शोध आलेख : उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों में डिजिटल लर्निंग के प्रति समझ व जागरूकता का अध्ययन / मीनू नावरियाँ एवं डॉ. लोकनाथ

उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों में डिजिटल लर्निंग के प्रति समझ व जागरूकता का अध्ययन
- मीनू नावरियाँ एवं डॉ. लोकनाथ

शोध सार : सूचना संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने आधुनिक शिक्षा जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन किए है। आज शिक्षा प्राप्ति के अनेक विकल्प प्रत्यक्ष रूप से हमारे सामने है शैक्षणिक क्षेत्र में डिजिटल-लर्निंग की भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। यह विद्यार्थी के सीखने के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन ला रही है शिक्षण संस्थानों में -लर्निंग शिक्षा के विस्तार जैसे- गुणवक्तापूर्ण विषय सामग्री, बहु-भाषा समर्थन, विषय सामग्री की विविधता, विश्वव्यापी साझाकरण आदि प्रकार से विद्यार्थियों में अध्ययन को रुचिकर बनाने और सीखने के व्यवहार को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है

भारत में डिजिटल-लर्निंग शैशवावस्था से वयस्कावस्था में कदम रख चुकी है इसने अध्ययन प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाया है। यह प्रणाली शिक्षण संस्थानों, शिक्षकों और शिक्षार्थी तीनों के लिए आधुनिक युग में अद्यतन एवं बहुअवसर प्रदान करती है वहीं दूसरी ओर डिजिटल-लर्निंग की समस्याएं नेटवर्क की अपर्याप्त पहुँच, तकनीकी नासमझ, विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग की जानकारी-समझ का अभाव इत्यादि समस्याओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है

आधुनिक शिक्षा के इस दौर की प्रासंगिकता है कि डिजिटल-लर्निंग की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया जाए प्रस्तुत अध्ययन विद्यार्थियों की दृष्टि से डिजिटल-लर्निंग की समस्याओं को संदर्भित करता है साथ ही विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग की समझ एवं जागरूकता को लेकर रेखांकित किया गया है ताकि हम डिजिटल-लर्निंग की समस्याओं को समझ पाएं और इस दिशा में बेहतर काम कर सकें

बीज शब्द : डिजिटल-लर्निंग, -लर्निंग, उच्चशिक्षा, अधिगम, -शिक्षा, ऑनलाइन-लर्निंग।

मूल आलेख : शिक्षा हमारे जीवन की नींव है समय के साथ इसे बेहतर बनाते रहना हमें प्रगतिशील बनाता है सूचना प्रौद्योगिकी के जिस युग में आज हम जीवन व्यापन कर रहे हैं। प्रतिदिन की शुरुआत से लेकर रात्रि तक के सम्पूर्ण सफ़र में आज हर व्यक्ति हर पल इससे प्रभावित हो रहा है आज के युग में शिक्षा का स्वरूप निरंतर बदल रहा है पारंपरिक शिक्षा से आज हम डिजिटल-शिक्षा, -लर्निंग, डिजिटल-लर्निंग के दौर में कदम रख चुके हैं कोविड का दौर शिक्षा के लिए नए स्वरूप में वरदान साबित हुआ है उस दौर ने शिक्षा में एक नई क्रांतिकारी शुरुआत की जिसे अब अधिक सुदृढ़ बनाना हमारे लिए निरंतर कामयाबी की ओर बढ़ने जैसा है

डिजिटल-लर्निंग से बदलता शिक्षा का स्वरूपलेख के अनुसारडिजिटल-लर्निंग डिजिटल संसाधनों के माध्यम से सीखने और प्रशिक्षण का वितरण है हालांकि यह औपचारिक शिक्षा पर ही आधारित है यह इंटरनेट द्वारा इलैक्ट्रानिक उपकरणों जैसे- कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन आदि के माध्यम से प्रदान की जाती है[1]

इन्स्पिरिंग डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्मपर प्रकाशितपॉलिना फॉक्सके ब्लॉग द्वाराडिजिटल-लर्निंग क्या हैमें डिजिटल-लर्निंग को स्पष्ट किया गया किडिजिटल-लर्निंग एक प्रकार से शिक्षण, प्रशिक्षण और ज्ञान प्राप्त करने का साझाकरण है जो कि इंटरनेट के माध्यम से आयोजित किया जाता है इसका उपयोग विभिन्न जैसे- अकादमिक, कॉर्पोरेट प्रशिक्षण, सतत् व्यवसायिक विकास और कौशल विकास पाठ्यक्रम आदि क्षेत्रों में किया जाता है[2]

इलैक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वाराडिजिटल-लर्निंग सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के माध्यम से शिक्षण एवं प्रशिक्षण की सुविधा का वितरण है[3]

वहीं डिजिटल-लर्निंग के जनकएलियट मैसीके साक्षात्कार के दौरान डिजिटल-लर्निंग को स्पष्ट करते हुए बताया किडिजिटल-लर्निंग मेंडिजिटलका अर्थ केवल इलैक्ट्रानिक नहीं है इसकी विशेषता हर कोई, हर जगह, हर बार, विकसित, प्रभावी, कुशल, आकर्षक और मनोरंजक आदि में है[4]

मैसी ने 1999 में अमेरिका के टेकलर्न सम्मेलन में भाषण के दौरान डिजिटल-लर्निंग को परिभाषित करते हुए बताया किसीखने, डिजाइन करने, वितरण करने, चयन, प्रशासन और विस्तार करने के लिए नेटवर्क प्रौद्योगिकी का उपयोग है[5]

इसके बाद सन् 2000 में पहली ओपन सोर्स लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम कि रिलीज के साथ डिजिटल-लर्निंग में एक तकनीक के रूप में क्रांति आई इसलिए भारत में डिजिटल-लर्निंग ने बहुत कम समय में अपनी जगह स्थापित कर ली है जबकि यहाँ इसकी शुरुआत शिक्षा के वैकल्पिक स्वरूप में हुई थी। आज डिजिटल-लर्निंग शैशवावस्था से वयस्कावस्था की ओर अग्रसर है।

आईएमएआरसी/इमपेक्ट इनसाइट्स मार्केट रिसर्च कि डेटा रिपोर्ट के अनुसारसाल 2022 में भारत में डिजिटल-लर्निंग का बाजार 52,6462400.000 करोड़ रुपये (4.7 बिलियन डॉलर) का था[6]

स्टेटिस्टा के हाल ही के आँकड़े बताते है कि भारत डिजिटल-लर्निंग के क्षेत्र में साल 2023 के अंत तक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म का बाजार भारतीय मुद्रा में 38805321.21 करोड़ रुपये (4.73 बिलियन डॉलर) का राजस्व पहुँचने का अनुमान है। वहीं वर्ष 2023-2027 तक के राजस्व में वार्षिक वृद्धि दर सीएजीआर 19.94% तक जाने के अनुमान है। स्टेटिस्टा के अनुसार साल 2027 तक डिजिटल-लर्निंग का अनुमानित बाजार 9.79 बिलियन डॉलर का हो सकता है। इस साल के अंत तक 10.3% तक उपयोगकर्ता की पहुँच डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म तक अधिक होगी[7]  

डेटा रे पोर्टल वेबसाईटडिजिटल 2023: इंडियाजनवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसारदेश में लगभग 692.0 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता है। यह भारत की कुल आबादी का 48.7 प्रतिशत है[8] विश्व में भारत आज इंटरनेट उपभोग में दूसरे स्थान पर है। इससे संभवतः कहा जा सकता है कि -लर्निंग देश में जल्दी ही अपनी जड़ मजबूत कर सकेगी।

रिसर्चएण्ड मार्केट्सद्वारा नवंबर 2022 की प्रकाशित रिपोर्टइंडिया डिजिटल-लर्निंग मार्केट ओवरव्यू 2022-28” के अनुसारदेश में डिजिटल-लर्निंग पाठ्यक्रमों के संभवतः 9.6 मिलियन उपयोगकर्ता है। 2028 तक यह बाजार 35.03% की सीएजीआर इससे अधिक बढ़ने की संभावना है[9] इस प्रकार देख सकते है कि डिजिटल-लर्निंग की पहुँच तेजी से बढ़ती जा रही है।

शोध की प्रासंगिकता -

शोध विषयउच्च शिक्षा के विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग के प्रति समझ जागरूकता का अध्ययनकिया है। देश में वर्तमान समय की प्रासंगिकता को देखते हुए नई शिक्षा नीति 2020 में भी भारत सरकार द्वारा डिजिटल-लर्निंग को प्रोत्साहन देने के लिए -शोध सिंधु, स्वयंप्रभा, -ज्ञान, दिशा, -पीजी पाठशाला जैसे तमाम डिजिटल मंच विद्यार्थियों के लिए प्रदान किए गए है।

वास्तविक रूप से डिजिटल-लर्निंग सीखने के अनुभवों को संदर्भित करता है जिसकी पहुँच इंटरनेट नेटवर्क और इलैक्ट्रानिक उपकरणों के माध्यम से संभव है। डिजिटल-लर्निंग शिक्षा प्राप्त करने का सबसे आसान साधन है, यह मल्टीमीडिया संसाधनों के साथ इंटरैक्टिव गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला है। प्रस्तुत अध्ययन में देखने का प्रयास किया गया हैं कि परंपरागत शिक्षा का आधुनिक विकल्प डिजिटल-लर्निंग को विश्वविद्यालय के विद्यार्थी किस प्रकार देखते है। साथ ही वर्तमान में डिजिटल-लर्निंग के प्रति जागरूक है अथवा नहीं। हाल ही के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि डिजिटल-लर्निंग देश में तेजी से विकसित हो रहा है। लेकिन डिजिटल-लर्निंग की समस्याएं भी एक वास्तविकता है।

इंटरनेट डिवाइस, नेटवर्क की पर्याप्त पहुँच के साथ ही विद्यार्थियों में तकनीकी समझ और जागरूकता जैसे तमाम समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अतः यह देखना आवश्यक है कि विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग किस प्रकार से अध्ययन को अधिक रुचिकर बना रहा है। इस दौरान आने वाली समस्याओं का अध्ययन करना आज के समय की प्रासंगिकता बन गयी है।

इस अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग की समझ और उपयोगिता का अध्ययन किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि वास्तविक तौर पर डिजिटल-लर्निंग के प्रति विद्यार्थी कितने जागरूक है और इस दौरान विद्यार्थियों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों के दृष्टिकोण से डिजिटल-लर्निंग के उपयोग में आने वाली समस्याओं को उजागर करने के लिए यह अध्ययन प्रस्तुत किया गया है ताकि डिजिटल-लर्निंग प्रणाली की समस्याओं पर काम किया जा सकें और इसे अधिक बेहतर बनाया जा सकें। 

साहित्य समीक्षा -

गायकवाड, रणधीर,(2016), “डिजिटल-लर्निंग इन इंडिया:व्हील ऑफ चेंजवर्णित अध्ययन में डिजिटल-लर्निंग को स्पष्ट करते हुए बताया किअविकसित एवं विकासशील देशों में डिजिटल-लर्निंग, शिक्षा की साक्षरता को बढ़ाती है। यह शिक्षा के क्षेत्र में विकास के पहिये के रूप में भूमिका निभा रही है[10]

स्वामी, डॉ.दीपा,(अप्रैल,2021), “छात्राओं में डिजिटल-लर्निंग की जानकारी पर एक अध्ययनविषय पर डॉ. दीपा ने कोटा के राजकीय कला कन्या महाविद्यालय में अध्ययन किया उन्होंने कला,वाणिज्य,विज्ञान की स्नातक छात्राओं के अध्ययन में पाया किशहरी छात्राओं को डिजिटल-लर्निंग की जानकारी है जिसका कारण अधिकतर छात्राओं के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट सस्ता होना है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली छात्राओं को डिजिटल-लर्निंग की जानकारी नहीं है क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन नहीं हैं इस कारणवश वें डिजिटल-लर्निंग प्रणाली से परिचित नहीं है[11] अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ कि डिजिटल-लर्निंग दूरस्थ शिक्षा के लिए बेहतर विकल्प है। वहीं पारंपरिक शिक्षा में छात्राओं के समस्याओं का समाधा और अधिक आसानी से किया जाता है।

वनिता,(2022), “डिजिटल-लर्निंग सिस्टम एडोप्शन: सलेक्ट स्टडी इन इंडियन कांटेक्स्टइस अध्ययन का उद्देश्य था कि भारत में डिजिटल-लर्निंग को स्वीकार करने में सुधार करना। डिजिटल-लर्निंग के आयामों और कारकों के मध्य संबंध का अध्ययन करना। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया किभारत में डिजिटल-लर्निंग पर शोध का अभाव है इसके साथ ही उन्होंने इम्पेरिकल विश्लेषण में यह पाया कितकनीकी और व्यक्तिगत समस्याएं डिजिटल-लर्निंग को अपनाने में प्रभावित करती है उन्होंने अपने गुणात्मक अध्ययन में पाया किडिजिटल-लर्निंग में आर्थिक कारक जिसके चलते अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से छात्र पीड़ित है साथ ही अनुसंधानकर्ता ने उत्तरदाताओं से साक्षात्कार में सामने आया किडिजिटल-लर्निंग में उत्तरदाताओं को सहायक प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने में समस्या होती है[12]

राजकुमार, अशोक,(2022), “डिजिटल-लर्निंग स्कोप एण्ड सिग्नफकेशन इन हायर एजुकेशन इन इंडिया : स्टडीमें पाया किभारत के उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) में आईसीटी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है अध्ययन से स्पष्ट किया गया किडिजिटल-लर्निंग साक्षरता और शिक्षा की गुणवक्ता के स्तर को अनेक चरणों में बढ़ाता है। यह छात्रों को सीखने के वैकल्पिक अवसर प्रदान करता है। भारत में डिजिटल-लर्निंग की गुणवत्ता और सक्षम बनाने के लिए आईटी बुनियादी ढांचे बैंडविड्थ की कमी, आधारभूत संरचना और उनका रख-रखाव जैसी प्रमुख समस्याएं डिजिटल-लर्निंग के विकास को बंधित करती है। साथ ही ग्रामीण और शहरी हिस्सो में डिजिटल-लर्निंग को प्रमुखता के आधार पर शामिल किया जाना चाहिए[13]

पटेल, माधव,(2021), “डिजिटल-लर्निंग :एक आधुनिक शिक्षा का विकल्पमें प्रकाशित डिजिटल-लर्निंग को नवीनतम शिक्षा के एक साधन के रूप में स्पष्ट किया गया। पटेल द्वारा अध्ययन में बताया गया कि किस प्रकार डिजिटल-लर्निंग कौशल, प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी से परिपूर्ण है। अध्ययन में30 प्रतिशत ऐसे अभिभावक थे जिनके पास संसाधनों का अभाव था साथ ही वें डिजिटल-लर्निंग से परिचित नहीं थे। वहीं 20 प्रतिशत ऐसे अभिभावक थे जो केवल औपचारिक शिक्षा पर केंद्रित थे। वहीं 70 प्रतिशत ऐसे अभिभावक थे जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी कर रहें थे और छात्रों को सिखाने के लिए वें खुद भी सीख रहें थे पटेल ने अध्ययन में डिजिटल-लर्निंग प्रणाली पर सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का गहन अध्ययन किया और पाया किभविष्य में डिजिटल-लर्निंग छात्रों के लिए शिक्षा का बेहतर विकल्प बनेगी। यह छात्रों में आपसी प्रतियोगिता का संचालन करेगी[14]

सिंह, प्रीति, कुमार मिश्रा, डॉ राकेश,(2021), “कोविड 19 के दौरान छात्रों पर डिजिटल-लर्निंग दृष्टिकोण के स्तर का अध्ययनशोध में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले अध्ययनरत 180 छात्रों को अध्ययन में शामिल किया इसमें डिजिटल-लर्निंग की रुचि, उपयोगिता, पहुँच आदि पहलूओं का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में पूर्ण किया गया। अध्ययन में कोविड के दौरान डिजिटल-लर्निंग के प्रति सर्वाधिक रवैया 2.78 प्रतिशत है जबकि छात्रों का औसत स्तर रवैया 46.67% प्रतिशत और औसत से कम 21.11 प्रतिशत छात्रों का दृष्टिकोण रहा। डिजिटल-लर्निंग के प्रति औसत से निम्न स्तर का 7.22 प्रतिशत का दृष्टिकोण रहा। अध्ययन में स्पष्टतः कहा गया कि शैक्षणिक संस्थान शैक्षणिक क्षेत्र को व्यापक -लर्निंग का उपयोग करते है। इसके साथ ही छात्र डिजिटल-लर्निंग को सीखने के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन मानते है[15]

शोध उद्देश्य :

प्रस्तुत शोध के उद्देश्य इस प्रकार है -

     I.        वर्तमान में डिजिटल-लर्निंग प्रणाली की प्रासंगिकता को स्पष्ट करना

    II.        विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग की समझ एवं जागरूकता का अध्ययन करना।

शोध प्रश्न

·         विद्यार्थियों के सीखने के व्यवहार में डिजिटल-लर्निंग किस प्रकार भूमिका निभा रही है?

·         वर्तमान में विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग की क्या प्रासंगिकता है?

 

शोध सर्वेक्षण विधि द्वारा तैयार प्रश्नावली हेतु प्रश्न

प्रस्तुत शोध के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अनुसंधानकर्ता द्वारा निम्नलिखित सर्वेक्षण विधि द्वारा प्रश्नावली तैयार की गई जिससे उद्देश्य के अनुसार परिणाम प्राप्त किए जा सकें-  

1.    क्या आप डिजिटल-लर्निंग के बारे में जानते है?

2.    डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग आप माह में कितनी बार करते है?

3.    क्या आपने किसी डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण किया है?

4.    आप डिजिटल-लर्निंग उपयोग किस उद्देश्य से करते हैं?

5.    क्या आपको डिजिटल-लर्निंग की सुविधा प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी कौशल की समझ है?

6.    डिजिटल-लर्निंग के दौरान प्रौद्योगिकी समस्याओं का समाधान आप किस तरह करते है?

7.    आप किस प्रकार के डिजिटल-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म पर अधिकत्तम पढ़ाई करते हैं?

8.    आप किस डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म से अध्ययन करते है?

9.    डिजिटल-लर्निंग की किस विशेषता से आप सबसे अधिक प्रभावित है?

10. डिजिटल-लर्निंग के उपयोग से आपके सीखने की रुचि में कितने प्रतिशत तक सुधार हुआ है?

11. डिजिटल-लर्निंग से आपके अध्ययन एकाग्रता पर किस तरह का असर पड़ा है?

12.  क्या डिजिटल-लर्निंग से आपके पढ़ने की समय अवधि पर कोई असर पड़ा है?

13.  लंबे समय तक ऑनलाइन अध्ययन करने से किन समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं?

14. आपके अनुसार डिजिटल-लर्निंग में सबसे बड़ी समस्या क्या है?

15. क्या आप दूसरे विद्यार्थियों को भी डिजिटल-लर्निंग प्रणाली का सुझाव देते है?

 

पाठ्यक्रम का क्षेत्र

 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

कला/सामाजिक विज्ञान/मानविकी

33

35.9

 

तकनीकी

26

28.3

 

पीएचडी

15

16.3

 

वाणिज्य

18

19.6

 

कुल

92

100.0

 







शोध प्रविधि : प्रस्तुत अध्ययन उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग के प्रति समझ जागरूकता का अध्ययन के लिए उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों पर संदर्भित किया गया है। इस शोध पत्र में न्यादर्श के चयन हेतु असंभावना निदर्शन (non-probability sampling) का उपयोग करते हुए सोद्देश्य नमूनाकरण (purposive samling) विधि को अपनाया गया है शोध में विश्वसनीय, गुणवक्तापूर्ण सर्वेक्षण विधि से तथ्यों का संकलन किया गया है यह अध्ययन उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय में पूर्ण किया गया है जिसमें 90 से अधिक उत्तरदाताओं जो विभिन्न विभागों वाणिज्य, कला, विज्ञान, मेनेजमेंट कार्यक्रम के विद्यार्थियों को शोध के लिए चुना गया है

 

शोध अध्ययन में प्राथमिक तथ्यों में अवलोकन, सर्वेक्षण, समाचार पत्र आदि से प्राप्त तथ्यों को अध्ययन को शामिल किया गया है साथ ही द्वितीयक आँकड़ों का समावेश करते हुए अध्ययन की आवश्यकता के अनुसार शोध रिपोर्ट, शोध आलेख, पुस्तक, ऑनलाइन ब्लॉग शोधपत्र आदि के द्वारा प्राप्त तथ्यों को शोध का आधार बनाया गया है

शोध में प्राप्त तथ्यों को एस पी एस एस सॉफ्टवेयर की मदद से तथ्य विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है शोध में निम्न क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शोध में उत्तरदाताओं के रूप में चुना गया है..

 

तथ्य संकलन -

प्रस्तुत शोध के लिए तथ्यों का संकलन इस प्रकार है-

·         प्राथमिक आँकड़ेशोध अध्ययन में प्राथमिक तथ्यों में अवलोकन, सर्वेक्षण, समाचार पत्र आदि से प्राप्त तथ्यों को अध्ययन को शामिल किया गया है

·         द्वितीयक आँकड़ेद्वितीयक आँकड़ों का समावेश करते हुए अध्ययन की आवश्यकता के अनुसार शोध रिपोर्ट, शोध आलेख, पुस्तक, ऑनलाइन ब्लॉग आदि के द्वारा प्राप्त तथ्यों को शोध का आधार बनाया गया है।  

 

शोध सीमा -

o   वर्णित शोध में केवल बाबासाहेब भीमरॉव अम्बेडकर विश्वविद्यालय तक अध्ययन की सीमा तय की गई है।

o   इस अध्ययन में तथ्य संकलन के लिए समय सीमा बाध्य है

 

तथ्य विश्लेषण -

प्रस्तुत अध्ययन में प्राप्त तथ्य इस प्रकार है -

अंक तालिका 1 में उत्तरदाताओं ने बताया कि सर्वाधिक 30.4 प्रतिशत उत्तरदाता माह में 25 से 30 बार तक डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते है जबकि 17.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं द्वारा विशेष कार्य होने पर ही डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है।

अतः निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि सर्वाधिक लोगों द्वारा नियमित रूप से डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है।

 डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग आप माह में कितनी बार करते है?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

नहीं

10

10.9

 

महीने में 15-20 बार

22

23.9

 

महीने में 25-30 बार

28

30.4

 

महीने में 4-5 बारss

16

17.4

 

विशेष प्रोजेक्ट या कार्य के लिए

16

17.4

 

कुल

92

100.0

 

 




अंक तालिका 2 में उत्तरदाताओं से प्रश्न किया गया कि डिजिटल-लर्निंग का उपयोग किस उद्देश्य से करते है जिसका उत्तर 43.5 प्रतिशत ने अध्ययन को अधिक रुचिकर बढ़ाने के लिए करते है जबकि 29.3 प्रतिशत का उत्तर प्रतियोगिता परीक्षा के लिए डिजिटल-लर्निंग का उपयोग बताया गया है वहीं आँकड़े बताते है कि 1.1 प्रतिशत ने नहीं के विकल्प को चुन कर बताया कि वें डिजिटल-लर्निंग का उपयोग नहीं करते है

अतः निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि अधिकतम लोग डिजिटल-लर्निंग का उपयोग सीखने में अधिक रुचि बढ़ाने के लिए करते है।

आप डिजिटल-लर्निंग का उपयोग किस उद्देश्य से करते हैं ?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

कोर्स में अनिवार्य

11

12.0

 

कोर्स में अनिवार्य, सीखने में अधिक रुचि बढ़ाने के लिए

13

14.1

 

नहीं

1

1.1

 

प्रतियोगिता की तैयारी के लिए

27

29.3

 

सीखने में अधिक रुचि बढ़ाने के लिए

40

43.5

 

कुल

92

100.0

 

 


अंक तालिका 3 में यह प्रश्न किया गया कि डिजिटल-लर्निंग के दौरान प्रौद्योगिकी समस्याओं का समाधान 38.0 प्रतिशत ऑनलाइन वेबसाइट की मदद से किया जाता है वहीं 33.7 प्रतिशत ने गूगल सर्च की मदद से और 26.1 प्रतिशत यूट्यूब से डिजिटल-लर्निंग के दौरान आने वाली समस्याओं का समाधान किया जाता है।

अतः स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि डिजिटल-लर्निंग के दौरान आने वाली समस्याओं का समाधान ऑनलाइन वेबसाइट , गूगल सर्च, यूट्यूब आदि से किया जाता है

 

डिजिटल-लर्निंग के दौरान प्रौद्योगिकी समस्याओं का समाधान आप किस तरह करते है?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

ऑनलाइन वेबसाइट

35

38.0

 

गूगल सर्च

31

33.7

 

नहीं कर पाते

2

2.2

 

यूट्यूब

24

26.1

 

कुल

92

100.0

 

 

 

 


सारणी संख्या 4 में उत्तरदाताओं द्वारा किस प्रकार के डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का अध्ययन किया जाता है यह प्रश्न किया गया जिसमें सर्वाधिक उत्तरदाताओं द्वारा फ्री ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर 47.8 प्रतिशत, इसके साथ ही 27.2 प्रतिशत सरकारी,निजी,फ्री ओपन सॉफ्टवेयर सभी के द्वारा डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्मस् का इस्तेमाल किया जाता है

अतः यह कहा जा सकता है कि डिजिटल-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग सरकारी, निजी और फ्री ओपन सोर्स एप्लीकेशन आदि सभी के द्वारा उपयोग किया जाता है।

आप किस प्रकार के डिजिटल-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म पर अधिकत्तम पढ़ाई करते हैं?

 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

इनमे से कोई नहीं

6

6.5

 

निजी

9

9.8

 

फ्री ओपन सोर्स

44

47.8

 

सरकारी

8

8.7

 

सरकारी, निजी, फ्री ओपन सोर्स

25

27.2

 

कुल

92

100.0

 

 


सारणी संख्या 5 में 15 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने डिजिटल-लर्निंग की विषय सामग्री की विविधता को सबसे अधिक प्रभावी बताया जबकि 14.1 प्रतिशत ने बहु-सीखने के अवसर को अधिक प्रभावी बताया वहीं प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सामग्री की विविधता, विश्वव्यापी साझाकरण, आभासी अध्ययन वातावरण, बहु-सीखने के अवसर विशेषता को अधिक प्रभावी बताया है।

अतः निष्कर्षतः डिजिटल-लर्निंग प्रणाली की विशेषता है कि इसमें बहु-सीखने के अवसर, विषय सामग्री की विविधता और आभासी अध्ययन वातावरण, विश्वव्यापी साझाकरण आदि विशेषता डिजिटल-लर्निंग को अधिक प्रभावी बनाते है।

 

डिजिटल-लर्निंग की किस विशेषता से आप सबसे अधिक प्रभावित है?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

आभासी अध्ययन वातावरण

9

9.8

 

बहु-भाषा समर्थन

9

9.8

 

बहु-भाषा समर्थन, सामग्री की विविधता, आभासी अध्ययन वातावरण

3

3.3

 

बहु-भाषा समर्थन, सामग्री की विविधता, आभासी अध्ययन वातावरण, बहु-सीखने के अवसर

5

5.4

 

बहु-भाषा समर्थन, सामग्री की विविधता, बहु-सीखने के अवसर

8

8.7

 

बहु-भाषा समर्थन, सामग्री की विविधता, विश्वव्यापी साझाकरण, आभासी अध्ययन वातावरण, बहु-सीखने के अवसर

8

8.7

 

बहु-सीखने के अवसर

13

14.1

 

सामग्री की विविधता

14

15.2

 

सामग्री की विविधता, बहु-सीखने के अवसर

10

10.9

 

सामग्री की विविधता, विश्वव्यापी साझाकरण, आभासी अध्ययन वातावरण, बहु-सीखने के अवसर

10

10.9

 

सामग्री की विविधता, विश्वव्यापी साझाकरण, बहु-सीखने के अवसर

3

3.3

 

कुल

92

100.0


 

 

अंक तालिका 6 में 17. 4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि देर तक ऑनलाइन अध्ययन करने से आँखों में दर्द की समस्या होती है साथ ही 32.6 प्रतिशत ने सिरदर्द, मानसिक प्रतिबल, पीठ दर्द, आँखों में दर्द की समस्या बताया और 5.4 प्रतिशत ने पीठ दर्द की समस्या को इंगित किया वहीं 12.0 प्रतिशत ने बताया कि उन्हे देर तक ऑनलाइन अध्ययन करने पर किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती है।

अतः निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि लंबे समय तक ऑनलाइन अध्ययन करने पर आँखों में दर्द, सिरदर्द, पीठदर्द, मानसिक प्रतिबल जैसी समस्याएं होती है।

लंबे समय तक ऑनलाइन अध्ययन करने से किन समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं ?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

आँखों में दर्द

16

17.4

 

कुछ नहीं

11

12.0

 

पीठ दर्द

5

5.4

 

मानसिक प्रतिबल

2

2.2

 

सिरदर्द

5

5.4

 

सिरदर्द, पीठ दर्द, आँखों में दर्द

23

25.0

 

सिरदर्द, मानसिक प्रतिबल, पीठ दर्द, आँखों में दर्द

30

32.6

 

कुल

92

100.0

 

 

सारणी संख्या 7 में उत्तरदाताओं से डिजिटल-लर्निंग की सबसे बड़ी समस्या को लेकर प्रश्न किया गया जिसमें 33.7 प्रतिशत ने इंटरनेट डेटा का अभाव, नेटवर्क का अभाव, तकनीकी समझ का अभाव जेसी समस्याएं हो रही है और 22.8 प्रतिशत ने इंटरनेट डेटा का अभाव 10.9प्रतिशत द्वारा इंटरनेट डेटा का अभाव, नेटवर्क का अभाव, शिक्षार्थी से अन्तः क्रिया का अभाव देखा गया अतः निष्कर्षरूप से कहा जा सकता है कि डिजिटल-लर्निंग द्वारा अध्ययन के दौरान इंटरनेट डेटा, शिक्षक द्वारा विद्यार्थी से अन्तःक्रिया, नेटवर्क, विषय सामग्री का अभाव आदि प्रकार की तमाम समस्याएं होती है

  

  आपके अनुसार डिजिटल-लर्निंग में सबसे बड़ी समस्या क्या है?


 

आवृत्ति

प्रतिशत

 

 

इंटरनेट डेटा का अभाव

21

22.8

 

इंटरनेट डेटा का अभाव, नेटवर्क का अभाव

2

2.2

 

इंटरनेट डेटा का अभाव, नेटवर्क का अभाव, तकनीकी समझ का अभाव

31

33.7

 

इंटरनेट डेटा का अभाव, नेटवर्क का अभाव, शिक्षार्थी से अन्तःक्रिया का अभाव

10

10.9

 

तकनीकी समझ का अभाव

5

5.4

 

पर्याप्त वातावरण का अभाव

2

2.2

 

पर्याप्त वातावरण का अभाव, शिक्षार्थी से अन्तःक्रिया का अभाव

2

2.2

 

विषय सामग्री का अभाव

2

2.2

 

शिक्षार्थी से अन्तःक्रिया का अभाव

17

18.5

 

कुल

92

100.0

 


 

निष्कर्ष : अध्ययन से स्पष्ट होता है कि विद्यार्थियों को डिजिटल-लर्निंग प्रणाली के उपयोग में इंटरनेट नेटवर्क, तकनीक समझ, शिक्षकों से अन्तःक्रिया, अध्ययन के लिए पर्याप्त वातावरण आदि प्रकार की समस्याएं होती है। विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग प्रणाली की समझ और जागरूकता पूर्ण है जिसकी एक वजह नई शिक्षा नीति द्वारा पाठ्यक्रम में सीबीसीएस की अनिवार्यता है। साथ ही वर्तमान में डिजिटल-लर्निंग को बढ़ावा देने में तकनीकी क्रांति महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लेकिन डिजिटल-लर्निंग प्रणाली से विद्यार्थियों के समक्ष विषय सामग्री विषय विविधता को लेकर एक भटकाव की स्थिति है।

अध्ययन से स्पष्टतः पर कहा जा सकता है कि इस प्रणाली का अत्यधिक लचीलापन विद्यार्थियों की रुचि और सीखने के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव के साथ नकारात्मक रूप से भी प्रभावित है। ऑनलाइन लंबे समय तक अध्ययन से सर दर्द, पीठदर्द, शरारिक थकावट, मानसिक प्रतिबल जैसी समस्याएं होने लगती है। विद्यार्थियों को तकनीकी समझ नहीं होने से कई बार पढ़ाई से वंचित रह जाना भी एक समस्या है।

वहीं तथ्य यह भी है कि विद्यार्थियों में डिजिटल-लर्निंग प्रणाली के प्रति अधिक रुचि, सीखने के वैकल्पिक अवसर, विषय विविधता, पढ़ाई के लिए अधिक समय, विश्वव्यापी साझाकरण जैसे बहु-विकल्प इस प्रणाली की विशेषता है। इससे विद्यार्थियों के लिए नए अवसर प्रदान हो रहे है। आज बढ़ती आधुनिक शिक्षा प्रणाली डिजिटल-लर्निंग एक नए आयाम के रूप में विकसित हो रही है। इसे अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम करना आज की आवश्यकता बन गयी है। इसकी पहुँच देश के हर विद्यार्थी तक कायम होनी चाहिए ताकि सभी विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।

 

शोध सुझाव -

इस शोध के द्वारा विद्यार्थियों को डिजिटल-लर्निंग प्रणाली के प्रति जागरूकता एवं अध्ययन के दौरान आने वाली समस्याओं का अध्ययन किया गया। अतः इस अध्ययन से प्राप्त परिणाम पर सरकार अथवा निजी संस्थानों द्वारा डिजिटल-लर्निंग प्रणाली की समस्याओं पर काम किया जाना चाहिए ताकि डिजिटल-लर्निंग की सुविधा विद्यार्थी को लाभान्वित हो सके

 
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मीनू नावरियाँ
शोधार्थी, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग
बाबासाहेब भीमरॉव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
meenunawariya4110@gmail.com
 
डॉ. लोकनाथ
सहायक प्रेफेसर, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग
बाबासाहेब भीमरॉव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
loknathvns@gmail.com

चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक ई-पत्रिका 
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-52, अप्रैल-जून, 2024 UGC Care Listed Issue
सम्पादक-द्वय : माणिक-जितेन्द्र यादव चित्रांकन  भीम सिंह (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)

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