- विजय राही
(1)
अभ्यास
मुझे पूरा यकीन है
एक दिन ज़रूर पागल घोषित कर दिया जाऊँगा
सो मैं अभी से पत्थर फेंकने का
अभ्यास कर रहा हूँ
(2)
शहर
यह शहर केवल नाम भर का है
इससे तो अच्छा है हमारा गाँव
कस से कम आगरे का पेठा तो मिल जाता है वहाँ
जो पहली बार मिलने पर खिलाया था तुमने मुझे
यहाँ एक भी ऐसी चीज़ नहीं
जिसे देखकर मैं तुमको याद करूँ
परन्तु यह सब अच्छा ही है मेरे लिए
क्योंकि तुम्हारी जब याद आती है
मेरी आत्मा सीझ जाती है
(3)
जमीन माता
जमीन माता
भले ही मुँह से नहीं बोलती है
लेकिन जमीन का धणी
जब जमीन पर डोलता है
जमीन माता भी खुशी में डोलती है
(4) झाड़ू
पक्षियों के पास होती हैं पंख की झाड़ू
पशुओं के पास होती हैं पूँछ की झाड़ू
आसमानों की झाड़ू हैं बादल
और धरती की झाड़ू हैं आँधियाँ
कुदरत के पास कितनी ही
दृश्य और अदृश्य झाड़ू हैं
काश मेरे पास भी होती कोई ऐसी झाड़ू
जिससे बुहार पाता अपनी आत्मा को
(5)
अहिंसा
कौन कहता है आज ऐसा
"मुझे तुम्हारे साथ रहना है
तो क्यों नहीं तुम्हारे जैसे कपड़े पहनूँ !"
ऐसी बात वही कह सकता है
जिसको आपसे बहुत प्रेम हो
अगर आज कोई ऐसा कहे तो
मैं उसके हाथ चूम लूँ और बाँहों में भर लूँ
कौन होगा जिसके पास इतनी करुणा है
उन्होंने हमको बताया
बहुत भले तरीके हैं ख़ून-ख़राबे के अलावा भी
सत्ता-परिवर्तन या आततायी सरकार को हटाने के लिए
लेकिन हमने गोलियाँ दाग दी उनके सीने में
जबकि वे हमारे लिए प्रार्थना करने जा रहे थे
आज हमारी ताकत बंदूक, बम, मिसाईल हैं
जबकि उन्होंने हमारे लिए सारी लड़ाई लड़ी
सिर्फ़ और सिर्फ़ अहिंसा के बल पर
पहले-पहल जिस पर हम भी हँसे थे
अद्भुत साहित्यकार व अद्भुत साहित्यिक कृतियाँ 😊
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविताएं हैं राही जी 😍
जवाब देंहटाएंवाक़ई अपने ढंग की कविताएँ हैं। बहुत शालीनता से अपना पक्ष दर्ज करवाती हुई। बधाई विजय भाई।
जवाब देंहटाएंसभी कविताएँ ऐसी हैं जैसे प्रकृति के किसी सहज सिद्धांत को पकड़ती हैं और उसकी कविता के रूप में स्थापना हो। अद्भुत ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविताएं ।वर्तमान ग्रामीण एवं शहरी जीवन की विचित्र जीवित एवं सशक्त अनुभूति को व्यंजित कर रही है
जवाब देंहटाएंसादगी भरी कविताएं है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई विजय भाई आन कविताओं की खुशबू दूर तलक फैलेगी।
जवाब देंहटाएंसरल भाषा में गहरी संवेदना की कविताएं हैं।पहली,चौथी और पांचवीं बेहतरीन है।विजय भाई को खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंअद्भुत। बहु सुन्दरम्
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कवितायें। बधाई
जवाब देंहटाएंविजय राही की कविताएं मिट्टी की महक का जीवंतता के साथ अहसास कराती हैं.. भाषा के देशीपन को ये स्वयं गढ़ते हैं जिससे लोक जीवन इनकी कविताई से साकार हो उठता है..
जवाब देंहटाएंविजय राही की कविताएं मिट्टी की महक का जीवंतता के साथ अहसास कराती हैं.. भाषा के देशीपन को ये स्वयं गढ़ते हैं जिससे लोक जीवन इनकी कविताई से साकार हो उठता है..
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