शोध आलेख : भारत तथा ऑस्ट्रेलिया की अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या का तुलनात्मक विश्लेषण / डॉ. गौरव शर्मा, मेघा कौशिक व प्रो. आशीष रंजन


भारत तथा ऑस्ट्रेलिया की अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या का तुलनात्मक विश्लेषण
- डॉगौरव शर्मा, मेघा कौशिक प्रो. आशीष रंजन

शोध सार : यह शोध पत्र भारत और ऑस्ट्रेलिया में अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या का एक तुलनात्मक विश्लेषणप्रस्तुत करता है। यह अध्ययन मूल्यांकनात्मक परिप्रेक्ष्य द्वारा निर्देशित है और दस्तावेजी विश्लेषण पद्धति का उपयोग करते हुए भारत में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम(आईटीईपी) और ऑस्ट्रेलिया में बैचलर ऑफ एजुकेशन(ऑनर्स) कार्यक्रम का केस स्टडी के माध्यम से तुलना करता है। दोनों कार्यक्रमों के पाठ्यचर्या  संरचनाओं, शैक्षणिक दृष्टिकोण और पेशेवर अनुभवों की तुलना करने का प्रयास किया गया है जो उनकी शासन संरचनाओं और प्रभावित करने वाले कारकों में एक तुलनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। भारत में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) और ऑस्ट्रेलियाई शिक्षण और स्कूल नेतृत्व संस्थान (एआईटीएसएल) के बीच अध्यापक शिक्षा प्रशासन में समानताएं और असमानताएं जानने का प्रयास किया गया है। पाठ्यचर्या का तुलनात्मक मूल्यांकन पाठ्यक्रम संरचना, सांस्कृतिक संदर्भ, मूल्यांकन विधियों और शिक्षक तैयारी के फोकस में अंतर का खुलासा करते हैं।

बीज शब्द : अध्यापक शिक्षा, पाठ्यचर्या, तुलनात्मक विश्लेषण, शैक्षणिक दृष्टिकोण, परिणाम-आधारित शिक्षा दृष्टिकोण, अध्यापक शिक्षा नियामक निकाय, केस अध्ययन, शिक्षाशास्त्र, अनुभवात्मक शिक्षा,पाठ्यक्रम।

मूल आलेख : विभिन्न देशों के बीच अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या का तुलनात्मक विश्लेषण गहरा महत्व रखता है। यह तुलना भविष्य के शिक्षकों को तैयार करने में विविध दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में मदद कर सकती है (होम्स और मैकलीन, 2018) पाठ्यचर्या के ढांचे की जांच करके शिक्षकों और नीति निर्माताओं के बीच अंतर-सांस्कृतिक संवाद और सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है तथा अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र की विभिन्न चुनौतियों को समझने में मदद मिल सकती है। तुलनात्मक अध्ययन अनुसंधान सुधार और नवाचार के क्षेत्रों की पहचान कर सकता है एवं वैश्विक योग्यता और सांस्कृतिक रूप से उत्तरदायी शिक्षण को बढ़ावा दे सकता है। वैश्विक स्तर पर अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों की गुणवत्ता और प्रासंगिकता को बढ़ाने के लिए साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण की जानकारी हेतु इस तरह का अध्ययन उपयोगी साबित हो सकता है तथा समकालीन शैक्षिक परिदृश्य की जटिलताओं को संबोधित करने में भी सहयोगी हो सकता है (टैटो, 2015) पाठ्यचर्या को नीति और रूपरेखा विश्लेषण के व्यापक संदर्भ में रखने से शैक्षिक प्रक्रियाओं और परिणामों को प्रभावित करने वाले कारकों की अधिक व्यापक समझ बनती है (वूग्ट और रॉबिन्सन, 2015) भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की अध्यापक शिक्षा प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन, शोधकर्ताओं के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। यह विशेष रूप से अनुभवात्मक शिक्षा पर जोर देकर, शैक्षणिक नवाचार को बढ़ावा देते हुए, अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ बेंचमार्किंग, शिक्षा प्रणालियों की खूबियों तथा  कमजोरियों की पहचान करने और वैकल्पिक मॉडल की खोज करके नीति विकास को सूचित करने में सक्षम बनाता है (हॉबडे, 2005) यह तुलनात्मक विश्लेषण विविधता को भी संबोधित करता है, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है तथा भारतीय शिक्षण शिक्षा कार्यक्रमों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता को बढाने में मददगार साबित हो सकता है। इस प्रकार के अध्ययन से हम अध्यापक शिक्षा में सुधार, नीतिगत अंतर्दृष्टि, नवाचार, समावेशन रणनीतियों, सहयोग, मान्यता और वैश्विक तैयारियों के लिए नयी राहें खोज सकतें  हैं।

शोध उद्देश्य -

इस अध्ययन के उद्देश्य निम्न हैं:

1.     भारत और ऑस्ट्रेलिया में अध्यापक शिक्षा की देखरेख के लिए जिम्मेदार  संरचनाओं को समझना।

2.     भारत और ऑस्ट्रेलिया की अध्यापक शिक्षा  पाठ्यचर्या प्रणालियों का अध्ययन करना।

3.     भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अध्यापक शिक्षा  में परिणाम-आधारित शिक्षा दृष्टिकोण की जांच और तुलना करना।

4.     भारत और ऑस्ट्रेलिया की  अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या  में समानता और अंतर की पहचान करना।

शोध की  रूपरेखा -

इस अध्ययन के लिए पाठ्यचर्या की अवधारणा मार्श और विलिस (1995) द्वारा पाठ्यचर्या की सात अवधारणाओं में से दो अवधारणाओं से प्रेरित है। इस शोध पत्र के लिए पाठ्यचर्या की संक्रियात्मक परिभाषा शैक्षिक सन्दर्भों में स्थापित ज्ञान और नियोजित अधिगम  को शामिल करते हुए की गयी है। स्थापित ज्ञान की अवधारणा विषयों और सामग्री पर केंद्रित है (मार्श एंड विलिस, 1995) प्रस्तावित विषयों का चयन स्थापित शैक्षणिक विषयों पर आधारित है जो उन घटकों के रूप में उभरे हैं जिनके इर्द-गिर्द शैक्षणिक संस्थान संगठित होते हैं। पाठ्यचर्या की नियोजित अधिगम संकल्पना में अभीष्ट शिक्षण परिणाम शामिल होते हैं जिन्हें संस्थागत जिम्मेदारी के रूप में शामिल किया जाता है। इनमें विभिन्न तत्व जैसे उपलब्ध विषय, पाठ्येतर गतिविधियों और शैक्षिक संस्थान द्वारा व्यवस्थित वैकल्पिक शैक्षिक तौर-तरीके शामिल हैं। इसमें निहित एक बाधा इस धारणा में निहित है कि शिक्षाशास्त्र इरादतन सीधे प्रामाणिक शैक्षिक अभिग्रहण के अनुरूप होता  है।

पाठ्यचर्या की विविध व्याख्याएँ सामाजिक विचारधाराओं से प्रभावित होती हैं, जो समाज के भीतर स्कूली शिक्षा के अपेक्षित  कार्य, ज्ञान अर्जन की अवधारणाओं तथा  शिक्षकों और छात्रों की जिम्मेदारियों से संबंधित मानक दृष्टिकोण और मान्यताओं में निहित हैं। पाठ्यचर्या की व्युत्पत्ति को समझने के लिए एडमसन और मॉरिस (2007) द्वारा वर्णित निम्नलिखित छह सामाजिक विचारधाराओं को ध्यान में रखा गया है।

·       शैक्षणिक तर्कवाद, उपदेशात्मक शिक्षण विधियों को नियोजित करते हुए, भौतिकी और गणित जैसे पारंपरिक शैक्षणिक विषयों में स्थापित ज्ञान के प्रसारण को प्राथमिकता देता है।

·       आर्थिक दक्षता शिक्षा को मुख्य रूप से सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मानव पूंजी विकसित करने के एक उपकरण के रूप में देखती है, जिसमें व्यावहारिक कौशल और नागरिक मूल्यों पर जोर दिया जाता है।

·       सामाजिक पुनर्निर्माणवाद शिक्षा को सामाजिक अन्याय को दूर करने और व्यक्तियों को सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए सशक्त बनाने के माध्यम के रूप में देखता है।

·       रूढ़िवादी, विविधता के प्रति कम सहिष्णुता के साथ, विशिष्ट विश्वास प्रणालियों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करता है, चाहे वह धार्मिक हो या राजनीतिक।

·       प्रगतिवाद शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण की वकालत करता है तथा सीखने की प्रक्रिया में स्वायत्तता और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।

·       संज्ञानात्मक बहुलवाद एक ऐसी पाठ्यचर्या को बढ़ावा देता है जो छात्रों को लगातार बदलती दुनिया में  प्रभावी ढंग से अनुकूलन करते हुए बुद्धि और दक्षताओं के विविध रूपों को पहचानती है और समायोजित करती  है।

इस तुलनात्मक अध्ययन की रूपरेखा एडमसन और मॉरिस (2007) द्वारा तुलनात्मक पाठ्यचर्या जांच की प्रक्रिया को आकार देने के लिए डिजाइन किए गए त्रिपक्षीय ढांचे द्वारा प्रमुख रूप से प्रभावित है। यह रूपरेखा तीन परस्पर जुड़े आयामों को चित्रित करती है:


चित्र 1. उद्देश्य और परिप्रेक्ष्य


यह ढांचा इस मूलभूत अवधारणा पर आधारित है कि शोधकर्ता किन्ही विशिष्ट उद्देश्यों के साथ पूछताछ शुरू करते हैं, चाहे वह व्यावहारिक ही क्यों हो, जैसे कि नीति-निर्माण या नवीन अंतर्दृष्टि उत्पन्न करने के उद्देश्य। किसी उद्देश्य को अपनाने में स्वाभाविक रूप से एक परिप्रेक्ष्य का चयन शामिल होता है, जो शोध प्रश्नों के निर्माण का मार्गदर्शन करता है और जांच के लिए पाठ्यचर्या के भीतर केंद्र बिंदुओं की पहचान करता है।

उद्देश्य को तीन दृष्टिकोणों में वर्गीकृत किया जा सकता है -

1. मूल्यांकनात्मक परिप्रेक्ष्य- इसमें पाठ्यचर्या के बारे में सुविज्ञ निर्णय लेने के लिए साक्ष्य का उपयोग करना शामिल है, जैसे स्कूल प्रदर्शन रैंकिंग बनाना या माता-पिता का स्कूलों का चयन करना;

2. व्याख्यात्मक परिप्रेक्ष्य- यह पाठ्यचर्या का विश्लेषण और व्याख्या करने पर केंद्रित है, जैसे कि पाठ्यचर्या के ऐतिहासिक संदर्भ पर शोध करना;

3. आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य- इसमें उत्तर औपनिवेशिक या नारीवादी दृष्टिकोण जैसे पूर्व निर्धारित ढांचे के माध्यम से पाठ्यचर्या पर सवाल उठाना शामिल है, जो समानता, न्याय या सामाजिक पुनर्निर्माण में रुचि रखने वाले शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी है।

(एडम्सन और मॉरिस, 2007)

ये तीन दृष्टिकोण पाठ्यचर्या  को समझने और उसका  मूल्यांकन करने के लिए अलग-अलग लेंस प्रदान करते हैं। इनमे से प्रत्येक पाठ्यचर्या के विकास, कार्यान्वयन और समाज पर प्रभाव में अद्वितीय अंतर्दृष्टि का योगदान देता है।वर्तमान अध्ययन के लिए मूल्यांकनात्मक परिप्रेक्ष्य पर को लिया गया है जो पाठ्यचर्या के विकास और कार्यान्वयन के दौरान सुविज्ञ निर्णय लेने में मदद कर सकता है।

पाठ्यचर्या फोकस और अभिव्यक्तियाँ

पाठ्यचर्या की गतिशील और बहुआयामी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, अनुसंधान प्रयासों को परिष्कृत करने के लिए विशिष्ट पहलुओं की गहराई में जाना अनिवार्य हो जाता है। निम्नलिखित तत्वों पर ध्यान देकर, शोधकर्ता पाठ्यचर्या डिजाइन, कार्यान्वयन और प्रभाव में निहित जटिलताओं पर बेहतर तथा समग्र परिप्रेक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

·       सामाजिक  विचारधाराओं और संस्कृतियों के प्रभाव का अन्वेषण  शैक्षिक उद्देश्यों को आकार देने वाले व्यापक प्रासंगिक कारकों के संधर्भों में  अंतर्दृष्टि प्रदान करता  है।

·       पाठ्यचर्या विकास की प्रक्रियाओं और परिणामों की जांच करने से इस बात की व्यापक समझ मिलती है कि समय के साथ शैक्षिक ढांचे को कैसे संरचित और परिष्कृत किया जाता है।

·       शिक्षण और सीखने के अनुभव प्रदान करने के तरीकों की जांच शैक्षिक सन्दर्भों  के भीतर पाठ्यचर्या लक्ष्यों और रणनीतियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन पर प्रकाश डालती है।

·       अंत में, योजनाबद्ध और अनियोजित घटनाओं, मूल्यों तथा संदेशों को शामिल करते हुए शिक्षार्थी के अनुभवों का विश्लेषण, इस बात की सूक्ष्म जांच की अनुमति देता है कि व्यक्ति पाठ्यचर्या के साथ कैसे अंतः क्रिया  करते हैं, तथा उसके साथ समावेशन  करते हैं और अंततः अपनी शैक्षिक यात्रा और परिणामों को आकार देते हैं।

(एडम्सन और मॉरिस, 2007)

वर्तमान अध्ययन में पहले दो विचारों पर ही आधारित है क्योंकि भारत में अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या  (आईटीईपी) अपने शुरुआती चरण में है।

शोध पद्धति

इस शोध पत्र की पद्धति में भारत और ऑस्ट्रेलिया की  शिक्षा शिक्षा पाठ्यचर्या की तुलना करने के लिए दस्तावेजी विश्लेषण दृष्टिकोण शामिल है। यह शोध पत्र सैद्धांतिक रूपरेखा स्थापित करने के लिए साहित्य समीक्षा से शुरू होता है और फिर दोनों देशों के आधिकारिक दस्तावेजों, नीति पत्रों और पाठ्यचर्या दिशानिर्देशों का व्यापक विश्लेषण करता है। यह तुलनात्मक अध्ययन दोकेसोंके तुलनात्मक अध्ययनों पर केंद्रित है: भारत में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) और ऑस्ट्रेलिया में बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) दोहरी उपाधि कार्यक्रम। डेटा संग्रह में विभिन्न स्रोतों से दस्तावेज़ एकत्र करना शामिल है। डेटा विश्लेषण में विषयगत विश्लेषण और सामग्री विश्लेषण विधियां शामिल हैं। निष्कर्षों की वैधता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए डेटा स्रोतों के त्रिकोणीय सर्वेक्षण का उपयोग किया गया है। कुल मिलाकर, इस पद्धति का उद्देश्य भारत और ऑस्ट्रेलिया में अध्यापक शिक्षा को प्रभावित करने वाली शासन संरचनाओं, पाठ्यचर्या ढांचे और शैक्षिक प्रथाओं में जरूरी  अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।

 

भारत और ऑस्ट्रेलिया में अध्यापक शिक्षा नियामक निकाय

भारत

 राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 के तहत स्थापित, एनसीटीई (NCTE) भारत में अध्यापक शिक्षा को नियंत्रित करने वाले प्राथमिक प्राधिकरण (एनसीटीई, 2024) के रूप में कार्य करती है। इसके अधिदेश में देश भर में अध्यापक शिक्षा के नियोजन, समन्वित तथा व्यवस्थित विकास की देखरेख करना जिसमें प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी.एल.एड), शिक्षा स्नातक (बी.एड), शिक्षा में स्नातकोत्तर (एम.एड) जैसे कार्यक्रमों के लिए मानदंडों और मानकों को विनियमित करना शामिल है। एनसीटीई की संगठनात्मक संरचना में नई दिल्ली स्थित प्रभाग और क्षेत्रीय समितियां शामिल हैं, जो सर्वेक्षण आयोजित करने, सिफारिशें प्रदान करने, अध्यापक शिक्षा प्रयासों का समन्वय करने और अनुसंधान को बढ़ावा देने जैसे विभिन्न कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। एनसीटीई के नेतृत्व में प्रमुख पहलों में एकीकृत अध्यापक शिक्षा  कार्यक्रम (आईटीईपी) और नेशनल मिशन फॉर मेंटरिंग (एनएमएम) शामिल हैं, जो 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में उल्लिखित उद्देश्यों के साथ निकटता से संरेखित हैं (एनसीटीई, 2024)

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में एक प्रारंभिक अध्यापक शिक्षा (आईटीई) कार्यक्रम को ऑस्ट्रेलियाई शिक्षण और स्कूल नेतृत्व संस्थान (एआईटीएसएल) द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय स्तर पर सहमत मान्यता मानकों और प्रक्रियाओं के अनुरूप साक्ष्य के आधार पर मान्यता दी जाती है। राज्य और क्षेत्रीय शिक्षक नियामक प्राधिकरण इन मानकीकृत प्रक्रियाओं का उपयोग करके सभी ऑस्ट्रेलियाई आईटीई कार्यक्रमों को मान्यता देते हैं। एआईटीएसएल, राष्ट्रमंडल निगम अधिनियम 2001 के तहत गारंटी द्वारा सीमित एक सार्वजनिक कंपनी के रूप में स्थापित है तथा ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा प्रणाली (AITSL, 2022) के भीतर अध्यापक शिक्षा को नियंत्रित करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। राष्ट्रीय शिक्षा ढांचे के भीतर काम करते हुए, एआईटीएसएल राज्यों, क्षेत्रों और शैक्षिक क्षेत्रों में हितधारकों के साथ बड़े पैमाने पर सहभागी रूप में काम करता है। संस्थान के प्राथमिक उद्देश्यों में संपूर्ण शिक्षा सातत्य में प्रभावी शिक्षण और नेतृत्व को बढ़ावा देना शामिल है (एआईटीएसएल, 2022) एआईटीएसएल की जिम्मेदारियों में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सहायता करना, व्यावसायिक विकास पहल को सुविधाजनक बनाना और शिक्षकों की विशेषज्ञता को पहचानना शामिल है। सरकारों, शिक्षा संघों, नियोक्ताओं और पेशेवर संघों जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, एआईटीएसएल शैक्षिक गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं को क्रियान्वित करता है। ऑस्ट्रेलिया में प्रत्येक राज्य और क्षेत्र का अपना संबंधित शिक्षक नियामक प्राधिकरण है जो शिक्षक पंजीकरण और मानकों की देखरेख के लिए जिम्मेदार है, जो की इस प्रकार  हैं:

ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र - शिक्षक गुणवत्ता संस्थान

न्यू साउथ वेल्स - एनएसडब्ल्यू शिक्षा मानक प्राधिकरण

उत्तरी क्षेत्र - उत्तरी क्षेत्र का शिक्षक पंजीकरण बोर्ड

क्वींसलैंड - क्वींसलैंड कॉलेज ऑफ टीचर्स

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया - दक्षिण ऑस्ट्रेलिया का शिक्षक पंजीकरण बोर्ड

तस्मानिया - तस्मानिया का शिक्षक पंजीकरण बोर्ड

विक्टोरिया - विक्टोरियन शिक्षण संस्थान

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया - पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया का शिक्षक पंजीकरण बोर्ड

(एआईटीएसएल, 2024)


भारत और ऑस्ट्रेलिया में स्कूली शिक्षा में शैक्षणिक संरचनाएँ

पाठ्यचर्या की तुलना करने से पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया में स्कूली शिक्षा में शैक्षणिक संरचनाओं की तुलना करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों देशों में अध्यापक शिक्षा पाठ्यचर्या की प्रभावकारिता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। इस तरह की तुलनाएं दो देशों में अध्यापक शिक्षा कार्यक्रमों और स्कूली शिक्षा के बीच संरेखण की जांच करने की अनुमति देती हैं। निम्न तालिका दो देशों के बीच की संरचना की व्याख्या करती है

भारत

ऑस्ट्रेलिया

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में 5+3+3+4 पाठ्यचर्या संरचना का प्रस्ताव दिया गया है, जहां पहले पांच साल मूलभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

·       फाउंडेशनल स्टेज (आयु वर्ग   3-8 वर्ष ) कक्षा  (आंगनवाडी/ प्रेस्कूल/बालवाटिका  कक्षा  1 एंड 2)

·       प्रीपेरेटरी स्टेज (आयु वर्ग   8-11 वर्ष ) कक्षा  3-5

·       मिडल स्टेज (आयु वर्ग   11-14 वर्ष ) कक्षा 6-8

·       सेकेंडरी स्टेज (आयु वर्ग   14-18 वर्ष ) कक्षा  9-12

  • प्राथमिक विद्यालय: सात या आठ वर्ष, फाउंडेशन से शुरू (किंडरगार्टन/प्रीपरेटरी/प्री-स्कूल भी कहा जाता है) (उम्र 5-12)
  • माध्यमिक विद्यालय: चार वर्ष (आयु 13-16)
  • वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय: दो वर्ष (आयु 17-18)

 तालिका 1

 

पाठ्यचर्या  का तुलनात्मक विश्लेषण: भारत में आईटीईपी बनाम ऑस्ट्रेलिया में मोनाश विश्वविद्यालय

भारत और ऑस्ट्रेलिया में दो स्नातक कार्यक्रमों की तुलना करने के लिएकेस स्टडीपद्धति को चुना गया है (हॉल, 2014; रासमुसेन 2014; एडमसन, 2012; लेविन 2003) केस स्टडी पद्धति का उपयोग भारत और ऑस्ट्रेलिया के वास्तविक जीवन के संदर्भ में पाठ्यचर्या डिजाइन, कार्यान्वयन और परिणामों के गहन विश्लेषण की संभावना बनती है। संस्थागत ढांचे के भीतर निष्कर्षों को प्रासंगिक बनाकर, शोधकर्ता अध्यापक  शिक्षा प्रणालियों को आकार देने वाले विविध प्रभावों में गहरी दृष्टि प्राप्त करते हैं। तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से, पाठ्यचर्या सामग्री, शैक्षणिक दृष्टिकोण और छात्र परिणामों में समानताएं और अंतर की पहचान की जाती है। ऑस्ट्रेलिया में बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) दोहरी डिग्री कार्यक्रम और भारत में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) दो प्रमुख अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए इच्छुक शिक्षकों को आवश्यक ज्ञान, कौशल और दक्षताओं से लैस करने हेतु तैयार किए गए हैं। भारत में आईटीईपी कार्यक्रम और मोनाश विश्वविद्यालय में बैचलर ऑफ एजुकेशन डुअल डिग्री प्रोग्राम दोनों सामान्य संरचनात्मक तत्वों को साझा करते हैं, जैसे कि चार साल का डुअल डिग्री प्रोग्राम। कार्यक्रम की अवधि और दोहरी डिग्री प्रारूप में यह समानता कार्यक्रम सुसंगतता, विषयवस्तु की गहराई और विशेषज्ञता के अवसरों के संदर्भ में तुलना के लिए आधार प्रदान करती है। तुलनात्मक विश्लेषण निम्नलिखित विषयों में किया गया है -

प्रारुप विशिष्टताएँ

निम्नलिखित तालिका प्रारुप विशेषताओं की तुलना करती है:

विशेषता

आईटीईपी

बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स)

लचीलापन

यह एक से चार वर्षों के अध्ययन के दौरान पूर्ण किए गए क्रेडिट के आधार पर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या स्नातक डिग्री प्रदान करते हुए कई निकास  और पुनः प्रवेश विकल्प प्रदान करता है।

यह  प्राथमिक या माध्यमिक शिक्षा विशेषज्ञता के साथ बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) के लिए एकल या दोहरी डिग्री विकल्पों के बीच विकल्प प्रदान करता है।

 

डिग्री विशेषज्ञता

 

यह  शिक्षा  में विशेषज्ञता की अनुमति देता है और क्रेडिट आवश्यकताओं को पूरा करने पर दोहरी प्रमुख स्नातक डिग्री प्रदान करता है।

इसमे बाहर निकलने के विकल्प सीमित हैं, जिसमें जल्दी बाहर निकलने पर विशेष बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) डिग्री के लिए कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन विकल्प के रूप में बैचलर ऑफ एजुकेशन स्टडीज या बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्रदान की जाती है

क्रेडिट आवश्यकताएँ और पाठ्यचर्या संरचना

इसमें  क्रेडिट आवश्यकताएं वांछित योग्यता के आधार पर भिन्न होती हैं, जिससे पाठ्यक्रम पूरा करने में लचीलापन मिलता है।

इसमें दोनों डिग्री के लिए विशिष्ट क्रेडिट बिंदु आवश्यकताओं को निर्धारित करता है।

 तालिका 2


सिद्धांत और सीखने के परिणाम

भारत में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) ने अपने सिद्धांतों को मुख्यता राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से लिया है। ऑस्ट्रेलिया में स्नातक ऑनर्स एजुकेशन डुअल डिग्री प्रोग्राम ऑस्ट्रेलियन प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फॉर टीचर्स (एपीएसटी) द्वारा निर्देशित है जो शिक्षकों के व्यावसायिकता और उनके संबंधित संदर्भों में विकास का मार्गदर्शन करने वाले मौलिक सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करते हैं। स्नातक ऑनर्स डुअल डिग्री प्रोग्राम की पाठ्यचर्या अपने अंतर्निहित विषयों  के अधिगम परिणामों के साथ-साथ पूरे कार्यक्रम के सीखने के परिणामों की व्याख्या अलग से करती  है। जबकि आईटीईपी पाठ्यचर्या अपने अधिगम  परिणामों  की अलग से व्याख्या नहीं करता है। हालाँकि दोनों रूपरेखाओं का उद्देश्य शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाना और छात्रों के सीखने के परिणामों में सुधार करना है, मगर ये उद्देश्य निम्नलिखित तालिका में अपने दृष्टिकोण में कुछ महत्वपूर्ण अंतर प्रदर्शित करते हैं:

      समानताएं

                    अंतर

व्यावसायिक विकास पर जोरआईटीईपी और बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) दोनों शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के महत्व पर जोर देते हैं। वे छात्रों और समाज की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षकों को अपने ज्ञान, कौशल और व्यवहारों  में लगातार सुधार करने की आवश्यकता को महत्त्व देते  हैं।

 

छात्र-केंद्रित शिक्षा: दोनों पाठ्यचर्या  छात्र विविधता और व्यक्तिगत सीखने की ज़रूरतों को समझने को प्राथमिकता देती हैं। वे समावेशी शिक्षण व्यवहारों को तव्वजों देती हैं जो बहुभाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को पूरा करती हैं, जिससे सभी छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित हो सकती  है।

 

चिंतनशील अभ्यास: आईटीईपी और एपीएसटी दोनों शिक्षकों के बीच चिंतनशील अभ्यास को बढ़ावा देती  हैं शिक्षकों को अपनी शिक्षण विधियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने, छात्रों के सीखने के परिणामों का आकलन करने और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए समायोजन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

पाठ्यचर्या संरचनाआईटीईपी एक संतुलित पाठ्यचर्या  प्रदान करने पर केंद्रित है जो सैद्धांतिक शिक्षा को व्यावहारिक अनुभवों के साथ जोडती है। इसका प्रयास  है कि छात्र-शिक्षक शैक्षिक अवधारणाओं और शिक्षाशास्त्र में एक मजबूत आधार विकसित करें। एपीएसटी तीन क्षेत्रों में विशिष्ट पेशेवर मानकों को रेखांकित करता है: व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक अभ्यास और व्यावसायिक जुड़ाव, ऑस्ट्रेलिया में शिक्षकों से अपेक्षित ज्ञान, कौशल और व्यवहार को रेखांकित करता है।

 

सांस्कृतिक संदर्भ: आईटीईपी भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में सामाजिक जुड़ाव, विविधता और नवीन शिक्षाशास्त्र पर जोर देती  है। इसका उद्देश्य शिक्षकों को भारत में प्रचलित विविध सामाजिक मूल्यों और सांस्कृतिक गतिशीलता को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने और प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार करना है। एपीएसटी छात्र पृष्ठभूमि की विविधता  को समझने और सम्मान करने के महत्व को केंद्र में रखती है और विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में स्वदेशी या अल्पसंख्यक समुदायों के अद्वितीय सांस्कृतिक संदर्भ को ज्यादा संबोधित नहीं करता है।

 

शिक्षण के लिए तैयारी: आईटीईपी छात्र-शिक्षकों को प्रत्यक्ष शिक्षण अनुभवों के लिए तैयार करने और भारतीय शिक्षा प्रणाली के भीतर सक्षम और प्रभावी शिक्षकों के रूप में उनके विकास का समर्थन करने पर जोर देता है। दूसरी ओर, एपीएसटी शिक्षक तैयारी के व्यावहारिक पहलुओं के विशिष्ट संदर्भ के बिना, उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण मानकों को स्थापित करने और सहकर्मियों, माता-पिता और समुदाय के साथ पेशेवर रूप से जुड़ने पर ध्यान केंद्रित करती  है।


तालिका 3

 

    सामाजिक विचारधाराएँ

निम्नलिखित तालिका दो पाठ्यक्रमों की विभिन्न सामाजिक विचारधाराओं पर प्रकाश डालती है

आईटीईपी

बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स)

आईटीईपी पाठ्यचर्या की रूपरेखा में उल्लिखित सिद्धांतों के आधार पर तीन प्रमुख सामाजिक विचारधाराएं दिखाई देतीं हैं:

  • सामाजिक पुनर्निर्माणवाद:

साक्ष्य- सामाजिक जुड़ाव पर जोर, सामाजिक मूल्यों के साथ गहरा जुड़ाव, विविध समुदायों को समझना और विभिन्न संदर्भों में प्रभावी शिक्षण के लिए आवश्यक सांस्कृतिक विविधता की सराहना करना, भारत के विविध सामाजिक-आर्थिक और भाषाई संदर्भों की समझ और सराहना को बढ़ावा देना, विविध सीखने की जरूरतों को पूरा करने वाले समावेशी कक्षा वातावरण को बढ़ावा देना।

  • प्रगतिवाद:

साक्ष्य- सिद्धांत और व्यवहार का एकीकरण, सैद्धांतिक ज्ञान और वास्तविक  दुनिया के शिक्षण परिदृश्यों के बीच संबंध को बढ़ावा देना, शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करना, नवीन शिक्षाशास्त्र, अध्यापक शिक्षा संस्थानों और स्कूल इंटर्नशिप दोनों के भीतर सहयोगात्मक शिक्षा, वैचारिक समझ और रचनात्मकता पर ध्यान केंद्रित करना।

  • संतुलित पाठ्यचर्या:

साक्ष्य- व्यावहारिक अनुभव के साथ सैद्धांतिक शिक्षा का संयोजन, छात्र-शिक्षक शैक्षिक अवधारणाओं और शिक्षाशास्त्र में एक मजबूत आधार सुनिश्चित करना, शिक्षण-सीखने-मूल्यांकन प्रक्रियाओं के साथ शिक्षण की तैयारी, सिद्धांत और व्यवहार के एकीकरण पर जोर देते हुए प्रत्यक्ष शिक्षण अनुभव और सहायता प्रदान करना।

ये तीन विचारधाराएं सामूहिक रूप से आईटीईपी के लक्ष्यों और परिणामों को आकार देती हैं, जो सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने, विविध समुदायों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने और उनके शिक्षण दृष्टिकोण में सिद्धांत और व्यवहार को एकीकृत करने के लिए छात्र-शिक्षकों को तैयार करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती हैं।

इस पाठ्यचर्या में दिखने वाली तीन प्रमुख  सामाजिक विचारधाराएँ निम्नलिखित हैं:

  • सामाजिक पुनर्निर्माणवाद:

साक्ष्य- विश्व स्तर पर शिक्षार्थियों को सकारात्मक समृद्ध सीखने के अनुभवों में संलग्न करने पर जोर, जो सामाजिक सुधार और परिवर्तन की इच्छा को दर्शाता है, शिक्षार्थियों और उनके समुदायों के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और वैश्विक संदर्भों की पहचान और प्रतिक्रिया, सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान, सामाजिक अन्याय और असमानताओं को दूर करके एक बेहतर समाज बनाने के लक्ष्य के साथ जुड़कर नैतिक और समावेशी अभ्यास को बढ़ावा देना।

  • प्रगतिवाद:

साक्ष्य- पाठ्यक्रम डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण, व्यक्तिगत आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं पर जोर देना, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सहानुभूति, सम्मान और आत्मविश्वास की अपेक्षाएँ, सीखने में सहयोग और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना।

शैक्षिक अभ्यास में सुधार के लिए चल रहे पेशेवर अनुसंधान, सीखने और आत्म-प्रतिक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता, अनुकूलनशीलता, नवाचार और निरंतर सुधार पर ध्यान केंद्रित करना।

  • संज्ञानात्मक बहुलवाद:

साक्ष्य- पाठ्यक्रम में बुद्धिमत्ता, दक्षताओं और दृष्टिकोण के कई रूपों की पहचान और समायोजन, जटिल वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान, आलोचनात्मक विश्लेषण और समस्या-समाधान कौशल की अपेक्षाएं, शिक्षार्थियों में बहुमुखी प्रतिभा और लचीलेपन की आवश्यकता, विभिन्न शिक्षण शैलियों और संचार प्राथमिकताओं को स्वीकार करते हुए, प्रभावी संचार कौशल और विभिन्न प्रारूपों के माध्यम से विचारों को व्यक्त करने की क्षमता पर जोर दिया जाना।

 तालिका 4


पाठ्यक्रम की रूपरेखा

निम्नलिखित तालिका दोनों पाठ्यक्रमों की रूपरेखा दर्शाती है।

आईटीईपी

बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स)

आईटीईपी में निम्नलिखित सात पाठ्यचर्या घटक शामिल हैं:

1. प्रवेशण कार्यक्रम

2.शिक्षा की बुनियाद  (30 क्रेडिट)

भारतीय शिक्षा का विकास, बाल विकास और शैक्षिक मनोविज्ञान, शिक्षा के दार्शनिक और समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य, मूल्यांकन, समावेशी शिक्षा, स्कूल नेतृत्व और प्रबंधन पर परिप्रेक्ष्य पाठ्यक्रम योजना और विकास शिक्षा नीति विश्लेषण और एक वैकल्पिक विषय

यह पाठ्यक्रम चार विषयवस्तुओं  के माध्यम से विकसित होता है:

 

भाग . शिक्षा अध्ययन (36 क्रेडिट अंक)

पेशे का परिचय, शिक्षण और सीखने की योजना, शिक्षण और सीखने का आकलन, स्वदेशी परिप्रेक्ष्य और सीखना, समावेशी शिक्षा: विविध क्षमताओं वाले शिक्षार्थियों को पढ़ाना, शिक्षण प्रदर्शन का मूल्यांकन

3. विद्यालयी विषयक/अंतरविषयक पाठ्यक्रम (64 क्रेडिट)

स्कूल के किसी भी विषय  क्षेत्र से एक/दो विषय

भाग बी. विद्यालयी विषयक अध्ययन (108 क्रेडिट अंक)

इसमें विभिन्न स्कूल विषयों से संबंधित विशेषज्ञता का मुख्य क्षेत्र भी शामिल है

4. चरण-विशिष्ट सामग्री - सह - शिक्षाशास्त्र विषय  (16 क्रेडिट) प्रारंभिक बुनियादी  शिक्षा के शैक्षणिक आधार, पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्रीय, पाठ्यचर्या का संचालन, योजना, संगठन और प्री-स्कूल (I और II) शिक्षा की शैक्षणिक आवश्यकताओं का प्रबंधन, प्रारंभिक भाषा विकास का  शिक्षाशास्त्र, संख्यात्मकता और गणित की शिक्षाशास्त्र, हमारे आसपास की दुनिया की शिक्षाशास्त्र, कला एकीकृत शिक्षा का  शिक्षाशास्त्र

भाग सी . पाठ्यचर्या अध्ययन (72 क्रेडिट अंक)

अंग्रेजी और साक्षरता 1, अंग्रेजी और साक्षरता 2, गणित 1, गणित 2, अंग्रेजी और साक्षरता 3, अंग्रेजी और साक्षरता 4, शिक्षण प्रौद्योगिकी, प्राथमिक स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा, प्राथमिक रचनात्मक कला, प्राथमिक मानविकी और सामाजिक विज्ञान, विज्ञान शिक्षा, अग्रणी साक्षरता सीखना या अग्रणी गणित सीखना

5. क्षमता संवर्धन और मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम (28 क्रेडिट)

भाषा 1 (भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची के अनुसार), भाषा 2 ( भाषाके अलावा), कला शिक्षा (प्रदर्शन और दृश्य), भारत को समझना (भारतीय लोकाचार और ज्ञान प्रणाली) , शिक्षक और समाज, शिक्षा में आईसीटी, गणितीय और मात्रात्मक तर्क, खेल, पोषण और फिटनेस, योग और स्वयं को समझना, नागरिकता शिक्षा, संधारणता और पर्यावरण शिक्षा

 

 

 

 

 

 

6. शिक्षण में इंटर्नशिप सहित स्कूल अनुभव (20 क्रेडिट)

प्री-इंटर्नशिप अभ्यास (पाठ प्रदर्शन, सहकर्मी शिक्षण), स्कूल अवलोकन (क्षेत्र-अभ्यास), स्कूल-आधारित अनुसंधान परियोजना, शिक्षण में इंटर्नशिप, पोस्ट इंटर्नशिप (समीक्षा और विश्लेषण), शिक्षण अधिगम  सामग्री / कार्य अनुभव बनाना (शैक्षिक खिलौना बनाना, स्थानीय/पारंपरिक व्यवसाय, आदि)

7. सामुदायिक जुड़ाव और सेवा (2 क्रेडिट)

सामुदायिक जुड़ाव और सेवाएँ (एनएसएस से संबंधित गतिविधियों, नई साक्षरता कार्यक्रम आदि में भागीदारी)

भाग डी. व्यावसायिक अनुभव (0 क्रेडिट)

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव ,

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव बी,

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव बी,

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव डी,

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव बी,

प्राथमिक व्यावसायिक अनुभव सी

 

तालिका 5


पाठ्यचर्या संरचना

ऑस्ट्रेलिया का ऑनर्स कार्यक्रम एक संरचित पाठ्यचर्या का अनुसरण करती है जिसमें चार विषयगत क्षेत्र शामिल हैं: शिक्षा अध्ययन, पाठ्यक्रम अध्ययन, अनुशासन अध्ययन और व्यावसायिक अनुभव। प्रत्येक विषयगत क्षेत्र को छात्रों को शिक्षा सिद्धांतों, पाठ्यचर्या विकास, विषय-विशिष्ट शिक्षाशास्त्र और व्यावहारिक शिक्षण अनुभवों की व्यापक समझ प्रदान करने के लिए तैयार  किया गया है। वहीं , भारत में आईटीईपी कार्यक्रम एक बहु-विषयक पाठ्यक्रम संरचना को अपनाता है, जिसमें शिक्षा की नींव, अंतःविषय पाठ्यक्रम, चरण-विशिष्ट सामग्री-सह-शिक्षाशास्त्र, क्षमता संवर्धन और मूल्य-वर्धित पाठ्यक्रम और स्कूल अनुभव शामिल हैं। यह पाठ्यचर्या  ढांचा शिक्षाशास्त्र और सामग्री ज्ञान के एकीकरण पर जोर देता है, जिससे छात्रों को विशिष्ट विषय क्षेत्रों और शिक्षण पद्धतियों में विशेषज्ञता विकसित करने की अनुमति मिलती है।

शैक्षणिक दृष्टिकोण

दोनों कार्यक्रम शैक्षणिक ज्ञान के महत्व और विविध शैक्षिक संदर्भों में इसके अनुप्रयोग पर जोर देते हैं। ऑनर्स कार्यक्रम व्यक्तिगत पूछताछ, शिक्षा पर वैश्विक-स्थानीय दृष्टिकोण और सामाजिक रुझानों के साथ जुड़ाव के माध्यम से प्रभावी शिक्षण प्रथाओं को विकसित करने पर केंद्रित है। यह शिक्षकों की परिवर्तन माध्यमों  के रूप में उनकी भूमिका पर जोर देता है और सहयोगात्मक नेतृत्व प्रयासों को बढ़ावा देता है। दूसरी ओर, आईटीईपी कार्यक्रम शिक्षाशास्त्र और सामग्री ज्ञान के एकीकरण को रेखांकित करता है, विशेष रूप से स्टेज-विशिष्ट सामग्री-सह-शिक्षाशास्त्र घटक में। यह शिक्षण-सीखने की प्रक्रियाओं को बढ़ाने के लिए अनुभवात्मक शिक्षा, व्यावहारिक गतिविधियों और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देता है। इसके अलावा, आईटीईपी कार्यक्रम शिक्षा में सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा और समग्र विकास के महत्व पर प्रकाश डालता है।

पेशेवर अनुभव -

दोनों कार्यक्रम पेशेवर अनुभवों को शिक्षक तैयारी के अभिन्न घटकों के रूप में एकीकृत करते हैं। ऑनर्स कार्यक्रम छात्रों को उनके पाठ्यक्रम के विभिन्न चरणों में व्यावहारिक शिक्षण अनुभवों में संलग्न होने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे वास्तविक दुनिया की सेटिंग्स में सैद्धांतिक ज्ञान लागू करने में सक्षम होते हैं। इन अनुभवों को विकासात्मक शिक्षण अनुक्रमों के रूप में संरचित किया गया है, जिससे छात्रों को शिक्षा सिद्धांतों और पेशेवर अभ्यास के बीच संबंध बनाने की अनुमति मिलती है। इसी तरह, आईटीईपी कार्यक्रम अध्यापक शिक्षा के आवश्यक घटकों के रूप में, शिक्षण में इंटर्नशिप सहित स्कूल के अनुभव पर जोर देता है। यह शिक्षकों की व्यावसायिक पहचान को आकार देने में छात्रों, शिक्षकों, परिवारों और समुदायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चिंतनशील अभ्यास और बातचीत के महत्व को पहचानता है।

निष्कर्षभारत में एनसीटीई और ऑस्ट्रेलिया में एआईटीएसएल द्वारा ग्रहण की गई भूमिकाओं और कार्यों की प्रारंभिक जांच अध्यापक शिक्षा प्रशासन में उल्लेखनीय समानताएं और सूक्ष्म असमानताएं दोनों को रेखांकित करती है। एनसीटीई भारत सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक चित्रित वैधानिक ढांचे के भीतर काम करती है, एआईटीएसएल ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल क्षेत्राधिकार के दायरे में काम करने वाली सरकार द्वारा वित्त पोषित इकाई के रूप में कार्य करती है। इन संरचनात्मक भिन्नताओं के बावजूद, दोनों संस्थाएँ शिक्षण पेशे के भीतर मानकों की स्थापना, कार्यक्रमों को विनियमित करने और व्यावसायिक विकास को आगे बढ़ाने के अपने व्यापक उद्देश्यों में एकजुट हैं। हालाँकि, शासन संरचनाओं, शासनादेशों और रणनीतिक पहलों में सूक्ष्म अंतर भारत और ऑस्ट्रेलिया के विशिष्ट शैक्षिक परिदृश्य और प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं।

इसके अलावा, भारत में एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) और ऑस्ट्रेलिया में बैचलर ऑफ एजुकेशन (ऑनर्स) कार्यक्रम दोनों पाठ्यचर्या शिक्षक व्यावसायिकता को बढ़ावा देने और छात्र के सीखने के परिणामों को बढ़ाने के सामान्य लक्ष्य साझा करते हैं, वे पाठ्यक्रम संरचना, सांस्कृतिक संदर्भ, और शिक्षक की तैयारी पर ध्यान के प्रति अपने दृष्टिकोण में भिन्न हैं। ये रूपरेखाएँ प्रत्येक देश के सामने आने वाली अद्वितीय शैक्षिक प्राथमिकताओं और चुनौतियों को दर्शाती हैं और विविध संदर्भों में प्रभावी शिक्षण प्रथाओं के विकास के लिए मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। ऑस्ट्रेलिया का बीएड ऑनर्स कार्यक्रम एक विषयगत दृष्टिकोण अपनाता है, जो प्रभावी शिक्षण प्रथाओं और नेतृत्व विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि भारत का आईटीईपी कार्यक्रम शिक्षाशास्त्र और सामग्री ज्ञान, अनुभवात्मक शिक्षा और सामाजिक-भावनात्मक विकास के एकीकरण पर जोर देता है। इन मतभेदों के बावजूद, दोनों कार्यक्रम 21वीं सदी में शिक्षार्थियों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम और चिंतनशील शिक्षकों के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आईटीईपी और बीएड ओनर्स के बीच तुलनात्मक मूल्यांकन के माध्यम से अध्यापक शिक्षा के शासन और विनियमन में एक अंतर्दृष्टि उभरती है, जो शिक्षा को आगे बढ़ाने और समाज की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षकों को तैयार करने के व्यापक लक्ष्य में योगदान दे सकती है।

सन्दर्भ :

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डॉ. गौरव शर्मा
सहायक प्राध्यापक, राजकीय शैक्षिक अनुसंधान और अनुसन्धान परिषद्, दिल्ली
राजकीय शैक्षिक अनुसंधान और अनुसन्धान परिषद्, ब्लाक डिफेन्स कॉलोनी दिल्ली
sharmagaurav1984@gmail.com, 9350508165

मेघा कौशिक
विद्या वाचस्पति शोधार्थी , शिक्षा विभाग , दिल्ली विश्वविद्यालय
3 डी जनयुग अपार्टमेंट्स, सेक्टर 14 रोहिणी दिल्ली
meghaobe1@gmail.com, 9968026762

प्रो. आशीष रंजन
प्राध्यापाक, शिक्षा विभाग , दिल्ली विश्वविद्यालय
शिक्षा विभाग , दिल्ली विश्वविद्यालय
ashishofcie@yahoo.com, 9312282536

 

चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक ई-पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-51, जनवरी-मार्च, 2024 UGC Care Listed Issue
सम्पादक-द्वय : माणिक-जितेन्द्र यादव छायाकार : डॉ. दीपक कुमार

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