आधुनिक तकनीकी युग में मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद के बीच तुलनात्मक अध्ययन / अभिषेक पुनीत

आधुनिक तकनीकी युग में मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद के बीच तुलनात्मक अध्ययन
- अभिषेक पुनीत

शोध सार : आज के आधुनिक तकनीकी युग में संचार और अनुवाद की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती चली जा रही है। संचार माध्यमों में अनुवाद की भूमिका समाज के विभिन्न वर्गों तक सूचना पहुंचाने में सहायक होती है। बदलते तकनीकी परिवेश में जहां हर दिन तकनीक के नवीन आयामों से हम परिचित हो रहे है अनुवाद का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रह गया है। परंत्तु तकनीक हमारे कार्यों को जहां एक ओर गति प्रदान कर रही है सुलभ बना रही है, वहीं कई नई समस्याओं से भी हमें रूबरू करवा रही है। जहाँ मानव अनुवाद (Human Translation) अपने सांस्कृतिक और भाषाई समझ के कारण सदियों से अनुवाद की प्रक्रिया का प्रमुख माध्यम रहा है, वहीं मशीन अनुवाद (Machine Translation) ने समाज को समय और तकनीकी विकास के साथ एक नई दिशा प्रदान की है। आज के दौर में तकनीकी प्रगति और डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया है। अनुवाद क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। मशीन अनुवाद (एमटी) की बढ़ती लोकप्रियता और उपयोगिता ने अनुवाद उद्योग में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव लाया है। हालाँकि, इस बदलाव के साथ ही कुछ चिंताएँ भी उत्पन्न हुई हैं, विशेष रूप से युवापीढ़ी के रोजगार के संदर्भ में। अनुवाद और संचार माध्यमों का संबंध अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, विशेषकर भारत जैसे बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश में तो यह और महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस शोध पत्र का उद्देश्य संचार माध्यमों में अनुवाद की भूमिका का विश्लेषण करना और इसके महत्त्व  पर विचार करना तो है, साथ ही भारत और विश्व स्तर पर इसके प्रभावों का भी अध्ययन करना इसका प्रमुख आधार है। इस शोध पत्र के माध्यम से हम मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद के बीच तुलनात्मक अध्ययन करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि इन दोनों के अपने-अपने फायदे और सीमाएँ क्या हैं। आज के त्वरित गति से बदलते समाज और परिवेश में अनुवादक के लिए किस प्रकार मशीन अनुवाद सहायक है तथा किस प्रकार की बाधाओं का सामना भी एक अनुवादक के लिए आम होता जा रहा है यह इस शोध आलेख का आधार है।


बीज शब्द : मानव अनुवाद, मशीन अनुवाद, भाषाई कौशल, रचनात्मकता, सांस्कृतिक अनुवाद श्रृंखला, तकनीकी अनुवाद।


मूल आलेख : अनुवाद का मुख्य उद्देश्य सूचनाओँ को एक भाषा से दूसरी भाषा में प्रेषित करना है। यह विशेष रूप से भारत जैसे बहुभाषी देश में महत्त्वपूर्ण है, जहां हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू, मराठी, गुजराती, बंगाली आदि भाषाओं का व्यापक प्रचलन है। अनुवाद केवल भाषा का नहीं, बल्कि संस्कृतियों का भी पुल होता है।”1 अनुवाद के माध्यम से विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच समझ और आदान-प्रदान संभव होता है। यह सांस्कृतिक संरक्षण और विस्तार में सहायक होता है।अनुवाद के माध्यम से समाज और समाज विस्तार में सहायता ही नहीं मिलती अपितु जटिल सामाजिक सांस्कृतिक परम्पराओं को समझने के लिए भी यह एक सेतु के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों जैसे व्यवसायिक क्षेत्र में भी अनुवाद का विशेष महत्त्व  है। विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में अपने उत्पादों को प्रचारित करने के लिए अनुवाद का उपयोग करती हैं, जिससे स्थानीय भाषाओं में उनकी समझ बढ़ती है। वैश्वीकरण के इस युग में अनुवाद का महत्त्व  और भी बढ़ गया है। अंतरराष्ट्रीय संचार, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अनुवाद की भूमिका अपरिहार्य हो गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अनुवादकों की एक बड़ी टीम होती है, जो विभिन्न भाषाओं में संचार को संभव बनाती है। आज के युग में सोशल मीडिया एक प्रमुख संचार माध्यम बन गया है, जो समाज के हर वर्ग को जोड़ता है।”2 आज के समय ने तकनीक और संचार की नवीन उपलब्धियों के साथ हमारे जीवन को अभूतपूर्व रूप से बदल दिया है। बदलाव की इस परम्परा में साहित्य और अनुवाद के क्षेत्रों को भी छुआ हैं। अनुवाद के माध्यम से विभिन्न देशों की साहित्यिक कृतियां एक दूसरे तक पहुंचती हैं। रवींद्रनाथ टैगोर और प्रेमचंद की रचनाएं अंग्रेजी में अनूदित होने के बाद विश्व प्रसिद्ध हुईं। इसी प्रकार, शेक्सपियर, टॉलस्टॉय, और अन्य विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों की कृतियां भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर भारतीय पाठकों तक पहुंचती हैं। जिसके लिए अनुवाद के क्षेत्र में अनुवादक और अनुवादक द्वारा किए गये अथक प्रयास छुपे होते है जो अनूदित साहित्य अथवा कृति के प्रसिद्ध होने में सहायक होते है। अनुवादक की सहायता के लिए आज के समय में सहायक घटकों के रूप में शब्दकोशों के साथ साथ तकनीक भी सहायक होती चली जा रही है। जिसके अपने फ़ायदे नुक़सान अनुवाद में देखे जा सकते है। 


भारत में विभिन्न भाषाओं और बोलियों का प्रचलन है, जिसके कारण किसी भी सूचना अथवा कृति का एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना आवश्यक हो जाता है। अनुवादक विभिन्न भाषाओं में संदेशों का सही अर्थ और भावार्थ बनाए रखते हुए अनुवाद करते हैं। यह प्रक्रिया मीडिया हाउस, समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो और डिजिटल मीडिया में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। मशीन अनुवाद, जिसे स्वचालित अनुवाद भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद किया जाता है। सबसे लोकप्रिय मशीन अनुवाद प्रणालियों में Google Translate, Microsoft Translator, और DeepL शामिल हैं। इसके अलावा अनुवाद का क्षेत्र एक फलता फूलता हुआ क्षेत्र है जहां नवीन सम्भावनाओं की तलाश की जा रही है। बहुत से नए लोग इस क्षेत्र में अपनी क़िस्मत को आज़मा रहे है। मानव अनुवाद को समझने से पहले हमें मशीन अनुवाद की परतों को समझना बहुत आवश्यक हो जाता है। मशीनी अनुवाद में भी मानव का हस्तक्षेप है परे फिर भी वह पूर्ण रूप से स्वतः अनुवाद करता है। मशीन अनुवाद की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:


1.  गति: मशीन अनुवाद बहुत ही तेज गति से होता है। यह कुछ ही सेकंड में बड़े पाठों का अनुवाद कर सकता है।

 2. विस्तार : मशीन अनुवाद का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा सकता है, चाहे वह किसी वेबसाइट का अनुवाद हो या संपूर्ण पुस्तक का।

3.  उपलब्धता : इंटरनेट की उपलब्धता के साथ, मशीन अनुवाद सेवाएँ विश्व भर में कहीं भी और कभी भी सुलभ हैं।


मशीन अनुवाद की कुछ सीमाएँ भी हैं। मशीनी अनुवाद की प्रमुख चुनौती संदर्भ और सांस्कृतिक सूक्ष्मताओं को सही ढंग से पकड़ने की होती है।”3 जिस प्रकार हर सम्भव तकनीकी प्रयासों में कही ना कही कुछ ना कुछ अभाव रह जाते है उसी प्रकार मशीनी अनुवाद सरल, सहज त्वरित गति के साथ साथ कही ना कही अपने पीछे कुछ जटिलताओं को रखते हुए चलता है। जिनके समाधान मानव के हस्तक्षेप के बिना सम्भव नहीं हो पाते हैं। मशीन अनुवाद अक्सर संदर्भ की सही समझ नहीं कर पाता, जिससे अनुवाद का अर्थ बदल सकता है। भाषाओं के सांस्कृतिक संदर्भ और विशिष्टता मशीन अनुवाद के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। कई मामलों में, मशीन अनुवाद की शुद्धता मानव अनुवाद से कम होती है। "Machine translation has made significant strides in recent years, yet it still struggles with the nuances and cultural contexts that human translators handle adeptly."4


जैसे जटिल शब्दों के अर्थों के अनुवाद के समय मशीन किसी भी अर्थ को अनुवाद में रख सकती है अब चाहे वह उस संदर्भ में सही बैठता हो या ना हो। इसके कारण अर्थ का अनर्थ हो जाता है। मानव अनुवादक अपने अनुभव और सांस्कृतिक समझ से बेहतर और सटीक अनुवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।”5 भारत में विभिन्न भाषाओं के उपयोग के कारण अनुवाद का महत्त्व  और भी बढ़ जाता है। भारतीय समाचार चैनल और समाचार पत्र विभिन्न भाषाओं में समाचार प्रदान करते हैं, जिससे देश के प्रत्येक कोने तक सूचना पहुंचाना संभव हो पाता है। उदाहरण के लिए, 'दैनिक भास्कर', 'हिंदुस्तान टाइम्स', 'टाइम्स ऑफ इंडिया' जैसे प्रमुख समाचार पत्र कई भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। टेलीविजन चैनल्स भी हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू आदि भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित करते है। मानव अनुवाद में अनुवादक का अनुभव, सांस्कृतिक समझ और भाषाई कौशल प्रमुख भूमिका निभाते हैं। मानव अनुवाद का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि इसमें भाषा के रचनात्मक और सांस्कृतिक पहलुओं का ध्यान रखा जाता है।”6 मानव अनुवाद में   अनुवादक अनूदित कृति में एक समझ पैदा करता है। भावों और शब्दों की जटिलताओं से निकाल कर पाठक के लिए एक सरल कृति का पुनः निर्माण करता हैं। इन सभी आधारों पर मानव अनुवाद की कुछ प्रमुख विशेषताएँ देखी जा सकती हैं:


1.  सांस्कृतिक संवेदनशीलता : मानव अनुवादक सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हैं और उनका ध्यान रखते हुए अनुवाद करते हैं।

2.  गुणवत्ता : मानव अनुवाद की गुणवत्ता अधिक होती है क्योंकि अनुवादक अर्थ, भावार्थ और शैली को बनाए रखते हैं।

3.  रचनात्मकता : मानव अनुवादक रचनात्मक तरीके से अनुवाद करते हैं, जिससे पाठ की भावनाएँ और संदेश सही ढंग से प्रेषित होते हैं। 


मानव अनुवादक भावनाओं और संदर्भ को सही तरीके से संप्रेषित कर सकते हैं, जो मशीनी अनुवाद में अक्सर खो जाता है।”7 मानव अनुवाद करते समय समाज, सांस्कृतिक विविधता एवं शब्दों के बुनियादी अर्थों और उनके प्रभावों का ध्यान रखता हैं। जटिल शब्दों के अनुवाद के समय वह विभिन्न अर्थों एवं शब्दावलियों में से सटीक शब्दों का चयन करता हैं। मानव अनुवाद के समय अपने सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान का प्रयोग करता है। अनुवादक के लिए दोनो मूल भाषा एवं लक्ष्य भाषा के व्यावहारिक ज्ञान के अलावा सांस्कृतिक ज्ञान की भी आवश्यकता होती है। "Human translation remains superior in handling the intricate layers of meaning and emotion in literary texts, which are often lost in machine-generated translations."8

जो मशीन अनुवाद में सम्भव नहीं हो सकती। इसके साथ साथ साहित्यिक अनुवाद के समय भावों का अनूदित होना बहुत आवश्यक होता है जो मूल रूप से मानव अनुवाद के समय ही प्रखर रूप से देखा जा सकता है।  


मशीनी अनुवाद की तरह ही मानव अनुवाद की भी कुछ सीमाएँ है। मानव अनुवाद में अधिक समय लगता है,मशीनी अनुवाद में त्रुटियों की संभावना अधिक होती है, खासकर जटिल वाक्यों में।”9 विशेषकर बड़े दस्तावेज़ों के अनुवाद में समय और परिश्रम ज़्यादा लगाना होता है। मानव अनुवाद की लागत मशीन अनुवाद की तुलना में अधिक होती है। हर समय और हर स्थान पर विशेषज्ञ अनुवादक उपलब्ध नहीं होते। एक अच्छे अनुवादक को अनुवाद के लिए काफ़ी समय लगता है। अनुवादक को अच्छा अनुवादक बनने में भी काफ़ी लम्बा समय लगता है। भारत में अभी भी अनुवाद के क्षेत्र को जीविका पथ के रूप में नहीं देखा जाता हैं। भारत जैसे बहुभाषी देश जहां प्रत्येक व्यक्ति एक से अधिक भाषाओं का सामान्य ज्ञान रखता है वहाँ अच्छे अनुवादकों की कमी हैं।  


तुलनात्मक अध्ययन -


गति और शुद्धता की दृष्टि से देखा जाए तो मशीन अनुवाद की गति मानव अनुवाद की तुलना में बहुत अधिक होती है। मशीनी अनुवाद के उपयोग से अनुवाद की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है” 10 उदाहरण के लिए, Google Translate कुछ ही सेकंड में हजारों शब्दों का अनुवाद कर सकता है, जबकि मानव अनुवादक को यही कार्य करने में कई घंटे या दिन भी लग सकते हैं। हालाँकि, शुद्धता के मामले में, मानव अनुवाद अधिक विश्वसनीय होता है। मशीन अनुवाद की शुद्धता संदर्भ और सांस्कृतिक भिन्नताओं को समझने में कमी के कारण घट जाती है।


इसे उदाहरण के मध्याम से समझा जा सकता है:- Original Quote: "The only thing we have to fear is fear itself."  

 

Machine Translation (Hindi) : "हमें केवल भय से ही डरना चाहिए।"  

Human Translation (Hindi) : "हमें केवल भय से ही डरना है।"


सांस्कृतिक और संदर्भ आधारित अनुवाद की दृष्टि से देखा जाए तो मानव अनुवादक सांस्कृतिक और संदर्भ आधारित अनुवाद में श्रेष्ठ होते हैं। मशीन अनुवाद भाषा की संरचना को समझता है, लेकिन मानव अनुवाद भाषा की आत्मा को।”11 वे सांस्कृतिक संदर्भों, मुहावरों और विशिष्टताओं को समझते हैं और उनके अनुरूप अनुवाद करते हैं। उदाहरण के लिए, "कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा" जैसे मुहावरे का सही अनुवाद केवल एक मानव अनुवादक ही कर सकता है, जबकि मशीन अनुवाद इसे शाब्दिक रूप में ही प्रस्तुत करेगा, जिससे अर्थ पूरी तरह से बदल सकता है। कुछ उदाहरण दृष्टव्य हैं :- Original Quote : "The best way to find yourself is to lose yourself in the service of others."  


 Machine Translation (Hindi) :  "अपने आपको खोजने का सबसे अच्छा तरीका दूसरों की सेवा में खो जाना है।"  

 Human Translation (Hindi)   : "अपने को पाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को दूसरों की सेवा में खो दें।"


लागत और उपयोगिता की दृष्टि से देखा जाए तो मशीन अनुवाद की लागत बहुत कम होती है, जबकि मानव अनुवाद की लागत अधिक होती है। मशीन अनुवाद का उपयोग छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक फायदेमंद है, जबकि मानव अनुवाद बड़े और महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों के लिए उपयुक्त होता है। उदाहरण के लिए, कानूनी दस्तावेज़ों का अनुवाद मानव अनुवादक द्वारा किया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें शुद्धता और संवेदनशीलता अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है।


मिश्रित दृष्टिकोण की दृष्टि से देखा जाए तो आजकल, कई व्यवसाय और संगठन मानव और मशीन अनुवाद का मिश्रित दृष्टिकोण अपना रहे हैं। पहले मशीन अनुवाद का उपयोग किया जाता है और फिर मानव अनुवादक उसे संपादित और शुद्ध करते हैं। यह दृष्टिकोण समय और लागत दोनों को कम करने में सहायक होता है, साथ ही शुद्धता भी बनाए रखी जाती है।


निष्कर्ष : अनुवाद और संचार माध्यमों का संबंध अत्यंत घनिष्ठ और महत्त्वपूर्ण है। यह समाज में विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच एक सेतु का कार्य करता है। भारत में अनुवाद का महत्त्व  और भी बढ़ जाता है, जहां विभिन्न भाषाओं के उपयोग के कारण सूचना का सही और सटीक प्रेषण अत्यंत आवश्यक हो जाता है। विश्व स्तर पर भी अनुवाद का महत्त्व  निर्विवादित है, जहां यह विभिन्न देशों और संस्कृतियों के बीच संचार और सहयोग को सशक्त बनाता है। मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएँ और सीमाएँ हैं। मशीन अनुवाद की विश्वसनीयता उस पर निर्भर करती है कि उसे किस प्रकार की सामग्री दी गई है, जबकि मानव अनुवादक हर परिस्थिति में उपयुक्त समाधान प्रदान कर सकते हैं।”12 मशीन अनुवाद जहाँ गति और सुलभता में श्रेष्ठ है, वहीं मानव अनुवाद शुद्धता और सांस्कृतिक समझ में।"The human translator's ability to navigate idiomatic expressions and cultural subtleties is unmatched by any machine.” 13 आधुनिक तकनीकी युग में, इन दोनों का मिश्रित उपयोग अधिक प्रभावी और लाभकारी साबित हो सकता है। अनुवाद की आवश्यकताओं और संदर्भ के आधार पर, उचित विकल्प का चयन किया जाना चाहिए ।लेकिन फिर भी यह कहा जा सकता है की भारत जैसे विविधताओं वाले देश में अभी भी अनुवाद के क्षेत्र में सम्भावनाओं को पैदा करने और आगे आने वाली नयी पीढ़ी के लिए मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद दोनो में ही भरपूर कार्य किये जा सकते हैं।   


संदर्भ :
  1. कुँवर नारायण, अनुवाद: एक सृजन, वाणी प्रकाशन, 2012, पृष्ठ संख्या: 53
  2. प्रभात रंजन, सोशल मीडिया का समाज, साहित्य अकादमी, 2020, पृष्ठ संख्या: 89
  3. अंजलि वर्मा, मशीनी अनुवाद: संभावनाएं और चुनौतियां, विश्वविद्यालय प्रकाशन, 2017, पृष्ठ संख्या: 34
  4. Translation and Technology by Chiew Kin Quah,Palgrave Macmillan, 2006, Page: 112
  5. मानव और मशीन अनुवाद: तुलनात्मक अध्ययन , रितेश कुमार, विद्या प्रकाशन, 2018, पृष्ठ संख्या: 89  
  6. सुरेश शर्मा, अनुवाद का भविष्य ,नीलकंठ प्रकाशन, 2015, पृष्ठ संख्या: 75
  7. अनुवाद: एक अंतर्दृष्टि, नीलम गुप्ता, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, 2016, पृष्ठ संख्या: 52
  8. Translation and Identity in the Americas: New Directions in Translation Theory" by Edwin Gentzle, Routledge  2008, Page: 134
  9. अनुवाद और भाषा, कुसुम लता, राधाकृष्ण प्रकाशन, 2021, पृष्ठ संख्या: 84
  10. राकेश मेहरा, साहित्य भवन, 2018, पृष्ठ संख्या: 68
  11. राहुल सांकृत्यायन, अनुवाद का भविष्य, लोकभारती प्रकाशन, 1957, पृष्ठ संख्या: 67* 
  12.  प्रभात रंजन, अनुवाद की दिशा, साहित्य अकादमी, 2018, पृष्ठ संख्या: 102
  13. The Oxford Handbook of Translation Studies" edited by Kirsten Malmkjær and Kevin Windle, Oxford University Press, 2011, Page: 307
  
1.  भारतीय भाषाओं में अनुवाद की परंपरा - डॉ. रमेश कुमार, भारतीय अनुवाद परिषद, 2012
2.  मीडिया और अनुवाद - प्रो. सीमा अग्रवाल, मीडिया हाउस पब्लिकेशन, 2015
3.  विश्व साहित्य का अनुवाद - डॉ. अनुराधा शर्मा, साहित्य अकादमी, 2017
4.  वैश्विक संचार और अनुवाद - डॉ. विकास गुप्ता, वैश्विक प्रकाशन, 2018
5.  अनुवाद का इतिहास और प्रक्रिया - डॉ. मीना कुमारी, शिक्षा प्रकाशन, 2014
6.  The Translation Studies Reader - Edited by Lawrence Venuti, Routledge, 2000
7.  In Other Words: A Coursebook on Translation - Mona Baker, Routledge, 1992
8.  Translation and Globalization - Michael Cronin, Routledge, 2003
9.  Translation, Rewriting, and the Manipulation of Literary Fame* - André Lefevere,             
     Routledge, 1992
10. The Routledge Handbook of Translation Studies - Edited by Carmen Millán and            
      Francesca Bartrina, Routledge, 2013

अभिषेक पुनीत
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, भारती महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय
abhishekpuneet@gmail.com

संस्कृतियाँ जोड़ते शब्द (अनुवाद विशेषांक)
अतिथि सम्पादक : गंगा सहाय मीणा, बृजेश कुमार यादव एवं विकास शुक्ल
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित UGC Approved Journal
  अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-54सितम्बर, 2024


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