि का उपयोग डिजिटल संचार के मंच पर भी किया जा रहा है। ज्ञान अथवा शोध क्षेत्र के अतिरिक्त राजनीतिक पक्षधरता, खुले पत्र, विमर्श की बहसें, टिप्पणियां, शांति अशांति के द्वंद्व, चिंतन और चिंताएं आदि सभी डिजिटल मंचों की दुष्कृतियां हैं। इस प्रकार की प्रकृति से डिजिटल संचार माध्यमों की संचार प्रणाली और इसके अनुप्रयोग की शैली तथा प्रामाणिकता पर संभावनाओं के दौर में भी बाधाएं बन जाती हैं। ऑनलाइन खोज, संग्रह, प्रमाणीकरण, पूर्ति के सहज स्रोत व साधन के रूप में डिजिटल संचार संसाधन का स्वरूप अद्भुत है। साधारणत: इसके अनेक दोष अब साइबर अपराध की श्रेणी में लाने के बाद डिजिटल परिवेश में सुरक्षा का भाव दिखता है। बावजूद इसें अभी डिजिटल साक्षरता और उपयोगशीलता को निर्मित करने की आवश्यकता होती है। साधनों से सरलता और आज जटिलता व आपराधिक कार्य या अपराधी लोागों को शिकार कर रहे हैं।
आज त्वरित से भी
शीघ्रता की प्रौद्योगिकी ने ई-मेल, संदेश, एप्लीकेशन, लेखन, श्रृव्य माध्यमों के लिए रिकॉर्डिंग, वीडियो कवरेज व
कॉनफ्रेन्स, नेटवर्किंग समूह आदि न केवल उपलब्ध हैं। बल्कि, डिजिटल इंडिया के अनेक
कार्यक्रमों के माध्यम से नए-नए क्षेत्र में प्रगति के मुहाने पर हैं। यह सकल
विकास सूचकांक का पर्याय बन चुके हैं। डिजीलॉक, ऑनलाइन मंचों की अनिवार्यता, ई-बैंकिंग, ई-प्रशासन से ई-करेंसी
तक जिस यात्रा को डिजिटल युग ने प्रस्तुत किया है वह उत्कृष्टतम स्वरूप है। इस
प्रकार बहुआयामी डिजिटल मीडिया और इसके बहुमुखी कार्य ने तकनीकी ज्ञानार्जन, रोबोट आदि के स्वत:
परिचालन, क्लाउड आदि पर सूचना भंडारण और इंटरनेट के माध्यम से बेहतर उपलब्धता
ने तकनीकी संभावनाओं का विस्तार किया है। वहीं कृत्रिम मेधा के उपयोग से डिजिटल संचार माध्यमों की वृहत्तर एवं
प्रमाणित कार्यवृत्ति ने हमारे डाटा के प्रयोग करने की स्थिति को बदलकर ही रख दिया
है। संचार की दुनिया में अनेक सैद्धांतिकी को यह चुनौती भी देता है और बदलाव से
सिद्धांतों को नए आयाम भी दे रहा है। उदाहरण के लिए समसामयिक सामाजिक स्थिति में
सामाजिक विखण्डन और वृह्त विस्तार देखा जा सकता है जिसके लिए डिजिटल उपलब्ध मंचों
ने सामाज को जोड़ने के अनेक साधन सुलभ कराए हैं गोया समूहों की योजकता और उनके
विश्वस्तरीय विस्तार आदि। बहुमुखी कार्य संचालन तथा समयाधारित कार्य निष्पादन
ने डिजिटल संचार माध्यमों के प्रारूपों को नए विस्तार और आगामी भविष्य की कल्पना
और रूपरेखा तैयार की है।
पत्रकारिता क्षेत्र में डिजिटलीकरण और नई सूचना तकनीक :
यह बात आज
महत्वपूर्ण है कि पत्रकारिता के सभी क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम
से कार्यों के निष्पादन की मात्रा बढ़ी है। निह:संदेह न्यू मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग
के युग में प्रौद्योगिकी से लैस मीडिया ने तकनीकी आधारित ऑनलाइन मीडिया सेवाओं तथा
ऐसी कंपनियों को दर्शक श्रोताओं से जुड़ने की तीव्रता और प्रतिक्रिया की तात्कालिकता
भी प्रदान की है। यही नहीं पत्रकारिता में नई सूचना प्रौद्योगिकी ने नागरिकों की
भूमिका और सूचना आदन प्रदान करने के लिए सहज सेतु का निर्माण किया है। आज सूचना का
सुपर हाइवे कहा जाने वाला यह मंच कृत्रिम बुद्धि और मेधा की दूरदर्शी क्षमताओं के
आधार पर नए प्रतिमान दे रहा है। नई सूचना के अनेक उपकरणों ने भाषा की बाध्यता
समाप्त जैसी कर दी है। सूचना संबंधी सामग्री का अनुवाद विश्व की किसी भी भाषा
में मशीनी अनुवाद उपलब्ध है। शोध और आंकड़ो की प्रस्तुति तथा विश्लेषण के लिए
एप्लीकेशन और वेब सुविधाओं ने डिजिटल और बड़े डेटा की उपयोगिता को सटीक और
नवाचारी तरह से सम्प्रेषित करने का मार्ग बना दिया है। वहीं शेड्यूलिंग सॉफ्टवेयर
और वेब स्पेस से जनमाध्यमों की अनेक कार्य प्रणाली को सुव्यवस्थित सम्पन्न
किया जा रहा है।
मीडिया प्रबंधन और काग्लोमेरिट मीडिया
युग में मीडिया का व्यवसाय प्रबंधन जटिल हो रहा था लेकिन इन जटिलताओं को भी सूचना
प्रौद्योगिकी और डिजिटल तकनीक ने सहज ही कार्य अनुकूल बनाया है। आज मीडिया की विस्तारवादी
नीति और योजनाओं को व्यावहारिक स्वरूप देने के लिए यह बिक्री और व्यवसाय को
बढ़ाने में भी मदद कर रहा है। डिजिटल मीडिया के नवाचारी उपयोगों ने इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया में रेडियो और टेलीविजन चैनलों के लिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग,
संपादन
और समाचारों के अपलोड व प्रसार की प्रक्रिया को सरलीकृत कर उन सभी पत्रकार एवं
तकनीकी कर्मियों के लिए सुगम व्यवस्थाएं दी हैं। रेडियो की दुनिया में ‘वेब-रेडियो’
और
‘रेडियो गार्डन’
की
उपलब्धता ने रेडियो की तुप्त होने वाली तकनीक को नवावतरण प्रदान किया है। यकीनन
रेडियो प्रसारण को अब श्रोताओं ने भी एप्लीकेशन के माध्यम से तथा उनके सोशल
मीडिया के मंचों अधिकाधिक आनंद लिया है। वे अपनी भागीदारी और प्रतिक्रिया में भी
डिजिटलीकृत तकनीक से हिस्सेदार बन रहे हैं। वहीं मीडिया को अपनी ब्रांड बनाने मदद
भी इंटरनेट द्वारा मिली है। दूसरी ओर टेलीविजन ने इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन तथा
वेब टेवीविजन की तकनीक ही नहीं बल्कि मोबाइल टेलीविजन तथा टेलीवीजन वाया एप्प से अपने
दर्शक तथा प्रभावी व्योम को बहुत ही समृद्ध किया है। अनेक टेलेविजन ने तकनीकी
संवर्द्धन से विश्व स्तरीय पत्रकारिता को बढ़ावा दिया है। यह भी सच है थोड़ी
डिजिटल असमानता और तकनीकी दुरुपयोग को छोड़ दिया जाए तो डिजिटलीकरण ने अपने
प्रसारण और प्रस्तुतियों में गुणात्मक परिवर्तन किया है। इस प्रकार के सृजन को
डिजिटलीकरण का श्रेय देना प्रासंगिक है।
मीडिया में लाभ की दृष्टि से
देखा जाए तो एक माध्यम अपने अनेक डिजिटल उपकरणों को ‘माध्यम
संस्करण’
के रूप में भी स्थापित किया है। अनेक सोशल मीडिया पर उपलब्ध सूचनाएं भी अपने
माध्यम के मंच को अनेक प्रारूपों सहित साझा कर रही है। डिजिटल माध्यम ही आज यह
सभी कार्य एक मंच पर बहुआयामी तरह से प्रस्तुत करने अनुमति प्रदान करता है। उसमें
सामग्री के अनेक डिजिटल स्वरूप हैं। इनमें दुनिया भर की भाषाओं के फॉन्ट के टेक्स्ट,
उन
सभी टेक्स के अंत: परिवर्तनकारी टेक्ट, विभन्न
फाइल में उपलब्ध इमेज और फोटोग्राफ, अनेक
फॉरमेट में उपलब्ध वीडियो फाइल और अनेक उपयोगी ऑडियो फाइल उपलब्ध हैं।
विज्ञापन और जनसंपर्क तथा व्यापार
प्रबंधन के साथ डिजिटल मार्केटिंग के लिए भी सूचना प्रौद्योगिकी ने व्यक्तिगत
कार्य सहित व्यावसायकि प्रतिनिधियों के पारस्परिक संबंधों तथा व्यापार की प्रतिबद्धताओं
को प्रतिस्थापित किया है। बाजार तथा व्यापार-वाणिज्य के लोगों के साथ आभासी
संपर्कों और आवश्यकतानुसार संपर्क एवं बैठकों की सहायता आज डिजिटल माध्यमों से
की जा रही है। वहीं वेब माध्यमों के उपकरण प्रामाण्किता और प्रासंगिकता को समेकित
रूप में शासकीय और गैरशासकीय उपबंध भी करने में सक्षम हो रहे हैं। डिजिटल संदेश और
उनका जनमानस में प्रसार भी ब्लॉगिंग और अनेक डिजिटल फॉरमेट में महत्व बढ़ा रहे
हैं। प्रौद्योगिकी के बढ़ती कदमों ने डिजिटल कार्य की निर्भरता के साथ कम्प्यूटर
आधारित तकनीकी उपकरणों के साथ हमारा जुड़ाव बढ़ा दिया है। इसलिए जनमानस में जीवन और
डिजिटल मीडिया की भूमिका भी बढ़ रही है। प्रत्येक क्षण में डिजिटल स्रोतों में
कुछ नवीन घटना और कार्य प्रारूप जुड़ रहे हैं। यह प्रयोग हमें सूचना की उपयोगधर्मिता
भी सिखा रहे हैं। पिछले दशक से डिजिटल
प्लेटफॉर्म पर आधारित व्यापार वाणिज्य में बढ़ोत्तरी अतुलनीय है। ऑनलाइन व्यवसायों
में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डिजिटल मीडिया मार्केटिंग स्पेस में ग्राहकों को बहुत
बड़ा समूह है। सोशल मीडिया तथा ई-मेल मार्केटिंग और एसएमएस सेवाएं भी ग्राहकों को
मार्केटिंग संबंधी संयोजकता प्रदान के लिए एक और उपयुक्त माध्यम प्रदान करते हैं।
मीडिया के अनेक माध्यम यथा प्रिंट
और टेलीविजन सहित ऑनलाइन वेब माध्यम और संपर्क की अनेक मीडिया में,
प्रभावशीलता
व प्रतिपुष्टि सहित अनेक सर्वेक्षण की भूमिका बढ़ी है। यही सर्वेक्षण और
अन्तरक्रियाशीलता का उपयोग मानकों में प्रयोग किया जा रहा है। टेलीविजन रेटिंग हो
या ऑनलाइन माध्यमों से जनता तक पहुंच सभी काम डिजिटल माध्यमों से सरलता से किए
जा रहे हैं। यूट्यूब वीडियो चैनल के सदस्य या पॉडकास्ट के श्रोताओं के वास्तविक
समय की माप और पाठक, दर्शक,
श्रोता
के अनेक अनुसंधान भी आज डिजिटलीकृत हाते जा रहे हैं। मुद्रित माध्यमों के अनेक
संस्करण अब ऑनलाइन तथा सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं वहीं प्रकाशकों को सूचना
प्रौद्योगिकी से कार्य एवं सामग्री में सुधार करने में मदद मिलती है।
पेशेवर पत्रकारिता के समक्ष डिजिटल चुनौतियां के विश्लेषणात्मक परिदृश्य :
पत्रकारिता
जगत के अनेक धाराओं में आज डिजिटल कार्य व तकनीकी के उपयोग बढ़े हैं। इनसे सहजता
तो अवश्यक हुयी है अपितु कार्य के साथ अनेक चुनौतियों ने भी उत्पन्न कर दी हैं।
डिजिटलीकरण के साथ कार्य करने में सावधानी,
दूरदर्शिता
और जोखिम होने तथा लापरवाही कारित होने से व्यापक हानि भी होने की संभावनाएं हैं।
पेशेवर पत्रकारों और संपादन की प्रक्रिया में ऑनलाइन तथा यथाशीध्र-सजीव प्रसारण के
कारण अनेक त्रुटियों का होना भी डिजिटल चुनौतियों में से हैं। समचार के द्वारपालक
कहे जाने वाले गेटकीपन की भूमिका के समाप्त होने जैसी ऑनलाइन व सोशल मीडिया ने पत्रकारिता
की नैतिकता को भी खतरे में डाल दिया है। वहीं कॉपीराइट और बौद्धिक संपदा जैसे
प्रकरण और अपराध भी मीडिया की सामग्री निर्माण करने के लिए बाधक और चुनौतियों की
स्थिति पैदा करते हैं। दूसरी ओर ऑनलाइन माध्यमों ने सूचना का भ्रामक होन मिथ्या
सूचनाओं का प्रसार, प्रहस्तन
(हेराफीरी युक्त), गुमराह
करने संबंधी, गलत
तथ्यों व सूचना सहित अभद्र भाषा एवं ऑनलाइन उत्पीड़न जैसे अनेक अपराध डिजिटल युग
में पत्रकारिता जगत के प्रमुख चुनौतियों में से हैं। भारत जैसे देश में लगातार
बढ़ते डिजिटल अपराधों को देखते हुए ऑनलाइन
व आभासी दुनिया में उपयोगकर्ताओं की स्थिति को विभिन्न दृष्टिकोण से समझने की
आवश्यकता है। भारतीय उपयोगकर्ता जहां एक ओर तकनीकी रूप से कम दक्ष पाए जाते हैं
वहीं दूसरी ओर सेवा प्रदाताओं द्वारा भी संबंधित तथा आवश्यक सतर्कता का ध्यान
नहीं रखा जाता है। ऐसे में आभासी दुनिया में भारतीय उपयोगकर्तओं के लिए साइबर व्योम
भी भविष्यगामी संकट का प्रतिरूप ही बन सकता है।
डिजिटल युग में तकनीकी दक्ष
पत्रकारों तथा उनकी वैधानिकता को प्रभावी तरीके से लागू करने की कमी भी दिखाई देती
है। प्राइवेसी
सेटिंग्स संबंधी विशेष और आवश्यक रूप से ध्यान देना चाहिए। अन्यथा समाचार
एकत्र करने से लेकर रिपोर्टिंग में पर्याप्त डिजिटल सुविधाओं की कमी और
अप्रशिक्षित कर्मियों के कारण पत्रकारिता की अनेक धाराएं उपेक्षित और असफल होती
हैं। क्षेत्रीय स्तर पर पत्रकारिता और डिजिटल संचार प्रौद्योगिकी का कार्य
अपेक्षाकृत तकनीकी संपन्नता के कारण भी पीछे हैं। मोबाइल पत्रकारिता के युग में
प्रशिक्षित पत्रकारों तथा पत्रकारीय सरोकार के साथ कार्य निष्पादित होने के लिए
डिजिटल सुविधाओं का उपयोग व नियोजन करना भी इस पेशे की विशेष चुनौती है। तकनीकी
एवं दृष्टिगत विफलता के कारण पत्रकारिता का पर्याय भी संकट में है। दूसरी ओर
पत्रकारिता में नैतिक मानदण्डों के प्रयोग डिजिटल तकनीक की बढ़ोतत्तरी के साथ
खतरे में आने लगे हैं। अभिव्यक्ति के नाम पर अनेक प्रकरण की वैधानिकता पर विचार
किए हुए ही ऑनलाइन माध्यमों से विसतारित करने से जो संकट है वह पत्रकारिता की साख
पर प्रश्नचिन्ह्न उत्पन्न करता है।
निष्कर्ष : डिजिटल
मीडिया और ऑनलाइन माध्यम अपने उपयोगकर्ताओं,
श्रोता-दर्शकों
पर गहरी छाप छोड़ते हैं। नए जनसंचार माध्यमों में यह क्षमता है कि वे एक
प्रभावकारी बहाव में लाने वाला एक सशक्त उपकरण है। इसी कारण सूचना,
समाचार स्पष्टता के बावजूद भ्रामक है,
संदेहास्पद
प्रणाली में संचारित होती हैं। संचार चिंतकों की माने तो डिजिटल मीडिया के इस
प्रभावी प्रारूप ने संचार तकनीक और ग्राह्यता की परिस्थितियों को बदल कर रख डाला है।
संचार माध्यमों का विस्तार और उसका अधिकतर अंश डिजिटल मंचों की ओर उन्मुख हो गया
है। बावजूद इसके आचार-विचार, मानवीय
मूल्यों व निर्णायक संबंधों को डिजिटलाइज नहीं किया जा सकता है। तकनीकी विकास से उपजी
साइबर संस्कृति ने मानव और तकनीक संचार की सुगमता को हस्तक्षेप कर अनेक रचनात्मकता
दिग्भ्रमित भी किया है। डिजिटल मीडिया की पहुंच को संयमित एवं तर्कसम्मत बनाये
जाने की आवश्यकता है। इसमें संप्रेषक, माध्यम,
सामग्री
निर्माणकर्ता, प्राप्तकर्ता
सहित प्रतिपुष्टि करने वाले प्रत्येक जनमानस की भागीदारी और भूमिका महत्वपूर्ण
रहेगी। वहीं शासन, प्रशासन
एवं राजनीति को वैश्विक स्तर पर डिजिटल संसाधनों के लिए उत्तरदायी व मूल्यपरक बनना
होगा। उपयोगकर्ता और प्रेषक के बीच समेकित नीति व संचार के सहज मार्ग विकसित करना
होगा। संचार की किसी भी अवस्था को देखें या उसके साधनों का उपयोग मानव व सामाज के
विकास का उपक्रम होना चाहिए। आज डिजिटल माध्यमों की उपस्थिति में संप्रेषणीयता और
संचार प्रक्रिया को मानवोन्मुखी बनाना आवश्यक है। यथा,
कि
संचार के प्रत्यके उपकरण आदि संवाद स्थापना
से परिपूर्ण हों तथा सत्यता का पुट और प्रकटीकरण रहे। वहीं जनसूचना का वातावरण
सामाजिक हिस्सा हो। सूचना संस्कृति से विकास संबंधी प्रक्रियाएं प्रज्जवालित
हों। संचार समस्याओं पर डिजिटल मूल्यों का चयन और उपयोगी होना प्राथमिकता रहे।
डिजिटल संस्कृति से अपसंस्कृति का निर्माण न हो और साइबर अपराध पर नियंत्रण हेतु
नीति एवं नियमों को सुनिश्चित कराया जाए। वहीं डिजिटल असमानता के आयामों पर
समय-समय पर विशिष्ट शोध व अध्ययन करने के पश्चात डिजिटल असमानता पर चिंतन करने
की आवश्यकता है। ऑनलाइन माध्यमों पर सतर्क और प्रभावी काम करने की जागरूकता के
साथ गुणवत्तापरक संचार प्रबंधन हेतु शिक्षा एवं आचार व्यवहार को प्रेरित करना भी
डिजिटल युग की प्राथमिकता होनी चाहिए।
विश्वसनीय समाचार और संचार संप्रेषणीयता की
विश्वसनीयता बनाए रखना आज बड़ी चुनौती है। तकनीकी प्रशिक्षण की कमी और साइबर सुरक्षा
के मानकों पर बल देना आवश्यक है। संचार माध्यमों के स्वामित्व संबंधी प्रभावों ने पत्रकारिता में
हस्तक्षेप बढ़ाया जिसकी वजह से श्रंखलायुक्त माध्यमों में भी प्रभाव दिखाई देता
है।
सुझाव एवं अनुकरणीय बिंदु :
संचार
प्रौद्योगिकी के विस्तारवादी युग में डिजिटल संचार तकनीक की संभावनाएं और
पत्रकारीय चुनौतियां हेतु निम्नलिखित सुझाव अपेक्षित हैं-
§ सभी
संप्रेषकों से सावधानी और अनुचित कार्यों के संबंध में घोषणापत्र आदि को प्राप्त
किया जाए।
§ संचार
माध्यमों के लिए कार्य करने वाले सभी पत्रकारों,
संपादकों,
नियंत्रक
प्राधिकारी, स्वामी
सहित सभी व्याक्तियों पर पत्रकारीय उद्देश्य के सरोकारों के साथ सावधानी के
दायित्व पर कार्य करने का आचारण स्थापित हो।
§ राष्ट्रीय
उन्नयन की भावना से संचार और पत्रकारिता के अवयवों में राष्ट्रीय सद्सभावना,
शिष्टाचार,
सदाचार
व सौहार्द को बनाया रखने की बाध्यता रहे। वहीं इसके प्रतिकूल कार्यों पर उल्लंघन
की कार्यवाही पर विचार हो।
§ आपराधिक
पक्षधरता और दुर्भवना से प्रेरित किसी पत्रकारीय क्रम को डिजिटल संसाधनों द्वारा
मीडिया के पेशे से दूर रखा जाए।
§ डिजिटल
संचार में लापरवाही, उपेक्षायुक्त
और कपटपूर्ण तथ्यों जैसी सामग्री को नियंत्रण नीति का समान रूप से अनुपालन।
§ मीडिया
उद्योग के सभी उपक्रमों को पत्रकारीय मानक के पालन तथा उन्नयन हेतु मीडिया विधि के अद्यतन कार्यशालाओं व संगोष्ठी
आयोजन करने की आवश्यक है।
§ मीडिया घरानों तथा इकाई सम्यक आत्मनियंत्रण, आचार संहिता और नियमन के अनुकूल संचालित हों।-
हिंदी पुस्तकें -
1. कुलश्रेष्ठ, वी. (2012). साइबर पत्रकारिता. जयपुर: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी.
2. चतुर्वेदी, जे. (2014). डिजिटल कैपीटलिज्म फेसबुक संस्कृति और मानवाधिकार. नई दिल्ली: अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लि.
3. चतुर्वेदी, जे. (2012). जनमाध्यम प्रौद्योगिकी और विचारधारा. नई दिल्ली: अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लि.
4. पचौरी, एस. (2003). साइबर स्पेस और मीडिया. नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन.
5. माथुर, एस. (2010). वेब पत्रकारिता. जयपुर: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी.
6. मंडल, डी. (2011). कॉर्पोरेट मीडिया: दलाल स्ट्रीट. नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन.
7. शिलर, एच. आई. (2002). संचार माध्यम और सांस्कृतिक वर्चस्व(आर. के. सिंह, अनु.). नई दिल्ली: ग्रंथ शिल्पी
8. हर्षदेव, (2010). क्राइम कानून और रिपोर्टर. नई दिल्ली: भारतीय पुस्तक न्यास.
शोध लेख –
9. वर्मा, संदीप कुमार (जनवरी-मार्च, 2020) ‘डिजिटल संचार प्रौद्योगिकी की कसौटियां’. (पृ. 27-30). कोलाकाता: पैरोकार (मीडिया विशेषांक).
अंग्रेजी पुस्तकें –
10. Aiken, M. (2016). The Cyber Effect. London: John Murray.
17. Shodhganga@INFLIBNET: Bharat main web sanchar madhyam aur cyber apradh web communication in India and cyber crime. (n.d.). Shodhganga : a reservoir of Indian theses @ INFLIBNET.
18. https://shodhganga.inflibnet.ac.in/jspui/handle/10603/452593
19. https://www.bbc.com/hindi
20. https://www.cyberswachhtakendra.gov.in/
21. https://cybercrime.gov.in/
22. https://www.cyberswachhtakendra.gov.in/
23. https://digitalpolice.gov.in/ncr/rdr.aspx?viewtype=1
24. https://www.google.co.in/
25. https://www.livehindustan.com
26. https://ncdrc.res.in/
27. https://www.news18.com
28. https://www.india.gov.in/national-cyber-security-policy-2013
सम्पादक-द्वय : डॉ. माणिक व डॉ. जितेन्द्र यादव चित्रांकन : सौमिक नन्दी
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