ऑनलाइन समाचार के उपभोक्ता व्यवहार पर क्लिकबेट हेडलाइंस का प्रभाव
- प्रदीप कुमार
शोध सार : सूचना-संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में लोगों में प्रतिपल की जानकारियों को हासिल करने की जिज्ञासा बढ़ती जा रही है। लोग संक्षिप्त ही सही लेकिन बहुत ही कम समय में नई-नई सूचना प्राप्त करना चाहते हैं। इन सूचना-समाचारों को हासिल करने के लिए लोग वेब को पहली प्राथमिकता देते हैं। कारण, सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में नित हो रहे प्रयोग एवं विकास के कारण ऑनलाइन सूचना एवं समाचारों की वेब पर उपलब्धता पर्याप्त है और उसको सर्च करना भी आसान है। इन सब के साथ ही सोशल मीडिया और समाचार एग्रीगेटर्स से जुडी वेबसाइट्स के उदय के बाद आकर्षक शीर्षकों के माध्यम से समाचार, लेखों एवं विचारों की प्रस्तुति को महत्व मिला है। यही कारण है कि वेब पर खबरों एवं सूचनाओं की बाढ़ में सनसनीखेज और अस्पष्टता वाली क्लिकबेट सुर्खियाँ ऑनलाइन मीडिया मंचो पर तेजी में प्रचलित हो रही हैं। यह शोध पत्र ऑनलाइन समाचार उपभोक्ता व्यवहार पर क्लिकबेट सुर्खियों के प्रभाव का पता लगाता है। मौजूदा साहित्य और अनुभविक अनुसंधान के विश्लेषण की व्यापक समीक्षा के माध्यम से इस शोध पत्र का उद्देश्य ऑनलाइन समाचारों से पाठक जुड़ाव और ऑनलाइन समाचार उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता की धारणाओं पर क्लिकबेट सुर्खियों के प्रभाव का पता लगाना है।
बीज शब्द : ऑनलाइन, समाचार, क्लिकबेट, हेडलाइंस, सोशल मीडिया, यूट्यूब, उपभोक्ता।
मूल आलेख : माध्यम कोई भी हो, शुरू से ही यह माना जाता रहा है कि यदि किसी भी सूचना और समाचार के प्रति लोगों का ध्यान खींचना है तो इसके शीर्षक (हेडलाइन) का आकर्षक होना ज़रूरी है, इसीलिए शीर्षक लेखन रचनापूर्ण कार्य माना जाता रहा है। जो एक विधा के साथ-साथ कला भी है। यह एक ऐसी कला है जिसका प्रयोग कर सूचनाओं के प्रति लोगों को आकर्षित करने का कार्य किया जाता है। वेब का पाठक भी सूचना-समाचारों के प्रति आकर्षित हो, इसके लिए शीर्षक का आकर्षक होना जरुरी है, इसके पीछे के कारणों में एक कारण यह भी है कि वेब पर जानकारियों की पर्याप्त उपलब्धता है और समय के साथ-साथ धैर्य के अभाव में इन्टरनेट उपभोक्ता अपनी रूचि के अनुसार सटीक जानकारी को छोटे- छोटे टुकड़ों में ब्राउज़ करने लगा है। इसको ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन सामाग्री का शीर्षक ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि इन्टरनेट उपयोगकर्ता किसी भी जानकारी को टुकड़ों में या कम समय में प्राप्त कर सके। ऐसे में कई बार उपभोक्ता इस प्रयास में रहता है कि शीर्षक पर एक नज़र डालने से ही यह तय हो जाए कि सामग्री को पढ़ना है या नहीं अर्थात क्लिक करना है या नहीं। इन्टरनेट उपभोक्ता के इन्हीं व्यवहारों के कारण आकर्षक शीर्षक का ‘चारा’ उन पर डालने का चलन शुरू हुआ। इस तरह के शीर्षक को ‘क्लिकबेट’ नाम दिया गया, जिससे शीर्षक की स्पष्टता, सत्यता का होना गौड़ हो गया है। इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं के व्यवहार में आये बदलाव के कारण ही ‘क्लिकबेट शीर्षक’ लिखने का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्लिकबेट शीर्षक, एक ऐसा शीर्षक है जो लोगों को आकर्षित करने के लिए तैयार किया जाता है। इसमें तथ्यों को कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि शीर्षक आकर्षक और रोचक लगता है। जबकि वास्तव में तथ्यों का प्रस्तुतीकरण शीर्षक के विषय के अनुरूप नहीं होता है। इस तरह के शीर्षक का मुख्य उद्देश्य पाठकों को अपनी वेबसाइट्स या सामग्री पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करना होता है।
समकालीन मीडिया परिदृश्य में, ऑनलाइन समाचार प्लेटफ़ॉर्मों यथा सोशल मीडिया चैनलों की बहुविधता ने समाचार के स्रोत और सामग्री प्रस्तुतीकरण के तरीके को भी पूरी तरह से बदल दिया है। जिसमें सबसे बड़ा बदलाव समाचारों के शीर्षक प्रस्तुतीकरण में दिखाई पड़ता है। चूंकि क्लिकबेट हेडलाइंस, उपभोक्ताओं की जिज्ञासा को उत्प्रेरित करने और क्लिक को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं। इसलिए ये उपभोक्ताओं के मनोस्थिति पर सीधे असर डालते हैं। हालांकि, क्लिकबेट हेडलाइंस के पाठक व्यवहार और ऑनलाइन समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता पर प्रभाव के परिणाम विवाद और चिंता के विषय बनते जा रहे हैं। सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के एकाउन्ट्स पर प्रतिदिन समाचार के दर्जनों आकर्षक शीर्षक वाले नोटिफिकेशन भेजे जा रहे हैं जिन पर क्लिक करने के बाद निराशा हाथ लगती है, अर्थात ऐसी सामग्री सामने आती है जो शीर्षक के अनुरूप नहीं होती है। समाचारों के कुछ पारंपरिक और क्लिकबेट शीर्षक इस प्रकार हैं-
ब्लॉग लेखिका हवा साल्सी ने क्लिकबैट को परिभाषित करते हुए लिखा है कि ‘क्लिकबैट एक मार्केटिंग और जुड़ाव रणनीति है जो क्लिक को लुभाने और पेज व्यू बढ़ाने के लिए सनसनीखेज, रोककर रखने वाली या भ्रामक सामग्री का उपयोग करती है।’ सोशल मीडिया के दौर में यू-ट्यूब या अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर क्लिकबेट को थंबनेल या शीर्षक के रूप में या वेब समाचार पोर्टल के लेखों पर विज्ञापन के रूप में आसानी से देखा जा सकता है। जो आमतौर पर दावा से कहीं कम रोमांचक, सटीक या मूल्यवान होती है। उदाहरण स्वरुप यदि गूगल पर "इनसाइडर ब्यूटी टिप्स" खोजा जाए तो बेलाउम्मा (bellamumma) का एक लेख सामने आता है, जिसका शीर्षक है, "ब्यूटी इनसाइडर: 101 ब्यूटी टिप्स जो आप वास्तव में चाहेंगे..."। यदि इस पर क्लिक किया जाय तो जो सामग्री सामने आती है शीर्षक से उसकी तुलना के आधार पर शीर्षक को क्लिकबेट की श्रेणी में रखा जा सकता है। कारण, यह सभी बड़े अक्षरों में हैं, इसमें बहुत सारी युक्तियाँ हैं, वाक्यांश "ब्यूटी टिप्स जो आप वास्तव में चाहेंगे" खोजकर्ताओं में क्लिक करने के लिए उत्सुकता पैदा करता है लेकिन जब आप इसपर क्लिक करेंगे, तो आपको सौंदर्य सलाह की सतह-स्तरीय जानकारी मिलेगी। दूसरे उदाहरण के रूप में एक समाचार लेख है जिसका शीर्षक है, "एक समय एक बहुत बड़ा सितारा, आज वह वेस्टलेक में अकेला रहता है।" (https://www.semrush.com/blog/what-is-clickbait/) यह भी क्लिकबेट शीर्षक का एक उदाहरण है। क्योंकि जो इस शीर्षक का उपयोग करता है उसके विवरण में "आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होगा" और शीर्षक में "एक बार एक बड़ा सितारा, आज वह अकेला रहता है" जैसे वाक्यांश आपको उत्सुक बनाते हैं। लेकिन जब आप शीर्षक पर क्लिक करते हैं तो आपको पंद्रह से अधिक मशहूर हस्तियों और उनके लक्जरी घरों के बारे में एक लंबे-चौड़े ब्लॉग पोस्ट पर निर्देशित किया जाता है।
साहित्य समीक्षा :
साहित्य सर्वेक्षण से पता चलता है कि पहले भी क्लिकबेट हेडलाइन के विभिन्न पहलुओं और पाठक के व्यवहार पर क्लिकबेट हेडलाइन के प्रभाव का अध्ययन करने के उद्देश्य से विभिन्न आयामों से शोधकार्य हुए हैं। जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं-
- स्मिथ (2016) द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि क्लिकबेट हेडलाइंस अक्सर उच्च क्लिक-थ्रू दरों का कारण बनती हैं, लेकिन उम्मीदों के पूरा न होने के कारण पाठकों को असंतोष का सामना करना पड़ता है।
- चेन एट अल. (2016) ने अपने शोध में पाया है कि कि क्लिकबेट शीर्षक समाचार की विश्वसनीयता और भरोसेमंदता की धारणा कम करते हैं।
- ज़ैनेटौ एट अल (2016) के अध्ययन से पता चलता है कि क्लिकबेट हेडलाइन प्राथमिक स्तर पर उपभोक्ताओं को आकर्षित करती है और ऐसे शीर्षक वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाते हैं।
- चक्रवर्ती एट अल. (2016) ने क्लिकबेट सुर्खियों का पता लगाने के लिए टेक्स्ट माइनिंग पर आधारित एक दृष्टिकोण प्रदान किया है।
- ब्लॉम और हैनसेन (2015) ने अपने अध्ययन में पाया है कि प्रभावी समाचार शीर्षक बनाने के लिए फॉरवर्ड-रेफ़रिंग लेखन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है; हालाँकि, क्लिकबैट सुर्खियाँ बनाने के लिए ऐसी तकनीक का उपयोग करना आम तौर पर ठीक नहीं होता है, क्योंकि ऐसे शीर्षक अक्सर माने जाते हैं।
शोध के उद्देश्य :
- ऑनलाइन समाचार पोर्टलों पर क्लिकबेट हेडलाइंस का अध्ययन करना।
- इन्टरनेट उपभोक्ता की क्लिकबेट हेडलाइंस की विश्वसनीयता के मानकों का पता लगाना।
- इन्टरनेट उपभोक्ता पर क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रभाव को जांचना ।
शोध की उपकल्पनाएं :
- ऑनलाइन समाचार पोर्टलों पर क्लिकबेट हेडलाइंस की उपलब्धता पर्याप्त है।
- इन्टरनेट उपभोक्ताओं की क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रति विश्वसनीयता, पारंपरिक हेडलाइंस की तुलना में कम होती है ।
- इन्टरनेट उपभोक्ताओं की क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रति विश्वसनीयता कम होने के बावजूद वे अपने को हेडलाइंस पर क्लिक करने से रोक नहीं पाते हैं।
- इन्टरनेट उपभोक्ताओं पर क्लिकबेट हेडलाइंस का प्रभाव पड़ता है।
शोध पद्धति :
प्रस्तुत शोध की प्ररचना विवरणात्मक है। शोधकार्य को पूरा करने के लिए अंतर्वस्तु विश्लेषण, सर्वेक्षण, तुलनात्मक एवं निदर्शन विधि का प्रयोग किया गया है। चूंकि पत्रकारिता के विद्यार्थी खबरों की अच्छी समझ रखते हैं इसलिए पत्रकारिता के विद्यार्थियों को समग्र मानकर रैंडम विधि का प्रयोग करते हुए अध्ययन के लिए 100 विद्यार्थियों का चयन किया गया है। चयनित प्रतिभागियों की क्लिकबेट हेडलाइंस पर प्रतिक्रिया, क्लिकबेट हेडलाइंस के सत्यापन और विश्वसनीयता के मानकों का पता लगाने और इन्टरनेट उपभोक्ता पर क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रभाव को जांचना के लिए उपकरण के रूप में खुली प्रश्नावली का प्रयोग किया गया है, इसके साथ ही रैंडम विधि द्वारा चयनित 10 वेबसाइटों (पांच समाचार और पांच सोशल नेटवर्किंग) के 100 पोस्ट (15 मार्च, 2024 से 14 अप्रैल, 2024) से हेडलाइंस का अध्ययन किया गया है। जबकि द्वितीयक आकड़ों के लिए शोधग्रंथों, संस्थाओं की सूचनाओं, आंकड़ों और रिपोर्ट को आवश्यकता एवं महत्व के हिसाब से प्रयुक्त किया गया है। एकत्रित अथ्यों का विवेचन सामान्य सांख्यिकी विधि का प्रयोग कर किया गया है।
आकड़ों का विश्लेषण :
अध्ययन में प्रयुक्त प्रश्नावली के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्राप्त आकड़ों का सारणीयन एवं विश्लेषण इस प्रकार है-
सारणी-1
सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर क्लिकबेट हेडलाइंस की उपलब्धता
उपरोक्त सारणी संख्या-1 से स्पष्ट है कि गूगल के माध्यम से सर्च की गई पांच सोशल नेटवर्किंग साइट से कुल 50 पोस्ट के अध्ययन में पाया गया कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर 76 प्रतिशत हेडलाइंस क्लिकबेट के रूप में लिखी जा रही हैं, जबकि पारंपरिक हेडलाइंस सिर्फ 24 प्रतिशत पोस्ट पर ही लिखी पाई गईं।
सारणी-2
समाचार पोर्टल्स पर क्लिकबेट हेडलाइंस की उपलब्धता
सारणी संख्या-2 से स्पष्ट है कि गूगल के माध्यम से सर्च किये गये पांच समाचार पोर्टल के कुल 50 पोस्ट के अध्ययन में पाया गया कि समाचार पोर्टल पर 62 प्रतिशत हेडलाइंस पारंपरिक और 38 प्रतिशत हेडलाइंस क्लिकबेट के रूप में लिखी जा रही हैं।
उपरोक्त सारणी संख्या 1 एवं 2 से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया के पोस्ट पर क्लिकबेट हेडलाइंस ज्यादा लिखी जाती हैं.
सारणी -3
सोशल साइट्स की क्लिकबेट हेडलाइंस की विश्वसनीयता के मानकों का अध्ययन
उत्तरदाताओं में क्लिकबेट हेडलाइंस की विश्वसनीयता के मानकों के स्तर को मापने के लिए सोशल साइट्स पर की जाने वाली पोस्ट्स से क्लिकबेट हेडलाइंस और उससे सम्बंधित सामग्री पर विश्वास करने के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है, इसके आधार पर विश्वसनीयता की तीन श्रेणियां औसत से कम, औसत तथा औसत से अधिक निर्धारित की गई। जिनके अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए लिखी जाने वाली हेडलाइंस में क्लिकबेट की प्रकृति ज्यादा पाई जाती है। लेकिन हैडलाइन और सामग्री दोनों पर लोगों का विश्वास कम होता है। यही कारण है कि उत्तरदाताओं में 61 प्रतिशत ने औसत से कम, 26 प्रतिशत ने औसत और 13 प्रतिशत ने औसत से अधिक वाले विकल्प को चुना है। 61 प्रतिशत उत्तरदाता सोशल मीडिया की क्लिकबेट हेडलाइंस पर औसत से कम विश्वास करते हैं।
सारणी -4
समाचार पोर्टल की क्लिकबेट हेडलाइंस की विश्वसनीयता के मानकों का अध्ययन
अध्ययन में पाया गया कि समाचार पोर्टल पर पोस्ट के लिए लिखी जाने वाली हेडलाइंस में क्लिकबेट की प्रकृति औसत स्तर की पाई जाती है। यही कारण है कि उत्तरदाताओं में 18 प्रतिशत ने औसत से कम, 63 प्रतिशत ने औसत और 09 प्रतिशत ने औसत से अधिक वाले विकल्प को चुना है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि अधिकांश लोगों को समाचार पोर्टल को सामग्री और उनकी हेडलाइन्स में समरूपता दिखाई देती है।
सारणी -5
इन्टरनेट उपभोक्ता के व्यवहार पर क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रभाव का अध्ययन
इन्टरनेट उपभोक्ताओं के व्यवहार पर क्लिकबेट हेडलाइंस के प्रभाव का अध्ययन करने के उद्देश्य से पूछे गए प्रश्नों से प्राप्त आकड़ों को सारणी संख्या-5 के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है, उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है कि 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं को क्लिकबेट शीर्षक आकर्षित करता है और 83% उत्तरदाताओं को हाल में क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने के उदाहरण याद हैं, जिन्हें याद है उनमें से लगभग 96 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि सामग्री हेडलाइंस के आधार पर अपेक्षाओं के अनुसार नहीं थी। इससे स्पष्ट होता है कि सर्च की गई सामग्री की हेडलाइन क्लिकबेट थी और क्लिकबेट हेडलाइन की सामग्री अपेक्षा के अनुरूप नहीं होती है। किसी क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने के बाद कैसा महसूस करते हैं? सवाल के जवाब में सिर्फ 14 प्रतिशत ने ‘अच्छा’ कहा है. बाकि 86 प्रतिशत ने माना है कि सामग्री की हैडलाइन अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने पर बुरा लगता है। एक अन्य सवाल कि क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने का निर्णय किस प्रकार से प्रभावित किया? के माध्यम से उत्तर प्राप्त हुआ है कि उत्तरदाताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
सारणी -6
क्लिकबेट हेडलाइंस के सन्दर्भ में इन्टरनेट उपभोक्ता के निर्णय लेने की प्रवृत्ति पर प्रभाव का अध्ययन
जिन उत्तरदाताओं को हाल में किसी क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने के कुछ उदाहरण याद हैं, उनसे क्लिकबेट हेडलाइंस के सन्दर्भ में उनकी निर्णय लेने की प्रवृत्ति पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के उद्देश्य से पूछे गए सवालों से प्राप्त आकड़ों को सारणी संख्या-6 के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। जिनके अध्ययन से पता चलता है कि 91 प्रतिशत उत्तरदाता क्लिकबेट हेडलाइंस के माध्यम से प्रदान की गई जानकारी पर विश्वास नहीं करते हैं, उत्तरदाताओं का मत है कि क्लिकबेट हेडलाइंस निर्णय लेने की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं, वहीं एक अन्य प्रश्न के जबाब में 53 उत्तरदाताओं ने कहा है कि क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने का पछतावा हुआ। जबकि 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा है कि क्लिकबेट हेडलाइंस पर क्लिक करने का पछतावा नहीं हुआ।
सारणी -7
क्लिकबेट हेडलाइंस के सन्दर्भ में इन्टरनेट उपभोक्ताओं की जाकरूकता एवं प्रतिरोध का अध्ययन
उपरोक्त सारणी संख्या-7 से स्पष्ट है कि 88 प्रतिशत उत्तरदाता आकर्षक शीर्षक वाली सामग्री पर क्लिक करने से बचने का प्रयास करते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि इस तरह के शीर्षक की सामग्री को पढ़ने के बाद निराशा हाथ लगती है साथ ही उत्तरदाताओं का मत है कि क्लिकबेट हेडलाइंस की वजह से कई बार अच्छी सामग्री भी छूट जाती है।
निष्कर्ष : शोध शीर्षक ‘ऑनलाइन समाचार के उपभोक्ता व्यवहार पर क्लिकबेट हेडलाइंस का प्रभाव’ पर किये गए शोध-अध्ययन के बाद प्राप्त आकड़ों के उपरोक्त विश्लेषण से जो निष्कर्ष प्राप्त हुए है, वे निम्नलिखित हैं-
- सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर किसी पोस्ट को पारंपरिक हेडलाइंस की तुलना में क्लिकबेट हेडलाइंस के माध्यम से ज्यादा उपभोक्ताओं तक पहुचाने का प्रयास किया जाता है।
- सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए पारंपरिक हेडलाइंस की तुलना में क्लिकबेट हेडलाइंस ज्यादा लिखी जाती हैं।
- स्वतंत्र समाचार पोर्टल्स के उपभोक्ताओं को भी पोस्ट के प्रति आकर्षित करने के लिए क्लिकबेट हेडलाइंस का उपयोग किया जाता है। परन्तु सोशल मीडिया की तुलना में समाचार पोर्टल पर क्लिकबेट हेडलाइंस वाले पोस्ट कम पाए जाते हैं।
- सोशल मीडिया पर क्लिकबेट हेडलाइंस की ज्यादा उपलब्धता के कारण इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं में से 61 प्रतिशत लोगों की सामग्री के प्रति विश्वसनीयता का स्तर औसत से कम है। वहीं समाचार पोर्टल की पोस्ट के लिए लिखी क्लिकबेट हेडलाइंस सोशल मीडिया की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय होती हैं, कारण हेडलाइंस और सामग्री में ज्यादा समानता होती है।
- इन्टरनेट उपभोक्ताओं में से ज्यादातर ने स्वीकार किया है कि समाचार पोर्टल के किसी पोस्ट पर क्लिक करने पर जो सामग्री मिलती है वह अपेक्षाओं के अनुरूप होती हैं, जबकि सोशल मीडिया के सन्दर्भ में यह आंकड़ा ठीक उल्टा है।
- सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर किसी पोस्ट को पारंपरिक हेडलाइंस की तुलना में क्लिकबेट हेडलाइंस के द्वारा ज्यादा लिखी जाती हैं।
- क्लिकबेट शीर्षक ऑनलाइन समाचार उपभोक्ता का पहले ध्यान आकर्षित कर सकता है और ट्रैफिक को बढ़ा सकता है, लेकिन इसका विश्वसनीयता और पाठक आकर्षण पर दूरगामी प्रभाव डालता है।
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प्रदीप कुमार
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, इंस्टिट्यूट ऑफ़ मीडिया स्टडीज, श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय, लखनऊ- देवा रोड, बाराबंकी, उ०प्र०
pradeepvaranasiup@gmail.com, 9450537991
चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका
अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) अंक-53, जुलाई-सितम्बर, 2024 UGC Care Approved Journal
इस अंक का सम्पादन : विष्णु कुमार शर्मा चित्रांकन : चन्द्रदीप सिंह (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
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