'अपनी माटी'
( साहित्य और समाज का दस्तावेज़ीकरण )
'UGC Care Approved Journal'
'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' (PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
( ISSN 2322-0724 Apni Maati )
शोध आलेख भेजने संबंधी ज़रूरी निवेदन
नमस्कार, आपने यह जानकारी पढ़ने में रूचि दिखाई उसके लिए आभारी हैं। 'अपनी माटी' त्रैमासिक ई-पत्रिका है और इसके एक वर्ष में चार सामान्य अंक 30 जून, 30 सितम्बर, 31 दिसम्बर और 31 मार्च को छपते हैं। सामान्य अंक विशेषांक से एकदम अलग होते हैं। रचना प्रकाशन हेतु स्वीकृत हुई या नहीं इसकी जानकारी प्रकाशन की तारीख के पंद्रह दिन पहले ही दी जाती है इससे पहले नहीं। तय तारीखों के अलावा किसी तरह के दबाव में आलेख स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
- ज्यादा जानकारी के लिए पत्रिका की वेबसाईट https://www.apnimaati.com/p/free-advertisement-scheme.html?m=1 देखिएगा जहां आवश्यक सभी प्रश्न और उनके यथासंभव उचित उत्तर देने का प्रयास किया गया है।
- हिंदी साहित्य
- इतिहास
- राजनीति विज्ञान
- फाइन आर्ट
- शिक्षा
- संस्कृत
- दर्शन
- समाजशास्त्र
- भूगोल
- गांधी दर्शन
- अम्बेडकर दर्शन
- दलित विमर्श
- थर्ड जेंडर विमर्श
- स्त्री विमर्श
- पर्यावरण
- अनुवाद
- आदिवासी विमर्श
- सिनेमा
- जनसंचार
- बाल साहित्य
- लोक संस्कृति
- योग
(2) आलेख के फोर्मेट
(A) समाज विज्ञान के लिए https://www.apnimaati.com/2023/03/blog-post_60.html
(B) साहित्य के लिए http://www.apnimaati.com/2021/07/blog-post_20.html (किसी एक कृति विशेष पर केन्द्रित समीक्षानुमा आलेख को छापने से हम बचते हैं)
(C) शिक्षा के लिए https://www.apnimaati.com/2021/12/blog-post_91.html
(3) प्रकाशन का स्वरुप : हमारी पत्रिका का कोई प्रिंट वर्जन नहीं छपता है। हम छापकर कोई पीडीऍफ़ वर्जन भी नहीं भेज पाते हैं। ऑन डिमांड कुछ हार्ड प्रिंट प्रतियां हम छपवाते हैं जिन्हें आपको प्रकाशक से खरीदनी होती है। हमारी पत्रिका का इम्पेक्ट फेक्टर स्केल जनरेट नहीं किया हुआ है।
(4) सामान्य अंक / विशेषांक : हम हमेशा सामान्य अंक ही प्रकाशित करते हैं। बीते सालों में कुछ विशेषांक निकले हैं। अगर आगे भी विशेषांक की कोई योजना होगी तो हम पत्रिका के पोर्टल पर इस बात की घोषणा करेंगे।आप यहाँ अप्रकाशित रचनाएँ ही भेजें।
(5) तकनिकी पक्ष
- अगर आप हाल ही में अपनी माटी में छपे हैं तो छपने के बाद 2 साल तक कोई रचना नहीं भेजें, हम आपको नहीं छाप पाएंगे क्योंकि हम देशभर के लेखकों तक पहूंचना चाहते हैं और यह इसी तरह संभव है।
- रचना भेजने से पहले गूगल करके देख लें कि उस टाइटल के आसपास की रचना 'अपनी माटी' में पहले छपी तो नहीं है? अगर लगभग छप चुकी है तो फिर आपकी रचना छपना कुछ मुश्किल रहेगा।
- भाषा : केवल हिंदी (नोट : अंग्रेजी में आलेख नहीं छापे जाते हैं)
- फॉण्ट : केवल Mangal
- फॉण्ट साइज़ : 12
- सन्दर्भ : एंड नोट ( फूट नोट स्वीकार नहीं होंगे।)
- फाइल : वर्ड 2007 - 2010
- पीडीऍफ़ फाइल नहीं भेजें।
- आलेख वाट्स एप पर स्वीकार नहीं कर सकेंगे।
- शब्द सीमा : 2500 शब्द ( न्यूनतम), 3000 (अधिकतम)
- रेफरेंस : कम से कम 15
- स्पेसिंग : Top 1 cm, Bottom 1 cm, Left 1 cm, Right 1 cm
- शोध-सार : 150 शब्द
- 'बीज शब्द/ Key Words' : न्यूनतम दस
- आलेख के अंत में निष्कर्ष हो
- सन्दर्भ में लिखने का क्रम : पुस्तक के लेखक का नाम, लेखक का उपनाम, पुस्तक का नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन वर्ष, पृष्ठ संख्या ।
- संदर्भ से जुड़ी विस्तृत नियमावली यहाँ देखें https://app.luminpdf.com/viewer/60eb0857a615cb001169f7c3 ( सौजन्य : मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर का हिंदी विभाग )
- लेखक का नाम, पद, पता, ई-मेल, मोबाइल नंबर आलेख के अंत में ज़रूर लिखिएगा। इसके अभाव में सम्पादन की किसी भी स्टेज पर हमारी टीम द्वारा आपसे सम्पर्क करना एकदम मुश्किल हो जाता है।
- हमारा ई-मेल पता है : apnimaati.com@gmail.com
- आलेख में वर्तनी की अशुद्दियां होने पर आलेख अस्वीकृत होने के सर्वाधिक अवसर मौजूद रहते हैं।
(6) संलग्न / Attachments
(A) आलेख की मौलिकता और अप्रकाशित होने का सत्यापन। (अलग से कोई विशिष्ट फोर्मेट नहीं है ई-मेल में ही लिखकर भेज सकते हैं। )
(B) आपका फोटो और आलेख में शामिल फोटो, सारणियाँ, टेबल्स, ग्राफ आदि अलग से अटैच करके भेजें।
(C) आपका कोई एक पहचान पत्र जिसमें फोटो लगा हुआ हो।
(7) प्राथमिकता :
(A) सबसे पहले आलेख शामिल करते समय हम अपनी पत्रिका के सदस्यों को प्राथमिकता देते हैं। आपका आलेख स्वीकृत होने पर ही हम सदस्य बनने की अपील आपको भेजेंगे। शोध आलेख में अगर आपके पीएचडी गाइड / शोध निर्देशक का भी नाम शामिल होगा या आपके शोध निर्देशक द्वारा आपके आलेख को 'अपनी माटी' के लिए भेजने की लिखित संस्तुति संलग्न करेंगे तो हम ऐसे आलेख को अतिरिक्त वरीयता देंगे।
(8) अंतिम निर्णय : सामग्री चयन, सम्पादन और प्रकाशन का अंतिम निर्णय सम्पादक मंडल का रहेगा। हम आपकी रचना में सम्पादन के दौरान अपनी तरफ से कोई अंश जोड़ेंगे नहीं पर कुछ अंश ज़रूरत के अनुसार काट-छाँट करते हुए हटा सकेंगे। रचना में बहुत अधिक सुधार करवाने की स्थिति में हम विस्तृत सुझाव देकर आलेख अपडेट करने के लिए समय नहीं दे पाते हैं इसलिए आप उसके लिए कोई अनुनय-विनय नहीं करें तो बेहतर रहेगा।
(9) स्वैच्छिक : आपको अपनी माटी पत्रिका के प्रकाशित एक अंक या चयनित रचनाएँ पढ़कर एक पृष्ठ की लिखित टिप्पणी भेजनी होगी कि इस पत्रिका को लेकर आपकी राय क्या है? ताकि हम यह जान सकें कि आप पत्रिका की वैचारिकी से परिचित हैं कि नहीं।
(10) चयन का प्रोसेज : कुल 40 रचनाओं का अंक होता है जिसमें से 10 तो नियमित कॉलम हैं और शेष 30 शोध आलेख हो सकते हैं।
(A) Screening : अपनी माटी में सबसे पहले प्राप्त रचना को सम्पादक द्वारा स्क्रीन करके चुना जाता है। इस स्तर पर रचना अस्वीकृत होते ही लेखक को तुरंत जवाबी ई-मेल भेज देने का रिवाज़ है। हमारे यहाँ यह स्क्रीनिंग कहलाता है।
(B) Review Process : चयनित रचनाओं को सम्बंधित एक्सपर्ट या एक्सपर्ट के पैनल के पास भेजा जाता है जो कंटेंट पर फाइनल निर्णय लेते हैं। इसे रिव्यू कहते हैं। जानकार व्यक्ति अपनी सीमाओं को स्वीकारते हुए रचनाकार के लिए संक्षिप्त टिप्पणी के साथ आलेख को स्वीकृत या अस्वीकृत करता है। यह निर्णय अनंतिम माना जाता है।
(C) Proof Reading : तीसरी स्टेज पर हमारे सह-सम्पादक फोर्मेट और कंटेंट संबंधी अपडेट के लिए लेखक से सम्पर्क करके रचना को छपने योग्य बनाते हैं। यहाँ रचनाकार को गुणवत्ता के लिहाज से पत्रिका का सहयोग करना होता है। यहाँ भी गुणवत्ता बनाए रखने के क्रम में आलेख को ज्यादा दिक्कतभरा होने पर अस्वीकृत किया जा सकता है।
(D) Ready to Print : यहीं अंतिम रूप से चयनित रचना की प्रूफ रीडिंग की जाती है। अंक छपने की तारीख से दस दिन पहले सभी रचनाएँ तकनिकी टीम के पास ऑनलाइन प्रकाशन हेतु भेजी जाती है। इस पूरे प्रोसेज के बारे में सम्बंधित लेखक को लगातार अपडेट करने का प्रयास करते हैं। अंक छपने के बाद लेखक को प्रकाशित रूप को चेक करने के लिए लिंक शेयर किया जाता है। सभी की संतुष्टि के बाद अनुक्रमणिका जारी की जाती है।
प्रूफ हेतु ध्यान रखने योग्य बातें
- सबसे उपर पहले विधा का नाम लिखें जैसे - कविता, शोध आलेख, आलेख, साक्षात्कार या कहानी आदि।
- पहली पांच पंक्तियों में ही अगर वर्तनी की भारी अशुद्धियाँ हैं तो आलेख का अस्वीकृत होना तय हो जाएगा।
- शुरुआती रिव्यू में भी चयन का एक ज़रूरी आधार वर्तनी की शुद्धता है।
- रचना का शीर्षक और लेखक का केवल नाम लिखकर बोल्ड कर दें।
- 'शोध सार' को बोल्ड करें।
- 'बीज शब्द' को बोल्ड करें।
- प्रत्येक पैरेग्राफ के बाद एक इंटर का गेप रखें।
- पैरेग्राफ की शुरुआत में एक टैब लगाएं।
- पूरे आलेख में किसी तरह की फोर्मेटिंग से बचें।
- गणित के अंक अंतर्राष्ट्रीय मानक संख्या 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10, में ही लिखें।
- प्रत्येक सन्दर्भ जब हू-ब-हू कहीं से लिया गया है तो ''....'' कौमा के अंदर लिखें। संदर्भ समाप्त होने पर संदर्भ संख्या लिखें जैसे 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10, और इसका विस्तृत संदर्भ आलेख के अंत में उसी क्रम से सूचीबद्ध करें।
- आलेख की वर्ड फाइल में अपना खुद का फोटो इन्सर्ट न करें।
- प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर पूर्ण विराम चिहन अंतिम शब्द के तुरंत बाद चिपका हुआ हो न कि एक स्पेस के बाद। इसी तरह अल्प विराम (, ) भी शब्द से चिपका हुआ हो और उसके बाद एक स्पेस ज़रूर हो।
- ( ) के बीच लिखे शब्दों से यह कोष्ठक एकदम सटे हुए हों।
- ( - ) योजक चिहन के दोनों तरफ के शब्द योजक चिहन से सटे हुए हों न कि एक स्पेस के बाद।
- प्रत्येक शब्द के बीच सिंगल स्पेस हो न कि इससे ज्यादा अनावश्यक स्पेस।
- आलेख में ज़रूरी सन्दर्भ के अलावा अनावश्यक अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- 'मूल आलेख' शब्द बोल्ड करें।
- आलेख में जितने भी उप-शीर्षक आते हैं उन्हें बोल्ड किया जा सकता है।
- कवितांश के अलावा किसी भी रेफरेंस को बोल्ड नहीं करना हैं ।
- आलेख के अंत में 'निष्कर्ष' ज़रूर लिखना है।
- याद रहे शोध-सार और निष्कर्ष में किसी भी रेफरेंस का उपयोग नहीं करना वह एकदम आपकी अपनी भाषा में हों तो बेहतर रहेगा।
- शोध आलेख न होकर साधारण आलेख होने पर शोध-सार, बीज-शब्द, निष्कर्ष आदि तकनिकी पक्षों से छूट मिलेगी।
- 'सन्दर्भ' बोल्ड करके लिखें और सूची बनाकर समस्त संदर्भ पुस्तक के लेखक का नाम, लेखक का उपनाम, पुस्तक का नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन वर्ष, पृष्ठ संख्या क्रम से लिखें।
- आलेख के अंत में पांच पंक्ति का पता लिखना हैं जहां क्रम से अपना नाम, पद, संस्था, शहर, ई-मेल, मोबाइल नंबर बोल्ड अक्षरों में लिखना हैं।
- पूरे आलेख का फॉण्ट एक ही तरह का 'Mangal' हो और साइज़ भी एक जैसी ही '12' रखनी है।
- पूरा आलेख 'जस्टिफाइड' हो न कि लेफ्ट या राईट अलाइनमेंट के साथ।
- सन्दर्भ लिखने में हमारी नियमावली का पालन शत प्रतिशत करना ही है।
UGC Care List Approved
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(नोट: इससे पहले भी यूजीसी के द्वारा जारी की गयी मान्यता प्राप्त पत्रिकाओं की सूची में 'अपनी माटी' www.apnimaati.com - त्रैमासिक हिंदी वेब पत्रिका को कुछ माह के लिए शामिल किया गया था। यूजीसी की वेबसाईट – ugc.ac.in/journalist/ - में 'अपनी माटी' को क्र.सं./S.No. 6009 में कला और मानविकी (Arts & Humanities) श्रेणी के अंतर्गत सम्मिलत किया गया था। उस दौरान केवल दो अंक ही प्रकाशित हुए थे अब July 2021 से यानी अंक 35-36 संयुक्तांक से अंक फिर से UGC Care Listed हैं।)
- अंक पच्चीस http://www.apnimaati.com/2017/11/25.html
- अंक छब्बीस http://www.apnimaati.com/2018/02/26.html
देश विदेश के चित्रकार साथियों के लिए
- नमस्कार, अपनी माटी ई-पत्रिका एक प्रतिष्ठित ई पत्रिका है जो एक पंजीकृत संस्थान द्वारा संचालित है।
- हमारी ई-पत्रिका में एक अवसर है जहाँ आप जैसे चित्रकार साथी अपनी पेंटिंग्स के चित्र प्रदर्शित कर सकते हैं। हमारे त्रैमासिक अंक में हर बार हम एक चित्रकार की लगभग 60 पेंटिंग्स को प्रकाशित करते हैं।
- आपको हमें अपना बायो डेटा/प्रोफाइल , फोटो और चयनित दस चित्र पहले हमारे सह-सम्पादक डॉ. संदीप कुमार मेघवाल (मो. न. 9024443502) को sandeepart01@gmail.com ई मेल द्वारा भेजने होते हैं। हमारा बोर्ड उनका चयन करके आपको चयन की सूचना देता है तो आपको 60 फोटो भेजने होते हैं। सामान्यतया हम अमूर्त चित्र छापते हैं।
- आए हुए चित्रों को हम हमारे प्रकाशित होने वाले अंक में छापते हैं। चित्र अच्छे और बड़े पिक्स़ल में भेजें।
- अंक में प्रत्येक चित्र के साथ आपकी कोंटेक्ट डिटेल्स छापते हैं ताकि लोग सीधे आपसे संपर्क कर सकें।
- इस बाबत हम आपको किसी भी तरह का आर्थिक मानदेय नहीं दे पाएँगे।