शोध नियमावली / Guidelines

'अपनी माटी' 
 ( साहित्य और समाज का दस्तावेज़ीकरण )
 'UGC CARE Approved Journal'

 'समकक्ष व्यक्ति समीक्षित जर्नल' (PEER REVIEWED/REFEREED JOURNAL)
( ISSN 2322-0724 Apni Maati ) 

शोध आलेख भेजने संबंधी ज़रूरी निवेदन

नमस्कार, आपने यह जानकारी पढ़ने में रूचि दिखाई उसके लिए आभारी हैं। 'अपनी माटी' त्रैमासिक ई-पत्रिका है और इसके एक वर्ष में चार सामान्य अंक 30 जून, 30 सितम्बर, 31 दिसम्बर और 31 मार्च को छपते हैं। सामान्य अंक विशेषांक से एकदम अलग होते हैं। रचना प्रकाशन हेतु स्वीकृत हुई या नहीं इसकी जानकारी प्रकाशन की तारीख के पंद्रह दिन पहले ही दी जाती है इससे पहले नहीं। तय तारीखों के अलावा किसी तरह के दबाव में आलेख स्वीकार नहीं कर पाते हैं।
  1. ज्यादा जानकारी के लिए पत्रिका की वेबसाईट https://www.apnimaati.com/p/free-advertisement-scheme.html?m=1 देखिएगा जहां आवश्यक सभी प्रश्न और उनके यथासंभव उचित उत्तर देने का प्रयास किया गया है।
(1) आलेख का क्षेत्र
    1. हिंदी साहित्य
    2. इतिहास
    3. राजनीति विज्ञान
    4. फाइन आर्ट
    5. शिक्षा
    6. संस्कृत
    7. दर्शन
    8. समाजशास्त्र
    9.  भूगोल
    10. गांधी दर्शन
    11. अम्बेडकर दर्शन
    12. दलित विमर्श
    13. थर्ड जेंडर विमर्श
    14. स्त्री विमर्श
    15. पर्यावरण
    16. अनुवाद
    17. आदिवासी विमर्श
    18. सिनेमा
    19. जनसंचार
    20. बाल साहित्य
    21. लोक संस्कृति
    22. योग

(2) आलेख के फोर्मेट 
 (A) समाज विज्ञान के लिए https://www.apnimaati.com/2023/03/blog-post_60.html
(B) साहित्य के लिए http://www.apnimaati.com/2021/07/blog-post_20.html (किसी एक कृति विशेष पर केन्द्रित समीक्षानुमा आलेख को छापने से हम बचते हैं)
(C) शिक्षा के लिए https://www.apnimaati.com/2021/12/blog-post_91.html

(3) प्रकाशन का स्वरुप : हमारी पत्रिका का कोई प्रिंट वर्जन नहीं छपता है। हम छापकर कोई पीडीऍफ़ वर्जन भी नहीं भेज पाते हैं। ऑन डिमांड कुछ हार्ड प्रिंट प्रतियां हम छपवाते हैं जिन्हें आपको प्रकाशक से खरीदनी होती है  हमारी पत्रिका का इम्पेक्ट फेक्टर स्केल जनरेट नहीं किया हुआ है

(4) सामान्य अंक / विशेषांक : हम हमेशा सामान्य अंक ही प्रकाशित करते हैं। बीते सालों में कुछ विशेषांक निकले हैं। अगर आगे भी विशेषांक की कोई योजना होगी तो हम पत्रिका के पोर्टल पर इस बात की घोषणा करेंगे।आप यहाँ अप्रकाशित रचनाएँ ही भेजें। 

(5) तकनिकी पक्ष
  •     अगर आप हाल ही में अपनी माटी में छपे हैं तो छपने के बाद 2 साल तक कोई रचना नहीं भेजें, हम आपको नहीं छाप पाएंगे क्योंकि हम देशभर के लेखकों तक पहूंचना चाहते हैं और यह इसी तरह संभव है
  •     रचना भेजने से पहले गूगल करके देख लें कि उस टाइटल के आसपास की रचना 'अपनी माटी' में पहले          छपी तो नहीं है? अगर लगभग छप चुकी है तो फिर आपकी रचना छपना कुछ मुश्किल रहेगा
  •       भाषा : केवल हिंदी (नोट : अंग्रेजी में आलेख नहीं छापे जाते हैं)
  •       फॉण्ट :  केवल Mangal
  •       फॉण्ट साइज़ : 12 
  •       सन्दर्भ : एंड नोट ( फूट नोट स्वीकार नहीं होंगे)
  •       फाइल : वर्ड 2007 - 2010
  •       पीडीऍफ़ फाइल नहीं भेजें।
  •       आलेख वाट्स एप पर स्वीकार नहीं कर सकेंगे।    
  •       शब्द सीमा : 2500 शब्द ( न्यूनतम), 3000 (अधिकतम) (विषय विशेष में यह सीमा आगे बढ़ाई जा सकेगी)
  •       रेफरेंस : कम से कम 15
  •       स्पेसिंग : Top 1 cm, Bottom 1 cm, Left 1 cm, Right 1 cm
  •       शोध-सार : 150 शब्द
  •       'बीज शब्द/ Key Words' : न्यूनतम दस
  •       आलेख के अंत में निष्कर्ष हो
  •     सन्दर्भ में लिखने का क्रम : पुस्तक के लेखक का नाम, लेखक का उपनाम, पुस्तक का नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन वर्ष, पृष्ठ संख्या 
  • संदर्भ से जुड़ी विस्तृत नियमावली यहाँ देखें https://app.luminpdf.com/viewer/60eb0857a615cb001169f7c3 (  सौजन्य : मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर का हिंदी विभाग )
  • लेखक का नाम, पद, पता, ई-मेल, मोबाइल नंबर आलेख के अंत में ज़रूर लिखिएगा। इसके अभाव में सम्पादन की किसी भी स्टेज पर हमारी टीम द्वारा आपसे सम्पर्क करना एकदम मुश्किल हो जाता है।
  •  हमारा ई-मेल पता है : apnimaati.com@gmail.com  
  •  आलेख में वर्तनी की अशुद्दियां होने पर आलेख अस्वीकृत होने के सर्वाधिक अवसर मौजूद रहते हैं
(6) संलग्न / Attachments
        (A) आलेख की मौलिकता और अप्रकाशित होने का सत्यापन। (अलग से कोई विशिष्ट फोर्मेट नहीं है ई-मेल में ही लिखकर भेज सकते हैं )
        (B) आपका फोटो और आलेख में शामिल फोटो, सारणियाँ, टेबल्स, ग्राफ आदि अलग से अटैच करके भेजें
         (C) आपका कोई एक पहचान पत्र जिसमें फोटो लगा हुआ हो

(7) प्राथमिकता : 
    (A) सबसे पहले आलेख शामिल करते समय हम अपनी पत्रिका के सदस्यों को प्राथमिकता देते हैं। आपका आलेख स्वीकृत होने पर ही हम सदस्य बनने की अपील आपको भेजेंगे शोध आलेख में अगर आपके पीएचडी गाइड / शोध निर्देशक का भी नाम शामिल होगा या आपके शोध निर्देशक द्वारा आपके आलेख को 'अपनी माटी' के लिए भेजने की लिखित संस्तुति संलग्न करेंगे तो हम ऐसे आलेख को अतिरिक्त वरीयता देंगे    

(8) अंतिम निर्णय :  सामग्री चयन, सम्पादन और प्रकाशन का अंतिम निर्णय सम्पादक मंडल का रहेगा। हम आपकी रचना में सम्पादन के दौरान अपनी तरफ से कोई अंश जोड़ेंगे नहीं पर कुछ अंश ज़रूरत के अनुसार काट-छाँट करते हुए हटा सकेंगे रचना में बहुत अधिक सुधार करवाने की स्थिति में हम विस्तृत सुझाव देकर आलेख अपडेट करने के लिए समय नहीं दे पाते हैं इसलिए आप उसके लिए कोई अनुनय-विनय नहीं करें तो बेहतर रहेगा

(9) स्वैच्छिकआपको अपनी माटी पत्रिका के प्रकाशित एक अंक या चयनित रचनाएँ पढ़कर एक पृष्ठ की लिखित टिप्पणी भेजनी होगी कि इस पत्रिका को लेकर आपकी राय क्या है? ताकि हम यह जान सकें कि आप पत्रिका की वैचारिकी से परिचित हैं कि नहीं

(10)  चयन का प्रोसेज : कुल 40 रचनाओं का अंक होता है जिसमें से 10 तो नियमित कॉलम हैं और शेष 30 शोध आलेख हो सकते हैं
         (A) Screening : अपनी माटी में सबसे पहले प्राप्त रचना को सम्पादक द्वारा स्क्रीन करके चुना जाता है। इस स्तर पर रचना अस्वीकृत होते ही लेखक को तुरंत जवाबी ई-मेल भेज देने का रिवाज़ है। हमारे यहाँ यह स्क्रीनिंग कहलाता है

        (B) Review Process : चयनित रचनाओं को सम्बंधित एक्सपर्ट या एक्सपर्ट के पैनल के पास भेजा जाता है जो कंटेंट पर फाइनल निर्णय लेते हैं। इसे रिव्यू कहते हैं। जानकार व्यक्ति अपनी सीमाओं को स्वीकारते हुए रचनाकार के लिए संक्षिप्त टिप्पणी के साथ आलेख को स्वीकृत या अस्वीकृत करता है। यह निर्णय अनंतिम माना जाता है। 

       (C) Proof Readingतीसरी स्टेज पर हमारे सह-सम्पादक फोर्मेट और कंटेंट संबंधी अपडेट के लिए लेखक से सम्पर्क करके रचना को छपने योग्य बनाते हैं। यहाँ रचनाकार को गुणवत्ता के लिहाज से पत्रिका का सहयोग करना होता है यहाँ भी गुणवत्ता बनाए रखने के क्रम में आलेख को ज्यादा दिक्कतभरा होने पर अस्वीकृत किया जा सकता है

         (D) Ready to Printयहीं अंतिम रूप से चयनित रचना की प्रूफ रीडिंग की जाती है। अंक छपने की तारीख से दस दिन पहले सभी रचनाएँ तकनिकी टीम के पास ऑनलाइन प्रकाशन हेतु भेजी जाती है। इस पूरे प्रोसेज के बारे में सम्बंधित लेखक को लगातार अपडेट करने का प्रयास करते हैं। अंक छपने के बाद लेखक को प्रकाशित रूप को चेक करने के लिए लिंक शेयर किया जाता है। सभी की संतुष्टि के बाद अनुक्रमणिका जारी की जाती है 

प्रूफ हेतु ध्यान रखने योग्य बातें
  1. सबसे उपर पहले विधा का नाम लिखें जैसे - कविता, शोध आलेख, आलेख, साक्षात्कार या कहानी आदि
  2. पहली पांच पंक्तियों में ही अगर वर्तनी की भारी अशुद्धियाँ हैं तो आलेख का अस्वीकृत होना तय हो जाएगा।
  3. शुरुआती रिव्यू में भी चयन का एक ज़रूरी आधार वर्तनी की शुद्धता है।
  4. रचना का शीर्षक और लेखक का केवल नाम लिखकर बोल्ड कर दें।
  5. 'शोध सार' को बोल्ड करें।
  6. 'बीज शब्द' को बोल्ड करें।
  7. प्रत्येक पैरेग्राफ के बाद एक इंटर का गेप रखें।
  8. पैरेग्राफ की शुरुआत में एक टैब लगाएं।
  9. पूरे आलेख में किसी तरह की फोर्मेटिंग से बचें।
  10. गणित के अंक अंतर्राष्ट्रीय मानक संख्या 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10, में ही लिखें।
  11. प्रत्येक सन्दर्भ जब हू-ब-हू कहीं से लिया गया है तो ''....'' कौमा के अंदर लिखें। संदर्भ समाप्त होने पर संदर्भ संख्या लिखें जैसे 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10, और इसका विस्तृत संदर्भ आलेख के अंत में उसी क्रम से सूचीबद्ध करें।
  12. आलेख की वर्ड फाइल में अपना खुद का फोटो इन्सर्ट न करें।
  13. प्रत्येक वाक्य की समाप्ति पर पूर्ण विराम चिहन अंतिम शब्द के तुरंत बाद चिपका हुआ हो न कि एक स्पेस के बाद। इसी तरह अल्प विराम (, ) भी शब्द से चिपका हुआ हो और उसके बाद एक स्पेस ज़रूर हो।
  14. ( ) के बीच लिखे शब्दों से यह कोष्ठक एकदम सटे हुए हों।
  15. ( - ) योजक चिहन के दोनों तरफ के शब्द योजक चिहन से सटे हुए हों न कि एक स्पेस के बाद।
  16. प्रत्येक शब्द के बीच सिंगल स्पेस हो न कि इससे ज्यादा अनावश्यक स्पेस 
  17. आलेख में ज़रूरी सन्दर्भ के अलावा अनावश्यक अंग्रेजी शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
  18. 'मूल आलेख' शब्द बोल्ड करें।
  19. आलेख में जितने भी उप-शीर्षक आते हैं उन्हें बोल्ड किया जा सकता है।
  20. कवितांश के अलावा किसी भी रेफरेंस को बोल्ड नहीं करना हैं ।
  21. आलेख के अंत में 'निष्कर्ष' ज़रूर लिखना है।
  22. याद रहे शोध-सार और निष्कर्ष में किसी भी रेफरेंस का उपयोग नहीं करना वह एकदम आपकी अपनी भाषा में हों तो बेहतर रहेगा।
  23. शोध आलेख न होकर साधारण आलेख होने पर शोध-सार, बीज-शब्द, निष्कर्ष आदि तकनिकी पक्षों से छूट मिलेगी।
  24. 'सन्दर्भ' बोल्ड करके लिखें और सूची बनाकर समस्त संदर्भ पुस्तक के लेखक का नाम, लेखक का उपनाम, पुस्तक का नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन वर्ष, पृष्ठ संख्या क्रम से लिखें
  25. आलेख के अंत में पांच पंक्ति का पता लिखना हैं जहां क्रम से अपना नाम, पद, संस्था, शहर, ई-मेल, मोबाइल नंबर बोल्ड अक्षरों में लिखना हैं।
  26. पूरे आलेख का फॉण्ट एक ही तरह का 'Mangal' हो और साइज़ भी एक जैसी ही '12' रखनी है।
  27. पूरा आलेख 'जस्टिफाइड' हो न कि लेफ्ट या राईट अलाइनमेंट के साथ।
  28. सन्दर्भ लिखने में हमारी नियमावली का पालन शत प्रतिशत करना ही है।


UGC Care List Approved 
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(नोट: इससे पहले भी यूजीसी के द्वारा जारी की गयी मान्यता प्राप्त पत्रिकाओं की सूची में 'अपनी माटी' www.apnimaati.com - त्रैमासिक हिंदी वेब पत्रिका को कुछ माह के लिए शामिल किया गया था। यूजीसी की वेबसाईट – ugc.ac.in/journalist/ - में 'अपनी माटी' को क्र.सं./S.No. 6009 में कला और मानविकी (Arts & Humanities) श्रेणी के अंतर्गत सम्मिलत किया गया था। उस दौरान केवल दो अंक ही प्रकाशित हुए थे अब July 2021 से यानी अंक 35-36 संयुक्तांक से अंक फिर से UGC Care Listed हैं। Multi Discipline-1 पर दर्ज है )
  1. अंक पच्चीस http://www.apnimaati.com/2017/11/25.html
  2. अंक छब्बीस http://www.apnimaati.com/2018/02/26.html
देश विदेश के चित्रकार साथियों के लिए 
  1. नमस्कार, अपनी माटी ई-पत्रिका एक प्रतिष्ठित ई पत्रिका है जो एक पंजीकृत संस्थान द्वारा संचालित है
  2. हमारी ई-पत्रिका में एक अवसर है जहाँ आप जैसे चित्रकार साथी अपनी पेंटिंग्स के चित्र प्रदर्शित कर सकते हैं। हमारे त्रैमासिक अंक में हर बार हम एक चित्रकार की लगभग 60 पेंटिंग्स को प्रकाशित करते हैं
  3. आपको हमें अपना बायो डेटा/प्रोफाइल , फोटो और चयनित दस चित्र पहले हमारे सह-सम्पादक डॉ. संदीप कुमार मेघवाल (मो. न. 9024443502) को sandeepart01@gmail.com ई मेल द्वारा भेजने होते हैं। हमारा बोर्ड उनका चयन करके आपको चयन की सूचना देता है तो आपको 60 फोटो भेजने होते हैं। सामान्यतया हम अमूर्त चित्र छापते हैं।
  4. आए हुए चित्रों को हम हमारे प्रकाशित होने वाले अंक में छापते हैं। चित्र अच्छे और बड़े पिक्स़ल में भेजें
  5. अंक में प्रत्येक चित्र के साथ आपकी कोंटेक्ट डिटेल्स छापते हैं ताकि लोग सीधे आपसे संपर्क कर सकें
  6. इस बाबत हम आपको किसी भी तरह का आर्थिक मानदेय नहीं दे पाएँगे। 

   

'अपनी माटी' ई-पत्रिका से सम्बद्ध पूछताछ संबंधी ज़रूरी प्रश्न और उनके उत्तर

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आपकी संस्था पंजीकृत है? - 'अपनी माटी संस्थान' चित्तौड़गढ़ ( पंजीयन संख्या 50 /चित्तौड़गढ़/2013 

पत्रिका की मान्यता है? - UGC CARE Approved Journal / त्रैमासिक ई-पत्रिका / Multi Disciplinary -1

पत्रिका का ISSN नम्बर क्या है? -  ISSN 2322-0724 Apni Maati 

सम्पादक कौन हैं? - माणिक और जितेन्द्र यादव

पत्रिका प्रिंट में छपती है क्या? - हाँ (ऑन डिमांड)


हार्ड प्रिंट कहाँ से खरीदें? -

प्रत्येक सामान्य अंक में लगभग कितनी रचनाएं छपती हैं ? - 50

प्रत्येक सामान्य अंक में लगभग कितने कॉलम नियमित हैं ? -10

आलेख प्रकाशन में पहली प्राथमिकता किसको मिलती है ? - पत्रिका के चयनित सदस्यों को

प्रकाशित आलेख का सर्टिफिकेट मिलता है? - नहीं

क्या हम सीधे सदस्यता ले सकते हैं ? - नहीं ( सदस्य किसे बनाना है यह हम खुद चुनते हैं सामान्यतया आलेख स्वीकृत होने पर हम सदस्य बनने की अपील भेजते हैं तभी आप सदस्य बनकर प्राथमिकता पा सकते हैं।)

पत्रिका का परिचय क्या है? - https://www.apnimaati.com/p/about-us.html

आगामी अंक कब और किस पर केन्द्रित है? - https://www.apnimaati.com/p/manik.html

शोध पत्र की कोई नियमावली है? - https://www.apnimaati.com/p/infoapnimaati.html

सम्पादन मंडल का क्या स्वरुप है? - https://www.apnimaati.com/p/blog-page_13.html

क्या पत्रिका PEER रिव्यूड जर्नल है? - हाँ

क्या वाट्स एप आलेख स्वीकार किए जाते हैं ? - नहीं

शोध पत्र के अलावा क्या छपता है? - साहित्य की समस्त विधाएं

सदस्यता या आर्थिक सहयोग का तरीका क्या है? - https://www.apnimaati.com/p/blog-page.html

पुराने अंक कहाँ मिलेंगे? - https://www.apnimaati.com/p/ank.html

स्वीकृत आलेखों की सूची कहाँ मिलेगी? - https://www.apnimaati.com/p/blog-page_16.html

आपका वाट्स एप चैनल ज्वाइन कर सकते हैं? - https://www.whatsapp.com/channel/0029VaE5MLJJpe8cP0u8yW2A

आपका ईमेल पता क्या है? - apnimaati.com@gmail.com

आलेख किस भाषा में छापते हैं : -केवल हिंदी भाषा में

आलेख छपवाने के लिए किससे रिकमंड करवाएं? - रिकमंड करवाने वालों के आलेख हम नहीं छापते हैं

प्रत्येक वर्ष चार अंक छपते हैं
(प्रति अंक : 40 रचनाएं)
  • पहला अंक 
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 May
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 30 June
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 30 June
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 31 July
  • दूसरा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 August
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 30 September
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 30 September
    • अंक प्रकाशन दिनांक :  31 October
  • तीसरा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 November
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 31 December
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 31 December
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 31 January
  • चौथा अंक
    • आलेख आमंत्रित : 1-15 February
    • स्वीकृति-अस्वीकृति सूचना : 31 March
    • आलेख प्रकाशन तिथि : 31 March
    • अंक प्रकाशन दिनांक : 30 April
  • इसके पहले और बाद में भेजे गए आलेख के ईमेल अपने आप डिलीट माने लीजिएगा। स्वीकृति/अस्वीकृति की जानकारी केवल ईमेल पर ही देते हैं। स्वीकृत रचनाएँ पोर्टल पर सूची में देख सकते हैं। अस्वीकृत रचनाओं के बारे में हम कोई स्पष्टीकरण नहीं देते हैं और रिव्यू बोर्ड के निर्णय सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं उनके लिए हमें न लिखें। ज्यादा जानकारी के लिए पत्रिका की वेबसाईट https://www.apnimaati.com/p/free-advertisement-scheme.html देखिएगा। शोध आलेख से जुड़ी हमारी एक नियमावली https://www.apnimaati.com/p/infoapnimaati.html है उसे देखकर ही आलेख भेजें ताकि प्रकाशित होने के अवसर बढ़ सकें। 
                                                                        

हमारी रूचि कथेतर में है और उनसे जुड़े कॉलम के लिए आपकी रचनाओं का स्वागत है
  1. 'नदी के नाम लम्बी चिट्ठी' : यह 'अपनी माटी' का नया कॉलम है जिसमें आपको भावुक होने का पूरा मौका मिलेगा। आप अपनी पसंद या संगत की 'नदी' को अपने समस्त विचार व्यक्त करते हुए एक चिट्ठी लिख सकते हैं जिसमें अतीत-राग, अतीत-बोध, अतीत-मोह सहित वर्तमान के संकट और सांस्कृतिक वैभव को आप बहुत दिली अंदाज़ में उकेर सकें। भारतीय परिदृश्य में पर्यावरणीय नज़रिए से भी नदियों को संबोधित करते हुए माफ़ी मांगने की ज़रूरत है। हमारे देश में नदियों के किनारे समृद्ध शहरों की गौरवमयी संस्कृति आज भी जीवंत है, उसे लिखने का एक ख़ास अवसर इसमें आपको मिल सकेगा। संभव हो कि आपके अपने शहर में कोई नदी बहती हो या फिर नदी वाले शहर में आपका लंबा प्रवास रहा हो। नदियाँ हमारी परम्परा में बेहद आत्मीयता से पूजी जाती रही हैं मगर वक़्त के साथ देखने में आ रहा है कि उनकी स्थितियां बदतर होती जा रही हैं। यात्रा साहित्य सहित कथा-कविता में नदियों का भरपूर ज़िक्र होता रहा है फिर भी यह कॉलम किसी नदी विशेष को अपने मन की बात कहने का नया स्पेस दे रहा है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  2. 'शहर : जैसा मैंने जाना' : 'अपनी माटी' पत्रिका में आरम्भ हुआ यह एक नया कॉलम है जिसमें आप अपने शहर को बहुत करीबी अंदाज़ में महसूसते हुए लिख सकते हैं। हर शहर के बसने और बने रहने का एक विशिष्ट अंदाज़ होता है। बनावट से लेकर बुनावट तक। आपकी स्मृतियों में शहर कैसे बड़ा हुआ उसे चित्रित करने के नाम रहेगा यह कॉलम। इतिहास से शुरू करते हुए आज तक की यात्रा। यह आपका वर्तमान शहर हो तो बढ़िया नहीं तो बीते वक़्त की यादों के सहारे भी किसी शहर को आप स्मरण कर सकते हैं। अपने ही दिल के टुकड़े किसी शहर की सड़कों, इमारतों और आयोजनों को लाड़ करने का यह विलग तरीका हमने संजोया है। 'शहरनामा' अब कई पत्रिकाओं में आरम्भ हो चुका है।  किसी नगर को चूमने का यह अंदाज़ जुदा साबित हो सकता है। वहाँ का खानपान, हलवाई गली से लेकर गाली-गलोज तक। शहर विशेष में कुछ तो जादू होता है जिसके कारण हम उसे छोड़कर कहीं जाना नहीं चाहते हैं। कुछ दिनों के बिछोह के बाद ही तुरत-फुरत में लौटने का जी करता है। यात्राओं के दौरान परिचय देते हुए हमें अपने शहर का नाम लेते हुए न्यारी अनुभूति के साथ फ़क्र होता है। कभी वहां की साहित्यिक मंडलियाँ लोकप्रिय होती हैं तो कभी रंगमंच और सांस्कृतिक समारोह की कोई श्रृंखला शहर को नई पहचान दे जाती है। कथेतर गद्य के इस कॉलम में आपका स्वागत है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  3. 'गाँव-गुवाड़' : गाँव की खोज-ख़बर वाले इस कॉलम में आप अपने गाँव की असल तस्वीर डायरी वाले अंदाज़ में लिख सकें तो आपका स्वागत है।  यह सब संस्मरण जैसा लेखन होगा। खेतीबाड़ी के बीच संकटभरा जीवन और विकास से बहुत दूर साँस लेता देहात यहाँ वर्णन के केंद्र में रहे तो बेहतर रहेगा। गाँव की स्टीरियो टाइप इमेज से अलग वहां की सचाई आपकी कलम के मार्फ़त सामने आ सके तो ऐसे यथार्थ के प्रति झुकाव वाले लेखकों का यहाँ स्वागत है। विश्व में गुम होता गाँव हमारी चिंता का विषय है वहीं वैचारिक प्रदुषण की मार झेलते गाँव की मनोदशा सामने लाना एक बड़ा उद्देश्य है। 'ग्लोबल विलेज' के वक़्त में क्या अब तक वहां कुछ बचा है जिसे आधुनिकता नाम की हवा न लगी हो क्षेत्र-विशेष की बोली, गीत, गाथाएं और पहनावा जैसा कुछ शेष हो तो उसे लिखा जा सकता है। तीज-त्यौहार पर मनोयोग से मनाई जाती परम्पराएं भी यहाँ साझा कर सकते हैं। हथाई और रतजगे में गप लड़ाने का आनंद भी यहाँ समा सकें तो कितना बढ़िया हो। कथेतर गद्य के इस कॉलम में आपका स्वागत है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। 
  4. 'केम्पस के किस्से' : 'अपनी माटी' ई-पत्रिका के इस कॉलम में यदि आप में से कोई युवा साथी जो देश की विभिन्न यूनिवर्सिटी में से किसी में वर्तमान में पढ़ता हो या कभी पढ़ा हो और जो वहाँ के कल्चर को आत्मकथात्मक शैली में खुलकर लिखना चाहता हो, उनका स्वागत है। कथेतर गद्य को प्राथमिकता देने के क्रम में युवाओं को मौका देना हमारा ख़ास मकसद है। यदि आपके मिलने वालों में कोई इस तरह के विषय को भाषा में गूंथ सकता है तो सम्पर्क करने को कहिएगा। यहाँ न्यूनतम लगभग 2500 शब्द-सीमा में अपनी रचना भेजनी होगी जो यूनिकोड फॉण्ट में हो। अपने किस्सों के साथ चयनित पांच चित्र भी भेज सकें तो बेहतर रहेगा। यहाँ आप अपने अध्ययन, अध्यापन, गुरु-विद्यार्थी सम्बन्ध, होस्टल लाइफ, गपबाजी, उत्सव, आयोजन, वैचारिकी आन्दोलन, केंटिन की अड्डेबाजी, बातों के रतजगे आदि को केंद्र में रखकर लिख सकते हैं। साथ ही यहाँ से दुनिया आपको कैसी दिखती है और यहाँ आने से पहले दुनिया कैसी थी, को भी लिखा जा सकता है। डूबकर लिखना है और भरपूर आत्मीय होकर ही लिखा जाए तो बेहतर रहेगा। सार्थक संवाद की आस में आपके लेखन का इंतज़ार शुरू हो चुका है। युवामन को अभिव्यक्ति देने के मानस से यह कॉलम शुरू किया गया है। उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के पास बहुत कुछ अनकहा शेष है। वर्तमान को समझने में 'जी-जेन' पीढ़ी और 'एआई' के दौर में विचारों के साथ दिनचर्या में भारी बदलाव आ रहे हैं। इन्हीं सब के बीच गुरु-शिष्य संबंधों में कितना परिवर्तन आया है, इस कॉलम के मार्फ़त सामने आ सके तो कितना अच्छा रहेगा। पाठकों ने अब तक इस कॉलम की प्रकाशित किस्तों को खूब सराहा है। 
  5. 'अध्यापक के अनुभव' : इस कॉलम में अध्यापन के अनुभव या आत्मकथ्य प्रकाशित करेंगे जिसमें कोई भी अध्यापक या प्रोफेसर अपनी अनुभूति लिख भेज सकता है। हालांकि वर्तमान की चीरफाड़ करके लिखना तनिक मुश्किल और साहसभरा काम है हमारा मानना है कि शिक्षा के माध्यम से ही जागृति संभव है। देश के सुदूर इलाकों में कई अध्यापक न्यारे ढंग से कामकाज कर रहे हैं और उनके अनुभव बहुत सघन और बिरले होते हैं। उन्हें यहाँ अपनी बात रखने का एक मौका उपलब्ध रहेगा। बहुत साफगोई के साथ यहाँ लेखन और प्रकाशन की गुंजाइश रखी है। अगर संभव हो तो आप भी कोशिश करिएगा या फिर अपने किसी अध्यापक मित्र को कहें जो अपनी बीती हुई बातें यहाँ लिखना चाहें। विद्यालय और कहीं-कहीं कॉलेज शिक्षा में  बहुत अलग-अलग तरीकों से अलख जगाने की ख़बरें हम सुनते रहे हैं। ऐसे ही मिशनरी भाव के साथ कार्यरत माड़साब के लिए यह कॉलम शुरू किया है। शब्द सीमा न्यूनतम 2500 रहेगी। अध्यापन जैसी आवश्यक वृत्ति को हमने बहुत सामान्य और नौकरी टाइप मानकर उसके प्रति उदासीन रवैया अपनाया है। देशभर में पनपे 'ट्यूशन-कल्चर' और 'कोचिंग-व्यापार' जैसी सचाई के बीच गंभीर और पठन-प्रिय अध्यापकों का अपना मान बना हुआ है। देश में कहीं भी हो रहा सृजन दूजों को प्रेरित करेगा इसी भाव के साथ आप लिखने के लिए आगे आएं। 
  6. 'गुलमोहर के फूल' और 'चीकू के बीज' : यह कॉलम हमने स्कूली विद्यार्थियों की डायरियों के प्रकाशन हेतु आरम्भ किया है। देखा गया है कि सभी का अपना-अपना सच होता है जो कई बार बहुत वर्षों बाद सामने आ पाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। यहाँ बच्चे अपने आसपास के यथार्थ को स्पष्टता से और छद्मनाम के साथ लिख सकेंगे। किशोरावस्था वाले यहाँ अपने मन का कह-लिख सकेंगे। बालमन को समझने में हमारे पाठकों को भी मदद मिल सकेगी। माता-पिता और शिक्षकों से बात-बात में बहस करने वाली वह पीढ़ी जो तर्क को केंद्र में रखती है, के लिए यह कॉलम है। बच्चे जिनके मन में वर्तमान समाज और परिवेश को जानने के क्रम में बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं। खेल के मैदान से लेकर कक्षा-कक्षों में उनके साथ होता हुआ भेदभाव भी लिखने को उकसाता होगा। एकाकीपन से उपजी ऊब और घनघोर विचारों के बीच के द्वंद्व को यहाँ लिखा जा सकता है। मन की भड़ास निकालने का एक ख़ास अवसर मानकर ही लिख लीजिएगा। कोई गलत कदम उठाएं इससे पहले अपनी पीड़ा यहाँ कह दीजिएगा। अपना संघर्ष और निराशा यहाँ साझा करें। कोई खुशी विशेष या अनूठी अनुभूति सभी के बीच लिखकर प्रसन्न होइएगा। आपकी जानकारी में कोई बाल-लेखक हो तो इस कॉलम के बारे में उन्हें बताएं। मौजूदा शिक्षा प्रणाली के प्रति कोई विरोध हो तो उसे दर्ज कराएं। देश और समाज की बेहतरी हेतु कोई आइडिया हो तो वह भी यहाँ लिखा जा सकता है। न्यूनतम शब्द सीमा 2000 रहेगी। 
  7. चित्रकार साथियों के लिए : हमारी ई-पत्रिका में एक अवसर है जहाँ आप चित्रकार साथी अपनी पेंटिंग्स के चित्र प्रदर्शित कर सकते हैं। हमारे त्रैमासिक अंक में हर बार हम एक चित्रकार की लगभग 60 पेंटिंग्स को प्रकाशित करते हैं। आपको हमें अपना बायो डेटा/प्रोफाइल, फोटो और चयनित दस चित्र पहले हमारे सह-सम्पादक डॉ. संदीप कुमार मेघवाल को sandeepart01@gmail.com ई-मेल द्वारा भेजने होते हैं। हमारा बोर्ड उनका चयन करके आपको चयन की सूचना देता है तो आपको 60 फोटो भेजने होते हैं। सामान्यतया हम अमूर्त चित्र छापते हैं। आए हुए चित्रों को हम हमारे प्रकाशित होने वाले अंक में छापते हैं। चित्र अच्छे और बड़े पिक्स़ल में भेजें। अंक में प्रत्येक चित्र के साथ आपकी कोंटेक्ट डिटेल्स छापते हैं ताकि लोग सीधे आपसे संपर्क कर सकें। इस बाबत हम आपको 1000/- रुपए का आर्थिक मानदेय दे पाएँगे। यही अवसर सृजनधर्मी फोटोग्राफर के लिए भी उपलब्ध हैं पत्रिका के पोर्टल पर आप पूर्व में प्रकाशित चित्र देखकर एक अंदाज़ लगा सकते हैं। हमारे पाठकों तक आपके चित्रों की पहुँच तेज़ी से ग्लोबल हो सकेगी ऐसा हमारा मानना है
  8. रिश्तों का संसार : हमारी अपनी माटी ई-पत्रिका में एक अवसर है जहाँ आप गुम हुई चिट्ठी-पत्री की विधा को फिर से जीवित करने और जेन-जी कहलाने वाली पीढ़ी को उससे परिचित कराने के उद्देश्य से अपनी माटी के तिरपनवें अंक से यह कॉलम शुरू किया है। इस कॉलम में आप अपने परिचित मित्रों और परिवारजन के नाम चिट्ठी लिख सकते हैं। आपके परिवारजन जो अब इस दुनिया में नहीं हैं और आप उन्हें कुछ कहना चाहते थे और कह नहीं पाए वह भी चिट्ठी में लिख सकते हैं। अपने किसी प्रिय को चिट्ठी लिख सकते हैं। अनाम प्रेमी या प्रेयसी को लिखा जा सकता है। गिला-शिकवा या माफ़ी जो अब तक आप जुबां से कह नहीं पाए, ख़त में लिख भेजिएगा जिससे आपको हल्का महसूस होगा। एक से अधिक चिट्ठियाँ भी भेज सकते हैं। न्यूनतम दो हज़ार शब्द ज़रूर हों। प्रियजन का नाम बदलकर भी लिखना चाहें तो प्रकाशन संभव होगा। इसके लिए कोई तिथि अंतिम नहीं है। जब संभव हो भेजिएगा। हमें आपके खतों का इंतज़ार रहेगा। 
  9. फ़िल्म/ पुस्तक समीक्षा : केवल एक वर्ष पुरानी प्रकाशित और प्रसारित कृति की समीक्षा ही भेजिएगा। वह भी पहले संपादक मंडल से बात करके ही भेजें तो छपने के अवसर बढ़ेंगे
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